“एकता ही सफलता कुंजी है”
संतोष चतुर्वेदी
एक नगर में दो बिल्लिया रहती थी। एक दिन उन्हें रोटी का एक टुकड़ा मिला। उस रोटी के लिए वो दोनों आपस में लड़ने लगी। बिल्लियां उस रोटी के टुकड़े को दो समान भागों में बांटना चाहती थी, लेकिन वो ठीक तरह से उस रोटी का बटवारा नहीं कर पा रही थी। वो काफी परेशान थी।
उसी समय एक बन्दर उधर से निकल रहा था। वह बहुत ही चालाक था। उसने बिल्लियों से लड़ने का कारण पूछा। बिल्लियों ने उसे सारी बात सुनाई। वह तराजू ले आया और बोला- “लाओ, मैं तुम्हारी रोटी को बराबर बांट देता हूं। उसने रोटी के दो टुकड़े लेकर एक–एक पलड़े में रख दिया। वह बन्दर तराजू में जब रोटी को तोलता तो जिस पलड़े में रोटी अधिक होती, बन्दर उसे थोड़ी-सी तोड़ कर खा लेता।
इस प्रकार वो थोड़ी-थोड़ी रोटी थोड़ता और खा लेता। इस तरह उसने आधी रोटी खा ली। बिल्लियों ने जो थोड़ी सी रोटी बची थी वो वापस मांगी, लेकिन बन्दर ने बड़ी चलाकी से वो बची रोटी भी मुंह में डाल ली। बंदर की इस हरकत को देखकर बिल्लियां उसका मुंह देखती रह गई।
कभी भी हमें आपस में लड़ना नहीं चाहिए। कोई भी दोस्त या परिवार तब तक बहुत मजबूत होता है, जब तक उनमे आपसी प्यार और विश्वास होता है। एक बार जब वह आपस में लड़ने लग जाते है तो इससे दूसरे लोग भी फायदा उठाते है। वह इस लड़ाई को बड़ा बनाकर अपना मुनाफा ढूंढ लेते है। इसलिए लड़ने से अच्छा है एक साथ रहना चाहिए। किसी भी मुसीबत का मिलकर मुकाबला करना चाहिये।