रजा सुरथ और वैश्य समाधी की कथा ~(पोस्ट – 28 ) दुर्गा सप्तशती – प्रथम अध्याय
ॠषी मार्कंडेय जी – असुर मधु और कैटभ की कथा सुनाते है –
ॐ नमशचंडिकाय- ॐ चंडीदेवी को नमस्कार है–
जब विष्णु भगवान् निद्रा मग्न थे तब उनके कानो के मैल से -भयंकर दैत्य मधु और कैटभ उत्पन्न हुए और उनसे डरकर ब्रम्हा जी ने महामाया के निद्रा देवी स्वरुप की स्तुति कर उन्हें मनाया -निद्रा का असर जाते ही विष्णु भगवान् ने जाग कर दोनों दैत्यों से युद्ध किया परन्तु जीत न सकने पर महामाया चंडी देवी की स्तुति की –
देवी जी द्वारा मोहित किये जाने पर दोनों दैत्यों ने भगवान् को परास्त हुआ जानकार उन्हें अपने से वरदान मांगने को कहा और विष्णु जी ने असुरो से उनकी म्रत्यु मांगी — मोहित होने के कारण असुरो ने हाँ कर दी और वे इस प्रकार दोनों दैत्य विष्णु भगवान् द्वारा मारे गए-
कथा की व्याख्या ~~
कथा के शाब्दिक अर्थ के अलावा मेरी समझ में वैचारिक अर्थ भी है -~~~
मैल माने गंदगी रूप दुर्गुण -असुर मधु -प्रचलित अर्थ में शराब -नशा करना-और असुर कैटभ के तीन शब्द * क से क्रोध और काम वासना *-ट से तर्क वितर्क और कुतर्क (शद्धा और विश्वास विहीन)*- भ -से लोभ और भष्टाचार *ये ही मधु और कैटभ नाम के असुर है –
ये दोनों असुर ~ श्रदधा विश्वास रुपी धर्म के लोप होने पर ~यानी प्रभु के सो जाने ~पर सारे जगत पर अपना साम्राज्य स्थापित कर लेते है और जगत के पालक विष्णु भगवान् भी युद्ध में उन्हें नहीं जीत पाते –
मतलब नशा और कुतर्क करने वाले और दुराचारी और लोभी तथा क्रोधी व्यक्ति से युद्ध द्वारा नहीं जीता जा सकता है
-उसका एक मात्र इलाज है ~~देवी सरस्वती की कृपा से– यानी शिक्षा द्वारा इन मधु कैटभ रूपी आसुरी शक्तिओं से ग्रसित व्यक्तिओं को बुराई के प्रति जागरूक करना इनसे दूर रहने के लिए समझाना और -प्रभु के प्रति -श्रदधा और विश्वास जगाकर धर्म की ओर (मोहित) प्रेरित कर असुर प्रवत्ति से दैवीय गुणों की और ले जाना
-यही है देवी सरस्वती जी द्वारा मोहित किये जाने पर असुरो द्वारा श्री विष्णु भगवान् को अपने वध का भी वरदान दे देना
-हमारे मत में धार्मिक नैतिक शिक्षा- और ईश्वर के प्रत्ति डर के अभाव -और दूषित प्रचार माध्यमो वाले वातावरण~ के कारण और सरकारों द्वारा राजस्व के चक्कर में शराब बिक्री को प्रोत्साहन की नीति से ये आसुरी प्रवत्तियां और अपराध निरंतर बढ रहे है -शराब नशा 80% रोड एक्सीडेंट और दुराचार तथा क्रोध का मुख्य कारण है ।
अपने सनातन धर्म के प्रति अज्ञानता और पौराणिक कथाओं के सन्देश को न समझ पाना -कथाओं को मेथोलोजी यानी काल्पनिक मान लेना -इन्ही कारणों से परेशानिया बढ़ रही है ।
राम नाथ गुप्ता।