Posted in मातृदेवो भव:

कल मातृ दिवस 2017 – रिश्ते तो बहुत हैं, मां सिर्फ एक है – मातृ दिवस विशेष : मां के लिए बस एक दिन ? – मां से बढ़कर कुछ नहीं है दुनिया में!! Mother’s Day – Sunday, May 8. 2017 :
(Please also see English version, below)

‘जननी नी जोड़ सखी ! नहीं जड़े रे लोल’ के कवि दामोदर बोटादकर ने क्या खूब लिखा है माँ के लिए !!! भारतीय संस्कृति में माँ को ‘मातृदेवो भव:’ कहकर इश्वर का दर्ज्जा दिया गया है। माँ शब्द बोलते ही पुरे विश्व की ख़ुशी हमे मिल गई हो ऐसा प्रतीत होता है। माँ शब्द में एक ऐसी मिठास और आत्मीयता होती है, जो अन्य किसी शब्दों में नहीं होती।
आज ना जाने कितनी माताएं, अपने बच्चों के होते हुए भी वृद्धाश्रम में तन्हा जीवन व्यतीत कर रही हैं. कितनों को उनके बच्चे सड़क पर असहाय छोड़कर चले जाते हैं. वो भी सिर्फ इसीलिए क्योंकि उन्हें अपनी मां ही अपनी स्वतंत्रता और पारिवारिक खुशहाली की राह में बाधा लगने लगती है.

एक माँ को सम्मान और आदर देने के लिये हर वर्ष एक वार्षिक कार्यक्रम के रुप में मातृदिवस को मनाया जाता है। ये आधुनिक समय का उत्सव है जिसकी उत्पत्ति उत्तरी अमेरिका में माताओं को सम्मान देने के लिये हुई थी। बच्चों से माँ के रिश्तों में प्रगाढ़ता बढ़ाने के साथ ही मातृत्व को सलाम करने के लिये इसे मनाया जाता है। समाज में माँ का प्रभाव बढ़ाने के लिये इसे मनाया जाता है। पूरे विश्व के विभिन्न देशों में अलग-अलग तारीखों पर हर वर्ष मातृ दिवस को मनाया जाता है। भारत में, इसे हर साल मई महीने के दूसरे रविवार को मनाया जाता है।

मां, यह वह शब्द है जो किसी भी व्यक्ति के जीवन में सबसे ज्यादा अहमियत रखता है. ईश्वर सभी जगह उपस्थित नहीं रह सकता इसीलिए उसने धरती पर मां का स्वरूप विकसित किया, जो हर परेशानी और हर मुश्किल घड़ी में अपने बच्चों का साथ देती है, उन्हें दुनियां के हर गम से बचाती है. बच्चा जब जन्म लेता है तो सबसे पहले वह मां बोलना ही सीखता है. मां ही उसकी सबसे पहली दोस्त बनती है, जो उसके साथ खेलती भी है और उसे सही-गलत जैसी बातों से भी अवगत करवाती है. मां के रूप में बच्चे को निःस्वार्थ प्रेम और त्याग की प्राप्ति होती है तो वहीं मां बनना किसी भी महिला को पूर्णता प्रदान करता है.
आज मदर्स डे है. यह दिन बच्चों के जीवन में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण इंसान, मां को समर्पित है. भले ही यह दिन भी अन्य दिनों की तरह विदेशी संस्कृति की ही देन है. लेकिन आज जब सभी की जीवनशैली इतनी ज्यादा व्यस्त हो चुकी है कि उनके पास अपनी मां के लिए ही समय नहीं बचता तो ऐसे में हम एक दिन तो अपनी मां के नाम कर ही सकते हैं.

‘मां की महिमा क्या गाऊं, मां की कहानी क्या सुनाऊं, हे मां तू है महान, तूने हमको जन्म दिया, मिले हर जन्म में तेरी को,मां तुझे सलाम’।

जिस मां ने खुद भूखे रहकर, अपनी सभी इच्छाओं को नजरअंदाज कर अपने बच्चे की हर कमी को पूरा किया आज वही अपने बच्चे के लिए बोझ बन गई है. दुनियां की चकाचौंध में मशगूल व्यक्ति अपनी मां को पीछे छोड़कर सफल जीवन की कामना करता है, जो किसी भी रूप में संभव नहीं है.

क्यों न हम सिर्फ ‘एक ही दिन’ को मां के लिए महत्वपूर्ण न बनाकर ‘हर क्षण’ को सदियों तक मां के लिए महत्वपूर्ण बनाएं। उसे हर क्षण यह अहसास दिलाएं की वह हमारे जीवन में एक ‘सम्माननीय पद’ पर आसीन हैं, ताकि हर दिन एक ममता दिवस के रूप में यादगार बन जाएं।

Happy Mother’s Day !
Mother’s Day is a modern celebration honouring one’s own mother, as well as motherhood, maternal bonds, and the influence of mothers in society. It is celebrated on various days in many parts of the world.
The celebration of Mother’s Day began in the United States in the early 20th century; it is not related to the many celebrations of mothers and motherhood that have occurred throughout the world over thousands of years, such as the Greek cult to Cybele, the Roman festival of Hilaria, or the Christian Mothering Sunday celebration (originally a celebration of the mother church, not motherhood). Despite this, in some countries Mother’s Day has become synonymous with these older traditions.

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