कांग्रेसी इतिहास कभी नहीं बताता बाजीराव के बारे में जिन्हीने 41 युद्ध लड़े और हर युद्ध विजयी हुए, और भारत के गुलाम इलाको को आज़ाद करवाया, 1737 में मुग़ल बादशाह मुहम्मद शाह लाल किले में छुप गया ———— बाजीराव पेशवा इतिहास का अजेय योद्धा, जो अपना राज के लिए नहीं वो लड़ता था “हिन्दू पद शाही” के लिए पूरा महाराष्ट्र जीतने के बाद वो उत्तर और दक्षिण भारत को आज़ाद करवाने अकेले निकल पड़ा था बाजीराव था शाहूजी महाराज का प्रधानमंत्री जो 20 साल की उम्र में ही प्रधानमंत्री बन गया था ————— बाजीराव ने निज़मो के महाराष्ट जीता, सोलापूर, औरंगाबाद, सातारा सबको छीना और लहराया भगवा उसके बाद गुजरात और मालवा इलाके को मुस्लिमो से मुक्त किया फहराया भगवा भोपाल, बुंदेलखंड, आगरा, दिल्ली सबपर किया कब्जा, लहराया भगवा, 28 मार्च 1737 को मुग़ल बादशाह बाजीराव से डर मुस्लिमो के साथ छुप गया लाल किले में 1737 से 1758 तक दिल्ली पर रहा भगवा झंडा, हिन्दुओ ने लाहौर और पेशावर पर किया कब्जा, उसके आगे बस दुर्रानी बच गया, पूरा भारत 1758 में हिंदुराष्ट बन गया था सिर्फ 7% मुस्लिम भारत में शेष रह गए थे ———— 39 साल की उम्र में बाजीराव 1 लाख हिन्दू सेना लेकर लाहौर के आगे जीतने निकल पड़े थे, परंतु मध्यप्रदेश में उनको दिल का दौरा पड़ा, जिससे उनकी मृतु हो गयी बाजीराव ने बनारस को आज़ाद करवा मंदिर और घाट बनवाये, आन बनारस में बाजीराव के सम्मान में एक घाट है बाजीराव राजा नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री थे, राजा तो शाहूजी महाराज थे, परंतु बाजीराव ऐसा योद्धा था जिसके सामने शाहूजी महाराज का भी नाम फीका है —————— ऐसे योद्धा से हर हिन्दू प्रेरणा ले सकता है , ऐसा योद्धा जो खुद के राज के लिए नहीं, वो हर बार अपनी सेना लेकर गुलाम हिन्दुओ को मुस्लिम हत्यारो से आज़ाद करवाने निकलता था, और हर बार विजयी होता था