जिन्ना ने दिया था हिंदुओं को सौ वर्ष का अभय दान
सभी जानते हैं 1947 भारत के बटवारे की मूल वजह क़ायदे-आज़म मोहम्मद अली जिन्ना थे और जिन्ना की जिद्द के कारण अंग्रेजों ने भारत को दो हिस्से में बाँटकर हिंदुस्तान और पाकिस्तान बना दिया क्योंकि जिन्ना का यह मत था कि हिंदुओं की संस्कृति और जीवन शैली मुसलमानों से एकदम भिन्न है अतः हिंदू और मुसलमान एक साथ एक देश में नहीं रह सकते | अगर हिंदू हिंदुस्तान में रहता है तो मुसलमानों को भी एक पाक स्थान पाकिस्तान के रूप में दिया जाना चाहिए परिणाम स्वरुप एक बड़ी हिंसा के बाद हिंदुस्तान का बाँटवारा हो गया और भारत के तीन टुकड़ों में बाँट गया | जो पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान के रूप में मुसलमानों को दे दिया गया | बाद को कालांतर में श्रीमती इंदिरा गांधी की राजनीतिक सूझबूझ से पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान बाँटकर कर पुनः दो हिस्से हो गये | पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश के नाम से जाना जाने लगा और पश्चिमी पाकिस्तान पाकिस्तान के नाम से जाना जाने लगा | सुनने में तो बहुत बुरा लगता है लेकिन यह एक बहुत बड़ा सत्य है कि जिन्ना की इसी बेवकूफी के कारण हिंदुस्तान में हिंदुओं को 100 वर्ष का अभय दान मिल गया |
आज स्पष्ट रुप से देखा जाता है जिन स्थानों पर मुसलमानों की जनसंख्या 30% से अधिक है वहां से हिंदू प्रति वर्ष पलायन कर रहा है | 4 जनवरी 1990 को कश्मीर के अंदर तो खुलेआम मस्जिदों के लाऊडस्पीकरों से घोषणा की गई हिंदू अपने घर की बहू-बेटी व संपत्ति छोड़कर तत्काल चले जाएं वरना उनकी हत्या कर दी जाएगी | परिणामता: 2,00,000 कश्मीरी पंडितों को कश्मीर छोड़कर पलायन करना पड़ा | इसी तरह पश्चिम उत्तर प्रदेश मैं आज बहुत बड़ी मात्रा में हिंदू पलायन कर रहा है | बंगाल के अंदर भी बांग्लादेशियों की घुसपैठ के कारण मुसलमानों की जनसंख्या तेजी से बढ़ने के कारण वहां से बहुत बड़ी मात्रा में हिंदूओं को पलायन करना पड़ रहा है | इतना ही नहीं भारत में जहां-जहां मुसलमानों की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है वहां-वहां से हिंदू पलायन करके दूसरे स्थानों पर जा रहे हैं |
कल्पना कीजिए अगर जिन्ना ने अलग पाकिस्तान की मांग न की होती तो वर्तमान समय में पाकिस्तान के अंदर रहने वाला 19 करोड़ मुसलमान और बंगलादेश के अंदर रहने वाला 16 करोड़ मुसलमान तथा भारत के अंदर रहने वाले 25 करोड़ मुसलमान मिलाकर कुल भारत के अंदर 70 करोड़ मुसलमान होते जो 80 करोड़ हिंदुओं को भारत छोड़ कर भागने के लिए बाध्य कर देते | यह तो जिन्ना की नासमझी और जिद्द का परिणाम था कि हिंदुस्तान का बंटवारा हुआ और हिंदुस्तान की बहुत बड़ी मुसलमान आबादी पाकिस्तान चली गई | जिससे हिंदुस्तान में हिंदुओं को 100 वर्ष तक अपने तरीके से जिंदगी जीने का अधिकार प्राप्त हो गया वर्ना जब हिंदुस्तान के अंदर मुसलमानों की जनसंख्या 50 करोड़ होती तो या तो हिंदुस्तान का हिंदू मुसलमान हो गया होता या हिंदुस्तान छोड़कर चला गया होता | जैसे देश के बंटवारे के समय पाकिस्तान में 12% हिन्दू था जो आज मात्र 1% दयनीय अवस्था में रह गया है | और हिन्दुस्थान का नाम मुगलिस्थान हो गया होता |
अगर हिंदुओं की यह पलायनवादी सोच नहीं समाप्त हुई तो वह दिन दूर नहीं जब भारत के अंदर राष्ट्रपति से लेकर होमगार्ड तक सभी मुसलमान होंगे और उनके समक्ष हिंदुओं के हितों की रक्षा करने के लिए कोई भी व्यक्ति नहीं होगा | जैसे आज बांग्लादेश व पाकिस्तान में हो रहा है |
Naveen Thuli