A son is a son until he gets a wife; a daughter is a daughter all her life…..
वैसे मैं इस कथन पर विश्वास नहीं करता। ऐसे असंख्य सुपुत्रों से मिला हूँ जो हरदम हर पल अपने माता पिता पर जान छिड़कते हैं।
फिर भी व्यक्तिगत रूप से मेरा मानना है के जो प्यार और सम्मान अपने पिता के लिये बेटियों के हृदय में होता है वह अतुलनीय है।
पिता की जान भी बेटियों में ऐसी बसी होती है के जिसका वर्णन शब्दों में करना कठिन है।
तस्वीर चीन की निवासी 6 वर्षिय जिया की है।
जिया के पिता टीआन एक टैक्सी ड्राइवर थे । बचपन से पिता की लाडली रही जिया का पिता से प्रेम इतना था के टीआन के वापिस आने तक जिया भोजन भी नहीं करती थी।
अचानक एक दिन ऐसा हादसा हुआ जिसने टीआन और उसके परिवार की नींव हिला कर रख दी। टैक्सी ड्राइवर टीआन का बीजिंग के समीप एक जानलेवा एक्सीडेंट हुआ। टीआन की जान तो बच गयी पर छाती से निचले हिस्से को लकवा मार गया। टीआन पैरलाइज़्ड हो गये।
वह हाथ जो किसी समय जिया को अपने हाथों में खिलाते थे अब उठने लायक भी नहीं बचे थे। शरीर एक ज़िंदा लाश बन कर रह गया।
आर्थिक स्थिति गड़बड़ाने लगी और फिर टीआन के जीवन में ऐसा दुःखद दिन आया जिसकी शायद उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी। टीआन के पत्नी ने अपंग पति के साथ रहने से इनकार कर दिया। वह बच्चों का सामान बांध कर घर से जाने लगी।
एक पत्नी ने मुश्किल के इस दौर में पति का साथ छोड़ दिया था पर इस कठिन दौर में भी पिता की लाडली ने पिता को इस हाल में छोड़ने से इनकार कर दिया।
केवल 5 वर्षीय जिया ने अपनी माँ से कहा के अगर वह घर छोड़ कर जाना चाहती है तो जाये पर वह अपने पिता को छोड़ कर नहीं जायेगी। टीआन अंतर्मन में टूट चुके थे। वह खुद की देखभाल करने लायक नहीं थे तो जिया की देखरेख कैसे करते।
ना जाने कैसे दिल पर पत्थर रख कर एक अपंग पिता ने अपनी बिटिया को अपनी मां के साथ जाने को कहा।
परन्तु प्यार हालात नहीं देखता। बिटिया का पिता से लगाव ऐसा था के उसने साफ शब्दों मे माँ के साथ जाने आए इनकार कर दिया।
अब घर में जिया के वृद्ध दादा दादी थे और अपंग पिता थे।
हालात हर इंसान को परिवर्तित कर देते हैं परन्तु एक 6 साल की बच्ची से परिवर्तन की आशा रखना उचित नहीं था। परन्तु जिया में कुछ ऐसे परिवर्तन देखने को मिले जिसने अचंभित कर दिया।
जिया नियमानुसार सुबह जल्दी उठने लगी। उठने के पश्चात वह अपने पिता को उठाती है और उनकी मालिश करती है। फिर अपनी दादी द्वारा बनाया हुआ भोजन अपने हाथों से अपने पिता को खिलाती है।
जिया स्कूल जाती है तो टीआन के माता पिता उसका ख्याल रखते हैं। स्कूल के आने के पश्चात जिया पुनः पिता के साथ रहती है।
एक 6 साल की बिटिया अब अपने दोस्तों के साथ खेलने भी नहीं जाती। हर वक्त हर दम हर ज़रुरत में वह अपने पिता के साथ है।
एक समय था जब लकवाग्रस्त टीआन ने अपना जीवन समाप्त करने का निर्णय ले लिया था। परंतु अब टीआन में पुनः जिजीविषा जाग उठी है। वह इस बदलाव का कारण अपनी बिटिया को बताते हैं।
अपने पिता की सेवा करती इस नन्ही सी बच्ची की तस्वीर जब सोशल मीडिया में वायरल हुई तो लाखों लोगों के नेत्र अश्रुपूर्ण हो गये। एक न्यूज़ चैनल ने जब बिटिया से पूछा के उसे माँ की याद नहीं आती तो उसने जवाब दिया ” नहीं । उन्होंने मेरे डैड को छोड़ दिया था। ”
कहते हैं वक्त और हालात इंसान को बदल देते हैं। परन्तु वक्त हालात और परिस्थितियों से बढ़ कर भी एक ताकत है तो हर व्यक्ति में बदलाव का स्त्रोत बनती है।
वह “प्यार” की ताकत है।
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【रचित】