क्या आप जानते हैं ?????
कि यूपीए सरकार ने किस तरह से एक एक्ट के जरिये सेना के हाथ को बांध दिया है
?नही ? तो पढ़िए ये और सोचिए कि हमारी सेना क्या सच मे इतनी कमजोर है ??……
2010 में मनमोहन सरकार ने आतंकवादियों के हितों ( याद रखिये आतंकवादी का हित)
को संज्ञान में लेते हुए कश्मीर में # सदभावना_एक्ट लगाई जिसमें कुछ ऐसे पहलू
को शामिल किया गया है जिसके अनुसार हमारे फौजियो को गुनाहगार बनाना आसान हो
गया—
1–जब तक आंतकवादी फायर न करे तब तक फायर नहीं करना है। ( मतलब फायर के अलावा
कुछ भी करे, पत्थर फेंके थप्पड़ मारे डंडे मारे मगर फोर्स चुपचाप पिटती रहे
अपने हाथ पैर को बांधके, जैसा कि हमेशा पत्थर फेंकने की घटना सामने आती है और
अभी जल्द ही एक वीडियो में देखा गया था कि सेना चुपचाप है और कश्मीरी लड़के
सेना को थप्पड़ और पैर मार रहे )…
2– मारे गए आंतकवादी के पास हथियार होंना जरूरी है,और हथियार हो भी तो भी
सैनिक तब तक फायर नही कर सकता जब तक कि आतंकवादी फायर न करे
( मतलब सेना आतंकवादी के फायर करने का वेट करे और अगर आतंकवादी मारा जाता है
और मरने के बाद कोई उसका हितैषी हथियार छुपा दे तो उसे आतंकवादी घोषित न करके
सीधा सादा कश्मीरी जवान घोषित किया जा सकता है और सैनिकों के ऊपर केस किया जा
सकता है, और ये बात सबको पता है कि कश्मीर की लोकल पुलिस भी आतंकवादियों से
मिली होती है तो हथियार छुपाना कोई मुश्किल नही होगा)…
3–मारे गए आतंकवादी के परिजनों को स्थानीय अदालत ( ज्ञातव्य हो कि कश्मीर के
स्थानीय अदालत जहाँ सेना बेगानी ही होती है )में ये साबित करना होगा की जो
मारा गया वो आतंकवादी ही है और उसके पक्ष में आतंकवादी के परिजन कोर्ट में
सेना के खिलाफ रिट कर सकते है और अगर आतंकवादी आतंकवादी साबित न हुआ तो सेना
के (उसको मारने वाले) जवानो पर कत्ल का केस चलता है ( मतलब की एक तो करेला ऊपर
से नीम चढ़ा हुआ साबित हो हमारे सैनिक के लिए, आतंकवादी मारने पर प्रोत्साहन
कम सज़ा ज्यादा मिले तो कौन सी सेना एनकाउंटर करना चाहेगी ? और अगर एनकाउंटर
किया तो प्रूफ रखे, यानि की एनकाउंटर बाद में पहले कैमरा आन करके रिकार्डिंग
करे जबकि एनकाउंटर तो तुरन्त का लिया गया एक्शन होता है )…….
2010 के इस एक्ट से आंतकवादी बहुत सेफ हो गए है और सबको पता है कि ये लोग
बच्चों को 500 रुपया देते है पत्थर मारने का…
आंतकवादियों के बच्चों की मुफ़्त पढाई और उसकी अगर 3/4 बीबियाँ है तो तीनो को
पेंशन दिया जाता है और ये मन मोहन सिंह की सरकार का किया धरा है जो सेना के
साथ आज की सरकार भी भुगत रही है…
ये कांग्रेस के खोदे हुए गड्ढे है जिसका भुगतान हमारी सेना को करना पड़ रहा
है…. एक तो 370, उस पर मामला यू एन ओ में , ऊपर से # सदभावना के नाम पर
आंतकवादियो की सुरक्षा …मोनी बाबा या सोनिया या और कांग्रेसी क्या सोच रखते
थे ये सोच लो आप लोग ..
आज की मौजूदा सरकार अगर # सद्भावना_एक्ट खत्म करें तो किस बिना पर ?अगर एक्ट
खत्म किया तो यही लोग चिल्लाएगे कि कश्मीरी अल्पसँख्यको पर जुल्म हो रहा है
चाहे भले ही वहां के हिन्दुओ के साथ सेना के साथ सौतेला रवैया अपनाया जाए पर
अल्पसंख्यको के नाम पर आतंकवादियो को खरोंच तक न आना चाहिए…
छोटे छोटे बच्चे तक पत्थरो का इस्तेमाल करते हैं जो जग जाहिर है और औरते फौज
के सामने खुद अपने कपड़े फाड़कर इल्जाम लगाने से भी नही चूकती हैं ये बात उसी
को पता है जो वहां उन परिस्थितियों से रोज 2/4 होता हो …
गोली का जवाब तो गोली दे सकते है मगर आँतकवादी मारने की कार्यवाई करने पर
अदालत से बचने के लिए और अपनी सेफ्टी की खातिर फौज वीडियो बनाती है…..
आंतकवादियो के परिजनों को पेंशन मिलती है जो की एमजीआर पेंशन के नाम से नहीं
# सदभावना_पुनर्वास_सहायता के नाम से है और ये राशि 7500₹ होती है …. अब नाम
भी इस तरह का दे दिया है की लोग उसके खिलाफ बोल भी न पाएं और आतंकवादियों को
इसी तरह फलित किया जाए जिससे कश्मीर में सेना का मनोबल न बढ़े और हिंदूवादी
सोच भी पनपने न पाए
अब आप बताओ की ऐसे में किसको दोष दिया जाय या आप अगर मोदी की जगह होते तो क्या
कर पाते ??
इन सबको सुधारने में वक्त लगेगा और तब तक सुधार नही हो सकता जब तक कि लोगो का
माइंड सेट न हो जाता ।। वैसे भी एक मोदी को रोकने के लिए सब चोर डाकू एक जो
जाते हैं और हम जनता आंख मूदकर उनपर विश्वास कर लेते हैं।।।।
# नोट– आपको बता दें कि ये व्यथा हमारे एक फौजी भाई ने मुझे बताया,और मुझसे
ये लिखने को कहा तो मैंने उन्ही तथ्यों पर ये लिखा है जिसको यहां पोस्ट करने
से पहले उनको दिखाया …उनके खिलाफ एक्शन न हो इसलिए मैं उसका नाम ओपन नही कर
सकता।
और जो लोग लिंक की उम्मीद कर रहे हैं तो उनसे सिर्फ एक ही सवाल करूँगा की आपके
घर मे क्या क्या हो रहा है ये आप ही जानोगे, पड़ोसी वही जानेगा जो आप उसे
बताऐगे..