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अजमेर शरीफ के दरगाह की सच्चाई:


अजमेर शरीफ के दरगाह की सच्चाई:
अजमेर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर इतनी भीड़ थी कि वहाँ की कोई बैंच खाली नहीं थी। एक बैंच पर एक परिवार, जो पहनावे से हिन्दू लग रहा था, के साथ बुर्के में एक अधेड़ सुसभ्य महिला बैठी थी।
बहुत देर चुपचाप बैठने के बाद बुर्खे में बैठी महिला ने बगल में बैठे युवक से पूछा, “अजमेर के रहनेवाले हैँ या फिर यहाँ घूमने आये हैं?”
युवक ने बताया, “जी अपने माता पिता के साथ पुष्कर में ब्रह्मा जी के मंदिर के दर्शन करने आया था।”
महिला ने बुरा मुँह बनाते हुए फिर पूछा, “आप लोग अजमेर शरीफ की दरगाह पर नहीं गये?”
युवक ने उस महिला से प्रतिउत्तर कर दिया, “क्या आप ब्रह्मा जी के मंदिर गयी थीं?”
महिला अपने मुँह को और बुरा बनाते हुये बोली, “लाहौल विला कुव्वत। इस्लाम में बुतपरस्ती हराम है और आप पूछ रहे हैं कि ब्रह्मा के मंदिर में गयी थी।”
युवक झल्लाकर बोला, “जब आप ब्रह्मा जी के मंदिर में जाना हराम मानती हैं तो हम क्यों अजमेर शरीफ की दरगाह पर जाकर अपना माथा फोड़ें।”
महिला युवक की माँ से शिकायती लहजे में बोली, “देखिये बहन जी। आपका लड़का तो बड़ा बदतमीज है। ऐसी मजहबी कट्टरता की वजह से ही तो हमारी कौमी एकता में फूट पड़ती है।”
युवक की माँ मुस्काते हुये बोली, “ठीक कहा बहन जी। कौमी एकता का ठेका तो हम हिन्दुओं ने ही ले रखा है।
अगर हर हिँदू माँ-बाप अपने बच्चों को बताए कि अजमेर दरगाह वाले ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती ने किस तरह इस्लाम कबूल ना करने पर पृथ्वीराज चौहान की पत्नी संयोगिता को मुस्लिम सैनिकों के बीच बलात्कार करने के लिए निर्वस्त्र करके फेँक दिया था।तो, शायद ही कोई हिँदू उस मुल्ले की कब्र पर माथा पटकने जाए।

( बाद में पृथ्वीराज चौहान की वीर पुत्रियों ने मोइनुद्दीन चिश्ती के टुकडे टुकडे कर दिए थे)
पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गोरी को १७ बार युद्ध में हराने के बाद भी उसे छोड़ देता है जबकि एक बार उस से हारने पर चौहान की आँख में जलता हुआ सरिया डाल दिया जिससे वह अंधे हो गए थे। मोहम्मद गौरी पृथ्वीराज चौहान की  (आवाज सुनकर उसी दिशा में तीर चलाने) की कला को देखना चाहता था। पृथ्वीराज चौहान के हाथ में तीर आते हैं उन्होंने सीधा गोरी की आवाज पर निशाना साधा और गौरी की गर्दन पर तीर लगने से उसकी मृत्यु हो गई। बाद में मोहम्मद गोरी के सैनिकों ने पृथ्वीराज को बंदी बनाकर मार डाला  वे लोग पृथ्वीराज  के शव को घसीटते हुए अफ़ग़ानिस्तान ले गये और दफ़्न किया।
चौहान की क़ब्र पर जो भी मुसलमान वहॉ जाता था प्रचलन के अनुसार उनके क़ब्र को वहॉ पे रखे जूते से मारता है। ऐसी बर्बरता कहीं नहीं देखी होगी। फिरभी हम हैं कि…बेवकुफ secular बने फिर रहे है…!

( बाद में शेर सिंह राणा ने अफगानिस्तान जाकर   पृथ्वीराज चौहान की कब्र से शव निकालकर उसका अंतिम संस्कार किया और उनकी अस्थियों को हिंदुस्तान लाकर गंगा में प्रवाहित कर दिया)
“अजमेर के ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती को ९० लाख हिंदुओं को इस्लाम में लाने का गौरव प्राप्त है. मोइनुद्दीन चिश्ती ने ही मोहम्मद गोरी को भारत लूटने के लिए उकसाया और आमंत्रित किया था…”
अधिकांश हिन्दू तो शेयर भी नहीं करेंगे…

दुख है ऐसे हिन्दुओ पर…!

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2 thoughts on “अजमेर शरीफ के दरगाह की सच्चाई:

  1. asal me hinduo ki galti nahi mera dawa h ki 95% hinduo ko ajmer dargah ku sachchai hi pata nahi h
    Ham hinduo ko history hi galat padai gai h isme Islam hi mahan h aur unke nawab hi mahan darshaeye gaye h
    Agar hinduo ko Christi ki sachchai pata chal jae to ye dargah jaane ka naam na le.
    vaise in dargah ka chadawa hinduo ki naraf se jyada aata h jab iska boycott ho jaega to apne aap hi eska rutba yani mahanta bhi kafi ho jaegi
    mujhe bhi bachpan me ye padaya jata tha ki yaha Jane se har tamanna puri ho jati h.me bhi ekbaar gaya hui yaha hinduo se doyam darje ka vavhar kia jata h .
    Achcha tab hoga yah sachchai har hinduo ko pata chale
    Dhanyawad

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