भारत और चीन की सीमा से लगा हुआ एक सुंदर-सा देश है, जिसका नाम भूटान है। यह देश बाहरी दुनिया के लिए अबूझ पहेली की तरह है। भूटान में विदेशियों को पहले घुसने तक नहीं दिया जाता था, पर अब भी सीमित पर्यटक ही भूटान जा पाते हैं। भूटान की सीमा तिब्बत से मिलती तो है, पर पूरी तरह से बंद है। इस छोटे से हिमालयी देश के बारे में विदेशी बहुत कम जानते हैं। तो चलिए हम आपको बताते हैं भूटान के बारे में 25 रोचक बातें.. भूटान के बारे में 25 रोचक तथ्य – Facts About Bhutan In Hindi 1). भूटान को ‘द लैंड ऑफ थंडर ड्रैग्न्स’ कहा जाता है। वहीं, इसका नाम द्रक यू है, जिसका मतलब होता है ‘ड्रैगन का देश’. गजब तो यह है कि भूटानी लोग अपने घरों को ‘ड्रक युल’ कहते हैं, जिसका मतलब बर्फीले ड्रैगन का घर है। 2). आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस देश में 1974 तक विदेशियों के घुसने पर पाबंदी थी। 1974 में पहले विदेशी पर्यटकों घूमने की आजादी मिली, वो भी आमंत्रण मिलने के बाद। 3). यहां की सरकार पर्यटकों की संख्या को सीमित रखती है और दक्षिण एशिया के बाहर से आने वालों से 250 डॉलर प्रतिदिन के हिसाब से पैसा वसूलती है। इससे पर्यटन आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन जाता है। 4). भूटान के पास सेना है लेकिन चारों ओर से घिरा होने की वजह से नौसेना नहीं है। इसके पास वायुसेना भी नहीं है और इस क्षेत्र में भारत उनका ख़्याल रखता है। 5). टीवी और इंटरनेट पर बैन! हां आपने सही सुना, भूटान में 2001 से पहले तक टीवी और इंटरनेट प्रतिबंधित था। 6). यहां एक ही साथ राजशाही और लोकतांत्रिक व्यवस्था है। यहां पहला चुनाव 2008 में करवाया गया था। 7). भूटान का मुख्य आर्थिक सहयोगी देश भारत है क्योंकि तिब्बत से लगने वाली सीमा को भूटान ने बंद कर रखा है। 8). यहां प्लास्टिक की थैलियां प्रतिबंधित हैं। 9). भूटान दुनिया का अकेला ऐसा देश हैं जिसने 2004 से तंबाकू पर पूर तरह बैन लगा दिया है। वहीं, शराब और ड्रग्स अभी भी परेशानी का कारण बने हुए हैं। 10). यहां समलैंगिकता गैरकानूनी है. वहीं बहुविवाह प्रतिबंधित नहीं है। 11). भूटान के ब्रिटेन के साथ कूटनीतिक संबंध नहीं हैं। अपनी संस्कृति को बचाने के लिए इसने सदियों तक विश्व से संबंध नहीं बनाए। 12). कई लिहाज से भूटान अंतरराष्ट्रीय ट्रेंड्स में अग्रणी रहा है। प्लास्टिक की थैलियां वहां 1999 से ही प्रतिबंधित हैं और तंबाकू लगभग पूरी तरह से ग़ैरक़ानूनी है। क़ानूनन देश के 60% भाग में जंगल होने ही चाहिए। 13). मानिए आप दिल्ली घूम रहे हों आैर आपको एक भी ट्रैफिक लाइट न मिले तो आप चौंक जाएंगे। लेकिन भूटान की राजधानी थंपु में ऐसा ही है. वहां ट्रैफिक लाइट की जगह ट्रैफिक ऑफिसर होते हैं। हालांकि एक समय में यहां सड़कों पर रेडलाइट लगाई गई थी लेकिन लोगों के विरोध के बाद इनको हटा दिया गया। 14). भूटान जीवन के स्तर को सकल राष्ट्रीय ख़ुशी (जीएनएच) से नापता है न कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) से। सरकार का कहना है कि इसमें भौतिक और मानसिक रूप से ठीक होने के बीच संतुलन कायम किया जाता है। 15). भूटान के 70% युवा बेरोज़गार हैं और जीडीपी के संदर्भ में यह दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक है। 16). भूटान का मुख्य निर्यात बिजली है, वह भारत को पनबिजली बेचता है। इसके अलावा लकड़ी, सीमेंट, कृषि उत्पाद और हस्तशिल्प का भी निर्यात करता है 17). गंगखार पुनसुम, यह भूटान का सबसे ऊंचा पर्वत है। लोगों की मान्यता के अनुसार यह काफी पवित्र है और यहां किसी को भी जाने की आजादी नहीं है। 18). भूटान में पेड़ लगाना लोकप्रिय है। यहां वह लंबे जीवन, सुंदरता और सहानुभूति के प्रतीक हैं। 2015 में भूटान ने मात्र एक घंटे में 50,000 पेड़ लगाने का गिनीज़ विश्व रिकॉर्ड बनाया। 19). भूटान का राजप्रमुख राजा अर्थात द्रुक ग्यालपो होता है, जो वर्तमान में जिग्मे खेसर नामग्याल वांग्चुक हैं। हालांकि यह पद वंशानुगत है लेकिन भूटान के संसद शोगडू के दो तिहाई बहुमत द्वारा हटाया जा सकता है। शोगडू में 154 सीटे होते हैं, जिसमे स्थानीय रूप से चुने गए प्रतिनिधि (105), धार्मिक प्रतिनिधि (12) और राजा द्वारा नामांकित प्रतिनिधि (37) और इन सभी का कार्यकाल तीन वर्षों का होता है। 20). भूटान में आधिकारिक धर्म बौद्ध धर्म की महायान शाखा है, जिसका अनुपालन देश की लगभग तीन चौथाई जनता करती है। भूटान के हिंदू धर्मी नेपाली मूल के लोग है, जिन्हे ल्होत्साम्पा भी कहा जाता है। 21). भूटान में 5999 मीटर से अधिक ऊंची चोटियों पर चढ़ने की इजाजत नहीं है। यहां का सर्वाधिक ऊंचा पहाड़ गंगखर प्यूनसम है, जिसपर आजतक कोई भी नहीं चढ़ पाया। जोकि सरकारी नीति की वजह से है। 22). भूटान दुनिया का इकलौता ऐसा देश है, जो कार्बन उत्सर्जन को रोकने में कामयाब रहा है। भूटान का 72 फीसदी हिस्सा जंगल के रूप में है। यहां किसी लुप्तप्राय प्रजाति के जीव को मारने पर उम्रकैद की सजा तक का प्रावधान है। 23). यहां का राष्ट्रीय पशु ताकिन है। जो बकरी जैसी सींग वाला हिरण होता है। 24). भूटान में तीरांदाजी और डार्ट्स दो राष्ट्रीय खेल हैं। 25). भूटान में सभी व्यक्ति एक ही दिन अपना जन्मदिवस मनाते हैं वो भी नए साल पर। इस तरह से नए साल पर सभी लोगों की उम्र एक साथ बढ़ जाती है। ये आधिकारिक है।
Day: September 10, 2017
कौन सी धातु के बर्तन में भोजन करने से क्या क्या लाभ और हानि होती है कुछ जानकारियां आप लोगो से साझा कर रहा हु
सोना
सोना एक गर्म धातु है। सोने से बने पात्र में भोजन बनाने और करने से शरीर के आन्तरिक और बाहरी दोनों हिस्से कठोर, बलवान, ताकतवर और मजबूत बनते है और साथ साथ सोना आँखों की रौशनी बढ़ता है।
चाँदी
चाँदी एक ठंडी धातु है, जो शरीर को आंतरिक ठंडक पहुंचाती है। शरीर को शांत रखती है इसके पात्र में भोजन बनाने और करने से दिमाग तेज होता है, आँखों स्वस्थ रहती है, आँखों की रौशनी बढती है और इसके अलावा पित्तदोष, कफ और वायुदोष को नियंत्रित रहता है।
कांसा
काँसे के बर्तन में खाना खाने से बुद्धि तेज होती है, रक्त में शुद्धता आती है, रक्तपित शांत रहता है और भूख बढ़ाती है। लेकिन काँसे के बर्तन में खट्टी चीजे नहीं परोसनी चाहिए खट्टी चीजे इस धातु से क्रिया करके विषैली हो जाती है जो नुकसान देती है। कांसे के बर्तन में खाना बनाने से केवल ३ प्रतिशत ही पोषक तत्व नष्ट होते हैं।
तांबा
तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से व्यक्ति रोग मुक्त बनता है, रक्त शुद्ध होता है, स्मरण-शक्ति अच्छी होती है, लीवर संबंधी समस्या दूर होती है, तांबे का पानी शरीर के विषैले तत्वों को खत्म कर देता है इसलिए इस पात्र में रखा पानी स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है. तांबे के बर्तन में दूध नहीं पीना चाहिए इससे शरीर को नुकसान होता है।
पीतल
पीतल के बर्तन में भोजन पकाने और करने से कृमि रोग, कफ और वायुदोष की बीमारी नहीं होती। पीतल के बर्तन में खाना बनाने से केवल ७ प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट होते हैं।
लोहा
लोहे के बर्तन में बने भोजन खाने से शरीर की शक्ति बढती है, लोहतत्व शरीर में जरूरी पोषक तत्वों को बढ़ता है। लोहा कई रोग को खत्म करता है, पांडू रोग मिटाता है, शरीर में सूजन और पीलापन नहीं आने देता, कामला रोग को खत्म करता है, और पीलिया रोग को दूर रखता है. लेकिन लोहे के बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसमें खाना खाने से बुद्धि कम होती है और दिमाग का नाश होता है। लोहे के पात्र में दूध पीना अच्छा होता है।
स्टील
स्टील के बर्तन नुक्सान दायक नहीं होते क्योंकि ये ना ही गर्म से क्रिया करते है और ना ही अम्ल से. इसलिए नुक्सान नहीं होता है. इसमें खाना बनाने और खाने से शरीर को कोई फायदा नहीं पहुँचता तो नुक्सान भी नहीं पहुँचता।
एलुमिनियम
एल्युमिनिय बोक्साईट का बना होता है। इसमें बने खाने से शरीर को सिर्फ नुक्सान होता है। यह आयरन और कैल्शियम को सोखता है इसलिए इससे बने पात्र का उपयोग नहीं करना चाहिए। इससे हड्डियां कमजोर होती है. मानसिक बीमारियाँ होती है, लीवर और नर्वस सिस्टम को क्षति पहुंचती है। उसके साथ साथ किडनी फेल होना, टी बी, अस्थमा, दमा, बात रोग, शुगर जैसी गंभीर बीमारियाँ होती है। एलुमिनियम के प्रेशर कूकर से खाना बनाने से 87 प्रतिशत पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं।
मिट्टी
मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने से ऐसे पोषक तत्व मिलते हैं, जो हर बीमारी को शरीर से दूर रखते हैं । इस बात को अब आधुनिक विज्ञान भी साबित कर चुका है कि मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने से शरीर के कई तरह के रोग ठीक होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, अगर भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाना है तो उसे धीरे-धीरे ही पकना चाहिए। भले ही मिट्टी के बर्तनों में खाना बनने में वक़्त थोड़ा ज्यादा लगता है, लेकिन इससे सेहत को पूरा लाभ मिलता है। दूध और दूध से बने उत्पादों के लिए सबसे उपयुक्त हैं मिट्टी के बर्तन। मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से पूरे १०० प्रतिशत पोषक तत्व मिलते हैं। और यदि मिट्टी के बर्तन में खाना खाया जाए तो उसका अलग से स्वाद भी आता है।
🌷🙏🏼आचार्य आशुतोष जी🙏🏼🌷 काशी
॥ शीक्षावल्ली तैत्तिरीयोपनिषदि ॥
॥ शीक्षावल्ली तैत्तिरीयोपनिषदि ॥
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शासन Discipline
तैत्तिरीय उपनिषद् । Taittiriya Upanishad.
वेदमनूच्याचार्योऽन्तेवासिनमनुशास्ति । Having taught the Veda,
the Teacher instructs the Pupil.
सत्यं वद । Speak the Truth.
धर्मं चर । Practise Virtue.
स्वाध्यायान्मा प्रमदः । Do not neglect your daily Study.
आचार्याय प्रियं धनमाहृत्य Offer to the Teacher whatever pleases him,
प्रजातन्तुं मा व्यवच्छेत्सीः । Do not cut off the line of progeny.
सत्यान्न प्रमदितव्यम् । Do not neglect Truth.
धर्मान्न प्रमदितव्यम् । Do not neglect Virtue.
कुशलान्न प्रमदितव्यम् । Do not neglect Welfare.
भूत्यै न प्रमदितव्यम् । Do not neglect Prosperity.
स्वाध्यायप्रवचनाभ्यां न प्रमदितव्यम् ॥ १॥ Do not neglect Study and Teaching . I:11:i
देवपितृकार्याभ्यां न प्रमदितव्यम् । Do not neglect your duty to the Gods and the Ancestors.
मातृदेवो भव । Regard the Mother as your God.
पितृदेवो भव । Regard the Father as your God.
आचार्यदेवो भव । Regard the Teacher as your God.
अतिथिदेवो भव । Regard the Guest as your God.
यान्यनवद्यानि कर्माणि तानि सेवितव्यानि । Whatever deeds are blameless, they are to be practised,
नो इतराणि । not others.
यान्यस्माक सुचरितानि । Whatever good practices are among us
तानि त्वयोपास्यानि । नो इतराणि ॥ २॥ are to be adopted by you, not others . I:11:I
ये के चारुमच्छ्रेया सो ब्राह्मणाः । Whatever Brahmins there are superior to us,
तेषां त्वयाऽऽसनेन प्रश्वसितव्यम् । should be honoured by you by offering a seat.
श्रद्धया देयम् । Give with Faith,
अश्रद्धयाऽदेयम् । Give not without Faith;
श्रिया देयम् । Give in Plenty,
ह्रिया देयम् । Give with Modesty,
भिया देयम् । Give with Awe,
संविदा देयम् । Give with Sympathy.
अथ यदि ते कर्मविचिकित्सा वा Then if there is any doubt regarding any Deeds,
वृत्तविचिकित्सा वा स्यात् ॥ ३॥ or doubt concerning Conduct,
ये तत्र ब्राह्मणाः संमर्शिनः । As the Brahmins who are competent to judge,
युक्ता आयुक्ताः । adept in Duty, not led by others,
अलूक्षा धर्मकामाः स्युः । not harsh, not led by passion,
यथा ते तत्र वर्तेरन् । in the manner they would behave
तथा तत्र वर्तेथाः । thus should you behave . I:11:Ii
अथाभ्याख्यातेषु । Then as to the persons accused of guilt
ये तत्र ब्राह्मणाः संमर्शिनः । like the Brahmins who are adept at deliberation
युक्ता आयुक्ताः । who are competent to judge, not directed by others
अलूक्षा धर्मकामाः स्युः । not harsh, not moved by passion,
यथा ते तेषु वर्तेरन् । as they would behave in such cases
तथा तेषु वर्तेथाः । thus should you behave.
एष आदेशः । This is the Command.
एष उपदेशः । This is the Teaching.
एषा वेदोपनिषत् । This is the secret Doctrine of the Veda.
एतदनुशासनम् । This is the Instruction.
एवमुपासितव्यम् । Thus should one worship.
एवमु चैतदुपास्यम् ॥ ४॥ Thus indeed should one worship . I:11:iv
॥ इति तैत्तिरीयोपनिषदि शीक्षावल्लीनामप्रथमोध्याये एकादशोऽनुवाकः ॥
एक बादशाह ने ऐलान करवाया कि तमाम शादी शुदा मर्द 2 लाइन में खड़े होंगे..
एक बादशाह ने ऐलान करवाया कि तमाम शादी शुदा मर्द 2 लाइन में खड़े होंगे..
एक लाइन में वो जो बीवी से डरते हैं और दूसरी लाइन में वो जो बीवी से नहीं डरते..
बीवी से डरने वालों की लाइन लंबी थी, जबकि बीवी से ना डरने वालों की लाइन में सिर्फ़ एक ही आदमी खड़ा था!
बादशाह उस आदमी के पास गया और उसको शाबाशी देते हुए बोला, आप ये कैसे समझते हैं कि आप अपनी बीवी से नहीं डरते??
आदमी ने जवाब दिया, मालूम नहीं जी, मुझे तो मेरी बीवी कह कर गयी है की “इसी लाइन में खड़े रहना, बिल्कुल हिलना मत!”
औरत पालने को कलेजा चाहिये
औरत पालने को कलेजा चाहिये / शैल चतुर्वेदी
एक दिन बात की बात में
बात बढ़ गई
हमारी घरवाली
हमसे ही अड़ गई
हमने कुछ नहीं कहा
चुपचाप सहा
कहने लगी-“आदमी हो
तो आदमी की तरह रहो
आँखे दिखाते हो
कोइ अहसान नहीं करते
जो कमाकर खिलाते हो
सभी खिलाते हैं
तुमने आदमी नहीं देखे
झूले में झूलाते हैं
देखते कहीं हो
और चलते कहीं हो
कई बार कहा
इधर-उधर मत ताको
बुढ़ापे की खिड़की से
जवानी को मत झाँको
कोई मुझ जैसी मिल गई
तो सब भूल जाओगे
वैसे ही फूले हो
और फूल जाओगे
चन्दन लगाने की उम्र में
पाउडर लगाते हो
भगवान जाने
ये कद्दू सा चेहरा किसको दिखाते हो
कोई पूछता है तो कहते हो-
“तीस का हूँ।”
उस दिन एक लड़की से कह रहे थे-
“तुम सोलह की हो
तो मैं बीस का हूँ।”
वो तो लड़की अन्धी थी
आँख वाली रहती
तो छाती का बाल नोच कर कहती
ऊपर ख़िज़ाब और नीचे सफेदी
वाह रे, बीस के शैल चतुर्वेदी
हमारे डैडी भी शादी-शुदा थे
मगर क्या मज़ाल
कभी हमारी मम्मी से भी
आँख मिलाई हो
मम्मी हज़ार कह लेती थीं
कभी ज़ुबान हिलाई हो
कमाकर पांच सौ लाते हो
और अकड़
दो हज़ार की दिखाते हो
हमारे डैडी दो-दो हज़ार
एक बैठक में हाल जाते थे
मगर दूसरे ही दिन चार हज़ार
न जाने, कहाँ से मार लाते थे
माना कि मैं माँ हूँ
तुम भी तो बाप हो
बच्चो के ज़िम्मेदार
तुम भी हाफ़ हो
अरे, आठ-आठ हो गए
तो मेरी क्या ग़लती
गृहस्थी की गाड़ी
एक पहिये से नहीं चलती
बच्चा रोए तो मैं मनाऊँ
भूख लगे तो मैं खिलाऊँ
और तो और
दूध भी मैं पिलाऊँ
माना कि तुम नहीं पिला सकते
मगर खिला तो सकते हो
अरे बोतल से ही सही
दूध तो पिला सकते हो
मगर यहाँ तो खुद ही
मुँह से बोतल लगाए फिरते हैं
अंग्रेज़ी शराब का बूता नहीं
देशी चढ़ाए फिरते हैं
हमारे डैडी की बात और थी
बड़े-बड़े क्लबो में जाते थे
पीते थे, तो माल भी खाते थे
तुम भी चने फांकते हो
न जाने कौन-सी पीते हो
रात भर खांसते हो
मेरे पैर का घाव
धोने क्या बैठे
नाखून तोड़ दिया
अभी तक दर्द होता है
तुम सा भी कोई मर्द होता है?
जब भी बाहर जाते हो
कोई ना कोई चीज़ भूल आते हो
न जाने कितने पैन, टॉर्च
और चश्मे गुमा चुके हो
अब वो ज़माना नहीं रहा
जो चार आने के साग में
कुनबा खा ले
दो रुपये का साग तो
अकेले तुम खा जाते हो
उस वक्त क्या टोकूं
जब थके मान्दे दफ़्तर से आते हो
कोई तीर नहीं मारते
जो दफ़्तर जाते हो
रोज़ एक न एक बटन तोड़ लाते हो
मैं बटन टाँकते-टाँकते
काज़ हुई जा रही हूँ
मैं ही जानती हूँ
कि कैसे निभा रही हूँ
कहती हूँ, पैंट ढीले बनवाओ
तंग पतलून सूट नहीं करतीं
किसी से भी पूछ लो
झूठ नहीं कहती
इलैस्टिक डलवाते हो
अरे, बेल्ट क्यूँ नहीं लगाते हो
फिर पैंट का झंझट ही क्यों पालो
धोती पहनो ना,
जब चाहो खोल लो
और जब चाहो लगा लो
मैं कहती हूँ तो बुरा लगता है
बूढ़े हो चले
मगर संसार हरा लगता है
अब तो अक्ल से काम लो
राम का नाम लो
शर्म नहीं आती
रात-रात भर
बाहर झक मारते हो
औरत पालने को कलेजा चाहिये
गृहस्थी चलाना खेल नहीं
भेजा चहिये।”
हम सब जानते हैं कि जब 1972 में इजराइल के ओलिंपिक खिलाड़ियों को आतंकवादियों ने मार दिया था
हम सब जानते हैं कि जब 1972 में इजराइल के ओलिंपिक खिलाड़ियों को आतंकवादियों ने मार दिया था तब इस्राएल ने भी सबको खोज खोज कर मारा… लेकिन इसमें कई आश्चर्यजनक जानकारी भी है.. जैसे कि जिन आतंकियों ने इसरायली खिलाड़ियों के ऊपर हमला किया था.. उन सबको तो एयरपोर्ट पर ही मार दिया गया था… फिर खोज खोज कर किसको मारा गया था ? ?
कहानी तो वहीं एयरपोर्ट पर खत्म हो जानी चाहिए थी… जब मुस्लिम आतंकियों को भागते समय इस्राएली कमांडो ने एयरपोर्ट पर घेर लिया.. उसी वक़्त खुद को घिरा देख एयरपोर्ट पर ही बंधक खिलाड़ियों को आतंकियों ने भून डाला.. इसके बाद इसरायली कमाण्डो ने 8 आआतंकवादियों को वहीं मार डाला..खेल खत्म हो चुका था… लेकिन नहीं इजराइल ने तो इसका बदला सैकड़ों को मार कर लिया..
उसने अपनी खुफिया एजेंसी मोसाद की मदद से उन सभी लोगों के कत्ल की योजना बनाई, जिनका वास्ता ऑपरेशन ब्लैक सेंप्टेंबर से था। इस मिशन को नाम दिया गया ‘रैथ ऑफ गॉड’ यानी ईश्वर का कहर।
दो दिन के बाद इजरायली सेना ने सीरिया और लेबनान में मौजूद फलस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन के 10 ठिकानों पर बमबारी की और करीब 200 आतंकियों को तो मारा ही सैकड़ों आम नागरिकों को भी मौत के घाट उतार दिया।
मिशन शुरू होने के कुछ ही महीनों के अंदर मोसाद एजेंट्स ने वेल ज्वेटर और महमूद हमशारी का कत्ल कर सनसनी मचा दी।
हुसैन अल बशीर नाम का ये शख्स होटल में रहता था, और होटल में वो सिर्फ रात को आता था और दिन शुरू होते ही निकल जाता था। मोसाद की टीम ने उसे खत्म करने के लिए उसके बिस्तर में बम लगाने का प्लान बनाया।
बम लगाना कोई मुश्किल काम नहीं था, ये काम तो आसानी से हो गया। मुश्किल ये था कि कैसे ये पता किया जाए कि हुसैन अल बशीर बिस्तर पर है तभी धमाका किया जा सकता है। इसके लिए एक मोसाद एजेंट ने बशीर के ठीक बगल वाला कमरा किराए पर ले लिया। वहां की बालकनी से बशीर के कमरे में देखा जा सकता था। रात को जैसे ही बशीर बिस्तर पर सोने के लिए गया। एक धमाके के साथ उसका पूरा कमरा उड़ गया।
इसके बाद फलस्तीनी आतंकियों को हथियार मुहैया कराने के शक में बेरूत के प्रोफेसर बासिल अल कुबैसी को गोली मार दी गई। मोसाद के दो एजेंट्स ने उसे 12 गोलियां मारीं।
9 अप्रैल 1973 को इजराय़ल के कुछ कमांडो लेबनान के समुद्री किनारे पर स्पीडबोट के जरिए पहुंचे। इन कमांडोज को मोसाद एजेंट्स ने कार से टार्गेट के करीब पहुंचाया। कमांडो आम लोगों की पोशाक में थे, और कुछ ने महिलाओं के कपड़े पहन रखे थे। पूरी तैयारी के साथ इजरायली कमांडोज की टीम ने इमारत पर हमला किया। इस ऑपरेशन के दौरान लेबनान के दो पुलिस अफसर, एक इटैलियन नागरिक भी मारा गया।।इनमें साइप्रस में जाइद मुचासी को एथेंस के एक होटल रूम में बम से उड़ा दिया गया।
इतने लोगों को मौत की नींद सुलाने के बाद मोसाद कुछ समय के लिए रुका क्योंकि कमांडोज में दो तीन घायल भी थे और थक गए थे.. नए कमांडोज शामिल हुए.. क्योंकि अभी मुस्लिम आतंकियों की लिस्ट में नाम बाकी थे..
28 जून 1973 को ब्लैक सेप्टेंबर से जुड़े मोहम्मद बउदिया को उसकी कार की सीट में बम लगाकर उड़ा दिया।
15 दिसंबर 1979 को दो फलस्तीनी अली सलेम अहमद और इब्राहिम अब्दुल अजीज की साइप्रस में हत्या हो गई।
-17 जून 1982 को पीएलओ के दो वरिष्ठ सदस्यों को इटली में अलग-अलग हमलों में मार दिया गया।
23 जुलाई 1982 को पेरिस में पीएलओ के दफ्तर में उप निदेशक फदल दानी को कार बम से उड़ा दिया गया।
-21 अगस्त 1983 को पीएलओ का सदस्य ममून मेराइश एथेंस में मार दिया गया।
-10 जून 1986 को ग्रीस की राजधानी एथेंस में पीएलओ के डीएफएलपी गुट का महासचिव खालिद अहमद नजल मारा गया।
-21 अक्टूबर 1986 को पीएलओ के सदस्य मुंजर अबु गजाला को काम बम से उड़ा दिया गया।
-14 फरवरी 1988 को साइप्रस के लीमासोल में कार में धमाका कर फलस्तीन के दो नागरिकों को मार दिया गया।
मोसाद के एजेंट्स दुनिया के अलग-अलग देशों में जाकर करीब 20 साल तक हत्याओं को अंजाम देते रहे।
अगली नंबर था अली हसन सालामेह का, वो शख्स जो म्यूनिख कत्ल-ए-आम का मास्टरमाइंड था लेकिन अबतक इसने अपनी सुरक्षा काफी बढ़ा ली थी…
मोसाद ने सलामेह को लेबनान की राजधानी बेरूत में ढूंढ़ निकाला। 22 जनवरी 1979 को एक कार बम धमाका कर सलामेह को भी मौत के घाट उतार दिया गया।
इन कमांडोज में एक बेंजामिन नेतन्याहू भी था।
बदले की ये भावना कि आप 20 साल तक अपना इंतकाम पूरा करते रहें.. ये सिर्फ इजराइल में हो सकता था.. भारत के सेक्युलर और डरपोक नेताओं से तो ऐसी कोई कल्पना ही नहीं कि जा सकती।।
आस्था का फल!
आस्था का फल!
एक छोटा सा बोर्ड रेहड़ी की छत से लटक रहा था उस पर मोटे मारकर से लिखा हुआ था!
“घर मे कोई नही है,मेरी बूढ़ी माँ बीमार है!
मुझे थोड़ी थोड़ी देर में उन्हें खाना,दवा और टायलट कराने के लिए घर जाना पड़ता है अगर आपको जल्दी है तो अपनी मर्ज़ी से फल तौल ले और पैसे कोने पर गत्ते के नीचे रख दें, साथ ही रेट भी लिखे हुये हैं”
और अगर आपके पास पैसे नही हो तो मेरी तरफ से ले लेना, इजाजत है..!!
मैंने इधर उधर देखा, पास पड़े तराजू में दो किलो सेब तोले,दर्जन भर केले लिए बैग में डाले!
प्राइज लिस्ट से कीमत देखी पैसे निकाल कर गत्ते को उठाया वहाँ सौ पच्चास और दस दस के नोट पड़े थे!
मैंने भी पैसे उसमे रख कर उसे ढक दिया।
बैग उठाया और अपने फ्लैट पे आ गया!
रात को खाना खाने के बाद मैं और भाई उधर निकले तो देखा एक कमज़ोर सा आदमी दाढ़ी आधी काली आधी सफेद, मैले से कुर्ते पजामे में रेहड़ी को धक्का लगा कर बस जाने ही वाला था वो हमें देख कर मुस्कुराया और बोला “साहब! फल तो खत्म हो गए!
नाम पूछा तो बोला सीताराम!
फिर हम सामने वाले ढाबे पर बैठ गए!
चाय आयी कहने लगा “पिछले तीन साल से मेरी माता बिस्तर पर हैं,कुछ पागल सी भी हो गईं है,और अब तो फ़ालिज भी हो गया है,मेरी कोई संतान नही है,बीवी मर गयी है,सिर्फ मैं हूँ और मेरी माँ.!
माँ की देखभाल करने वाला कोई नही है इसलिए मुझे हर वक़्त माँ का ख्याल रखना पड़ता है”
एक दिन मैंने माँ का पाँव दबाते हुए बड़ी नरमी से कहा, माँ ! तेरी सेवा करने को तो बड़ा जी चाहता है।
पर जेब खाली है और तू मुझे कमरे से बाहर निकलने नही देती,कहती है तू जाता है तो जी घबराने लगता है,तू ही बता मै क्या करूँ?
” अब क्या गले से खाना उतरेगा?
न मेरे पास कोई जमा पूंजी है!
ये सुन कर माँ ने हाँफते काँपते उठने की कोशिश की,मैंने तकिये की टेक लगवाई!
उन्होंने झुर्रियों वाला चेहरा उठाया अपने कमज़ोर हाथों को ऊपर उठाया मन ही मन बांकेबिहारी जी की स्तुति की फिर बोली!
“तू रेहड़ी वहीं छोड़ आया कर हमारी किस्मत हमें इसी कमरे में बैठ कर मिलेगा”
मैंने कहा:-माँ क्या बात करती हो,वहाँ छोड़ आऊँगा तो कोई चोर उचक्का सब कुछ ले जायेगा, आजकल कौन लिहाज़ करता है?
और बिना मालिक के कौन खरीदने आएगा?”
कहने लगीं “तू श्री कृष्णा का नाम लेने के बाद रेहड़ी को फलों से भरकर छोड़ कर आजा बस,ज्यादा बक बक नही कर,शाम को खाली रेहड़ी ले आया कर!
अगर तेरा रुपया गया तो मुझे बोलियो”!
ढाई साल हो गए है भाई!
सुबह रेहड़ी लगा आता हूँ शाम को ले जाता हूँ लोग पैसे रख जाते है फल ले जाते हैं,एक धेला भी ऊपर नीचे नही होता!
बल्कि कुछ तो ज्यादा भी रख जाते है,कभी कोई माँ के लिए फूल रख जाता है,कभी कोई और चीज़!
परसों एक बच्ची पुलाव बना कर रख गयी साथ मे एक पर्ची भी थी “अम्मा के लिए”
एक डॉक्टर अपना कार्ड छोड़ गए पीछे लिखा था माँ की तबियत नाज़ुक हो तो मुझे काल कर लेना मैं आ जाऊँगा,कोई खजूर रख जाता है!
रोजाना कुछ न कुछ मेरे किश्मत के साथ मौजूद होता है!
न माँ हिलने देती है न मेरे ठाकुर जी कुछ कमी रहने देते है!
माँ कहती है तेरा फल मेरा कृष्णा अपने भक्तों से बिकवा देता है!
मित्रो आखिर में इतना ही कहूँगा की अपने मां बाप की निस्वार्थ सेवा करो और फिर देखो दुनिया की कामयाबियाँ कैसे आपके कदम चूमती है!
जय श्री कृष्णा
जय बांकेबिहारी जी
एक गिलहरी रोज अपने काम पर समय से आती थी और अपना काम पूरी मेहनत और ईमानदारी से करती थी❗
🐿एक गिलहरी रोज अपने काम पर समय से आती थी और अपना काम पूरी मेहनत और ईमानदारी से करती थी❗*
गिलहरी जरुरत से ज्यादा काम कर के भी खूब खुश थी❗
क्यों कि उसके मालिक, जंगल के राजा शेर ने उसे दस बोरी अखरोट देने का वादा कर रखा था❗
गिलहरी काम करते करते थक जाती थी तो सोचती थी , कि थोडी आराम कर लूँ , वैसे ही उसे याद आता कि शेर उसे दस बोरी अखरोट देगा❗
गिलहरी फिर काम पर लग जाती❗
गिलहरी जब दूसरे गिलहरीयों को खेलते देखती थी, तो उसकी
भी इच्छा होती थी कि मैं भी खेलूं , पर उसे अखरोट याद आ जाता, और वो फिर काम पर लग जाती❗
ऐसा नहीं कि शेर उसे अखरोट नहीं देना चाहता था, शेर बहुत ईमानदार था❗
ऐसे ही समय बीतता रहा ….
एक दिन ऐसा भी आया जब जंगल के राजा शेर ने गिलहरी को दस बोरी अखरोट दे कर आज़ाद कर दिया❗
गिलहरी अखरोट के पास बैठ कर सोचने लगी कि अब अखरोट मेरे किस काम के❓
पूरी जिन्दगी काम करते – करते दाँत तो घिस गये, इन्हें खाऊँगी कैसे❗
यह कहानी आज जीवन की हकीकत बन चुकी है❗
इन्सान अपनी इच्छाओं का त्याग करता है,
पूरी ज़िन्दगी नौकरी, व्योपार, और धन कमाने में बिता देता है❗
60 वर्ष की उम्र में जब वो सेवा निवृत्त होता है, तो उसे उसका जो फन्ड मिलता है, या बैंक बैलेंस होता है, तो उसे भोगने की क्षमता खो चुका होता है❗
तब तक जनरेशन बदल चुकी होती है,
परिवार को चलाने वाले बच्चे आ जाते है❗
क्या इन बच्चों को इस बात का अन्दाजा लग पायेगा की इस फन्ड, इस बैंक बैलेंस के लिये : –
कितनी इच्छायें मरी होंगी❓
कितनी तकलीफें मिली होंगी❓
कितनें सपनें अधूरे रहे होंगे❓
क्या फायदा ऐसे फन्ड का, बैंक बैलेंस का, जिसे पाने के लिये पूरी ज़िन्दगी लग जाये और मानव उसका
भोग खुद न कर सके❗
इस धरती पर कोई ऐसा अमीर अभी तक पैदा नहीं हुआ जो बीते हुए समय को खरीद सके❗
इस लिए हर पल को खुश होकर जियो व्यस्त रहो,
पर साथ में मस्त रहो सदा स्वस्थ रहो❗
मौज लो, रोज लो❗
नहीं मिले तो खोज लो‼
BUSY पर BE-EASY भी रहो❗
नीदरलैण्ड विश्व का सर्वाधिक नास्तिक देश है!!!
नीदरलैण्ड विश्व का सर्वाधिक नास्तिक देश है!!!
अपराध दर इतनी कम, के जेलखाने तक बन्द करने पडे!!!
100% शिक्षित लोग!!!
रहन सहन का अत्यधिक उच्च स्तर!!!
और एक हमारा देश है@
रोजाना लोग भगवा, लाल, पीले , Nila , Hara , kala झण्डे लेके घूमते है फिर भी
भयंकर गरीबी, बढती बेरोजगार, हत्या, बलात्कार, भेदभाव, जातीय हिंसा, रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार, गरीबो का शोषण,
हमारा यहाँ आम बात है।
समाज” के “अनपढ़” लोग हमारी “समस्या” नहीं है ।
“समाज” के “पढे़ लिखे” लोग “गलत” बात का “समर्थन” करने के लिए अपनी “बुध्दि” का उपयोग करते हैं ।
ये हमारी “समस्या” है ।
जैसे ही विशिष्ट अदालत के जज ने दोषी, ढोंगी बाबा के खिलाफ फैसला देकर उसे उम्र कैद की सजा सुनाई , पीड़ित लड़की ने हाथ जोड़कर जज साहब को धन्यवाद देते हुए कहा–
जैसे ही विशिष्ट अदालत के जज ने दोषी, ढोंगी बाबा के खिलाफ फैसला देकर उसे उम्र कैद की सजा सुनाई , पीड़ित लड़की ने हाथ जोड़कर जज साहब को धन्यवाद देते हुए कहा–
“इस ढोंगी के साथ ही यही सजा मेरे माँ-बाप को भी दी जाए।”
“क्या… ”
उपस्थित सब लोगों पर जैसे बिजली गिर पड़ी।
“यह क्या कह रही हो?” जज साहब ने आश्चर्य से पूछा।
” हाँ जज साहब। मैं ठीक कह रही हूँ। इस ढोंगी के साथ ही इस अपराध में मेरी जैसी हर पीड़ित लड़की के माँ-बाप भी बराबर के दोषी होते हैं।” लड़की ने शांत स्वर में उत्तर दिया।
जज दिलचस्पी से लड़की को देखने लगे। और लड़की के माँ-बाप सिर पीटने लगे-
“पागल हुई गयी है क्या छोरी। होस में तो है। कइं बोल रही सै?”
“मैं बिल्कुल ठीक बोल रही हूँ। पूरे होश में। वो बाबा ने नहीं बुलाया था मन्ने अपने आश्रम में। उसने तो जो किया गलत किया। लेकिन मैं तो तुम्हारी बेटी हूँ। मेरे अच्छे बुरे की जिम्मेदारी तो तुम्हारी थी। तुम कैसे अपनी बेटी को उसके आश्रम में छोड़ आये?”
लड़की के माँ-बाप अवाक् हो गए। जज साहब सोच में पड़ गए।
“लड़की शाम सहेलियों के साथ घर से बाहर जाने को या पिक्चर जाने को बोले तो घरवालो के सीनों पर सांप लौट जाता है, रूढ़ियाँ बीच मे आ जाती है। परिवार की इज्जत पर बन आती है। लेकिन उसी लड़की को साध्वी बनाकर ऐसे ढोंगियों के हवाले करते तुम्हारी इज्जत में बट्टा नहीं लगता?
जज साहब। ढोंगी बाबाओं से भी पहले ऐसे भक्तों को जेल में डालना चाहिए। ये सब बाबा इन्ही भक्तों के खड़े किए हुए राक्षस हैं।”
स्तब्ध अदालत को सांप सूंघ गया।