____________रिश्तों की अहमियत_________
अजित सिंग चौहान
प्रिंस,पिताजी जोर से चिल्लाते हैं। प्रिंस दौड़कर आता है पूछता है, क्या बात है पिताजी ?
पिताजी- तूझे पता नहीं है आज तेरी बहन रश्मि आ रही है ? वह इस बार हम सभी के साथ अपना जन्मदिन मनायेगी। अब जल्दी से जा और अपनी बहन को स्टेशन से लेकर आ।
हाँ और सुन, तू अपनी नई गाड़ी लेकर जाना,उसे अच्छा लगेगा।
प्रिंस – लेकिन मेरी गाड़ी तो मेरा दोस्त ले गया है सुबह ही और आपकी गाड़ी भी ड्राइवर, ये कह कर ले गया की गाड़ी की ब्रेक चेक करवानी है।
पिताजी – ठीक है तो तू स्टेशन तो जा किसी की गाड़ी या किराया की करके ? उसे बहुत खुशी मिलेगी ।
प्रिंस – अरे वह बच्ची है क्या जो आ नहीं सकेगी ? आ जायेगी आप चिंता क्यों करते हो, किसी टैक्सी या ऑटो लेकर।
पिताजी – तूझे शर्म नहीं आती ऐसा बोलते हुए ? घर में गाड़ियाँ होते हुए भी घर की बेटी किसी टैक्सी या ऑटो से आयेगी ?
प्रिंस – ठीक है आप जाओ मुझे बहुत काम है मैं जा नहीं सकता ।
पिताजी – तूझे अपनी बहन की थोड़ी भी फिकर नहीं है ? शादी हो गई तो क्या बहन पराई हो गई क्या ? उसे हम सबका प्यार पाने का हक नहीं ? तेरा जितना अधिकार है इस घर में उतना ही तेरी बहन का भी है। कोई भी बेटी या बहन मायका छोड़ने के बाद वह पराई नहीं होती।
प्रिंस – मगर मेरे लिए वह पराई हो चुकी है और इस घर पर सिर्फ मेरा अधिकार है।
तड़ाक, अचानक पिताजी का हाथ उठ जाता है, प्रिंस पर और तभी अचानक माँ भी आ जाती है ।
मम्मी – आप कुछ शर्म तो कीजिये, जवान बेटे पर हाथ बिलकुल नहीं उठाते।
पिताजी – तुमने सुना नहीं इसने क्या कहा ? अपनी बहन को पराया कहता है ये वही बहन है जो इससे एक पल भी जुदा नहीं होती थी, हर पल इसका ख्याल रखती थी। पॉकेट मनी से भी बचाकर इसके लिए कुछ न कुछ खरीद देती थी। विदाई के वक्त भी हमसे ज्यादा अपने भाई से गले लगकर रोई थी।
और ये आज उसी बहन को पराया कहता है।
प्रिंस -(मुस्कुराकर) बुआ का भी तो आज ही जन्मदिन है पापा, वह कई बार इस घर में आई हैं मगर हर बार ऑटो से आई हैं। आपने कभी भी अपनी गाड़ी लेकर उन्हें लेने नहीं गये। माना वह आज तंगी में हैं मगर कल वह भी बहुत अमीर थीं। आपको, मुझको, इस घर को उन्होंने दिल खोलकर सहायता और सहयोग किया है। बुआ भी इसी घर से विदा हुई थीं फिर रश्मि दी और बुआ मे फर्क कैसा। रश्मि मेरी बहन है तो बुआ भी तो आपकी बहन है।
पापा, आप मेरे मार्गदर्शक हो आप मेरे सब हो मगर बस इसी बात से मैं हरपल अकेले में रोता हूँ कि, तभी बाहर गाड़ी रूकने की आवाज आती है। तब तक पापा की प्रिंस की बातों से पश्चाताप की आग में जलकर रोने लगे और इधर प्रिंस भी। तभी रश्मि दौड़कर आकर पापा मम्मी से गले मिलती है।लेकिन उनकी हालत देखकर पूछती है कि क्या हुआ पापा ?
पापा – तेरा भाई आज मेरा भी पिता बन गया है।
रश्मि – ए पागल, नई गाड़ी न ? बहुत ही अच्छी है मैं ड्राइवर को पीछे बैठाकर खुद चला कर आई हूँ और कलर भी मेरी पसंद का है।
प्रिंस – जन्मदिन मुबारक हो दी, वह गाड़ी आपकी है और हमारी तरफ से आपको जन्मदिन का तोहफा।
बहन सुनते ही खुशी से उछल पड़ती है कि तभी बुआ भी अंदर आती हैं।
बुआ – क्या भैया आप भी ना, न फोन न कोई खबर अचानक भेज दी गाड़ी आपने, भागकर आई हूँ खुशी से। ऐसा लगा पापा आज भी जिंदा हैं।
इधर पिताजी अपनी पलकों मे आंशू लिए प्रिंस की ओर देखते हैं और प्रिंस पापा को चुप रहने की इशारा करता है।
इधर बुआ कहती जाती है कि मैं कितनी भाग्यशाली हूँ कि मुझे बाप जैसा भैया मिला।
ईश्वर करे मुझे हर जन्म मे आप ही भैया मिलें। पापा
मम्मी को पता चल गया था कि, ये सब प्रिंस की किया हैै मगर आज फिर एक बार रिश्तों को मजबूती से जुड़ते देखकर वह अंदर से खुशी से रोने लगे। उन्हें अब पूरा यकीन था कि मेरे जाने के बाद भी मेरा प्रिंस रिश्तों को सदा हिफाजत से रखेगा। बेटी और बहन दोनों बेहद अनमोल शब्द हैं जिनकी उम्र बहुत कम होती हैं। क्योंकि शादी के बाद एक बेटी और बहन किसी की पत्नी तो किसी की भाभी और किसी की बहू बनकर रह जाती है।
शायद लड़कियाँ इसी लिए मायके आती होंगी की
उन्हें फिर से बेटी और बहन शब्द सुनने को बहुत मन करता होगा ।