Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

चार चौकीदार


https://inspiredhindi.blogspot.com/2018/06/blog-post_25.html?m=1

एक राजा था| उसके राज्य में कभी भी उपद्रव नहीं होते थे| प्रजा बहुत सुखी थी| उसके राज्य से सटा एक दुसरे राजा का छोटा-सा राज्य था, लेकिन उसमें आए दिन लड़ाई-झगड़े होते रहते थे| लोग आपस में लड़ते रहते थे| उसकी प्रजा बहुत ही दुखी थी, जिसकी वजह से राजा भी बहुत परेशान था|
एक दिन वह राजा दूसरे राजा के पास आकर बोला – “मेरा छोटा-सा राज्य है, पर उसमें आए दिन उत्पात होते रहते हैं| आपका राज्य इतना बड़ा है, फिर भी यहां पूर्ण शांति है, इसका कारण क्या है?”
राजा हंसते हुए बोला – “आप ठीक कहते हैं| मेरे राज्य में बड़ा चैन है| उसका कारण यह है कि मैंने अपने यहां चार चौकीदार तैनात कर रखे हैं, जो हर घड़ी मेरी रक्षा करते रहते हैं|
दूसरे ने कहा – “बस चार, मेरे यहां तो चौकीदारों की फौज है, पर इसका कोई फायदा नहीं, फिर आपका काम चार चौकीदारों से कैसे चल जाता है?”
राजा बोला – “जी, मेरे रक्षक दूसरी तरह के हैं|”
“कैसे?” दूसरे राजा ने उत्सुकता से पूछा|
राजा ने उत्तर दिया – “पहला रक्षक है सत्य| वह मुझे असत्य नहीं बोलने देता|”
“और दूसरा?”
राजा बोला – “दूसरा है प्रेम| वह मुझे घृणा से बचाता है|”
“तीसरा?”
राजा बोला – “तीसरा है न्याय| वह मुझे अन्याय नहीं करने देता|”
“और चौथा?”
राजा ने गंभीर होकर कहा – “चौथा है त्याग| वह स्वार्थी होने से मेरी रक्षा करता है|”
राजा की शंका का समाधान हो गया| जिस राजा के सत्य, प्रेम, न्याय और त्याग, जैसे चौकीदार होते हैं, उसे कोई परेशानी नहीं हो सकती|

Posted in सुभाषित - Subhasit

मारवाडी भाषा रो मजो

सौरो – दोरो

फलका खाणां सोरा है पणं आटो ल्याणों दोरो है ।
भक्ति करणीं सोरी है पणं नेम निभाणों दोरो है ।
जीमणं जाणों सोरो है पणं घरां जिमाणों दोरो है ।
फूट घालणीं सोरी है पणं मेल कराणों दोरो है ।
धान ल्यावणों सोरो है पणं रांध खावणों दोरो है ।
चोरी करणीं सोरी है पणं जेल जावणों दोरो है ।
झगडो करणों सोरो है पणं मार खावणों दोरो है ।
धंधो करणों सोरो है पणं नफो कमाणों दोरो है ।
झूठ बोलणों सोरो है पणं साच केवणों दोरो है ।
निंदा करणीं सोरी है पणं मान देवणों दोरो है ।
मौज मनाणीं सोरी है पणं कमा खावणों दोरो है ।
डूब ज्यावणों सोरो है पणं पार जावणों दोरो है ।
गुस्सो करणों सोरो है पणं गम खा ज्याणों दोरो है ।
मांग खावणों सोरो है पणं घर घर जाणों दोरो है ।
बातां करणीं सोरी है पणं बात निभाणीं दोरी है ।
सिलकाणीं तो सोरी है पणं लाय बुझाणीं दोरी है ।
बालपणां में पडे आदतां पछे सुधरणीं दोरी है ।
गंजो माथो बुरो नहीं पणं खाज कुचरणीं दोरी है ।
ठोकर खाणीं सोरी है पणं बुद्दि आणीं दोरी है ।
अंगरेजी पढ ज्याणें है पणं हिंदी आणीं दोरी है ।
मीठो खाणों सोरो है पणं जेर पीवणों दोरो है ।
खोटा धंधा सोरा है पणं पछे जीवणों दोरो है ।
गुरु बणाणों सोरो है पणं ग्यान आवणों दोरो है ।
उधार लेणों सोरो पणं पाछो देणों दोरो है ।
घणे मान धन्यबाद।

Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

एक बार एक शिकारी जंगल से एक तीतर पकड़ कर लाता है। उसे अपने घर पर रखता है और खूब काजू किशमिश बादाम खिलाता है, किसमिस काजू खाने के चक्कर में वह वहां से कभी भागने का प्रयास नही किया,,जब तीतर बड़ा हो जाता है तो उसे साथ ही लेकर जंगल जाता है वहाँ जाल बिछाता है और तीतर को वहीं पिंजड़े में रखकर खुद झाडी के पीछे छिप जाता है। और तीतर से बोलता है : “बोल बे!”
*तीतर अपने मालिक की आवाज़ सुनकर जोर जोर से चिल्लाता है, उसकी आवाज़ को सुनकर जंगल के सारे तीतर ये सोचकर की ये अपनी कौम का है, जरूर किसी परेशानी में है। मदद करने के लिए खिंचे चले आते हैं और शिकारी के बिछाये हुए जाल में फंस जाते हैं। फिर शिकारी मुस्कुराते हुए आता है, पालतू तीतर को अलग कर वो सारे तीतरों को दूसरे झोले में रखकर घर लाता है। इसके बाद अपने पालतू तीतर के सामने ही पकडे गए सारे तीतरों को एक- एक कर काटता है, मगर पालतू तीतर उफ़ तक नही करता। कैसे करता उसे अपने हिस्से का खुराक काजू किशमिश बादाम जो मिल रहा था, और वह तीतर यह भी सोचता था कि मैं तो सुरक्षित हूँ मेरे लोग जाए भाड़ में..।।कभी-कभी यह भी सोचता था कि यदि समाज की चिन्ता करूँगा तो मैं नही बचूँगा और अपनी परवाह करूँगा तो समाज नही बचेगा, अब तो किसमिस काजू के चक्कर में बहुत बड़ी गलती कर बैठा हूँ मैं,,इसी तरह कोंग्रेस में पहले कुछ हिन्दुओ को ऐसे ही नेता बनने की महत्वाकांक्षा को हवा देते थे और जब उनका साधनाओं को पूरा इस्तेमाल कर लेते ते तो उठाकर बाहर कर देते थे ,जैसे सीताराम केशरी।।

Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

👌बहूत सुंदर कथा👌

☺मेरा वृन्दावन☺

एक राजा ने भगवान कृष्ण का एक मंदिर बनवाया
और पूजा के लिए एक पुजारी को लगा दिया. पुजारी बड़े भाव से
बिहारीजी की सेवा करने लगे. भगवान की पूजा-अर्चना और
सेवा-टहल करते पुजारी की उम्र बीत गई. राजा रोज एक फूलों की
माला सेवक के हाथ से भेजा करता था.पुजारी वह माला बिहारीजी
को पहना देते थे. जब राजा दर्शन करने आता तो पुजारी वह माला बिहारीजी के गले से उतारकर राजा को पहना देते थे. यह रोज का
नियम था. एक दिन राजा किसी वजह से मंदिर नहीं जा सका.
उसने एक सेवक से कहा- माला लेकर मंदिर जाओ. पुजारी से कहना
आज मैं नहीं आ पाउंगा. सेवक ने जाकर माला पुजारी को दे दी और
बता दिया कि आज महाराज का इंतजार न करें. सेवक वापस आ
गया. पुजारी ने माला बिहारीजी को पहना दी. फिर उन्हें विचार आया कि आज तक मैं अपने बिहारीजी की चढ़ी माला
राजा को ही पहनाता रहा. कभी ये सौभाग्य मुझे नहीं
मिला.जीवन का कोई भरोसा नहीं कब रूठ जाए. आज मेरे प्रभु ने
मुझ पर बड़ी कृपा की है. राजा आज आएंगे नहीं, तो क्यों न माला
मैं पहन लूं. यह सोचकर पुजारी ने बिहारीजी के गले से माला
उतारकर स्वयं पहन ली. इतने में सेवक आया और उसने बताया कि राजा की सवारी बस मंदिर में पहुंचने ही वाली है.यह सुनकर
पुजारी कांप गए. उन्होंने सोचा अगर राजा ने माला मेरे गले में देख
ली तो मुझ पर क्रोधित होंगे. इस भय से उन्होंने अपने गले से
माला उतारकर बिहारीजी को फिर से पहना दी. जैसे ही राजा
दर्शन को आया तो पुजारी ने नियम अुसार फिर से वह माला
उतार कर राजा के गले में पहना दी. माला पहना रहे थे तभी राजा को माला में एक सफ़ेद बाल दिखा.राजा को सारा माजरा समझ गया
कि पुजारी ने माला स्वयं पहन ली थी और फिर निकालकर
वापस डाल दी होगी. पुजारी ऐसाछल करता है, यह सोचकर राजा
को बहुत गुस्सा आया. उसने पुजारी जी से पूछा- पुजारीजी यह
सफ़ेद बाल किसका है.? पुजारी को लगा कि अगर सच बोलता हूं
तो राजा दंड दे देंगे इसलिए जान छुड़ाने के लिए पुजारी ने कहा- महाराज यहसफ़ेद बाल तो बिहारीजी का है. अब तो राजा गुस्से
से आग- बबूला हो गया कि ये पुजारी झूठ पर झूठ बोले जा रहा
है.भला बिहारीजी के बाल भी कहीं सफ़ेद होते हैं. राजा ने कहा-
पुजारी अगर यह सफेद बाल बिहारीजी का है तो सुबह शृंगार के
समय मैं आउंगा और देखूंगा कि बिहारीजी के बाल सफ़ेद है या
काले. अगर बिहारीजी के बाल काले निकले तो आपको फांसी हो जाएगी. राजा हुक्म सुनाकर चला गया.अब पुजारी रोकर
बिहारीजी से विनती करने लगे- प्रभु मैं जानता हूं आपके
सम्मुख मैंने झूठ बोलने का अपराध किया. अपने गले में डाली
माला पुनः आपको पहना दी. आपकी सेवा करते-करते वृद्ध हो
गया. यह लालसा ही रही कि कभी आपको चढ़ी माला पहनने का
सौभाग्य मिले. इसी लोभ में यह सब अपराध हुआ. मेरे ठाकुरजी पहली बार यह लोभ हुआ और ऐसी विपत्ति आ पड़ी है. मेरे
नाथ अब नहींहोगा ऐसा अपराध. अब आप ही बचाइए नहीं तो
कल सुबह मुझे फाँसी पर चढा दिया जाएगा. पुजारी सारी रात रोते
रहे. सुबह होते ही राजा मंदिर में आ गया. उसने कहा कि आज
प्रभु का शृंगार वह स्वयं करेगा. इतना कहकर राजा ने जैसे ही मुकुट
हटाया तो हैरान रह गया. बिहारीजी के सारे बाल सफ़ेद थे. राजा को लगा, पुजारी ने जान बचाने के लिए बिहारीजी के बाल रंग
दिए होंगे. गुस्से से तमतमाते हुए उसने बाल की जांच करनी
चाही. बाल असली हैं या नकली यब समझने के लिए उसने जैसे
ही बिहारी जी के बाल तोडे, बिहारीजी के सिर से खून
कीधार बहने लगी. राजा ने प्रभु के चरण पकड़ लिए और क्षमा
मांगने लगा. बिहारीजी की मूर्ति से आवाज आई- राजा तुमने आज तक मुझे केवल मूर्ति ही समझा इसलिए आज से मैं तुम्हारे
लिए मूर्ति ही हूँ. पुजारीजी मुझे साक्षात भगवान् समझते हैं.
उनकी श्रद्धा की लाज रखने के लिए आज मुझे अपने बाल सफेद
करने पड़े व रक्त की धार भी बहानी पड़ी तुझे समझाने के लिए.

कहते हैं- समझो तो देव नहीं तो पत्थर.श्रद्धा हो तो उन्हीं पत्थरों में भगवान सप्राण
होकर भक्त से मिलने आ जाएंगे ।।

श्री वृन्दावन बांके बिहारी लाल की जय हो ।
🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏

Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

Pampering or Protecting ?

એકવાર ઘરનાં મુખ્ય વ્યકિતએ બધાને બોલાવી ખખડાવ્યા કે

” અહી અભરાઇ પર ચકલીનું બચ્ચુ કાલ સાંજ સુધી મે જીવતુ જોયુ અને આજે મરેલુ ? ”

બધા વિચારમાં પડી ગયા કોઇએ એવુ કાંઇ કયૂઁ નહોતું .

છેવટે રહસ્ય બહાર આવ્યું.

દીદીએ કહયું કે બચ્ચુ ઇંડામાંથી બહાર નીકળવા પાંખો હલાવી કોશિશ કરતું હતું.

મે ઇંડુ તોડી બહાર કાઢયું.

તો આ જ તેનાં મોતનું કારણ ….!

બચ્ચાને પાંખો ફફડાવવા દેવુ પડે, જેથી તેના શરીરમાંથી પ્રવાહી ઝરે અને તે હલકુ થાય અને પાંખો મજબુતાઇ પકડશે અને કોચલામાંથી બહાર નીકળી તે ઊડી શકશે.

તમે મદદ કરી એટલે પાંખો ફફડાવ્યા વગરનું અપરીપકવ બચ્ચુ બહાર આવ્યુ ને મરી ગયું.

ઊડી શકવા પાંખો મજબૂત અને શરીર હલકુ અનિવાયઁ છે.

કઇંક આવુ જ આપણા સૌનુ છે.

મોટે ભાગે માબાપ સંતાનોને સંઘષઁથી દૂર રાખતા હોય છે.

સંતાનોને દરેક માબાપ બે વસ્તુ ભેટ આપે.

પરિશ્રમ અને સંઘષઁ .

પાંખો ફફડાવવાની તક આપો.

આજે આપણે એવુ વિચારીએ કે આપણાં સંતાનને સહેજ પણ તકલીફ ન પડવી જોઇએ.

આ વિચાર સંતાન માટે નુકશાન કારક છે .

સંતાન પછી કયાંથી શેકેલો પાપડ ભાંગે !

🙏🙏🙏