Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

ससुराल कैसे बदलते हैं सीख लो ……………….👌

एक लड़का एक लड़की एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे .लड़का का नाम अमित था और लड़की का नाम किरन .. दोनों शादी भी करना चाहते थे . दोनों ने अपने घर में बात की घर वाले तैयार हो गए शादी भी हो गई दोनों ही बहुत खुश थे उनके घर वाले भी बहुत खुश थे
लेकिन किरन और उसकी सास में बिल्कुल भी नहीं बनती रोज कुछ ना कुछ झगड़ा या कोई बात हो ही जाती पहले तो इन बातों को किरन इग्नोर करते रही . लेकिन अमित बहुत परेशान होता रोज रोज झगड़ा देख कर वह और भी परेशानियां था ऑफिस जाता काम में उसका मन नहीं लगता वह अपनी पत्नी और अपनी मां के बारे में ही सोचता रहता कि किसी तरह झगड़ा बंद हो लेकिन ऐसा नहीं होता रोज झगड़ा होता तभी उसने फैसला किया कि मैं अपनी फैमिली से अलग रहने का उसकी पत्नी यह जानकर पहले तो बहुत खुश हुई . ,,,, लेकिन बाद में ….
सोचने लगी क्या यह ठीक रहेगा हम अलग रहेंगे …पहले अपना घर छोड़ आर्इ और अब ससुराल भी छोड़ दु . लेकिन उसका पति भी मन ही मन अपनी फैमिली को नहीं छोड़ना चाहता था लेकिन अपनी पत्नी को खुश देखने के लिए अपनी फैमिली से अलग रहना चाहता था .., फिर भी अपनी पत्नी से बोला आज सामान पैक करो शाम को हम अलग रूम में रहेंगे . दिन में उसकी पत्नी सामान पैक करने लगी तभी उसने सोचा जब वह अपना परिवार छोड़ कर आई थी तो उसे कितनी तकलीफ हुई थी बहुत रोई थी वह आज जब उसका पति अपनी फैमिली से अलग होगा . वही तकलीफ उसे भी होगी उसने सामान पैक नहीं किया और घर के काम में लग गई शाम को उसका पति आया तो बोला तुमने सामान क्यों नहीं पैक किया .
किरन बोली की मैं इस घर को छोड़कर नहीं जाऊंगी अपनी फैमिली से दूर नहीं रहूंगी एक बार अपनी फैमिली को छोड़ कर आई पर दोबारा नहीं छोड़ सकती लदाइ झगड़े तो हर घर में होती हैं तो क्या सब घर छोड़ देते हैं … किरन बोली अमित से की तुम खुद बताओ अपनी माँ से दूर हो कर क्या खुश रहोगे या तुम्हारी माँ खुश रहेगी जो तुमको जन्म दिया हैं बचपन से तुमको खिला पिला कर आज इतना बड़ा किया . क्या उसे तकलीफ़ नही होगी .
यह सब सुनकर उसके पति की आंखों में आंसू आ गए तभी उसकी पत्नी बोली मुझे पता है मां से अलग होने का दर्द क्या होता है आज मैं एक पत्नी हु कल मैं भी मां बनूँगी मेरा भी लड़का होगा अगर वह अलग होगा मुझे भी दर्द होगा मेरा भी दिल रोएगा तभी किरन की सास ये सब सुनकर उसे गले से लगा लिया और बोली बहू आज से सारे झगड़े खत्म तुमने मेरी आंखे खोल दी अब हम कभी झगड़े नही करेंगे आपस में मिल कर रहेंगे एक मां बेटी की तरह सब बहुत खुश हो गये ,,,,,,?

अगर औरत चाहें तो किसी को भी बदल देगी कोई इन्सान हो या ससुराल हो ……

देव शर्मा

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संजय गुप्ताRpd

बटवारा
“माँजी के सामान पर हम सब का बराबर अधिकार है.” सास की तेरहवीं के दिन ही बड़ी बहू ने कहना शुरू कर दिया. मझली ने भी हाँ में हाँ मिलाई.
“हाँ हाँ क्यों नहीं भाभी वैसे भी हम अपने साथ कहाँ कुछ ले जा पाएंगे..” सबसे छोटे ने कहा तो पत्नी ने खा जाने वाली नज़रों से घूरा.
अब तक जो आँगन मेहमानों से भरा था वो घर-गृहस्थी के सामान से भर गया.
चांदी के गिलास-प्लेट,पीतल के कलश,बड़े-बड़े थाल, सब आँगन में सज गए. पुराने डिब्बों से लेकर दीवार घड़ियाँ बिस्तर सब छोटा बड़ा सामान आँगन में जुट गया था..
दस मिनट बाद मैदान खाली था.
छोटे बेटे ने झुककर फर्श से कुछ उठाया तो दोनों बहुओं की सांस थम गई… “ये क्या है जो हमसे छूट गया.”
कागज़ का टुकड़ा था..
दादी के ज़माने की वो तस्वीर, जिस में माँ घूँघट में और तीनों भाई निक्कर में थे..

संजय गुप्ता

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प्रेरक प्रसंग

सुखी जीवन का मूलमन्त्र

  जापान के सम्राट यामातो का एक राज्यमंत्री था ___ ओ - चो - सान ।  उसका परिवार सौहार्द्रता के लिए बड़ा प्रसिद्ध था ।  यद्यपि उसके परिवार में लगभग एक हजार सदस्य थे, पर उनके बीच एकता का अटूट सम्बन्ध स्थापित था ।  सभी सदस्य साथ-साथ रहते और साथ-साथ ही खाना खाते थे ।  फिर उनमें द्वेष-कलह की बात ही क्या ?
  ओ - चो - सान के परिवार की सौहार्द्रता की बात यामातो के कानों तक पहुँची ।  सत्यता की जाँच करने के लिए एक दिन वे स्वयं उस वृद्ध मन्त्री के घर आ पहुँचे ।
  स्वागत-सत्कार और शिष्टाचार की साधारण रस्में समाप्त हो जाने पर उन्होंने पूछा,  "महाशय् !  मैंने आपके परिवार की एकता और मिलनसारिता की कई कहानियाँ सुनी हैं ।  क्या आप बताएँगे कि एक हजार से भी अधिक व्यक्तियोंवाले आपके परिवार में यह सौहार्द्रता और स्नेह-सम्बन्ध किस तरह बना हुआ है ?"
  ओ - चो - सान वृद्धावस्था के कारण अधिक देर तक बातें नहीं कर सकता था ।  अतः उसने अपने पौत्र को संकेत से कलम-दवात और कागज लाने के लिए कहा ।  उन चीजों के आ जाने पर उसने अपने काँपते हाथों से कोई सौ शब्द लिखकर वह कागज सम्राट यामातो की ओर बढ़ा दिया ।  सम्राट ने उत्सुकतावश उस कागज पर नजर डाली, तो वे चकित रह गये ।  कागज में एक ही शब्द सौ बार लिखा था ___ सहनशीलता, सहनशीलता, सहनशीलता ........ ।
  सम्राट को चकित और अवाक् देखकर ओ - चो - सान ने अपनी काँपती हुई आवाज में कहा,  "महाराज !  मेरे परिवार की सौहार्द्रता का रहस्य बस इसी एक शब्द में निहित है ।  'सहनशीलता'  का यह महामन्त्र ही हमारे बीच एकता का धागा अब तक पिरोये हुए है ।  इस महामन्त्र को जितनी बार दुहराया जाए, कम ही है !"

अनूप सिन्हा

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(((( एक माँ की प्रार्थना ))))
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75 साल की उस बुढ़िया माँ का वजन लगभग 40 किलो होगा !! आज जब तबियत बिगड़ने पर वो डॉक्टर को दिखाने गयी,
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डॉक्टर ने कहा, माता जी आप हेल्थ का ख्याल रखिये, आप का वजन जरूरत से ज्यादा कम है !
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आप खाने में जूस, सलाद, दूध, फल, घी, मेवा और हेल्थी फ़ूड लिजियें, नहीं तो आपकी सेहत दिनों दिन गिरती जायेगी और हालत नाजुक हो जायेंगे !!
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उसने भारी मन से डॉक्टर की बात को सुना और बाहर निकल कर सोचने लगी, इतनी महंगाई में ये सब कहाँ से आएगा….???
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और पिछले पचास सालों में, फ्रूट, घी, मेवा घर में लाया कौन है…???
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बहुत ही मामूली पेंशन से जो थोडा बहुत पैसा मिलता है उससे घर के जरुरी सामान तो पति ले आतें है,
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लेकिन फल, जूस, हरी सब्जी, ये सब पति ने कभी ला कर नहीं दिया,.. और खुद भी कभी ये सब खरीदने की हिम्मत नहीं कर सकी…
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क्यूंकि जब भी मन करता कुछ खाने का, खाली पर्स हमेशा मुंह चिढाने लगता….
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नागपुर (विदर्भ) जैसे शहर में मामूली सी नौकरी में और जिंदगी की गहमागहमी में सारी जमा पूंजी, पति का PF, घर की सारी अमानत, संपदा, गहने जेवर सब एक बेटे और दो बेटियों की परवरिश, पढाई लिखाई शादी में सब कुछ खत्म हो गया…
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दूर दिल्ली में रह रहा एक बहुत बड़ी कंपनी में मैनेजर और मोटी तनख्वाह उठा रहा बेटा भी तो खर्चे के नाम पर सिर्फ पांच सौ रुपये देता है…वो भी महीने के…..
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बेटियों से अपने दुःख माँ ने सदा छुपाये हैँ… उन्हें कभी अपने गमो में शामिल नहीं किया… आखिर ससुराल वाले क्या सोचेंगे…..???
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अब बेटे के भेजे इन पांच सौं रुपये में बूढ़े माँ बाप तन ढके या मन की करें ?????
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उसने सोचा चलो एक बार बेटे को डॉक्टर की रिपोर्ट बता दी जाए…..!
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उसने बेटे को फ़ोन किया और कहा, बेटा डॉक्टर ने बताया है कि विटामिन, खून की कमी , कमजोरी से चक्कर आये थे….
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इसी लिए खाने में सलाद, जूस, फ्रूट, दूध, फल, घी, मेवा लेना शुरू करो !!
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बेटा – माँ आप को जो खाना है खाओ, डॉक्टर की बात ना मानों…. !!
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माँ ने कहा – बेटा, थोड़े पैसे अगर भेज देता तो ठीक रहता….!
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बेटा – माँ इस माह मेरा बहुत खर्चा हो रहा है, कल ही तेरी पोती को मैंने फिटनेस जिम जोईन कराया है,
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तुझे तो पता ही है, वो कितनी मोटी हो रही है, इसी लिए जिम जोईन कराया है…
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उसके महीने के सात हजार रुपये लगेंगे…. जिसमे उसका वजन, चार किलो हर माह कम कराया जाएगा….
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और कम से कम पांच माह तो उसे भेजना ही होगा…. पैंतीस हजार का ये खर्चा बैठे बिठाये आ गया….
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अब जरुरी भी तो है ये खर्चा…!! आखिर दो तीन साल में इसकी शादी करनी है और आज कल मोटी लड़कियां, पसंद कोई करता नहीं…..!!
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माँ ने कहा – हाँ बेटा ये तो जरुरी था….. कोई बात नहीं वैसे भी डॉक्टर लोग तो ऐसे ही कुछ भी कहतें रहते है…..
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चक्कर तो गर्मी की वजह से आ गयें होंगे, वरना इतने सालों में तो कभी ऐसा नहीं हुआ….. खाना तो हमेशा से यही खा रही हूँ मैं…!!!
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बेटा – हाँ माँ….. अच्छा माँ अभी मैं फोन रखता हूँ… बेटी के लिए डाइट चार्ट ले जाना है और कुछ जूस, फ्रूट और डायट फ़ूड भी…. आप अपना ख्याल रखना !! फोन कट गया….
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माँ ने एक ग्लास पानी पिया… और साड़ी पर फोल लगाने मे लग गयी….
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एक साड़ी में फोल लगाने के माँ को पन्द्रह रुपये मिलेंगे…. इन रुपयों से माँ आज गणेश पूजा के लिए बाजार से लड्डू खरीदेंगी…. आज गणेशचतुर्थी जो है !!
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माँ के पास आज साड़ी में फोल लगाने के तीन आर्डर है…
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माँ ने मन ही मन श्री गणेश का शुक्रिया अदा किया क्यूंकि आज वो आधा किलो लड्डू खरीद ही लेंगी गणेश जी की पूजा के लिए इन पैसो से…
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और मन ही मन अपने बेटे की सुखी और समृद्ध जिंदगी के लिए प्रभु श्री गणेश से प्रार्थना भी की !!

संजय गुप्ता

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टोटी चोर और सूप !

महादेवी वर्मा को साहित्य का पुरस्कार मिला। वो राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद से मिलने गई। राजेन्द्र प्रसाद जी की पत्नी इलाहाबाद से थी तो उनसे भी मिलने चली गई। राजेन्द्र बाबू की पत्नी ने महादेवी वर्मा से कहा – “अबकी जब आवल जाई तो सूप लेते अयिह्या इहाँ चाउर साफ ना होत”(अबकी जब आना तो सूप लेते आना, यहाँ चावल साफ नहीं होता, चावल साफ करने के लिए चाहिए) ।

फिर जब महादेवी जी गई तो राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की पत्नी को सूप दिया। राजेंद्र प्रसाद जी जब राष्ट्रपति भवन छोड़ने लगे तो उन्होंने पत्नी से कहा यह सूप भी राष्ट्र की धरोहर है, यह उपहार मिला है इसको यहीं छोड़ दो ।

आज भी राष्ट्रपति संग्रहालय में वह सूप रखा है।

मौका मिले तो देख सकते है।

और जब मौका मिले तो अखिलेश को भी देख लें जो टोटी, टाइल्स उखाड़ ले गये।

हम कहाँ से शुरू किये और कहाँ तक पहुँच गये। चोर उच्चके जो सत्ता को अपनी बपौती समझते हैं, जातिवादी राजनीति करके देश का बेड़ा गर्क कर रहे हैं।

आप अपने मित्रों रिश्तों को यह बात गर्व से बता सकते हैं।

संजय गुप्ता

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ससुराल कैसे बदलते हैं सीख लो ……………….👌

एक लड़का एक लड़की एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे .लड़का का नाम अमित था और लड़की का नाम किरन .. दोनों शादी भी करना चाहते थे . दोनों ने अपने घर में बात की घर वाले तैयार हो गए शादी भी हो गई दोनों ही बहुत खुश थे उनके घर वाले भी बहुत खुश थे
लेकिन किरन और उसकी सास में बिल्कुल भी नहीं बनती रोज कुछ ना कुछ झगड़ा या कोई बात हो ही जाती पहले तो इन बातों को किरन इग्नोर करते रही . लेकिन अमित बहुत परेशान होता रोज रोज झगड़ा देख कर वह और भी परेशानियां था ऑफिस जाता काम में उसका मन नहीं लगता वह अपनी पत्नी और अपनी मां के बारे में ही सोचता रहता कि किसी तरह झगड़ा बंद हो लेकिन ऐसा नहीं होता रोज झगड़ा होता तभी उसने फैसला किया कि मैं अपनी फैमिली से अलग रहने का उसकी पत्नी यह जानकर पहले तो बहुत खुश हुई . ,,,, लेकिन बाद में ….
सोचने लगी क्या यह ठीक रहेगा हम अलग रहेंगे …पहले अपना घर छोड़ आर्इ और अब ससुराल भी छोड़ दु . लेकिन उसका पति भी मन ही मन अपनी फैमिली को नहीं छोड़ना चाहता था लेकिन अपनी पत्नी को खुश देखने के लिए अपनी फैमिली से अलग रहना चाहता था .., फिर भी अपनी पत्नी से बोला आज सामान पैक करो शाम को हम अलग रूम में रहेंगे . दिन में उसकी पत्नी सामान पैक करने लगी तभी उसने सोचा जब वह अपना परिवार छोड़ कर आई थी तो उसे कितनी तकलीफ हुई थी बहुत रोई थी वह आज जब उसका पति अपनी फैमिली से अलग होगा . वही तकलीफ उसे भी होगी उसने सामान पैक नहीं किया और घर के काम में लग गई शाम को उसका पति आया तो बोला तुमने सामान क्यों नहीं पैक किया .
किरन बोली की मैं इस घर को छोड़कर नहीं जाऊंगी अपनी फैमिली से दूर नहीं रहूंगी एक बार अपनी फैमिली को छोड़ कर आई पर दोबारा नहीं छोड़ सकती लदाइ झगड़े तो हर घर में होती हैं तो क्या सब घर छोड़ देते हैं … किरन बोली अमित से की तुम खुद बताओ अपनी माँ से दूर हो कर क्या खुश रहोगे या तुम्हारी माँ खुश रहेगी जो तुमको जन्म दिया हैं बचपन से तुमको खिला पिला कर आज इतना बड़ा किया . क्या उसे तकलीफ़ नही होगी .
यह सब सुनकर उसके पति की आंखों में आंसू आ गए तभी उसकी पत्नी बोली मुझे पता है मां से अलग होने का दर्द क्या होता है आज मैं एक पत्नी हु कल मैं भी मां बनूँगी मेरा भी लड़का होगा अगर वह अलग होगा मुझे भी दर्द होगा मेरा भी दिल रोएगा तभी किरन की सास ये सब सुनकर उसे गले से लगा लिया और बोली बहू आज से सारे झगड़े खत्म तुमने मेरी आंखे खोल दी अब हम कभी झगड़े नही करेंगे आपस में मिल कर रहेंगे एक मां बेटी की तरह सब बहुत खुश हो गये ,,,,,,?

अगर औरत चाहें तो किसी को भी बदल देगी कोई इन्सान हो या ससुराल हो ……

देव शर्मा

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बहुत ही अच्छी पोस्ट

【सांकेतिक बोध कथा】


एक दिन, एक साँप, एक बढ़ई की औजारों वाली बोरी में घुस गया। घुसते समय, बोरी में रखी हुई बढ़ई की आरी उसके शरीर में चुभ गई और उसमें घाव हो गया, जिस से उसे दर्द होने लगा और वह विचलित हो उठा। गुस्से में उसने, उस आरी को अपने दोनों जबड़ों में जोर से दबा दिया। अब उसके मुख में भी घाव हो गया और खून निकलने लगा।

अब इस दर्द से परेशान हो कर, उस आरी को सबक सिखाने के लिए, अपने पूरे शरीर को उस साँप ने उस आरी के ऊपर लपेट लिया और पूरी ताकत के साथ उसको जकड़ लिया। इस से उस साँप का सारा शरीर जगह जगह से कट गया और वह मर गया।

इसी प्रकार व्यक्ति का आवेश होता है, प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्मों से ही आनंद अथवा कष्ट पाता है किंतु जब कभी कर्मफल स्वरूप आहत होता है तो व्यक्ति आवेशित होकर स्वयं की ही हानि कर लेता है। ऐसे में विवेक को जाग्रत रखना ही श्रेष्ठ है।

संजय गुप्ता

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प्रेरक प्रसंग

कबिरा इस संसार का झूठा माया मोह

   प्रसिद्ध चीनी सन्त चांगत्से सदैव प्रसन्नचित्त रहते थे ।  उनके चेहरे पर कभी भी खिन्नता नहीं दीख पड़ती थी ।  एक दिन जब लोगों ने उनके चेहरे पर उदासी देखी, तो पूछा,  "महाराज !  आप पर भले ही कितनी विपदाएँ आएँ, पर आपके मुखमण्डल पर हमेशा ताजगी और प्रसन्नता की झलक दिखाई देती है ।  लेकिन आज क्या कारण है कि आप उदास और खिन्न दिखाई दे रहे हैं ?"
  चांगत्से ने कहा,  "भाइयों, आपका कथन सही है ।  आज मैं सचमुच में एक उलझन में पड़ गया हूँ, जिसे सुलझाने में असमर्थ हूँ ।"  लोगों ने कहा,  "यह तो बड़े आश्चर्य की बात है कि हम अपनी समस्याएँ लेकर आपके पास आते हैं और आप उनका निराकरण और समाधान कर देते हैं, लेकिन आज तो आपको ही समस्या ने घेर लिया है ।  क्या आप हमें बताएँगे कि आपके सामने ऐसी कौन-सी विकट समस्या आ गई है ?"
  सन्त ने कहा,  "सुनो !  कल रात मैंने एक स्वप्न देखा, जिसमें मैं एक तितली बनकर इस फूल से उस फूल पर मँडरा रहा था ।"  लोगों ने कहा, "इसमें कौन सी समस्या आ गई ?"  सन्त ने कहा,  "जब मैंने स्वप्न में अपने को तितली बना देखा, तो क्या किसी तितली ने स्वप्न में अपने को आदमी बना हुआ नहीं देखा होगा !  लेकिन इसे सत्य कौन मानेगा ?"  लोगों को समझ में कुछ नहीं आया और वे आगे बढ़ गये ।  मगर एक व्यक्ति रूक गया और उसने उन्हें बात को स्पष्ट करने का आग्रह किया । तब सन्त ने कहा,  "हम बाहर तो कुछ देखते हैं, वह खुली आँख का स्वप्न ही है ।  आँखें बन्द करते ही सब मिट जाता है, अदृश्य हो जाता है, क्योंकि आँखें बन्द होने पर हम दूसरी दुनिया में पहुँच जाते हैं ।  आँखें खोलने पर हमें जो दिखाई देता है, वह हमें सत्य मालूम पड़ता है, जबकि वह स्वप्नवत् होता है ।  यह संसार बड़ा मायावी है ।  यहाँ सत्य कुछ भी नहीं है, सब स्वप्न है ___ असत्य है ।  हम झूठे माया-मोह में फँसकर अपना सर्वस्व गँवाते रहते हैं और उसी को सत्य मानकर उलझते रहते हैं, यह हमारे ध्यान में ही नहीं आता ।  इसलिए हमें सब कुछ असत्य मानकर सत्कर्म करते रहना चाहिए ।

अनूप सिन्हा

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संजय गुप्ताRpd
सभी से निवेदन एक बार जरूर पढे
दोस्तो को भी पढाए
गार्डन में लैपटॉप लिए एक लड़के से
बुजुर्ग दम्पति ने कहा-
“बेटा हमें फेसबुक का अकाउंट बना दो।”
लड़के ने कहा- “लाइये अभी बना देता हूँ, कहिये किस नाम से
बनाऊँ?”
बुजुर्ग ने कहा- “लड़की के नाम से कोई भी अच्छा सा नाम
रख लो।”
लड़का ने अचम्भे से पूछा- “फेक अकाउंट क्यों ??”
बुजुर्ग ने कहा- “बेटा, पहले बना तो दो फिर बताता हूँ
क्यों ??”
बड़ो का मान करना उस लड़के ने सीखा था तो उसने अकाउंट
बना ही दिया।
अब उसने पूछा- “अंकल जी, प्रोफाइल इमेज क्या रखूँ?”
तो बुजुर्ग ने कहा- “कोई भी हीरोइन जो आजकल के बच्चों
को अच्छी लगती हो।”
उस लड़के ने गूगल से इमेज सर्च करके डाल दी, फेसबुक अकाउंट
ओपन हो गया।
फिर बुजुर्ग ने कहा- “बेटा कुछ अच्छे लोगो को ऐड कर दो।”
लड़के ने कुछ अच्छे लोगो को रिक्वेस्ट सेंड कर दी।
फिर बुजुर्ग ने अपने बेटे का नाम सर्च करवा के रिक्वेस्ट सेंड
करवा दी। .
लड़का जो वो कहते करता गया जब काम पूरा हो गया तो
उसने कहा….
“अंकल जी अब तो आप बता दीजिये आपने ये फेक अकाउंट
क्यों बनवाया?”
बुजुर्ग की आँखे नम हो गयी, उनकी पत्नी की आँखों से तो
आँसू बहने लगे।
उन्होंने कहा- “मेरा एक ही बेटा है और शादी के बाद वो
हमसे अलग रहने लगा। सालो बीत गए वो हमारे पास नहीं
आता। शुरू शुरू में हम उसके पास जाते थे तो वो नाराज हो
जाता था। कहता आपको मेरी पत्नी पसंद नहीं करती। आप
अपने घर में रहिये, हमें चैन से यहाँ रहने दीजिये। कितना अपमान
सहते इसलिए बेटे के यहाँ जाना छोड़ दिया।
एक पोता है और एक प्यारी पोती है, बस उनको देखने का
बड़ा मन करता है। किसी ने कहा कि फेसबुक में लोग अपने
फैमिली की और फंक्शन की इमेज डालते है,
तो सोचा फेसबुक में ही अपने बेटे से जुड़कर उसकी फैमिली के बारे में जान लेंगे😞
और अपने पोता पोती को भी देख लेंगे, मन को शांति मिल
जाएगी। अब अपने नाम से तो अकाउंट बना नहीं सकते। वो
हमें ऐड करेगा नहीं, इसलिए हमने ये फेक अकाउंट बनवाया।”
बुजुर्ग दंपत्ति के नम आँखों को उनके पत्नी के बहते आँसुओं को
देखकर उस लड़के का दिल भर आया और सोचने लगा कि माँ-
बाप का दिल कितना बड़ा होता है जो औलाद के कृतघ्न होने
के बाद भी उसे प्यार करते हैं और औलाद कितनी जल्दी माँ-
बाप के प्यार और त्याग को भूल जाती है। “😞
बेकार की सायरी तो बहुत शेयर करते हो लेकिन ये लेख जरूर शेयर करे ताकि ऐसा करने वाले सभी संतान इस लेख को पढ़ कर सुधर सके!👌👍
☝धन्यवाद☝

संजय गुप्ता

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संजय गुप्ताRpd
🌹 एक लघु कथा🌹

ये कहानी आपके जीने की सोच बदल देगी!

एक दिन एक किसान का बैल कुएँ में गिर गया।
वह बैल घंटों ज़ोर -ज़ोर से रोता रहा और किसान सुनता रहा और विचार करता रहा कि उसे क्या करना चाहिऐ और क्या नहीं।
अंततः उसने निर्णय लिया कि चूंकि बैल काफी बूढा हो चूका था अतः उसे बचाने से कोई लाभ होने वाला नहीं था और इसलिए उसे कुएँ में ही दफना देना चाहिऐ।।
किसान ने अपने सभी पड़ोसियों को मदद के लिए बुलाया सभी ने एक-एक फावड़ा पकड़ा और कुएँ में मिट्टी डालनी शुरू कर दी।
जैसे ही बैल कि समझ में आया कि यह क्या हो रहा है वह और ज़ोर-ज़ोर से चीख़ चीख़ कर रोने लगा और फिर ,अचानक वह आश्चर्यजनक रुप से शांत हो गया।
सब लोग चुपचाप कुएँ में मिट्टी डालते रहे तभी किसान ने कुएँ में झाँका तो वह आश्चर्य से सन्न रह गया..
अपनी पीठ पर पड़ने वाले हर फावड़े की मिट्टी के साथ वह बैल एक आश्चर्यजनक हरकत कर रहा था वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को नीचे गिरा देता था और फिर एक कदम बढ़ाकर उस पर चढ़ जाता था।
जैसे-जैसे किसान तथा उसके पड़ोसी उस पर फावड़ों से मिट्टी गिराते वैसे -वैसे वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को गिरा देता और एक सीढी ऊपर चढ़ आता जल्दी ही सबको आश्चर्यचकित करते हुए वह बैल कुएँ के किनारे पर पहुंच गया और फिर कूदकर बाहर भाग गया ।

ध्यान रखे आपके जीवन में भी बहुत तरह से मिट्टी फेंकी जायेगी बहुत तरह की गंदगी आप पर गिरेगी जैसे कि ,
आपको आगे बढ़ने से रोकने के लिए कोई बेकार में ही आपकी आलोचना करेगा
कोई आपकी सफलता से ईर्ष्या के कारण आपको बेकार में ही भला बुरा कहेगा
कोई आपसे आगे निकलने के लिए ऐसे रास्ते अपनाता हुआ दिखेगा जो आपके आदर्शों के विरुद्ध होंगे…
ऐसे में आपको हतोत्साहित हो कर कुएँ में ही नहीं पड़े रहना है बल्कि साहस के साथ हर तरह की गंदगी को गिरा देना है और उससे सीख ले कर उसे सीढ़ी बनाकर बिना अपने आदर्शों का त्याग किये अपने कदमों को आगे बढ़ाते जाना है।

सकारात्मक रहे.. सकारात्मक जिए!

इस संसार में….
सबसे बड़ी सम्पत्ति “बुद्धि ”
सबसे अच्छा हथियार “धैर्य”
सबसे अच्छी सुरक्षा “विश्वास”
सबसे बढ़िया दवा “हँसी” है
और आश्चर्य की बात कि “ये सब निशुल्क हैं ”
(सारांस हम सब अपने अपनों से ज्यादा शिकार होते है और यह मेरा अपना निजी अनुभव है फिर भी………………………………..

सदा मुस्कुराते रहें। सदा आगे बढ़ते रहें.)
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