April 4, 2017
एक पिता थे । उनका एक पुत्र था । पिता बहुत आध्यात्मिक थे । उच्च ज्ञानी , पण्डित, भक्त , सेवक। सब । अब उनका उद्देश्य था कि उनका बच्चा भी जीवन की यथार्थता अच्छे से समझ ले । सो बचपन से सत्संग लेकर जाते ।
छोटे पन से ही अपने साथ सैर पर लेकर जाते और पूछते , बेटा क्या दिख रहा है ? बच्चा कहता बादल, आकाश, फूल, पेड़ इत्यादि इत्यादि !
पिता पूछते और ??
बच्चा और चीज़ें गिना देता …
पिता चुप हो जाते।
बच्चा बड़ा हुआ । स्वाध्याय कर रहा था । पिता ने पूछा – बेटा ! क्या दिख रहा है ? बेटा बोला – पिता जी , शब्द, किताब, पन्ने, चित्र ।
पिता ने पूछा और ?
बच्चा कहता – बस यही पिता जी ।
बच्चा और बड़ा हुआ । सत्संग से वापिस आ रहे थे । पिता ने पूछा – बेटा ! सत्संग में क्या देखा ?
बेटा बोला – पिताजी , गुरूमहाराज, संगीतज्ञ, सत्संगी, चित्र, सुंदर सजावट, विभिन्न तरह के लोग ….
पिता ने लम्बी सांस ली । और चुप हो गए ।
बेटा और बड़ा हुआ । पिता अब वृद्ध हो चले थे । क्प्यूटर व फ़ोन का ज़माना आया । पिता ने देखा बेटा फ़ोन पर स्वाध्याय इत्यादि चर्चा करता है । पिता ने पूछा – बेटा , फ़ोन पर क्या देखा । बेटे ने कहा – यहाँ तो बहुत कुछ है पिता जी । देश विदेश के ग्रंथ । गुरू महाराज के वचन, विभिन्न रोमांचकारी प्रवचन !बहुत है !!
पिता के अांखों से अश्रु की धारा बह गई । और चुप चाप कमरे में चले गए । पिता बिमार रहने लगे पर उदास ज्यादा ।
बेटा अच्छा था । भाँप रहा था कि पिता जी परेशान हैं ।
एक दिन पिता सो रहे थे । आँखों पर सूखे आंसु थे । उसने प्यार से पिता जी के सिर पर हाथ रख कर फेरा । उसकी आँखें भरी हुई थी । एक आंसु टपक कर नीचे गिरा ! और पिता जी की जाग खुल गई । पिताजी बोले – क्या हुआ ? तू यहाँ क्या कर रहा है ?
वह बोला – आप बचपन से मुझ से पूछते आए हैं कि क्या देखा ? हैं न ?
पिताजी सजग हुए ! कि यह क्या ?
बेटा बोला – बाबा ! बादल मे , पक्षी में, फलों में राम ही थे ।व राम से ही सब थे । किताब के, ग्रंथ के पन्नों में,शब्दों में, चित्रों में राम ही थे व राम से ही सब हैं , सत्संग मे केवल राम ही थे बाबा ! फ़ोन में राम के ही शब्द । आप में व मुझ मे बस राम ही है !
यही सुनना चाहते थे न आप?
पिताजी के अश्रुओं की धारा बहती गई । बोले – जब तुझे पता तो बोला क्यो नहीं ?
बेटा बोला – पता था । पर समझ नहीं थी । पता था पर अनुभव नहीं था ! अभी भी पता है पर प्रबुद्धता नहीं है, सो कैसे कहता कि सब राम है सब राम ही से है ?
पिताजी प्यार से बोले – कोंई बात नहीं । सब हो जाएगा ।
पिताजी ने करवट बदली और आज बहुत वर्षों बाद मुस्कुराते हुए सोए …
श्री श्री चरणों में 🙏🙏🙏