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एक सत्संगी था..


एक सत्संगी था……..उसका भगवान पर बहुत विश्वास था वो बहुत साधना , सिमरन करता था | सत्संग पे जाता था, सेवा करता था, उस पर गुरु जी की इतनी कृपा थी कि उसको साधना पर बैठते ही ध्यान लग जाता था |

एक दिन उसके घर तीन डाकू आ गए और उसके घर का काफी सामान लूट लिया और जब जाने लगे तो सोचा कि मार देना चाहिए नहीं तो ये सबको हमारे बारे में बता देगा | ये सुनकर वो सत्संगी घबरा गया और बोला तुम मेरे घर का सारा सामान नकदी, जेवर, …सब कुछ ले जाओ लेकिन मुझे मत मारो, उन लूटेरो ने उसकी एक ना सुनी और बन्दूक उसके सर पर रख दी, सत्संगी बहुत रोया गिड़-गिड़ाया कि मुझे मत मारो, लेकिन लुटेरे नहीं मान रहे थे,

तभी सत्संगी ने उनसे कहा कि मेरी आखिरी इच्छा पूरी कर दो, लुटेरो ने कहा ठीक है। सत्संगी फ़ौरन कुछ देर के लिए ध्यान पर बैठ गया।

उसने अपने गुरु को याद किया और थोड़ी ही देर में गुरु जी ने उसे दर्शन दिए और दिखाया कि पिछले तीन जन्मो में तुमने इन लुटेरो को एक एक करके मारा था आज वो तीनो एक साथ तुम्हे मरने आये है और मैं चाहता हूँ कि तुम तीनो जन्मो का भुगतान इसी जन्म में कर दो .. .

ये सुनकर सत्संगी उठ खड़ा हुआ और लुटेरो कि बन्दूक अपने सर पर रख के हस्ते हुए बोला कि अब मुझे मारदो, अब मुझे मरने कि कोई परवाह नहीं है। ये सुन कर लुटेरे हैरान हो गए और सोचा कि अभी तो ये रो रहा था कि मुझे मत मारो और अब इसे २० मिनट में क्या हो गया तो उन्होंने उस सत्संगी से पूछा कि आखिर इतनी सी देर में ऐसा क्या हुआ कि तुम ख़ुशी से मरना चाह रहे हो तो उस सत्संगी ने सारी बात उन लुटेरो को बता दी।

ये सुनकर लुटेरो ने अपने हथियार सत्संगी के पैरो में डाल दिए और हाथ जोड़ कर विनती करने लगे कि हम तुम्हे नहीं मरेंगे बस इतना बता दो कि तुम्हारे गुरु कौन है तो उसने अपने गुरु जी के बारे में बता दिया। उसके बाद वो लोग भी सब कुछ छोड़कर सत्संगी बन गए।
इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि वह गुरु हर पल हमारी रक्षा करता है दुःख भी देता है तो हमारे भले के लिए इसलिए हर पल उस गुरु का शुक्र करना चाहिए फिर चाहे वो परम पिता जिस हाल में भी रखे।

हरपल हर स्वांस शुकराना गुरु जी।

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