बिना प्रेम रीझे नही नंन्दन नंनद किशोर!
इस कथा को एक बार जरुर पढें और यदि आवश्यक समझें तो आगे भी भेजें ।
प्रभु श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ बहुत-सी लीलायें की हैं । श्री कृष्ण गोपियों की मटकी फोड़ते और माखन चुराते और गोपियाँ श्री कृष्ण का उलाहना लेकर यशोदा मैया के पास जातीं । ऐसा बहुत बार हुआ ।
एक बार की बात है कि यशोदा मैया प्रभु श्री कृष्ण के उलाहनों से तंग आ गयीं और छड़ी लेकर श्री कृष्ण की ओर दौड़ी । जब प्रभु ने अपनी मैया को क्रोध में देखा तो वह अपना बचाव करने के लिए भागने लगे ।
भागते-भागते श्री कृष्ण एक कुम्भार के पास पहुँचे । कुम्भार तो अपने मिट्टी के घड़े बनाने में व्यस्त था । लेकिन जैसे ही कुम्भार ने श्री कृष्ण को देखा तो वह बहुत प्रसन्न हुआ । कुम्भार जानता था कि श्री कृष्ण साक्षात् परमेश्वर हैं । तब प्रभु ने कुम्भार से कहा कि ‘कुम्भार जी, आज मेरी मैया मुझ पर बहुत क्रोधित है । मैया छड़ी लेकर मेरे पीछे आ रही है । भैया, मुझे कहीं छुपा लो ।’
तब कुम्भार ने श्री कृष्ण को एक बडे से मटके के नीचे छिपा दिया । कुछ ही क्षणों में मैया यशोदा भी वहाँ आ गयीं और कुम्भार से पूछने लगी – ‘क्यूँ रे, कुम्भार ! तूने मेरे कन्हैया को कहीं देखा है, क्या ?’
कुम्भार ने कह दिया – ‘नहीं, मैया ! मैंने कन्हैया को नहीं देखा ।’ श्री कृष्ण ये सब बातें बडे से घड़े के नीचे छुपकर सुन रहे थे । मैया तो वहाँ से चली गयीं ।
अब प्रभु श्री कृष्ण कुम्भार से कहते हैं – ‘कुम्भार जी, यदि मैया चली गयी हो तो मुझे इस घड़े से बाहर निकालो ।’
कुम्भार बोला – ‘ऐसे नहीं, प्रभु जी ! पहले मुझे चौरासी लाख यानियों के बन्धन से मुक्त करने का वचन दो ।’
भगवान मुस्कुराये और कहा – ‘ठीक है, मैं तुम्हें चौरासी लाख योनियों से मुक्त करने का वचन देता हूँ । अब तो मुझे बाहर निकाल दो ।’
कुम्भार कहने लगा – ‘मुझे अकेले नहीं, प्रभु जी ! मेरे परिवार के सभी लोगों को भी चौरासी लाख योनियों के बन्धन से मुक्त करने का वचन दोगे तो मैं आपको इस घड़े से बाहर निकालूँगा ।’
प्रभु जी कहते हैं – ‘चलो ठीक है, उनको भी चौरासी लाख योनियों के बन्धन से मुक्त होने का मैं वचन देता हूँ । अब तो मुझे घड़े से बाहर निकाल दो ।’
अब कुम्भार कहता है – ‘बस, प्रभु जी ! एक विनती और है । उसे भी पूरा करने का वचन दे दो तो मैं आपको घड़े से बाहर निकाल दूँगा ।’
भगवान बोले – ‘वो भी बता दे, क्या कहना चाहते हो ?’
कुम्भार कहने लगा – ‘प्रभु जी ! जिस घड़े के नीचे आप छुपे हो, उसकी मिट्टी मेरे बैलों के ऊपर लाद के लायी गयी है । मेरे इन बैलों को भी चौरासी के बन्धन से मुक्त करने का वचन दो ।’
भगवान ने कुम्भार के प्रेम पर प्रसन्न होकर उन बैलों को भी चौरासी के बन्धन से मुक्त होने का वचन दिया ।’
प्रभु बोले – ‘अब तो तुम्हारी सब इच्छा पूरी हो गयी, अब तो मुझे घड़े से बाहर निकाल दो ।’
तब कुम्भार कहता है – ‘अभी नहीं, भगवन ! बस, एक अन्तिम इच्छा और है । उसे भी पूरा कर दीजिये और वो ये है – जो भी प्राणी हम दोनों के बीच के इस संवाद को सुनेगा, उसे भी आप चौरासी लाख योनियों के बन्धन से मुक्त करोगे । बस, यह वचन दे दो तो मैं आपको इस घड़े से बाहर निकाल दूँगा ।’
कुम्भार की प्रेम भरी बातों को सुन कर प्रभु श्री कृष्ण बहुत खुश हुए और कुम्भार की इस इच्छा को भी पूरा करने का वचन दिया ।
फिर कुम्भार ने बाल श्री कृष्ण को घड़े से बाहर निकाल दिया । उनके चरणों में साष्टांग प्रणाम किया । प्रभु जी के चरण धोये और चरणामृत पीया । अपनी पूरी झोंपड़ी में चरणामृत का छिड़काव किया और प्रभु जी के गले लगकर इतना रोये क़ि प्रभु में ही विलीन हो गये ।
जरा सोच करके देखिये, जो बाल श्री कृष्ण सात कोस लम्बे-चौड़े गोवर्धन पर्वत को अपनी इक्क्नी अंगुली पर उठा सकते हैं, तो क्या वो एक घड़ा नहीं उठा सकते थे ।
लेकिन बिना प्रेम रीझे नहीं नटवर नन्द किशोर । कोई कितने भी यज्ञ करे, अनुष्ठान करे, कितना भी दान करे, चाहे कितनी भी भक्ति करे, लेकिन जब तक मन में प्राणी मात्र के लिए प्रेम नहीं होगा, प्रभु श्री कृष्ण मिल नहीं सकते । जय श्री राधे
Day: June 7, 2017
एनडीटीवी के विवादास्पद मामलें :-
एनडीटीवी के विवादास्पद मामलें :-
1. भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश का आरोप
20 जनवरी 1998 को केंद्रीय जांच ब्यूरो ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी के तहत नई दिल्ली टेलीविजन ( एनडीटीवी) के प्रबंध निदेशक प्रणय रॉय , दूरदर्शन के पूर्व महानिदेशक आर बसु और पांच अन्य शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने के लिए और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मामले दर्ज किया ।
2. राडिया टेप विवाद
नवंबर, 2010 में ओपन मैगज़ीन ने एक कहानी पप्रकाशित की जिसमें वरिष्ठ पत्रकारों , राजनेताओं, और कॉर्पोरेट घरानों के साथ नीरा राडिया की टेलीफोन पर बातचीत के ट्रांसक्रिप्ट्स की सूचना दी। राडिया टेप मामले में 2G स्पेक्ट्रम तथा अन्य कई लोगो के राजनैतिक दुराचार की खबर सामने आयी। टेप प्रदर्शित करतीं हैं कि कैसे राडिया ने एनडीटीवी की बरखा दत्त सहित कुछ मीडिया व्यक्तियों का उपयोग दूरसंचार मंत्री के रूप में ए राजा को नियुक्त करने के निर्णय को प्रभावित किया ।
3. टैक्स धोखाधड़ी का आरोप
एनडीटीवी पर अपनी विदेशी सहायक कंपनियों के माध्यम से , भारतीय कर और कॉरपोरेट कानूनों का उल्लंघन करने का आरोप है । हालांकि एनडीटीवी ने इन आरोपों का खंडन किया है । ‘द संडे गार्डियन’ ने एक कहानी प्रकाशित की जिसने आईसीआईसीआई बैंक के साथ मिलीभगत में एनडीटीवी के वित्तीय दुराचार और कदाचार को उजागर किया। हालांकि कंपनी ने कहा कि यह सलाह दी गई है कि इन आरोपों का कानूनी तौर पर तर्कसंगत नहीं हैं।
4. कॉमन वेल्थ गेम्स कॉन्ट्रैक्ट
5 अगस्त 2011 को भारत के सी.ऐ.जी द्वारा उन्नीसवीं कॉमन वेल्थ गेम्स की रिपोर्ट को संसद में पेश किया गया था। रिपोर्ट की धारा 14.4.2 में सी.ऐ.जी ने आरोप लगाया कि जब उत्पादन औरविज्ञापनों के प्रसारण के लिए एनडीटीवी और सीएनएन-आईबीएन को कॉमन वेल्थ गेम्स-2010 को बढ़ावा देने के लिए 37.8 करोड़ रुपये मूल्य के कॉन्ट्रैक्ट दिए गए ,कॉमन वेल्थ गेम्स के आयोजन समिति ने एक मनमाना दृष्टिकोण का पालन किया ।
5. टैम इंडिया के खिलाफ मुकदमा
समाचार प्रसारक कंपनी ने मुकदमा टेलीविजन ऑडियंस मेज़रमेंट कंपनी टैम इंडिया और उसके श्विक माता पिता कंपनियों पर न्यू यॉर्क के सुप्रीम कोर्ट में 6800 करोड़ का मुकदमा दर्ज़ किया, उसके अधिकारियों को रिश्वत के बदले में टैम रेटिंग्स जोड़ तोड़ का आरोप लगाते हुए ।
6. इनकम टैक्स धोखाधड़ी :-
16 मई , 2016 को भारत के आयकर विभाग (आईटीडी) को बेवकूफ बनाने के लिए और 2008 में लेनदेन के माध्यम से अर्जित आय 642 करोड़ रुपये से अधिक छिपाने के ज़ुर्म में नई दिल्ली टेलीविजन लिमिटेड ( एनडीटीवी ) पर Rs.525 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया है। पकड़े जाने पर कि कैसे 642 करोड़ से भी अधिक अस्पष्टीकृत रकम बरमूडा के माध्यम से उसकी किटी पहुँचें ,एनडीटीवी ने दावा किया कि उन्होंने ” एक सपना बेचा” हैं । इस उत्सुक जवाब में एनडीटीवी ने दावा किया है कि यह अस्पष्टीकृत पैसे कुछ इनफ्लैटेड शेयर ट्रांसफर और एक हेवन स्थित टैक्स कंपनी से लाभांश/डिविडेंड के माध्यम से आए गए थे। आयकर विभाग के अनुसार $ 150 मिलियन की इन्वेस्टमेंट/निवेश को छुपाने के लिए एक विचारपूर्वक प्रयास एनडीटीवी द्वारा किया गया है।
हाल ही में पीजी गुरु द्वारा प्रकाशित एक ख़बर में बताया गया कि कैसे 642,54,2200 रुपय की छिपि और अस्पष्टीकृत रकम ( 150 मिलियन यूएस $ ) एनबीसी यूनिवर्सल इंक और यूनिवर्सल स्टूडियो इंटरनेशनल बी.वी. से प्राप्त की गयी थी और यह पैसे एनडीटीवी नेटवर्क इंटरनेशनल होल्डिंग्स बी.वी. के माध्यम से जाहिर तौर पर आयकर भुगतान से बचने के लिए करवाए गए थे।

मुगलों के हरम की औलाद को हरामजादा कहा जाता है।
मुगलों के हरम की औलाद को हरामजादा
कहा जाता है।
शाहजहाँ के हरम में ८००० रखैलें थीं जो उसे
उसके पिता जहाँगीर से विरासत में मिली थी।
उसने बाप की सम्पत्ति को और बढ़ाया।
उसने हरम की महिलाओं की व्यापक छाँट
की तथा बुढ़ियाओं को भगा कर और अन्य
हिन्दू परिवारों से बलात लाकर हरम को
बढ़ाता ही रहा।”
(अकबर दी ग्रेट मुगल : वी स्मिथ, पृष्ठ ३५९)
कहते हैं कि उन्हीं भगायी गयी महिलाओं से दिल्ली
का रेडलाइट एरिया जी.बी. रोड गुलजार हुआ था
और वहाँ इस धंधे की शुरूआत हुई थी।
जबरन अगवा की हुई हिन्दू महिलाओं की
यौन-गुलामी और यौन व्यापार को शाहजहाँ
प्रश्रय देता था, और अक्सर अपने मंत्रियों
और सम्बन्धियों को पुरस्कार स्वरूप अनेकों
हिन्दू महिलाओं को उपहार में दिया करता था।
यह नर पशु,यौनाचार के प्रति इतना आकर्षित
और उत्साही था,कि हिन्दू महिलाओं का मीना
बाजार लगाया करता था,यहाँ तक कि अपने
महल में भी।
सुप्रसिद्ध यूरोपीय यात्री फ्रांकोइस बर्नियर
ने इस विषय में टिप्पणी की थी कि,
”महल में बार-बार लगने वाले मीना बाजार,
जहाँ अगवा कर लाई हुई सैकड़ों हिन्दू महिलाओं
का, क्रय-विक्रय हुआ करता था,राज्य द्वारा बड़ी
संख्या में नाचने वाली लड़कियों की व्यवस्था,और
नपुसंक बनाये गये सैकड़ों लड़कों की हरमों में
उपस्थिती, शाहजहाँ की अनंत वासना के समाधान
के लिए ही थी।
(टे्रविल्स इन दी मुगल ऐम्पायर-
फ्रान्कोइसबर्नियर :पुनः लिखित वी. स्मिथ,
औक्सफोर्ड १९३४)
**शाहजहाँ को प्रेम की मिसाल के रूप पेश किया
जाता रहा है और किया भी क्यों न जाए।
८००० औरतों को अपने हरम में रखने वाला अगर
किसी एक में ज्यादा रुचि दिखाए तो वो उसका प्यार
ही कहा जाएगा।आप यह जानकर हैरान हो जायेंगे
कि मुमताज का नाम मुमताज महल था ही नहीं
बल्कि उसका असली नाम “अर्जुमंद-बानो-बेगम” था।
और तो और जिस शाहजहाँ और मुमताज के प्यार
की इतनी डींगे हांकी जाती है वो शाहजहाँ की ना
तो पहली पत्नी थी ना ही आखिरी ।
मुमताज शाहजहाँ की सात बीबियों में चौथी थी।
इसका मतलब है कि शाहजहाँ ने मुमताज से पहले
3 शादियाँ कर रखी थी और,मुमताज से शादी करने
के बाद भी उसका मन नहीं भरा तथा उसके बाद भी
उस ने 3 शादियाँ और की यहाँ तक कि मुमताज के
मरने के एक हफ्ते के अन्दर ही उसकी बहन फरजाना
से शादी कर ली थी।
जिसे उसने रखैल बना कर रखा हुआ था जिससे शादी
करने से पहले ही शाहजहाँ को एक बेटा भी था।
अगर शाहजहाँ को मुमताज से इतना ही प्यार था तो मुमताज से शादी के बाद भी शाहजहाँ ने 3 और
शादियाँ क्यों की….?????
अब आप यह भी जान लो कि शाहजहाँ की सातों
बीबियों में सबसे सुन्दर मुमताज नहीं बल्कि इशरत
बानो थी जो कि उसकी पहली पत्नी थी ।
उस से भी घिनौना तथ्य यह है कि शाहजहाँ से
शादी करते समय मुमताज कोई कुंवारी लड़की
नहीं थी बल्कि वो शादीशुदा थी और,उसका पति शाहजहाँ की सेना में सूबेदार था जिसका नाम “शेर अफगान खान” था।शाहजहाँ ने शेर अफगान खान
की हत्या कर मुमताज से शादी की थी।
गौर करने लायक बात यह भी है कि ३८ वर्षीय
मुमताज की मौत कोई बीमारी या एक्सीडेंट से
नहीं बल्कि चौदहवें बच्चे को जन्म देने के दौरान
अत्यधिक कमजोरी के कारण हुई थी।
यानी शाहजहाँ ने उसे बच्चे पैदा करने की मशीन
ही नहीं बल्कि फैक्ट्री बनाकर मार डाला।
**शाहजहाँ कामुकता के लिए इतना कुख्यात
था कि कई इतिहासकारों ने उसे उसकी अपनी
सगी बेटी जहाँआरा के साथ स्वयं सम्भोग करने
का दोषी कहा है।
शाहजहाँ और मुमताज महल की बड़ी बेटी
जहाँआरा बिल्कुल अपनी माँ की तरह लगती थी।
इसीलिए मुमताज की मृत्यु के बाद उसकी याद में
लम्पट शाहजहाँ ने अपनी ही बेटी जहाँआरा को
फंसाकर भोगना शुरू कर दिया था।
जहाँआरा को शाहजहाँ इतना प्यार करता था
कि उसने उसका निकाह तक होने न दिया।
बाप-बेटी के इस प्यार को देखकर जब महल में
चर्चा शुरू हुई,तो मुल्ला-मौलवियों की एक बैठक
बुलाई गयी और उन्होंने इस पाप को जायज ठहराने
के लिए एक हदीस का उद्धरण दिया और कहा कि – “माली को अपने द्वारा लगाये पेड़ का फल खाने का
हक़ है”।
(Francois Bernier wrote,
” Shah Jahan used to have regular sex
with his eldest daughter Jahan Ara.
To defend himself,Shah Jahan used to
say that,it was the privilege of a planter
to taste the fruit of the tree he had
planted.”)
**इतना ही नहीं जहाँआरा के किसी भी आशिक
को वह उसके पास फटकने नहीं देता था।
कहा जाता है की एकबार जहाँआरा जब अपने एक आशिक के साथ इश्क लड़ा रही थी तो शाहजहाँ आ
गया जिससे डरकर वह हरम के तंदूर में छिप गया, शाहजहाँ नेतंदूर में आग लगवा दी और उसे जिन्दा
जला दिया।
**दरअसल अकबर ने यह नियम बना दिया था
कि मुगलिया खानदान की बेटियों की शादी नहीं
होगी।
इतिहासकार इसके लिए कई कारण बताते हैं।
इसका परिणाम यह होता था कि मुग़लखानदान
की लड़कियां अपने जिस्मानी भूख मिटाने के लिए
अवैध तरीके से दरबारी,नौकर के साथ साथ,रिश्तेदार
यहाँ तक की सगे सम्बन्धियों का भी सहारा लेती थी।
**जहाँआरा अपने लम्पट बाप के लिए लड़कियाँ भी
फंसाकर लाती थी।
जहाँआरा की मदद से शाहजहाँ ने मुमताज के भाई
शाइस्ता खान की बीबी से कई बार बलात्कार किया था।
**शाहजहाँ के राजज्योतिष की 13 वर्षीय ब्राह्मण
लडकी को जहाँआरा ने अपने महल में बुलाकर धोखे
से नशा करा बाप के हवाले कर दिया था जिससे शाहजहाँ
ने 58 वें वर्ष में उस 13 बर्ष की ब्राह्मण कन्या से निकाह
किया था।
बाद में इसी ब्राहम्ण कन्या ने शाहजहाँ के कैद होने के
बाद औरंगजेब से बचने और एक बार फिर से हवस की
सामग्री बनने से खुद को बचाने के लिए अपने ही हाथों
अपने चेहरे पर तेजाब डाल लिया था।
**शाहजहाँ शेखी मारा करता था कि ‘ ‘वह तिमूर
(तैमूरलंग)का वंशज है जो भारत में तलवार और
अग्नि लाया था।
उस उजबेकिस्तान के जंगली जानवर तिमूर से और
उसकी हिन्दुओं के रक्तपात की उपलब्धि से इतना
प्रभावित था कि ”उसने अपना नाम तिमूरद्वितीय
रख लिया”।
(दी लीगेसी ऑफ मुस्लिम रूल इन इण्डिया-
डॉ. के.एस. लाल, १९९२ पृष्ठ- १३२).
**बहुत प्रारम्भिक अवस्था से ही शाहजहाँ ने काफिरों
(हिन्दुओं) के प्रति युद्ध के लिए साहस व रुचि दिखाई थी।
अलग-अलग इतिहासकारों ने लिखा था कि,
”शहजादे के रूप में ही शाहजहाँ ने फतेहपुर सीकरी
पर अधिकार करलिया था और आगरा शहर में हिन्दुओं
का भीषण नरसंहार किया था ।
**भारत यात्रा पर आये देला वैले,इटली के एक धनी
व्यक्ति के अुनसार -शाहजहाँ की सेना ने भयानक
बर्बरता का परिचय कराया था।
हिन्दू नागरिकों को घोर यातनाओं द्वारा अपने संचित
धन को दे देने के लिए विवश किया गया,और अनेकों
उच्च कुल की कुलीन हिन्दू महिलाओं का शील भंग
किया गया।”
(कीन्स हैण्ड बुक फौर विजिटर्स टू आगरा एण्ड
इट्सनेबरहुड, पृष्ठ २५)
**हमारे वामपंथी इतिहासकारों ने शाहजहाँ को
एक महान निर्माता के रूप में चित्रित किया है।
किन्तु इस मुजाहिद ने अनेकों कला के प्रतीक सुन्दर
हिन्दू मन्दिरों और अनेकों हिन्दू भवन निर्माण कला
के केन्द्रों का बड़ी लगन और जोश से विध्वंस किया था
अब्दुल हमीद ने अपने इतिहास अभिलेख, ‘बादशाहनामा’ में लिखा था-‘महामहिम शहंशाह महोदय की सूचना में
लाया गया कि हिन्दुओं के एक प्रमुख केन्द्र,बनारस में
उनके अब्बा हुजूर के शासनकाल में अनेकों मन्दिरों के
पुनः निर्माण का काम प्रारम्भ हुआ था और काफिर
हिन्दू अब उन्हें पूर्ण कर देने के निकट आ पहुँचे हैं।
इस्लाम पंथ के रक्षक,शहंशाह ने आदेश दिया कि
बनारस में और उनके सारे राज्य में अन्यत्र सभी
स्थानों पर जिन मन्दिरों का निर्माण कार्य आरम्भ है,
उन सभी का विध्वंस कर दिया जाए।
**इलाहाबाद प्रदेश से सूचना प्राप्त हो गई कि
जिला बनारस के छिहत्तर मन्दिरों का ध्वंस कर
दिया गया था।”
(बादशाहनामा : अब्दुल हमीद लाहौरी,
अनुवाद एलियट और डाउसन, खण्ड VII,
पृष्ठ ३६)
**हिन्दू मंदिरों को अपवित्र करने और उन्हें ध्वस्त करनेकी प्रथा ने शाहजहाँ के काल में एक व्यवस्थित विकराल रूप धारण कर लिया था।
(मध्यकालीन भारत – हरीश्चंद्र वर्मा – पेज-१४१)
***”कश्मीर से लौटते समय १६३२ में शाहजहाँ को बताया गया कि अनेकों मुस्लिम बनायी गयी महिलायें फिर से हिन्दू हो गईं हैं और उन्होंने हिन्दू परिवारों में
शादी कर ली है।
शहंशाह के आदेश पर इन सभी हिन्दुओं को बन्दी
बना लिया गया।
प्रथम उन सभी पर इतना आर्थिक दण्ड थोपा गया
कि उनमें से कोई भुगतान नहीं कर सका।
तब इस्लाम स्वीकार कर लेने और मृत्यु में से एक को
चुन लेने का विकल्प दिया गया।
जिन्होनें धर्मान्तरण स्वीकार नहीं किया,उन सभी
पुरूषों का सर काट दिया गया।
लगभग चार हजार पाँच सौं महिलाओं को बलात् मुसलमान बना लिया गया और उन्हें सिपहसालारों, अफसरों और शहंशाह के नजदीकी लोगों और
रिश्तेदारों के हरम में भेज दिया गया।”
(हिस्ट्री एण्ड कल्चर ऑफ दी इण्डियन पीपुल :
आर.सी. मजूमदार, भारतीय विद्या भवन,पृष्ठ३१२)
*** १६५७ में शाहजहाँ बीमार पड़ा और उसी के
बेटे औरंगजेब ने उसे उसकी रखैल जहाँआरा के
साथ आगरा के किले में बंद कर दिया।
परन्तु औरंगजेब मे एक आदर्श बेटे का भी फर्ज निभाया
और अपने बाप की कामुकता को समझते हुए उसे अपने
साथ ४० रखैलें (शाही वेश्याएँ) रखने की इजाजत दे दी।
दिल्ली आकर उसने बाप के हजारों रखैलों में से कुछ गिनी चुनी औरतों को अपने हरम में डालकर बाकी
सभी को उसने किले से बाहर निकाल दिया।
उन हजारों महिलाओं को भी दिल्ली के उसी हिस्से
में पनाह मिली जिसे आज दिल्ली का रेड लाईट एरिया जीबी रोड कहा जाता है।
जो उसके अब्बा शाहजहाँ की मेहरबानी से ही बसा और गुलजार हुआ था ।
***शाहजहाँ की मृत्यु आगरे के किले में ही २२ जनवरी १६६६ ईस्वी में ७४ साल की उम्र में द हिस्ट्री चैन शाहजहाँ की मृत्यु आगरे के किले में ही २२ जनवरी १६६६ ईस्वी में ७४ साल की उम्र में द हिस्ट्री चैनल के अनुसार अत्यधिक कमोत्तेजक दवाएँ खा लेने का कारण हुई थी। यानी जिन्दगी के आखिरी वक्त तक वो अय्याशी ही करता रहा था।
**** अब आप खुद ही सोचें कि क्यों ऐसे बदचलन
और दुश्चरित्र इंसान को प्यार की निशानी समझा कर
महानबताया जाता है…… ?????
क्या ऐसा बदचलन इंसान कभी किसी से प्यार कर
सकता है….?????
क्या ऐसे वहशी और क्रूर व्यक्ति की अय्याशी की कसमेंखाकर लोग अपने प्यार को बे-इज्जत नही
करते हैं ??
दरअसल ताजमहल और प्यार की कहानी इसीलिए
गढ़ी गयी है कि लोगों को गुमराह किया जा सके और लोगों खास कर हिन्दुओं से छुपायी जा सके कि ताजमहल कोई प्यार की निशानी नहीं बल्कि महाराज जय सिंह द्वारा बनवाया गया भगवान् शिव का मंदिर””तेजो महालय”” है….!
और जिसे प्रमाणित करने के लिए डा० सुब्रहमण्यम स्वामी आज भी सुप्रीम कोर्ट में सत्य की लड़ाई लड़
रहे हैं।
**** असलियत में मुगल इस देश में धर्मान्तरण,
लूट-खसोट और अय्याशी ही करते रहे परन्तु नेहरू
के आदेश पर हमारे इतिहासकारों नें इन्हें जबरदस्ती महान बनाया।
और ये सब हुआ झूठी धर्मनिरपेक्षता के नाम पर।
#साभार_समाधानblogspot,,
ना जाने किस मुंह से सेकुलर कहते हैं कि
हिन्दू मुस्लिम भाई भाई या ईश्वर अल्ला तेरो नाम ?
सदा सर्वदा सुमंगल,
हर हर महादेव,
जय भवानी,
जय श्री राम,,

एक पोस्ट .. मेमोरी से जो प्रणव रॉय और सागरिका की गंदी हकीकत बताती है
#राजदीप_सरदेसाई और उसकी पत्नी #सागरिका_घोष का काला सच ….”
टाइम्स ऑफ इंडिया के मालिक समीर जैन के ऊपर एक ताकतवर नौकरशाह प्रसार भारती के महानिदेशक ‘भास्कर घोष’ का बार बार दबाव आता था की मेरी बेटी सागरिका घोष और मेरे दामाद राजदीप सरदेसाई को टाइम्स ऑफ़ इंडिया का सम्पादक बनाओ ..बदले में सरकारी फायदा लो .. टाइम्स ऑफ इंडिया के मालिक समीर जैन ने मजबूरी में अपने सम्पादक को बुलाया और कहा- ‘‘पडगांवकर जी, अब आपकी छुट्टी की जाती है …. क्योकि मुझे भी अपना बिजनस चलाना है .. एक नौकरशाह की बेटी और उसके बेरोजगार पति जिससे उसने प्रेम विवाह किया है उसे नौकरी देनी है वरना सरकारी विज्ञापन मिलने बंद हो जायेंगे ….
भास्कर घोष का एक और सगा रिश्तेदार था प्रणव रॉय. … ये प्रणव रॉय अपने अंकल भास्कर घोष की मेहरबानी से दूरदर्शन पर हर रविवार “इंडिया दिस वीक” नामक कार्यक्रम करते थे …. उसकी पत्नी घोर वामपंथी नेता वृंदा करात की सगी बहन थी … उस समय दूरदर्शन के लिए खूब सारे नये नये उपकरण और साजोसमान खरीदे जा रहे थे ..उस समय विपक्ष के नाम पर सिर्फ वामपथी पार्टी ही थी बीजेपी के सिर्फ दो सांसद थे .. प्रणव रॉय ने अपने अंकल भाष्कर घोष के कहने पर न्यू देहली टेलीविजन कम्पनी लिमिटेड [एनडीटीवी] नामक कम्पनी बनाई और दूरदर्शन के लिए खरीदे जा रहे तमाम उपकरण धीरे धीरे एनडीटीवी के दफ्तर में लगने लगे … और एक दिन अचानक एनडीटीवी नामक चैनेल बन गया …
बाद में भास्कर घोष पर भ्रष्टाचार के तमाम आरोप लगे जिससे उन्हें पद छोड़ना पड़ा लेकिन जाते जाते उन्होंने अपनी बेटी सागरिका और उसके बेरोजगार प्रेमी से पति बने राजदीप सरदेसाई की जिन्दगी बना दी थी … फिर कुछ दिन दोनों मियां बीबी एनडीटीवी में रहे .. बाद में राघव बहल नामक एक कारोबारी ने “चैनेल-7” जो बाद में ‘आईबीएन-7’ बना उसे लांच किया और ये दोनों मियां बीबी आईबीएन-7 में आ गये … इन दोनों बंटी और बबली की जोड़ी ने अपने पारिवारिक रसूख का खूब फायदा उठाया …आईबीएन में सागरिका घोष की मर्जी के बिना पत्ता भी नही हिलता था क्योकि सागरिका घोष की सगी आंटी अरुंधती घोष हैं -अरुंधती घोष संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि थी -CNN-IBN का “ग्लोबल बिजनेस नेटवर्क” (GBN) से व्यावसायिक समझौता है। -GBN टर्नर इंटरनेशनल और नेटवर्क-18 की एक कम्पनी है। भारत में सीएनएन के पीछे अरुंधती घोष की ही लाबिंग थी जिसका फायदा राजदीप और सागरिका ने खूब उठाया | सागरिका घोष की बड़ी आंटी रुमा पाल थी जिनके रसूख का फायदा भी इन दोनों बंटी और बबली की जोड़ी ने कांग्रेसी नेताओ के बीच पैठ जमाकर उठाया … रुमा पाल भले ही सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ जज थी लेकिन उनके फैसले के पीछे सागरिका घोष और राजदीप की दलाली होती थी …
बाद में वक्त का पहिया घुमा … देश में मोदीवाद उभरा .. आईबीएन को मुकेश अंबानी ने खरीद लिया .. और इन दोनों दलालों बंटी राजदीप और बबली सागरिका को लात मारकर भगा दिया … कुछ दिनों तक दोनों गायब रहे फिर बाद में अरुण पूरी के चैनेल आजतक पर नजर आने लगे.
संजय द्विवेदी
धर्म परिवर्तन
712 ई. से भारत में हिंदुओं का धर्म परिवर्तन शुरू हुआ
फिर भी क्या कारण है कि आज भी हजार वर्ष से भी अधिक समय के बाद भी 80 फीसदी भारतीय हिन्दू हैं?
712 ई से मुगल काल तक कई बार बहुत बड़े पैमाने पर धर्मांतरण हुए, जो बाद में भी जारी रहे
फिर इन नव-मुसलमानों का क्या हुआ??
कोई भी देश 100 वर्ष से अधिक मुस्लिम आक्रमण नहीं झेल पाया पर भारत ने कैसे इस दानवीय शक्ति का 1000 वर्ष तक सामना किया??
इन सभी प्रश्नों का जो उत्तर है उसे आज की परिस्थिति में मान पाना कठिन लग सकता है, पर सत्य तो सत्य है
कुछ तो ऐसी बात रही होगी जिसके कारण भारत इन आक्रमणों को झेल सका और आज हम हिन्दू के नाते खड़े हैं
इसके पीछे जो कारण है उसे बड़ी चालाकी से चापलूस इतिहासकारों ने छुपाने की हरसंभव कोशिश की
पर सत्य यही है कि जिस गति से धर्म परिवर्तन का काम चल रहा था उसी गति से परावर्तन(घर-वापसी) भी चल रहा था
एक समय ऐसा भी था जब 724 ई. में कश्मीर में केवल 12 हिन्दू परिवार बचे थे, और बहुत थोड़े के समय के बाद 743 में एक बार पुनः हिन्दू वहाँ बहुसंख्यक बन गए
जब जब जबरन धर्म परिवर्तन हुआ हिन्दू समाज ने इसका उत्तर दिया और अपने भाइयों को पुनः अपने साथ मिला लिया
शुद्धि सभाओं का आयोजन एक सामान्य बात थी
परंतु मुगल काल में एक नियम लाया गया कि कोई भी मुसलमान फिर से हिन्दू नहीं बन सकता है, और इस नियम के उल्लंघन पर मृत्युदंड की सजा देने का प्रावधान रखा गया
साथ में जिसने उसे अपनाने का प्रयास किया उसे भी समान दंड देने का प्रावधान था
इसी भय से मुगल काल में परावर्तन बन्द हो गया
और मुस्लिम जनसंख्या बढ़ने लगी
पर क्या हम अपने बिछड़े भाइयों को अपना पाते तो आज ऐसी परिस्थिति उतपन्न होती
आज समय आ गया है जब एक बार पुनः अपने बिछड़े भाइयों को याद दिलाया जाए कि हमारे पूर्वज एक थे हम एक हैं और विदेशी शक्तियों ने हमे दूर किया है
समय आ गया है हृदय से उनका पुनः उनके घर आगमन पर स्वागत करने का
समय आ गया है उनकी घर वापसी का
आईए संकल्प करें कि हमारे जो भी भाई घर वापसी करेंगे उनकी प्रतिष्ठा स्थापित रखने में हम अपना योगदान देंगे
जय हिंद
અબ્દુલ કલામ
સ્વપ્ન એ એવી ચીજ નથી કે જે તમે ઉંઘમાં જુઓ છો.
સ્વપ્ન એવી ચીજ છે જે તમને ઉંઘવા નથી દેતી.
– અબ્દુલ કલામ.