Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

एक सुनार से लक्ष्मी जी रूठ गई ।


Vijay Khatter‎

एक सुनार से लक्ष्मी जी रूठ गई । जाते वक्त बोली मैं जा रही हूँ और मेरी जगह टोटा (नुकसान ) आ रहा है । तैयार हो जाओ। लेकिन मै तुम्हे अंतिम भेट जरूर देना चाहती हूँ।मांगो जो भी इच्छा हो। सुनार बहुत समझदार था ।उसने 🙏 विनती की टोटा आए तो आने दो । लेकिन उससे कहना की मेरे परिवार में आपसी प्रेम बना रहे ।बस मेरी यही इच्छा है। लक्ष्मी जी ने तथास्तु कहा। कुछ दिन के बाद :- सुनार की सबसे छोटी बहू खिचड़ी बना रही थी । उसने नमक आदि डाला और अन्य काम करने लगी । तब दूसरे लड़के की बहू आई और उसने भी बिना चखे नमक डाला और चली गई । इसी प्रकार तीसरी , चौथी बहुएं आई और नमक डालकर चली गई । उनकी सास ने भी ऐसा किया । शाम को सबसे पहले सुनार आया । पहला निवाला मुह में लिया ।देखा बहुत ज्यादा नमक है। लेकिन वह समझ गया टोटा(हानि) आ चुका है। चुपचाप खिचड़ी खाई और चला गया । इसके बाद बङे बेटे का नम्बर आया । पहला निवाला मुह में लिया ।पूछा पिता जी ने खाना खा लिया ।क्या कहा उन्होंने ? सभी ने उत्तर दिया-” हाँ खा लिया ,कुछ नही बोले।” अब लड़के ने सोचा जब पिता जी ही कुछ नही बोले तो मै भी चुपचाप खा लेता हूँ। इस प्रकार घर के अन्य सदस्य एक -एक आए । पहले वालो के बारे में पूछते और चुपचाप खाना खा कर चले गए । रात को टोटा (हानि) हाथ जोड़कर सुनार से कहने लगा -,”मै जा रहा हूँ।” सुनार ने पूछा- क्यों ? तब टोटा (हानि ) कहता है, ” आप लोग एक किलो तो नमक खा गए । लेकिन बिलकुल भी झगड़ा नही हुआ । मेरा यहाँ कोई काम नहीं।” *निचोङ* ⭐झगड़ा कमजोरी , टोटा ,नुकसान की पहचान है। 👏जहाँ प्रेम है ,वहाँ लक्ष्मी का वास है। 🔃सदा प्यार -प्रेम बांटते रहे।छोटे -बङे की कदर करे । जो बङे हैं ,वो बङे ही रहेंगे । चाहे आपकी कमाई उसकी कमाई से बङी हो।

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पूजन में माला का महत्त्व – Astro Nirvan


पूजन में माला का महत्त्व
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माला में सबसे पहले मनकों (पिरोई जाने वाली मणियों-दानों) की संख्या पर ध्यान दिया जाना चाहिए पूजा में 15, 27 या 54 दानों की माला सामान्य कही गई है। 108 दानों की माला पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। यदि हम 108 को आपस में जोडें़ तो योग 9 (1+0+8) होगा। नौ का अंक सर्वश्रेष्ठ अंक है। पूजा करते समय माला को शुद्ध जल से धो लेना चाहिए तथा गुरु दीक्षा में दिया गया मंत्र और माला को जपने की विधि सीख लेनी चाहिए माला फेरते समय शरीर स्थिर और एकाग्र होना चाहिए। इससे सिद्धि मिलती है।
माला का आकार-प्रकार माला सही गुंथी हुई होनी चाहिए। उसका बार-बार टूटना शुभ नहीं होता। माला को ढक कर हृदय के समीप लाकर जप करना चाहिए। रुद्राक्ष की माला सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। अलग-अलग मुखों के रुद्राक्ष की माला से अलग-अलग सिद्धि प्राप्त होती है। सामान्यतः पंचमुखी रुद्राक्ष की माला का प्रयोग किया जाता है।
हाथी दांत के मनकों से बनी हुई माला: यह गणेश जी की उपासना में विशेष लाभदायक होती है। यद्यपि यह बहुत मूल्यवान होती है, इसलिए साधारण लोग इसका उपयोग नहीं कर पाते।
कमलगट्टे की माला: प्रयोग भेद से यह माला शत्रु दमन और धन प्राप्ति के लिए प्रयुक्त होती है।
पुत्रजीवा की माला: इसका प्रयोग संतान प्राप्ति हेतु की जाने वाली साधना में होता है। यह अल्प मोती माला है।
चांदी की माला: पुष्टि कर्म के अंतर्गत, सात्विक अभीष्ट की पूर्ति हेतु इस माला को बहुत प्रभावी माना जाता है।
मूंगे की माला: मूंगे की माला गणेश और लक्ष्मी की साधना में प्रयुक्त होती है। धन-संपत्ति, द्रव्य और स्वर्ण आदि की प्राप्ति की कामना से की जाने वाली साधना की सफलता हेतु मूंगे की माला को अत्यधिक प्रभावशाली माना गया है।
कुश ग्रंथि की माला: कुश नामक घास की जड़ को खोदकर उसकी गांठों से बनाई गई यह कुश ग्रंथि माला सभी प्रकार के कायिक, वाचिक और मानसिक विकारों का शमन करके साधक को निष्कलुष, निर्मल और सतेज बनाती है। इसके प्रयोग से व्याधियों का नाश होता है।
चंदन की माला: यह दो प्रकार की होती है- सफेद और लाल चंदन की। सफेद चंदन की माला का प्रयोग शांति पुष्टि कर्मों में तथा राम, विष्णु आदि देवताओं की उपासना में किया जाता है। जबकि लाल चंदन की माला गणेशोपासना तथा साधना (दुर्गा, लक्ष्मी, त्रिपुरसुंदरी) आदि की साधना के लिए प्रयुक्त होती है। धन-धान्य की प्राप्ति के लिए की जाने वाली साधना में इसका विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है।
तुलसी की माला: वैष्णव भक्तों के लिए राम और कृष्ण की उपासना हेतु यह माला उत्तम मानी गई है। इसका आयुर्वेदिक महत्व भी है। इस माला को धारण करने वाले या जपने वाले को पूर्ण रूप से शाकाहारी होना चाहिए तथा प्याज व लहसुन से सर्वथा दूर रहना चाहिए।
स्वर्ण माला भी धन प्राप्ति और कामना पूर्ति की साधना में उपयोगी होती है।
स्फटिक माला सौम्य प्रभाव से युक्त होती है। इसके धारक को चंद्रमा और शिवजी की विशेष कृपा प्राप्त हो जाती है। सात्विक और पुष्टि कार्यों की साधना के लिए यह बहुत उत्तम मानी जाती है।
शंख माला भी कुछ विशेष तांत्रिक प्रयोगों में प्रभावशाली रहती है। शिवजी की पूजा-साधना और सा¬त्विक कामनाओं की पूर्ति हेतु किए जाने वाले जप तथा सामान्य रूप से धारण करने के लिए भी इसे उत्तम माना गया है।
वैजयन्ती माला विष्णु भगवान की आराधना में प्रयुक्त होती है। वैष्णव भक्त इसे सामान्य रूप से भी धारण करते हैं।
हल्दी की माला गणेश पूजा के लिए प्रयोग में लाई जाती है। बृहस्पति ग्रह तथा देवी बगलामुखी की साधना में भी इसका प्रयोग किया जाता है।

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अरुंधती राय


क्या आपको पता है कि 2002 के गुजरात दंगे में नरोदा पाटिया में एक महिला का गर्भ फाड़ने और एहसान जाफरी की बेटी को नंगा कर जलाने का झूठ पूरी दुनिया में अरुंधती राय ने ही फैलाया था? पुस्तक, ‘निशाने पर नरेंद्र मोदी: सजिश की कहानी तथ्यों की जुबानी’ में अरुंधती के झूठ को तथ्यों के आधार पर नंगा किया था। आज यह कश्मीर, भारतीय सेना और भारत को लेकर झूठ फैला रही है।

दरअसल अरुंधती का बदबूदार व्यक्तित्व ही झूठ पर टिका है! वामपंथियों का सारा प्रोपोगंडा ही झूठ के सहारे रचा और फैेलाया जाता है। आप सच उजागर कर दीजिए, इनकी धरातल खिसक जाती है।

हमारे पास अंग्रेजी और हिंदी, दोनों भाषा में ऐसे राष्ट्रवादी लेखक और पत्रकार होने चाहिए जो इनके हर झूठ को बेनकाब कर सके, ये जड़ सहित उखड़ जाएंगे।

अर्णव गोस्वामी पर यह चिढ़े ही इसलिए हैं कि अंग्रेजी में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलाए इन वामंथियों के झूठ को वह उसी तेजी से उनकी ही भाषा में नंगा कर देता है। हिंदी में सुधीर चौधरी, रोहित सरदाना जैसे पत्रकार साहसिक प्रयास कर रहे हैं।

अब एकेडमिक रूप से इन्हें तबाह करने के लिए बड़े पैमाने पर पुस्तक लेखन की जरूरत है। पुस्तक एक विश्वसनीय और स्थायी आधार होता है और वह 100-1000 साल बाद भी सबसे बड़ा संदर्भ साबित होता है। सल्तनत और मुगल काल में हम बच ही इसलिए गये कि बड़े पैमाने पर भक्ति आंदोलन और भक्ति साहित्य का निर्माण हुआ। अंग्रेजी काल में हम सांस्कृतिक रूप से मुकाबला नहीं कर सके, क्योंकि अंग्रेजों व मार्क्सवादियों ने अपने हिसाब के लेखक पैदा कर उनसे अपने अनुरूप साहित्य का निर्माण कराया।

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