जब वो बच्चा था तभी गोकुल छोड़कर मथुरा आ गया। गोकुल से मथुरा की दूरी कुछ मीलों की है किन्तु वह कभी वापस नही लौटा। उसका आगमन था कि भारतीय राजनीती में भूचाल आ गया। अजेय समझे जाने वाले प्रजापीड़क मथुरानरेश का वध हो गया और सत्ता फिर वृद्ध नरेश उग्रसेन के हाथ में आ गयी। शीघ्र ही रक्तमय क्रांति से गुजरे मथुरा राज्य पर तत्कालीन भारत का सबसे शक्तिशाली राजा जिसने सम्राट उपाधि को प्रारम्भ किया था एक के बाद एक कई आक्रमण करता है और पराजित होता है।
असफल मगध सम्राट म्लेक्ष यवनराज को जो अपनी अतिमानवीय सामर्थ्य के कारण अजेय था, भारतभूमि को आक्रांत करने के लिए आमंत्रित करता है। किन्तु अपने कारागृह में राजाओं की भीड़ रखने वाले उस सम्राट को पता नही था कि उसके जैसे दुष्ट राजपुरुषों को प्रत्युत्तर देने वाली राजनीति के पिता का जन्म हो चुका है। युद्ध में से भागने जैसे अपमानजनक कार्य को स्वीकार किया गया किन्तु भारत पर यवनों का पैर नही जमने दिया गया।कालयमन को उसी प्रकार मार डाला गया गया जैसे वो मारा जा सकता था। तत्कालीन राजतंत्रीय युग में द्वारिका गणराज्य की स्थापना भी अभूतपूर्व घटना थी। द्वारिका गणराज्य की सामर्थ्य का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसका प्रतिनिधि राजा न होते हुए भी विश्व के समस्त राजाओं महाराजाओं के मध्य अग्रपूजा के लिए चुना जाता है।यही नहीं वह उसी राजसभा में चेदिनरेश का वध भी कर देता है किन्तु विरोध की कोई ध्वनि नहीं सुनाई पड़ती है।
100 राजाओं की बलि को संकल्पित, सामरिक रूप से अजेय मगधराज को द्वंद्व युद्ध में मार डाला जाता है।सारा राजसमाज इस कूटनीति को देखकर दांतों तले उंगली दबा लेता है। द्वारका गणराज्य की सैन्य शक्ति तत्कालीन भारत में सर्वश्रेष्ठ थी किन्तु उस सैन्य शक्ति को चुनने के कारण हस्तिनापुर का अवैध युवराज अपने मामा से फटकार खाता है क्योंकी द्वारका गणराज्य के प्रमुख की कूटनीतिक क्षमता उस नारायणी सेना से अधिक शक्तिवान थी। भीष्म, द्रोण, कर्ण आदि आदरणीय एवमं अजेय महापुरुष भी जब अधर्म के पक्ष में खड़े हुए तो उनके प्रति आदरभाव रखते हुए भी साधनों की उचितता अनुचितता का विचार किये बिना उनका वध करा दिया गया। तत्कालीन राजाओं में प्रचलित हो रहे पुत्री-कूटनीति का निष्पक्ष विरोध किया। एक तरफ रुक्मिणी का शिशुपाल से बलात् विवाह रोका दूसरी ओर स्वयं अपनी बहन को उसके चुने वर के साथ जाने की व्यवस्था की और उसे ज्येष्ठ भ्राता के दुराग्रह का शिकार होने से बचाया।
असुरों द्वारा अपहृत सहस्त्रों स्त्रियों को मुक्त कराने के बाद उनके योगक्षेम का दायित्व स्वयं लिया।वो दूरदर्शी था उसे पता था कि इनके गर्भ से उत्पन्न संतति असुर कही जायेगी जो कालान्तर आर्यों की शत्रु सिद्ध होगी अतः स्वयं को उनका पति कहलाना स्वीकार किया। राजकारण में इतना व्यस्त था फिर भी योग की चरम अवस्था को प्राप्त कर चुका था।भूख,प्यास निद्रा,थकान आदि शारीरिक विकारों को जीत चूका था।चिरयुवा था।इस सब के बावजूद हास परिहास में उसकी कोई तुलना नही थी।राजाओं एवं सेनापतियों को भी वैसे ही चिढ़ा देता था जैसे नंदग्राम की काकियों को।
हे भारत ! उस योगी राजनीतिज्ञ को स्मरण करो।
अवतरित
Day: October 2, 2017
आनन्दं ब्रह्मणो विद्वान् न विभेति कुतश्चन ॥
जिसने शाश्वत को, ब्रह्म को, आनन्द को पा लिया है उसे कहीं से कोई भय नहीं रहता है ।
तैत्तिरीय उपनिषद् 2.9
He who has found the bliss of the Eternal has no fear from any quarter.
Taittiriya Upanishad. II. 9.
जय माता दी ।।
कुछ चमत्कारिक उपाय
- पीपल के वृक्ष पर जल अर्पित करने से पितृ दोष
का शमन होता हैं । - खुशहाल पारिवारिक जीवन के लिए किसी
भी आश्रम में कुछ आटा ओर सरसों का तेल दान करे । - अच्छी तरह से हाँथ पैर धो कर बिस्तर पर सोने
जाने से स्वपन दोष की समस्या में कमी
आती हैं । - कटेरी की जड़ चार /पांच बार सूंघने से
व्यक्ति उस दिन काफी उर्जावान महसूस करता हैं । - यदि नीबू के चार तुकडे करके चार दिश में फ़ेंक दिए
जाये तो ओर ये प्रक्रिया ४० दिन तक की जाये तो रोजगार
प्राप्त होने की दिशा में विशेष अनुकूलता
होती हैं । - लक्ष्मी पूजन अकेले नहीं बल्कि
भगवान विष्णु का भी पूजन साथ किया जाना चाहिए
तभी तो लक्ष्मी की अनुकूलता
अनुभव होती हैं । - यदि महा मृत्यु न्जय मन्त्र का जप करके घर से बाहर निकले
तो व्यक्ति को दिन भर सुरक्षा रहती हैं । - शनिवार के दिन पीपल की जड़ छूने से
व्यक्ति की आयु बढती हैं ओर अ काल
मृत्यु की सम्भावनाये कम होती हैं । - कुलदेवी /देवता का ध्यान /पूजन करने से सारा दिन
मगलदायक बना रहता हैं । - यदि व्यक्ति हर अमावस्या को भोजन ग्रहण करने से पूर्व
कुछ भाग अपने पितरो को अर्पित करता हैं तो उनके
आशीर्वाद से अत्यधिक अनुकूलता उसे अर्जित
होती ही हैं।
चाहे कोई प्रयोग कितना भी छोटा या बड़ा हो पर यदि
वह आपके जीवन को आरामदायक बनाने में
सहयोगी सा होता हैं । तो उसे निश्चय
ही जीवन में स्थान देना चाहिए ।
इसी तरह के कुछ प्रयोग आपके लिए । - यदि हर बुधवार , एक पीला केला गाय को खिलाया जाये
तो यह धन दायक होता हैं , आवश्यक यह हैं की
इस कार्य का प्रारंभ , शुक्ल पक्ष से ही किया जाना
चाहिए । - यदि धतूरे की जड़ को अपने कमर में बाँध लिया जाये
तो यह जो व्यक्त विशेष स्वपन दोष से पीड़ित हैं
उनके
लिए लाभदायक होगा । सूर्योदय के पहले किसी
भी
चोराहे पर जाकर थोडा सा गुड चवा कर थूक दे फिर बिना
किसी से बात करे बिना , नहीं
पीछे देखे ओरअपने घर आ जाये , आपकी
सिरदर्द की बीमारी में यह
लाभदायक होगा । - अपने व्यापारिक स्थल को यदि वह उन्नति नहीं दे
रहा हैं तो एक नीबू लेकर उसे अपने प्रतिष्ठान के
चारों ओर घुमाएँ तथा बाहर लाकर चार भाग में काट दे ओर फ़ेंक दे।
आपकी उन्नति के लिए यही
भी लाभदायक होगा । - किसी भी शुक्रवार को यदि तेल में थोडा सा
गाय का गोबर मिला कर मालिश अपने शरीर
की जाये फिर स्नान
कर लिया जाये , तो यह व्यक्ति के विभिन्न दोषों को दूर करने में
सहयोगी होता हैं । - सुबह उठ कर यदि थोडा सा आटा यदि
चीटीयों के सामने डाल दे तो यह
भी एक पूरे दिन का रक्षाकारक प्रयोग होता हैं । - यदि रवि पुष्प के दिन अपामार्ग के पौधे को विधि विधान से उखाड़
लाये और फिर तीन माला नवार्ण मंत्र जप
करें, इसे पूजा स्थान या अपने व्यापारिक स्थान पर रखे आपके यहाँ
धनागम में वृद्धि होगी । - परिवार में दोषों को समाप्त करने के लिए कुछ मीठा या
मिठाई ओर उसके ऊपर थोडा सा मीठा पानी
भी
पीपल के वृक्ष की जड़ में अर्पित करे । - रविवार के दिन पीपल का वृक्ष ना छुये ।
- यदि व्यक्ति दोपहर के बाद यही
पीपल के वृक्ष को स्पर्श करे तो व्यक्ति
की अनेको बीमारी स्वतः
ही नष्ट होती जाती हैं ।
पार्टनर से दुरियां बढ़ने लगे तो क्या करें
वैवाहिक जीवन में मधुरता की कामना कौन
नहीं करता। घर में आपका हर पल सुख-चैन और
शांति से बीते इसकी कोशिश
हमेशा ही होती है। आपके रिश्तों में
प्यार और सौहार्द कायम रहे, आप अपने साथी के
साथ खुशियों के पल बांट सकें इसके लिए फेंगशुई के कुछ टिप्स
आप भी आजमा सकते हैं। आइए जानें, आपके
रिश्तों में यदि दूरियां बन रही हैं या फिर खटपट शुरू
हुई है तो आप इसके लिए क्या उपाय कर सकते हैं…
ध्यान रखें कि आपका बेड खिड़की से सटा हुआ न
हो। कहते हैं इससे आपके रिश्तों में तनाव और
दूरियां बढ़ती हैं। आप
अपना सिराहना यदि खिड़की तरफ रखते हैं तो ध्यान
रखें कि खिड़की और सिराहने के बीच
पर्दा जरूर लगा हो।
ध्यान दें कि छत पर बीम
का दिखना भी रिश्तों के बीच
दूरियों को बढ़ाता है। यदि इसे हटाना मुश्किल हो तो आप फॉल्स
सीलिंग लगवा सकते हैं।
आपकी नई-नई शादी हुई हो तो कोशिश
करें कि आपका बेड भी नया हो और
ऐसी चादर का इस्तेमाल बिल्कुल भी न
करें, जिनमें छेद हो।
बेड के नीचे की जगह
खाली होना जरूरी है। आपके बेड के
नीच सामान
की मौजूदगी नकारात्मक
उर्जा को आकर्षित करती है, जो आखिरकार आप
तक ही पहुंचती है।
सिरामिक की विंड चाइम्स बेडरूम में रखना अत्यंत
लाभकारी माना जाता है
इन दिनों यदि आपको यह एहसास हो रहा हो कि आपका प्यार
आपसे दूर होता जा रहा है तो एक और आसान उपाय आप
अपना सकते हैं। अपने कमरे में एक खूबसूरत प्लेट में शंख
रखें, संभव है आपकी दूरियां जल्द
ही नजदीकियों में बदल जाए।
यदि आपकी आर्थिक स्थिति की वजह
से आपके रिश्तों में खटास आ रही हो तो एक
खूबसूरत बाउल में चावल के दाने के साथ क्रिस्टल रखें। इससे
आर्थिक समस्याओं के दूर होने के साथ-साथ आपके रिश्तों में
दोबारा प्यार भी पनपता हुआ नजर आने लगेगा।
विक्रम प्रकाश
अद्भुत व चमत्कारी गोमती चक्र
होली पर अथवा ग्रहण काल में साधक को चाहिए कि गोमती चक्र अपने सामने रखे लें और उस पर निम्न मन्त्र की 11 माला फेरें :-
मन्त्रः-
“ॐ वं आरोग्यानिकरी रोगानशेषा नमः”
इस प्रकार जब 11 मालाएँ सम्पन्न हो जायें तब साधक को वह गोमती चक्र सावधानी-पूर्वक अपने पास रखना चाहिये । इस सिद्ध गोमती चक्र का प्रभाव तीन वर्ष रहता है ।
इसका प्रयोग किसी भी बिमारी के लिये किया जा सकता है । एक ताँबे के पात्र में यह सिद्ध गोमती चक्र स्थापन कर जल से भर कर उपरोक्त मन्त्र का 21 बार उच्चारण करें, तत्पश्चात् गोमती चक्र को निकाल कर तथा वह जल रोगी को पीने के लिये दें ।
गोमती चक्र के कुछ अन्य उपयोग निम्न प्रकार हैं-
१॰ यदि इस गोमती चक्र को लाल सिन्दूर की डिब्बी में घर में रखे, तो घर में सुख-शान्ति बनी रहती है ।
२॰ यदि घर में भूत-प्रेतों का उपद्रव हो, तो दो गोमती चक्र लेकर घर के मुखिया के ऊपर से घुमाकर आग में डाल दे, तो घर से भूत-प्रेत का उपद्रव समाप्त हो जाता है ।
३॰ यदि घर में बिमारी हो या किसी का रोग शान्त नहीं हो रहा हो तो एक गोमती चक्र लेकर उसे चाँदी में पिरोकर रोगी के पलंग के पाये पर बाँध दें, तो उसी दिन से रोगी का रोग समाप्त होने लगता है ।
४॰ व्यापार वृद्धि के लिए दो गोमती चक्र लेकर उसे बाँधकर ऊपर चौखट पर लटका दें, और ग्राहक उसके नीचे से निकले, तो निश्चय ही व्यापार में वृद्धि होती है ।
५॰ प्रमोशन नहीं हो रहा हो, तो एक गोमती चक्र लेकर शिव मन्दिर में शिवलिंग पर चढ़ा दें, और सच्चे मन से प्रार्थना करें । निश्चय ही प्रमोशन के रास्ते खुल जायेंगे ।
६॰ पति-पत्नी में मतभेद हो तो तीन गोमती चक्र लेकर घर के दक्षिण में “हलूं बलजाद” कहकर फेंक दें, मतभेद समाप्त हो जायेगा ।
७॰ पुत्र प्राप्ति के लिए पाँच गोमती चक्र लेकर किसी नदी या तालाब में “हिलि हिलि मिलि मिलि चिलि चिलि हुं ” पाँच बार बोलकर विसर्जित करें ।
८॰ यदि बार-बार गर्भ नष्ट हो रहा हो, तो दो गोमती चक्र लाल कपड़े में बाँधकर कमर में बाँध दें ।
९॰ यदि शत्रु अधिक हो तथा परेशान कर रहे हो, तो तीन गोमती चक्र लेकर उन पर शत्रु का नाम लिखकर जमीन में गाड़ दें ।
१०॰ कोर्ट-कचहरी में सफलता पाने के लिये, कचहरी जाते समय घर के बाहर गोमती चक्र रखकर उस पर अपना दाहिना पैर रखकर जावें ।
११॰ भाग्योदय के लिए तीन गोमती चक्र का चूर्ण बनाकर घर के बाहर छिड़क दें ।
१२॰ राज्य-सम्मान-प्राप्ति के लिये दो गोमती चक्र किसी ब्राह्मण को दान में दें ।
१३॰ तांत्रिक प्रभाव की निवृत्ति के लिये बुधवार को चार गोमती चक्र अपने सिर के ऊपर से उबार कर चारों दिशाओं में फेंक दें ।
१४॰ चाँदी में जड़वाकर बच्चे के गले में पहना देने से बच्चे को नजर नहीं लगती तथा बच्चा स्वस्थ बना रहता है ।
१५॰ दीपावली के दिन पाँच गोमती चक्र पूजा-घर में स्थापित कर नित्य उनका पूजन करने से निरन्तर उन्नति होती रहती है ।
१६॰ रोग-शमन तथा स्वास्थ्य-प्राप्ति हेतु सात गोमती चक्र अपने ऊपर से उबार कर किसी ब्राह्मण या फकीर को दें ।
१७॰ 11 गोमती चक्रों को लाल पोटली में बाँधकर तिजोरी में अथवा किसी सुरक्षित स्थान पर सख दें, तो व्यापार उन्नति करता जायेगा ।
विक्रम राकश राइसोनि
शत्-शत् नमन 2 अक्टूबर/जन्म दिवस, वीर शहीद हंगपन दादा।
भारतीय सेना के जांबाज सैनिकों में से एक थे, जिन्होंने आतंकवादियों के साथ लड़ते हुए शहादत प्राप्त की। वे 27 मई, 2016 को उत्तरी कश्मीर के शमसाबाड़ी में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए। वीरगति प्राप्त करने से पूर्व उन्होंने चार हथियारबंद आतंकवादियों को मौत के घाट उतार दिया। इस शौर्य के लिए 15 अगस्त, 2016 को उन्हें मरणोपरांत ‘अशोक चक्र’ से सम्मानित किया गया। ‘अशोक चक्र’ शांतिकाल में दिया जाने वाला भारत का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है।
शहीद हंगपन दादा का का जन्म अरुणाचल प्रदेश के बोरदुरिया नामक गाँव में 2 अक्टूबर, 1979 को हुआ था। हंगपन दादा के बड़े भाई लापहंग दादा के अनुसार- हंगपन बचपन में शरारती थे। वे बचपन में पेड़ पर चढ़कर फलों को तोड़कर खुद भी खाते और अपने दोस्तों को भी खिलाते। वे शारीरिक रूप से बेहद फिट थे। हर सुबह दौड़ लगाते, पुश-अप करते। इसी दौरान खोंसा में सेना की भर्ती रैली हुई, जहां वह भारतीय सेना के लिए चुन लिये गए।
उनके गाँव के ही डॉन बॉस्को चर्च के फ़ादर प्रदीप के अनुसार- हंगपन दादा सेना में जाने के बाद अपने काम से काफ़ी खुश थे। वे मेरे पास आए थे और मुझसे कहा था कि फादर मेरी पोस्टिंग जम्मू और कश्मीर हो रही है।”
हंगपन दादा के बचपन के मित्र सोमहंग लमरा के अनुसार- “आज यदि मैं जिंदा हूं तो हंगपन दादा की वजह से। उन्होंने बचपन में मुझे पानी में डूबने से बचाया था। हंगपन को फ़ुटबॉल खेलना, दौड़ना सरीखे सभी कामों में जीतना पसंद था।”
26 मई, 2016 को जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा ज़िले के नौगाम सेक्टर में आर्मी ठिकानों का आपसी संपर्क टूट गया। तब हवलदार हंगपन दादा को उनकी टीम के साथ भाग रहे आतंकवादियों का पीछा करने और उन्हें पकड़ने का जिम्मा सौंपा गया। उनकी टीम एलओसी के पास शामशाबारी माउंटेन पर करीब 13000 की फीट की ऊंचाई वाले बर्फीले इलाके में इतनी तेजी से आगे बढ़ी कि उन्होंने आतंकवादियों के बच निकलने का रास्ता रोक दिया। इसी बीच आतंकवादियों ने टीम पर गोलीबारी शुरू कर दी। आतंकवादियों की तरफ़ से हो रही भारी गोलीबारी की वजह से इनकी टीम आगे नहीं बढ़ पा रही थी। तब हवलदार हंगपन दादा जमीन के बल लेटकर और पत्थरों की आड़ में छुपकर अकेले आतंकियों के काफ़ी करीब पहुंच गए। फिर दो आतंकवादियों को मार गिराया। लेकिन इस गोलीबारी में वे बुरी तरह जख्मी हो गए। तीसरा आतंकवादी बच निकला और भागने लगा। हंगपन दादा ने जख्मी होने के बाद भी उसका पीछा किया और उसे पकड़ लिया। इस दौरान उनकी इस आतंकी के साथ हाथापाई भी हुई। लेकिन उन्होंने इसे भी मार गिराया। इस एनकाउंटर में चौथा आतंकी भी मार गिराया गया।
भारत के 68वें गणतंत्र दिवस (2017) के मौके पर राष्ट्रपतिप्रणब मुखर्जी ने देश के लिए शहीद हुए हवलदार हंगपन दादा को मरणोपरांत ‘अशोक चक्र’ से सम्मानित किया। राजपथ पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के हाथों शहीद की पत्नी चासेन लोवांग दादा ने भावुक आंखों से ये सम्मान ग्रहण किया। भारतीय सेना ने हंगपन दादा की इस शहादत पर एक डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म भी रिलीज की, जिसका नाम था- “The Warriors Spirit”।
नवंबर, 2016 में शिलांग के असम रेजीमेंटल सेंटर (एआरसी) में प्लेटिनियम जुबली सेरेमनी के दौरान एक एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक का नाम हंगपन दादा के नाम पर रखा गया है।
⬇⬇