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क्रोध पर विजय
एक व्यक्ति के बारे में यह विख्यात था कि उसको कभी क्रोध आता ही नहीं है। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें सिर्फ बुरी बातें ही सूझती हैं। ऐसे ही व्यक्तियों में से एक ने निश्चय किया कि उस अक्रोधी सज्जन को पथच्युत किया जाये और वह लग गया अपने काम में। उसने इस प्रकार के लोगों की एक टोली बना ली और उस सज्जन के नौकर से कहा – “यदि तुम अपने स्वामी को उत्तेजित कर सको तो तुम्हें पुरस्कार दिया जायेगा।” नौकर तैयार हो गया। वह जानता था कि उसके स्वामी को सिकुडा हुआ बिस्तर तनिक भी अच्छा नहीं लगता है। अत: उसने उस रात बिस्तर ठीक ही नहीं किया।

प्रात: काल होने पर स्वामी ने नौकर से केवल इतना कहा – “कल बिस्तर ठीक था।”

सेवक ने बहाना बना दिया और कहा – “मैं ठीक करना भूल गया था।”

भूल तो नौकर ने की नहीं थी, अत: सुधरती कैसे? इसलिये दूसरे, तीसरे और चौथे दिन भी बिस्तर ठीक नहीं बिछा।

तब स्वामी ने नौकर से कहा – “लगता है कि तुम बिस्तर ठीक करने के काम से ऊब गये हो और चाहते हो कि मेरा यह स्वभाव छूट जाये। कोई बात नहीं। अब मुझे सिकुडे हुए बिस्तर पर सोने की आदत पडती जा रही है।”

अब तो नौकर ने ही नहीं बल्कि उन धूर्तों ने भी हार मान ली।

विक्रम प्रकाश

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એક પિતા એના દીકરાની આલીશાન ઓફીસ માં જાય છે,
એના દીકરા ને જોવે છે અને એની પાછળ જઈ ઉભા રહી જાય છે,
ફકરથી એને પૂછે છે અને એના ખંભા ઉપર હાથ રાખી પૂછે છે…
દીકરા તને ખબર છે આ દુનિયા માં સૌથી તાકતવર માણસ કોણ છે??? દીકરાએ ઝડપ થી જવાબ આપ્યો કે “હું” પિતાનું દિલ થોડું બેસી ગયું એક વાર પાછું પૂછ્યું દીકરા આ દુનિયા માં સૌથી તાકતવર માણસ કોણ છે?? દીકરાએ પેહલા ની જેમજ બેજીજક જવાબ આપ્યો કે “હું” પિતા ના ચેહરા ઉપર થી જાણે રંગ જ ઉડી ગયો હોય પિતા ને બોવ દુઃખ થાય છે અને આંખોમાં આંસુ આવી જાય છે..
દીકરા ના ખંભા ઉપરથી હાથ હટાવે છે અને દરવાજા તરફ જાવા લગે છે ઓફીસના દરવાજા પાસે જઈ ઉભા રહે છે દીકરા તરફ પાછું જોવે છે અને પાછું પૂછે છે..
દીકરા આ દુનિયા માં સૌથી તાકતવર માણસ કોણ છે?? દીકરો કોઈ જીજક વગર બોલે છે
“તમે”
પિતા એકદમ હેરાન થઈ જાય છે દીકરાના આ બદલતા વિચાર જોઈ ને પિતા ના કદમ પાછા વડે છે અંદર તરફ અને ધીમે થી પૂછે છે થોડી વાર પેહલા તારા વિચાર માં આ દુનિયા નો તાકતવર માણસ તું હતો અને હવે મારુ નામ કહે છો….
દીકરો કહે છે કે જ્યારે તમારો હાથ મારા ઉપર હતો ત્યારે આ દુનિયાનો સૌથી તાકતવર માણસ હું હતો અને જ્યારે તમારો હાથ ઉઠી ગયો અને તમે જતા રહ્યા ત્યારે હું એકલો થઈ ગયો કારણ કે મારા માટે તો દુનિયાનો સૌથી તાકતવર માણસ તમે જ છો.
જય હિન્દ..

Rasik patel

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एक बार में अपने एक मित्र का तत्काल केटेगरी में
पासपोर्ट बनवाने पासपोर्ट ऑफिस गया था।
लाइन में लग कर हमने पासपोर्ट का तत्काल फार्म लिया, फार्म भर
लिया, काफी समय हो चुका था अब हमें पासपोर्ट
की फीस
जमा करनी थी। लेकिन जैसे
ही हमारा नंबर आया बाबू ने खिड़की बंद कर
दी और कहा कि समय खत्म हो चुका है अब कल
आइएगा।
मैंने उससे मिन्नतें की, उससे कहा कि आज पूरा दिन
हमने खर्च किया है और बस अब केवल फीस
जमा कराने की बात रह गई है, कृपया फीस
ले लीजिए।
बाबू बिगड़ गया। कहने लगा, “आपने पूरा दिन खर्च कर दिया तो उसके
लिए वो जिम्मेदार है क्या? अरे सरकार ज्यादा लोगों को बहाल करे। मैं
तो सुबह से अपना काम ही कर रहा हूं।”
खैर, मेरा मित्र बहुत मायूस हुआ और उसने कहा कि चलो अब कल
आएंगे। मैंने उसे रोका। कहा कि रुको एक और कोशिश करता हूं।
बाबू अपना थैला लेकर उठ चुका था। मैंने कुछ कहा नहीं,
चुपचाप उसके-पीछे हो लिया। वो एक कैंटीन
में गया, वहां उसने अपने थैले से लंच बॉक्स निकाला और
धीरे-धीरे अकेला खाने लगा।
मैं उसके सामने की बेंच पर जाकर बैठ गया। मैंने
कहा कि तुम्हारे पास तो बहुत काम है, रोज बहुत से नए-नए
लोगों से मिलते होगे? वो कहने लगा कि हां मैं तो एक से एक बड़े
अधिकारियों से मिलता हूं। कई आईएएस, आईपीएस,
विधायक रोज यहां आते हैं। मेरी कुर्सी के
सामने बड़े-बड़े लोग इंतजार करते हैं।
फिर मैंने उससे पूछा कि एक
रोटी तुम्हारी प्लेट से मैं
भी खा लूं? उसने हाँ कहा। मैंने एक
रोटी उसकी प्लेट से उठा ली,
और सब्जी के साथ खाने लगा। मैंने उसके खाने
की तारीफ की, और
कहा कि तुम्हारी पत्नी बहुत
ही स्वादिष्ट खाना पकाती है।
मैंने उसे कहा तुम बहुत महत्वपूर्ण सीट पर बैठे
हो। बड़े-बड़े लोग तुम्हारे पास आते हैं। तो क्या तुम
अपनी कुर्सी की इज्जत करते
हो? तुम बहुत भाग्यशाली हो, तुम्हें
इतनी महत्वपूर्ण
जिम्मेदारी मिली है, लेकिन तुम अपने पद
की इज्जत नहीं करते।
उसने मुझसे पूछा कि ऐसा कैसे कहा आपने?
मैंने कहा कि जो काम दिया गया है उसकी इज्जत करते
तो तुम इस तरह रुखे व्यवहार वाले नहीं होते।
देखो तुम्हारा कोई दोस्त भी नहीं है। तुम
दफ्तर की कैंटीन में अकेले खाना खाते हो,
अपनी कुर्सी पर भी मायूस
होकर बैठे रहते हो, लोगों का होता हुआ काम पूरा करने
की जगह अटकाने की कोशिश करते हो।
बाहर गाँव से आ कर सुबह से परेशान हो रहे लोगों के अनुरोध
करने पर कहते हो “सरकार से कहो कि ज्यादा लोगों को बहाल
करे।” अरे ज्यादा लोगों के बहाल होने से
तो तुम्हारी अहमियत घट जाएगी?
हो सकता है तुमसे ये काम ही ले लिया जाए।
भगवान ने तुम्हें मौका दिया है रिश्ते बनाने के लिए। लेकिन
अपना दुर्भाग्य देखो, तुम इसका लाभ उठाने की जगह
रिश्ते बिगाड़ रहे हो। मेरा क्या है, कल आ जाउंगा या परसों आ जाउंगा।
पर तुम्हारे पास तो मौका था किसी को अपना अहसानमंद
बनाने का। तुम उससे चूक गए।
मैंने कहा कि पैसे तो बहुत कमा लोगे, लेकिन रिश्ते
नहीं कमाए तो सब बेकार है। क्या करोगे पैसों का?
अपना व्यवहार ठीक नहीं रखोगे तो तुम्हारे
घर वाले भी तुमसे दुखी रहेंगे, यार दोस्त
तो पहले से ही नहीं हे।
मेरी बात सुन कर वो रुंआसा हो गया। उसने
कहा कि आपने बात सही कही है
साहब। मैं अकेला हूं। पत्नी झगड़ा कर मायके
चली गई है। बच्चे भी मुझे पसंद
नहीं करते। मां है, वो भी कुछ ज्यादा बात
नहीं करती। सुबह चार-पांच
रोटी बना कर दे देती है, और मैं
तन्हा खाना खाता हूं। रात में घर जाने का भी मन
नहीं करता। समझ में
नहीं आता कि गड़बड़ी कहां है?
मैंने हौले से कहा कि खुद को लोगों से जोड़ो।
किसी की मदद कर सकते तो तो करो। देखो मैं
यहां अपने दोस्त के पासपोर्ट के लिए आया हूं। मेरे पास तो पासपोर्ट
है। मैंने दोस्त की खातिर तुम्हारी मिन्नतें
कीं। निस्वार्थ भाव से। इसलिए मेरे पास दोस्त हैं,
तुम्हारे पास नहीं हैं।
वो उठा और उसने मुझसे कहा कि आप
मेरी खिड़की पर पहुंचो। मैं आज
ही फार्म जमा करुंगा, और उसने काम कर दिया। फिर
उसने मेरा फोन नंबर मांगा, मैंने दे दिया।
बरसों बीत गए…
इस दिवाली पर एक फोन आया, रविंद्र कुमार
चौधरी बोल रहा हूं साहब, कई साल पहले आप हमारे
पास अपने किसी दोस्त के पासपोर्ट के लिए आए थे, और
आपने मेरे साथ रोटी भी खाई थी।
आपने कहा था कि पैसे की जगह रिश्ते बनाओ।
मुझे एकदम याद आ गया। मैंने
कहा हां जी चौधरी साहब कैसे हैं?
उसने खुश होकर कहा, “साहब आप उस दिन चले गए, फिर मैं
बहुत सोचता रहा। मुझे लगा कि पैसे तो सचमुच बहुत लोग दे जाते
हैं, लेकिन साथ खाना खाने वाला कोई नहीं मिलता। मैं
साहब अगले ही दिन पत्नी के मायके गया,
बहुत मिन्नतें कर उसे घर लाया। वो मान
ही नहीं रही थी,
वो खाना खाने बैठी तो मैंने उसकी प्लेट से एक
रोटी उठा ली, कहा कि साथ
खिलाओगी? वो हैरान थी। रोने
लगी। मेरे साथ चली आई। बच्चे
भी साथ चले आए।
साहब अब मैं पैसे नहीं कमाता। रिश्ते कमाता हूं।
जो आता है उसका काम कर देता हूं।
साहब आज आपको हैप्पी दिवाली बोलने के
लिए फोन किया है।
अगले महीने
बिटिया की शादी है। आपको आना है।
बिटिया को आशीर्वाद देने। रिश्ता जोड़ा है आपने।
वो बोलता जा रहा था, मैं सुनता जा रहा था।
सोचा नहीं था कि सचमुच
उसकी ज़िंदगी में भी पैसों पर
रिश्ता इतना भारी पड़ेगा।
दोस्तों आदमी भावनाओं से संचालित होता है। कारणों से
नहीं। कारण से तो मशीनें
चला करती है ।
सुप्रभातम्! सुदिनमस्तु! शुभमस्तु!

Vikram prakash raisony

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Medical advice

सावधान ::::: ‘इबोला वाइरस’ से भी ज्यादा खतरनाक वाइरस है – इसनेबोला, उसनेबोला, क्यूँबोला, कैसेबोला, कहाँबोला, यहाँबोला, वहाँबोला, येबोला, वोबोला, और भी बहुत कुछबोला, क्या क्या नहींबोला, अच्छा मुझे ऐसाबोला?

ऐसे वाइरसों से हमेशा दूर रहिये और आपसी संबंधो को मज़बूत बनाएँ रखें

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उम्र की एेसी की तैसी… !👍

घर चाहे कैसा भी हो..
उसके एक कोने में..
खुलकर हंसने की जगह रखना..

सूरज कितना भी दूर हो..
उसको घर आने का रास्ता देना..

कभी कभी छत पर चढ़कर..
तारे अवश्य गिनना..
हो सके तो हाथ बढ़ा कर..
चाँद को छूने की कोशिश करना .

अगर हो लोगों से मिलना जुलना..
तो घर के पास पड़ोस ज़रूर रखना..

भीगने देना बारिश में..
उछल कूद भी करने देना..
हो सके तो बच्चों को..
एक कागज़ की किश्ती चलाने देना..

कभी हो फुरसत,आसमान भी साफ हो..
तो एक पतंग आसमान में चढ़ाना..
हो सके तो एक छोटा सा पेंच भी लड़ाना..

घर के सामने रखना एक पेड़..
उस पर बैठे पक्षियों की बातें अवश्य सुनना..

घर चाहे कैसा भी हो..
घर के एक कोने में..
खुलकर हँसने की जगह रखना.

चाहे जिधर से गुज़रिये
मीठी सी हलचल मचा दिजिये,

उम्र का हरेक दौर मज़ेदार है
अपनी उम्र का मज़ा लिजिये.

ज़िंदा दिल रहिए जनाब,
ये चेहरे पे उदासी कैसी
वक्त तो बीत ही रहा है,
उम्र की एेसी की तैसी…!!😁😁

Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

एक गिलहरी रोज अपने काम पर समय से आती थी और अपना काम पूरी मेहनत और ईमानदारी से करती थी


एक गिलहरी रोज अपने काम पर समय से आती थी और अपना काम पूरी मेहनत और ईमानदारी से करती थी❗

गिलहरी जरुरत से ज्यादा काम कर के भी खूब खुश थी❗

क्यों कि उसके मालिक, जंगल के राजा शेर ने उसे दस बोरी अखरोट देने का वादा कर रखा था❗

गिलहरी काम करते करते थक जाती थी तो सोचती थी , कि थोडी आराम कर लूँ , वैसे ही उसे याद आता कि शेर उसे दस बोरी अखरोट देगा❗
गिलहरी फिर काम पर लग जाती❗
गिलहरी जब दूसरे गिलहरीयों को खेलते देखती थी, तो उसकी
भी इच्छा होती थी कि मैं भी खेलूं , पर उसे अखरोट याद आ जाता, और वो फिर काम पर लग जाती❗

ऐसा नहीं कि शेर उसे अखरोट नहीं देना चाहता था, शेर बहुत ईमानदार था❗

ऐसे ही समय बीतता रहा ….
एक दिन ऐसा भी आया जब जंगल के राजा शेर ने गिलहरी को दस बोरी अखरोट दे कर आज़ाद कर दिया❗

गिलहरी अखरोट के पास बैठ कर सोचने लगी कि अब अखरोट मेरे किस काम के❓

पूरी जिन्दगी काम करते – करते दाँत तो घिस गये, इन्हें खाऊँगी कैसे❗

यह कहानी आज जीवन की हकीकत बन चुकी है❗

इन्सान अपनी इच्छाओं का त्याग करता है,
पूरी ज़िन्दगी नौकरी, व्योपार, और धन कमाने में बिता देता है❗

60 वर्ष की उम्र में जब वो सेवा निवृत्त होता है, तो उसे उसका जो फन्ड मिलता है, या बैंक बैलेंस होता है, तो उसे भोगने की क्षमता खो चुका होता है❗

तब तक जनरेशन बदल चुकी होती है,
परिवार को चलाने वाले बच्चे आ जाते है❗

क्या इन बच्चों को इस बात का अन्दाजा लग पायेगा की इस फन्ड, इस बैंक बैलेंस के लिये : –

कितनी इच्छायें मरी होंगी❓
कितनी तकलीफें मिली होंगी❓
कितनें सपनें अधूरे रहे होंगे❓

क्या फायदा ऐसे फन्ड का, बैंक बैलेंस का, जिसे पाने के लिये पूरी ज़िन्दगी लग जाये और मानव उसका
भोग खुद न कर सके❗

इस धरती पर कोई ऐसा अमीर अभी तक पैदा नहीं हुआ जो बीते हुए समय को खरीद सके❗

इस लिए हर पल को खुश होकर जियो व्यस्त रहो,
पर साथ में मस्त रहो सदा स्वस्थ रहो❗

मौज लो, रोज लो❗
नहीं मिले तो खोज लो‼

BUSY पर BE-EASY भी रहो❗