ग्रहों के अनुसार तेल मालिश———-
- वाग्भट के अनुसार तेल मालिश से नसों में अवरुद्ध वायु हट जाती है और सभी दर्द और विकार दूर होते है .
- आयुर्वेद के अनुसार सरसों की तेल मालिश करने से अनेक प्रकार की बीमारियां शांत हो जाती है.महाऋषि चरक ने तो तेल में घृत से 8 गुणा ज्यादा शक्ति को माना है. यदि प्रतिदिन नियम से तेल मालिश की जाए तो सिरदर्द, बालों का झड़ना, खुजली दाद, फोड़े फुंसी एवं एग्ज़िमा आदि बीमारियां कभी नहीं होती है.
-
तेल मालिश त्वचा को कोमल, नसों को स्फूर्ति युक्त और रक्त को
गतिशील बनाती है. प्रात: काल नियमपूर्वक यदि मालिश की जाए तो व्यक्ति रोगमुक्त एवं दीर्घजीवी बनता है.
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए वायु की प्रमुख आवश्यकता है. वायु का ग्रहण त्वचा पर निर्भर है और त्वचा का मालिश पर.
- सूर्योदय के समय वायु में प्राण शक्ति और चन्द्रमा द्वारा अमृत का अंश भी सम्मिश्रित होता है. परन्तु रवि, मंगल, गुरु शुक्र को मालिश नहीं करनी चाहिए. हमारे शास्त्रों के अनुसार रविवार को मालिश करने से ताप (गर्मी सम्बन्धी रोग), मंगल को मृत्यु, गुरु को हानि, शुक्र को दुःख होता है
सोमवार को तेल मालिश करने से शारीरिक सौंदर्य बढ़ता है. बुध को धन में वृद्धि होती है. शनिवार को धन प्राप्ति एवं सुखों की वृद्धि होती है.
कई बार जब बीमारियाँ ठीक ना हो रही हो या जब कर्म के हिसाब से फल कम या नहीं मिलता तो इंसान सोचने को बाध्य हो जाता है . तब उसका जिज्ञासु मन ज्योतिषी के पास पहुंचता है और कुंडली बनवाने से पता चलता है की कौनसा गृह कमज़ोर है या अशुभ है . ये एक संकेत है हमारे संचित संस्कारों का . इसके लिए एक उपाय यह भी कर सकते है की उस गृह को सशक्त करने वाले तेल से मालिश की जाए .
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सरसों का तेल शनि का कारक है. शनि के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए सोमवार, बुधवार एवं शनिवार को सरसों के तेल की मालिश कर स्नान करने से शनि के अशुभ प्रभाव से हमारी रक्षा होती है. हर प्रकार की मनोकामना पूर्ण होती है
सूर्य की अनिष्टता दूर करने के लिए तेल – सूरज मुखी और तिल का तेल आधा आधा लीटर ले कर उसमे ५ ग्राम लौंग का तेल और १० ग्राम केसर मिलाये .इसे सात दिन सूर्य प्रकाश में रखे .
चन्द्रमा के लिए तेल – एक लीटर सफ़ेद तिल का तेल , 100 ग्राम चन्दन का तेल और ५० ग्राम कपूर डाले . इसे सात दिन चन्द्रमा के प्रकाश में रखे . इसे लगाने से पेट के रोग , सर के रोग और चन्द्रमा की अनिष्टता दूर होती है .
मंगल का तेल बनाना थोड़ा मुश्किल है . इसलिए इसे किसी कुशल जानकार से बनवाये . इसे लगाने से रक्त विकार ,मिर्गी के दौरे और मंगल दोष दूर होते है .
बुध का तेल – एक लीटर तिल के तेल में ब्राम्ही और खस डालकर उबाल ले . छान कर ठंडा होने पर उसमे ५ ग्राम लौंग का तेल डाले . इसे हरे रंग की कांच की बोतल में अँधेरी जगह में सात दिन रखे .यह त्वचा विकारों में लाभकारी है .
बृहस्पति का तेल – एक लीटर नारियल तेल में ५ ग्राम हल्दी और ५ ग्राम खस डाल कर उबाल कर छान ले . ठंडा होने पर दस ग्राम चन्दन का तेल डाले और हरी बोतल में भर कर रखे . नहाने से पहले १० ग्राम चन्दन का तेल और दो बूँद निम्बू का रस मिला कर लगाए . इससे दमा दूर होता है और चेहरे पर रौनक आती है .
शुक्र का तेल – आधा आधा लीटर नारियल और तिल का तेल ले . ५ ग्राम चन्दन और 2 ग्राम चमेली का तेल मिला कर कांच की बोतल में 3 दिन धुप में रखे .
शनि के लिए तेल – एक लीटर तिल के तेल में भृंगराज , जायफल , केसर या कस्तूरी ५ -५ ग्राम पानी में भिगोकर पिस ले .इसे तिल के तेल में उबाल ले . छान कर ठंडा होने पर ५ ग्राम लौंग का तेल मिलाये .इसे सात दिन कांच की बोतल में अँधेरे में रखे . इसे लगाने से वात के रोग , हड्डियों के रोग दूर होते है . बाल भी काले रहते है .
राहू का तेल – इसे बनाने की विधि शनि के तेल की तरह ही है . सिर्फ इसे उंचाई पर सात दिन के लिए पश्चिम दिशा में रखे .
- केतु का तेल -एक लीटर तिल या सरसों के तेल में लोध मिला कर उबाले . ठंडा होने पर ५ ग्राम लौंग का तेल मिलाये . फिर काले रंग की बोतल में मकान के पश्चिम दिशा में उंचाई पर रखे . इसे लगाने से केतु के दुष्प्रभाव दूर होते है
.आयुर्वेद के अनुसार सरसों की तेल मालिश करने से अनेक प्रकार की बीमारियां शांत हो जाती है.
महाऋषि चरक ने तो तेल में घृत से 8 गुणा ज्यादा शक्ति को माना है. यदि प्रतिदिन नियम से तेल मालिश की जाए तो सिरदर्द, बालों का झड़ना, खुजली दाद, फोड़े फुंसी एवं एग्ज़िमा आदि बीमारियां कभी नहीं होती है.
तेल मालिश का रहस्य त्वचा को कोमल, नसों को स्फूर्ति युक्त और रक्त को गतिशील बनाती है. प्रात: काल नियमपूर्वक यदि मालिश की जाए तो व्यक्ति रोगमुक्त एवं दीर्घजीवी बनता है.
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए वायु की प्रमुख आवश्यकता है. वायु का ग्रहण त्वचा पर निर्भर है और त्वचा का मालिश पर.
सूर्योदय के समय वायु में प्राण शक्ति और चन्द्रमा द्वारा अमृत का अंश भी सम्मिश्रित होता है. परन्तु रवि, मंगल, गुरु शुक्र को मालिश नहीं करनी चाहिए. हमारे शास्त्रों के अनुसार रविवार को मालिश करने से ताप (गर्मी सम्बन्धी रोग), मंगल को मृत्यु, गुरु को हानि, शुक्र को दुःख होता है
सोमवार को तेल मालिश करने से शारीरिक सौंदर्य बढ़ता है. बुध को धन में वृद्धि होती है. शनिवार को धन प्राप्ति एवं सुखों की वृद्धि होती है.
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सरसों का तेल शनि का करक है. हर ग्रह के अनुसार सब ग्रहों के अलग-अलग अनाज और वस्तुएं बताई गई है.
जिससे ग्रह की शांति या शुभ फल की प्राप्ति करनी हो उस से सम्बंधित वस्तुओं को ग्रहण और दान करने का महत्व हमारे धरम शास्त्रों में बताया गया है.
शनि के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए सोमवार, बुधवार एवं शनिवार को सरसों के तेल की मालिश कर स्नान करने से शनि के अशुभ प्रभाव से हमारी रक्षा होती है. हर प्रकार की मनोकामना पूर्ण होती है
किस दिन और क्यों नहीं करनी चाहिए तेल मालिश?
वैसे तो स्वस्थ त्वचा के लिए तेल मालिश करना नियमित दिनचर्या है लेकिन सप्ताह में इसे केवल तीन दिन ही करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को तेल मालिश करना चाहिए। जबकि रविवार, मंगलवार और शुक्रवार को तेल मालिश नहीं करनी चाहिए। अगर रोजाना करना ही हो तो फिर कुछ उपाय करने के बाद ही करें। बहरहाल सवाल यह उठता है कि रवि, मंगल और शुक्रवार को तेल से मालिश क्यों न करें? दरअसल इसके पीछे भी विज्ञान है। शास्त्र कहते हैं कि इन दिनों में तेल से मालिश करने पर रोग होने की आशंका रहती है।
तैलाभ्यांगे रवौ ताप: सोमे शोभा कुजे मृति:।
बुधेधनं गुरौ हानि: शुझे दु:ख शनौ सुखम् ॥
अर्थ- रविवार को तेल मालिश से ताप यानी गर्मी संबंधी रोग, सोमवार को शरीर के सौन्दर्य में वृद्धि, मंगलवार को मृत्यु भय, बुधवार को धन की प्राप्ति, गुरुवार को हानि, शुक्रवार को दु:ख और शनिवार को करने से सुख मिलता है।
तीन दिन क्यों नहीं
शास्त्रों के अनुसार रविवार, मंगलवार और शनिवार को तेल से मालिश करना मना है। इसके पीछे भी विज्ञान है। रविवार का दिन सूर्य से संबंधित है। सूर्य से गर्मी उत्पन्न होती है। अत: इस दिन शरीर में पित्त अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक होना स्वाभाविक है। तेल से मालिश करने से भी गर्मी उत्पन्न होती है। इसलिए रविवार को तेल से मालिश करने से रोग होने का भय रहता है। मंगल ग्रह का रंग लाल है। इस ग्रह का प्रभाव हमारे रक्त पर पड़ता है। इस दिन शरीर में रक्त का दबाव अधिक होने से खुजली, फोड़े फुन्सी आदि त्वचा रोग या उनसे मृत्यु होने का डर भी रहता है। इसी तरह शुक्र ग्रह का संबंध वीर्य तत्व से रहता है। इस दिन मालिश करने से वीर्य संबंधी रोग हो सकते हैं। अगर रोजाना मालिश करना हो तो तेल में रविवार को फूल, मंगलवार को मिट्टी और शुक्रवार को गाय का मूत्र डाल लेने से कोई दुष्प्रभाव नहीं होता।
यह है मालिश का विज्ञान
मानव शरीर में असंख्य छिद्र हैं। यदि किसी यन्त्र की सहायता से देखें तो पता लगेगा कि हमारी त्वचा जालीदार है। इन छिद्रों को रोम कहा जाता है। इन छिद्रों से हमारे शरीर की प्रदूषित वायु और गंदगी गैस के रूप में बाहर निकलती है। यह एक महत्वपूर्ण क्रिया है। इसी पर हमारा जीवन आधारित है। यदि ये छिद्र बंद हो जाएं तो शरीर में कई रोग उत्पन्न होने लगते हैं। वास्तव में तेल मालिश इन छिद्रों को साफ करने की एक आसान प्रक्रिया है। तेल की मालिश से शरीर में रक्त का संचारण तेजी से होता है और नई ऊर्जा और शक्ति का संचार होता है।
विक्रम प्रकाश रसनोई