तुलसीदासजी से किसी ने पूछा- मानवजीवन की तुलना यदि वृक्ष से करनी हो तो किस वृक्ष से करेंगे, आम या बबूल से?
तुलसीदासजी बोले- किसी से भी नहीं क्योंकि मनुष्य का शरीर कल्पवृक्ष है। आम के वृक्ष पर केवल आम ही लगेगा बबूल पर केवल बबूल
लगेगा किन्तु कल्पवृक्ष के नीचे जो जैसी कल्पना करेगा वह ही यथार्थ हो जाता है। मनुष्य का जीवन भी है ऐसा ही है। वह जैसा भाव लेकर कर्म करता है, उसे वैसा ही फल प्राप्त होता है।
जिसने जिसभाव से भक्ति और तप किया उसे वही मिला।
रावण, विभीषन, कुम्भकर्ण ने तप किया और ब्रह्माजी से जैसा भाव था वैसा वरदान मांगा।
आप को भी मानव शरीर रूप में एक कल्पवृक्ष
मिला है। इस तन में जो माँगोगेे वही मिलेगा, तो सोच-समझकर मांगना।
भगवान से संसार के क्षणिक सुख की ही माँग की बजाय
जन्म-मरण के महादु:ख से छुटकारा (मोक्ष) की माँग करनी है। 🙏🏻🙏🏻
दिनेश केडल