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☀ जवाहरलाल नेहरू की गलतियां जो हम आज तक भुगत रहे हैं ☀
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1) कोको आइसलैंड – 1950 में नेहरू ने भारत का ‘ कोको द्वीप समूह’ ( Google Map location -14.100000, 93.365000 ) बर्मा को गिफ्ट दे दिया। यह द्वीप समूह कोलकाता से 900 KM दूर समंदर में है।
बाद में बर्मा ने कोको द्वीप समूह चीन को दे दिया, जहाँ से आज चीन भारत पर नजर रखता है।
2) काबू व्हेली मनिपुर – नेहरू ने 13 Jan 1954 को भारत के मणिपुर प्रांत की काबू व्हेली दोस्ती के तौर पर बर्मा को दे दिया। काबू व्हेली कलगभगा क्षेत्रफल 11000 वर्ग किमी है और कहते हैं कि यह कश्मीर से भी अधिक खूबसरत है।
आज बर्मा ने काबू व्हेली का कुछ हिस्सा चीन को दे रखा है। चीन यहां से भी भारत पर नजर रखता है।
3) भारत – नेपाल विलय – 1952 में नेपाल के तत्कालीन राजा त्रिभुवन विक्रम शाह ने नेपाल को भारत में विलय कर लेने की बात नेहरू से कही थी, लेकिन नेहरू ने ये कहकर उनकी बात टाल दी की भारत में नेपाल के विलय से दोनों देशों को फायदे की बजाय नुकसान ज्यादा होगा। यही नहीं, इससे नेपाल का टूरिज्म भी खत्म हो जाएगा।
4) UN Permanent Seat- नेहरू ने 1953 में अमेरिका की उस पेशकश को ठुकरा दिया था, जिसमें भारत से सुरक्षा परिषद ( United Nations ) में स्थायी सदस्य के तौर पर शामिल होने को कहा गया था। इसकी जगह नेहरू ने चीन को सुरक्षा परिषद में शामिल करने की सलाह दे डाली।
यही चीन आज पाकिस्तान का हम दर्द बना हुआ है। वह पाक को बचाने के लिए भारत के कई प्रस्तावों को UN में नामंजूर कर चुका है। हाल ही उसने दहशतगर्द मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के भारतीत प्रस्ताव को वीटो कर उसे बचाया है।
5) जवाहरलाल नेहरू और लेडी मांउटबेटन – लेडी माउंटबेटन की बेटी पामेला ने अपनी किताब में लिखा है कि दोनों के बीच अंतरंग संबंध थे। लॉर्ड माउंटबेटन भी दोनों को अकेला छोड़ देते थे। लॉर्ड माउंटबेटन अपनी पत्नी को गैरमर्द के साथ खुला क्यूं छोड़ते थे, यह अभी तक राज है। लोग मानते हैं कि ऐसा कर लॉर्ड माउंटबेटन ने जवाहरलाल नेहरू से भारतीय सेना के और देश के कई राज हथियाए थे।
6) पंचशील समझौता – नेहरू चीन से दोस्ती के लिए बहुत ज्यादा उत्सुक थे। नेहरू ने 1954 को चीन के साथ पंचशील समझौता किया। इस समझौते के साथ ही भारत ने तिब्बत को चीन का हिस्सा मान लिया।
नेहरू ने चीन से दोस्ती की खातिर तिब्बत को भरोसे में लिए बिना ही उस पर चीनी ‘कब्जे’ को मंजूरी दे दी। बाद में 1962 में इसी चीन ने भारत पर हमला किया। चीन की सेना इसी तिब्बत से ही भारत की सीमा में प्रवेश किया था।
7) 1962 भारत चीन युद्ध -चीनी सेना ने 1962 में भारत को हराया था। हार के कारणों को जानने के लिए भारत सरकार ने ले.जनरल हेंडरसन और कमान्डेंट ब्रिगेडियर भगत के नेतृत्व में एक समिति बनाई थी। दोनों अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में हार के लिए प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को जिम्मेदार ठहराया था।
चीनी सेना जब अरुणाचल प्रदेश, असम, सिक्किम तक अंदर घुस आई थी, तब भी नेहरू ने हिंदी-चीनी भाई-भाई का नारा लगाते हुए भारतीय सेना को चीन के खिलाफ एक्शन लेने से रोके रखा। परिणाम स्वरूप हमारे कश्मीर का लगभग 14000 वर्ग किमी भाग पर चीन ने कब्जा कर लिया। इसमें कैलाश पर्वत, मानसरोवर और अन्य तीर्थ स्थान आते हैं।
ऐसे थे जवाहर लाल नेहरू।
भारत का सही इतिहास जानना आपका हक़ है ।
🚩🔱 जय श्रीराम 🔱🚩
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[14/04, 9:11 p.m.] +91 78560 69769: मुस्लिमो के हाथों मरकर हिन्दुओ को मुक्ति प्राप्त करनी चाहिए, नफरत नहीं : मोहनदास गांधी
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मोहनदास गाँधी उच्च किस्म के सेक्युलर थे, और उनके सेकुलरिज्म के बारे में तो इस देश की 90% जनता अभी भी नहीं जानती
ये वही मोहनदास गाँधी है, जो दिल्ली में वाल्मीकि हिन्दुओ के मंदिर में कुरान का पाठ कर रहे थे, जब वाल्मीकि दलित हिन्दुओ ने आपत्ति जताई तो गाँधी ने अंग्रेजी पुलिस बुलवाकर दलित महिलाओ को पिटवाया
और आखिरकार मंदिर में कुरआन का पाठ करके ही दम लिया
आज जहाँ बांग्लादेश है, उस इलाके में हिन्दू महिलाओ का बड़े पैमाने पर 1946-47 में बलात्कार हुए, नौखली और आज के कोलकाता तक में हज़ारों बलात्कार हुए, जब कुछ हिन्दू महिलाएं गाँधी के पास मदद के लिए पहुंची तो, गाँधी ने उन्हें बलात्कार को सहन करने की नसीहत दे दी, और वो महिलाएं रोती हुई चली गयी
बात है 6 अप्रैल 1947 की, जब भारत आज़ाद नहीं हुआ था और पुरे देश में मुस्लिम लीग इस्लामिक देशों की मांग को लेकर दंगे कर रही थी
ऐसे में कहीं कही हिन्दू भी उग्र हो रहे थे, अब आत्मरक्षा का हक तो सबका ही है
6 अप्रैल 1947 को मोहनदास गाँधी दिल्ली में अपने सुरक्षित अड्डे पर एक प्रार्थना सभा कर रहे थे,
वहां मौजूद कांग्रेस के नेताओं और अनेकों लोगों को मोहनदास गाँधी सहिष्णुता की सीख दे रहे थे
मोहनदास गाँधी ने इस प्रार्थना सभा में कहा था की, “भले मुसलमान हिन्दुओ को मार देना भी चाहे, तो भी हिन्दुओ को अपने ह्रदय में उनके प्रति नफरत नहीं रखनी चाहिए
अगर किसी हिन्दू की हत्या भी की जाती है, तो हिन्दुओ को इसे हर्ष से स्वीकार कर लेना चाहिए, अगर मुसलमान अपना देश बना लेते है, और अपना नियम लागू करते है, तो हिन्दू मर जाये तो भी उसे मुक्ति मिल जाएगी
वरना दुनिया में और भी बहुत जगह है रहने के लिए”
मोहनदास गाँधी के यही महान सेक्युलर विचार आज भी कांग्रेस और उसके शाखाओं यानि अन्य सेक्युलर दलों के मन मस्तिष्क में दौड़ता है, और वो मोहनदास गाँधी के ही सेकुलरिज्म को लेकर चलते है
[14/04, 9:11 p.m.] +91 78560 69769: 🚩🔱
☀ अम्बेडकर को नया जीवन देने वाले राजा के बारे में हिन्दू विरोधी दलित नेता कभी दलितों को नहीं बताते अम्बेडकर का सच
जिसे आप सभी को जानना जरूरी है।
☀दलित नेता जब अम्बेडकर पर भाषण देते हैं तब बड़ी धूर्तता से उस व्यक्ति का नाम ही नही लेते जिसने उन्हें”बाबा साहब भीमराव रामजी अम्बेडकर” बनाया ।बड़ोदरा रियासत के महाराजा सयाजी गायकवाड को एक चिठ्ठी मिली । जिसमे एक युवक ने लिखा था की वो दलित है पढाई करने के लिए ब्रिटेन और अमेरिका जाना चाहता है लेकिन उसके पास पैसे नही हैं और कोई भी उसकी मदद नही कर रहा है ।चिठ्ठी के साथ अंक तालिकाएं (Mark Sheets) भी संलग्न (Attach) थी ।
☀चिठ्ठी पढ़ते ही महाराजा सयाजी गायकवाड़ ने उन्हें मिलने के लिए बुलाया और उन्हें ब्रिटेन और अमेरिका पढने के लिए पूरा खर्चा दिया । यहाँ तक भी रहने का इंतजाम भी महाराजा ने किया था और तो और जब अम्बेडकर PHD करके वापस आये तो कोई भी उन्हें नौकरी नही दे रहा था, तब एक बार फिर महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ ने उनका साथ दिया और उन्हें अपनी रियासत का महामंत्री नियुक्त किया और उस जमाने में उन्हें दस हजार रुपये महीने वेतन दिया जो आज दस करोड़ के बराबर है ।
☀लेकिन गाँव गाँव जो तथाकथित अम्बेडकरवादी घूमते हैं वो दलितों को ये बात नही बताते । वो तो छोड़िए उनका पूरा नाम तक नहीं बताते ।
___ जिस समय चन्द्रशेखर आज़ाद साईकिल ले कर चलते थे उस समय
भीमराव अम्बेडकर भारत और इंग्लैण्ड
फ्लाइट से आते जाते थे,,
जब राम प्रसाद बिस्मिल जी भुने चने खा
कर क्रान्ति की ज्वाला में खुद जल रहे थे
तब भीमराव अंबेडकर ब्रिटेन के गवर्नर के
शाही भोज में शामिल होते थे,,
जब सारा भारत स्वदेशी के नाम पर
विदेशी कपड़ों की होली जला रहा था तब
भीमराव अम्बेडकर कोट पैंट और टाई पहन
कर चलते थे,,
जब भगत सिंह एक वकील को मोहताज़ थे।
तब बैरिस्टर वकील भीमराव अंबेडकर
अंग्रेज अफसरों के मुकदमे लड़ रहे थे ….
और अंत में वही बन गया भारत भाग्य
विधाता ……..
उसी को मिली भारत की नींव भरने की
जिम्मेदारी ….
अंजाम सब देख रहे हैं,,
कड़वा है पर शतप्रतिशत सत्य है
शायद किसी को हजम ना हो___
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