Posted in Uncategorized

जय राम जी की —

एक सिद्ध महान् संत समुन्द्र तट पर टहल रहे थे समुन्द्र के तट पर एक बच्चे को रोते हुए देखकर पास आकर प्यार से बच्चे के सिर पर हाथ फेरकर
पूछने लगे — ”बेटा आप क्यूँ रो रहे हो ?”

तब वो बालक कहने लगा — ”ये जो मेरे हाथ में प्याला है मैं उसमे समुन्द्र भरना चाहता हूँ ,पर ये मेरे प्याले में समाता ही नहीं !

ये बात सुन के संत विसमाद में चले गये और रोने लगे !

बच्चा कहने लगा — ”आप भी मेरी तरह रोने लगे पर आपका प्याला कहाँ है ?”

संत ने जवाब दिया — ”बालक आप छोटे से प्याले में समुन्द्र भरना चाहते हो ,मैं अपनी छोटी सी बुद्धि में सारे संसार की जानकारी भरना चाहता हूँ आज आपको देखकर पता चला की समुन्द्र प्याले में नहीं समा सकता !”

ये बोल सुन के बच्चे ने प्याले को जोर से समुन्द्र में फेंक दिया और बोला –”सागर अगर तुन मेरे प्याले में नहीं समा सकता तो मेरा प्याला तो तुम्हारे में समा सकता है !”

संत बच्चे के पैरों में गिर पड़े और कहने लगे — बेटा कितनी महान् बात कही आपने जो बडे से बडा ज्ञानी भी नही बता सकता तभी तो कहते है बच्चो के मुख में सरस्वती का वास होता है !

हे परमात्मा आप तो सारा का सारा मुझ में नहीं समा सकते पर मैं तो सारा का सारा आप में लीन हो सकता हूँ ….. !!!

!! जय श्रीराम !!
!!ॐ हनुमते नमः !!