आइये जानते है बुध (राजकुमार)के बारे में
बुध की उत्पत्ति से जो कथा जु़डी है,
वह है चंद्रमा द्वारा बृहस्पति की पत्नी
तारा का अपहरण। गर्भवती होने पर तारा ने बृहस्पति
के डर से गर्भ को इषीकास्तम्ब में विसर्जित कर दिया।
इषीकास्तम्ब से जब दीप्तिमान एवं सुंदर
बालक बुध का जन्म हुआ तो चंद्रमा एवं बृहस्पति दोनों ने
ही उसे अपना पुत्र माना तथा जातकर्म संस्कार करना
चाहा। बृहस्पति ने प्रतिवाद में कहा कि पुत्र क्षेत्री
का होता है। मात्रा क्षेत्रिणी होती है
और पिता क्षेत्री, अत: बृहस्पति ने बुध पर अपना
अधिकार माना। जब यह विवाद बहुत अधिक बढ़ गया, तब ब्रह्मां
जी ने अपने प्रभाव का प्रयोग करते हुए हस्तक्षेप
किया। ब्रrाा जी के पूछने पर तारा ने उसे चंद्रमा का पुत्र
होना स्वीकार किया तथा ब्रह्हमा जी ने
उस बालक को चंद्रमा को दे दिया। चंद्रमा के पुत्र माने जाने के कारण
बुध को क्षत्रिय माना गया, यदि उन्हें बृहस्पति का पुत्र माना जाता तो
ब्राह्मण माना जाता। चंद्रमा ने बुध के पालन-पोषण का दायित्व
अपनी प्रिय पत्नी रोहिणी को
दिया। रोहिणी द्वारा पालन-पोषण किए जाने के कारण बुध
का नाम रौहिणेय भी है। पद्म पुराण में उल्लेख है कि
बुध ने हस्ति शास्त्र का निर्माण किया।
” (तारोदरविनिष्क्रान्त: कुमार: सूर्यसन्निभ:
सवार्थशास्त्रविद्वान् हस्तिशास्त्रप्रवत्तüक:।
राझ: सोमस्य पुत्रत्वाद्राजपुत्रो बुध: स्मृत:
नाम यद्राजपुत्रोùयं विश्रुतो राजवैद्यक:”)
कथा में खगोलीय पक्ष के अतिरिक्त जो
महत्वपूर्ण पक्ष है – वह है बुध के स्वरूप का चित्रण। इस
कथा से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि बुध का रूप कितना
अधिक मोहक है कि बृहस्पति अपना संपूर्ण क्रोध भूल गए तथा
उन्हें पुत्र रूप में स्वीकार करने को तत्पर हो गए।
बुध की कांति-नवीन दूब के समान बताई गई
है अत: बुध के स्वरूप में एक आकर्षण एवं खिंचाव है। बुध
की कृपा जिन व्यक्तियों पर होती है उनके
व्यक्तित्व में ऎसा आकर्षण सहज ही पाया जाता है।
चंद्रमा के पुत्र होने तथा बृहस्पति द्वारा पुत्र माने जाने के कारण
स्वयं के गुणधर्म के अतिरिक्त बुध पर इन दोनों ग्रहों का प्रभाव
भी स्पष्टत: देखने को मिलता है।
चन्द्रमा और बृहस्पति के
आशीर्वाद के कारण ही बुध के अधिकार
क्षेत्र में आने वाले विषय विस्तृत हैं। गंधर्वराज के पुत्र होने के
कारण जहाँ ललित-कलाओं पर बुध का अधिकार है
वहीं बृहस्पति के प्रभाव से विद्या, पाण्डित्य, शास्त्र,
उपासना आदि बुध के प्रमुख विषय बन जाते हैं। अभिव्यक्ति
की क्षमता बुध ही दे सकते हैं। आज
के प्रतिस्पर्धात्मक युग में सफलता के लिए जिस प्रस्तुतिकरण
की आवश्यकता होती है वह सिर्फ बुध
ही दे सकते हैं।
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➡⬆अन्य ग्रह जैसे चन्द्रमा, शुक्र, बृहस्पति, कला, विद्या,
कल्पनाशक्ति प्रदान कर सकते हैं परन्तु यदि जन्मपत्रिका में बुध
बली न हों तो अपनी प्रतिभा का आर्थिक
लाभ उठाने की कला से व्यक्ति वंचित रहता है।
वाणी बुध एवं बृहस्पति दोनों का विषय है परन्तु जहाँ
वाणी में ओजस्विता बृहस्पति का क्षेत्र है,
वहीं वाक्-चातुर्य एवं पटुता बुध का ही
आशीर्वाद है। बुध ऎसी हाजिर-
जवाबी देते हैं कि सामने वाला अवाक् रह जाए और
उससे कुछ बोलते न बने। स्पष्ट है कि सही समय
पर, सही जवाब या कार्य के लिए बुद्धि में जिस
पैनीधार की आवश्यकता होती
है वह बुध की कृपा से ही प्राप्त
होती है।
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बुध से जु़डा सर्वाधिक महत्वपूर्ण गुण धर्म है
अनुकूलनशीलता (Adaptability) हर हाल में खुद
को ढाल लेना सिर्फ बुध प्रधान व्यक्ति ही कर सकता
है। भयानक तूफानों में जहाँ ब़डे-ब़डे दरख्त धराशायी
हो जाते हैं, वहाँ वो नाजुक लचीले व कोमल पौधे बच
जाते हैं जो झुककर तूफानों के निकल जाने का इंतजार करते हैं।
प्रकृति का नियम परिवर्तन ही है और वह उसे
ही जीने का अधिकार देती है,
जो इन परिवर्तनों को सहर्ष स्वीकार कर, उनके
अनुरूप जल्द से जल्द स्वयं को ढाल ले। यही कारण
था कि विशालकाय डायनासोर जहाँ लुप्त हो गए, वहीं
छोटे से तिलचट्ट ने इस युग तक का सफर तय किया।
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अनुकूलनशीलता का ही दूसरा रूप सामंजस्य
भी है। बुध प्रधान व्यक्ति Generation Gap
की शिकायत करते शायद ही सुनने को मिलें।
समय की ताल से ताल मिलाना ये अच्छी
तरह जानते हैं। यह इस बात को अच्छी तरह
समझते हैं कि यदि वक्त के साथ इन्होंने खुद को
नहीं बदला तो ये बहुत पीछे और अकेले
रह जाएंगे। बुध प्रधान व्यक्ति में इनकी अवस्था के
अनुरूप ही एक छोटा बच्चाा सदा जीवित
रहता है, जो हंसना, खेलना चाहता है, जिंदादिल रहना और
जिंदगी के हर पल को भरपूर जीना चाहता
है। यही इच्छा इन्हें कुछ नए सूत्र बनाने
की प्रेरणा देती है। जिनकी
जन्मपत्रिका में बुध बलवान🙏🙏🙏🙏🙏 हैं,🌹🌹🌹🌹🌹
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ज्योतिषीय परिपेक्ष्य में देखें तो बुध का
वर्गीकरण नैसर्गिक शुभ या अशुभ ग्रह के रूप में
नहीं किया गया है। वे जिस ग्रह के साथ बैठते हैं या
प्रभाव क्षेत्र में होते हैं, उसी के अनुरूप आचरण
करते हैं परन्तु अपनी पहचान नहीं
खोते हैं, जो इनकी मुख्य विशेषता है। सूर्य के साथ
युति करके बुधादित्य योग बनाते हैं।
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की ऊर्जा लेकर बुध जहाँ एक ओर बुद्धि को प्रखर
करते हैं वहीं दूसरी ओर अनुशासन लेकर
इन्द्रियों को नियंत्रित करते हैं। यद्यपि चन्द्रमा के प्रति बुध के मन
में नारा$जगी है तथापि बुध का हास्य-विनोद, चन्द्रमा
के साथ से निखर उठता है। चन्द्रमा की कल्पनाशक्ति
और उ़डान की सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्ति इस युति में मिल
सकती है। मंगल के साथ बुध की युति
होने पर बुध की वणिक बुद्धि अत्यधिक जाग्रत हो
जाती है और इस युति को यदि बृहस्पति
की अमृत दृष्टि मिल जाए तो उच्चाकोटि का धन योग बनता
है। बुध और बृहस्पति की युति अद्भुत है।
वाणी, बुद्धि, ज्ञान, संगीत से
जु़डी नैसर्गिक प्रतिभा उसमें विद्यमान
रहती है अर्थात् व्यक्तित्व में संपूर्णता
होती है और व्यक्ति उसे अधिक से अधिक निखारने के
लिए प्रयासरत रहता है।
यह योग लक्ष्मी और सरस्वती दोनों को
पाने की इच्छा देता है। बुध, शुक्र के साथ मिलकर
लगभग ऎसे ही परिणाम देते हैं। शनि के साथ मिलकर
बुध, शनि के कठोर श्रम के गुण को अपनाकर ज्ञान और कला
की वृद्धि का प्रयास करते हैं परन्तु यदि शनि ग्रह का
ठण्डापन भी इस युति पर हावी हो जाता
है तो निराशाजनक सोच जन्म लेती है।
सीखने की गहरी ललक बुध
की कृपा से ही आती है।
बुध बालक हैं और एक बच्चो में ही
सीखने की इच्छा सबसे तीव्र
होती है। जन्मकुण्डली में बुध
शक्तिशाली हों तो यह इच्छा सदा बनी
रहती है। ऎसा व्यक्ति नित नई चीजें
सीखता है और समय की धारा से खुद को
अलग-थलग नहीं होने देता बल्कि उस धारा को अपने
पक्ष में मो़ड लेने को लालायित रहता है। आमोद-प्रमोद और
मनोरंजन बुध का क्षेत्र है।🌹🌹🌹🌹🌹
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अभिव्यक्ति की अद्भुत क्षमता के कारण
ही Public dealingके कार्यो में बुध प्रधान व्यक्ति
सर्वश्रेष्ठ होते हैं। ऎसे व्यक्ति का सर्वश्रेष्ठ कौशल तब निखर
कर आता है जब विषय आर्थिक लेन-देन का हो। बुध ग्रह देने
की अपेक्षा लेने की प्रेरणा देते हैं।
यही कारण है कि बुध वे सभी गुण देते
हैं जिनसे आर्थिक गणित, लाभ में परिवर्तित हो जाती
है। मार्केटिंग के क्षेत्र में सफलता, बुध की कृपा के
बिना मिलना लगभग असंभव है। बुध गणितज्ञ हैं और लाभ के
लिए जो़ड-तो़ड भी बिठा ही लेते हैं।
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बुद्ध
ग्रह को भगवान विष्णु का प्रतिनिधि कहा जा सकता है।
इसीलिए धन, वैभव आदि का संबंध बुध से है। बुध
की दिशा उत्तर है तथा उत्तर दिशा कुबेर का स्थान
भी है। वास्तु-योजना में उत्तर दिशा को
तिजोरी के लिए प्रशस्त बताया गया है। कार्यालयों में
लेखाकार व कैशियर के लिए प्रशस्त स्थान उत्तर दिशा को
ही बताया गया है। बुध के वो प्रमुख गुणधर्म जो
सम्पूर्ण व्यक्तित्व के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते
हैं, वही गुणधर्म यदि अनियंत्रित हो जाएं तो अपराध
की नई गाथा लिख देते हैं। बुध के जन्म के साथ जो
छल, वृतांत रूप में जु़डा हुआ है वह भी कई बार बुध
प्रभावित व्यक्तियों में परिलक्षित होता है। बुध स्वभाव में जो
लचीलापन देते हैं वह कभी-
कभी नियमों व कायदों के उल्लंघन का कारण
भी बन जाता है।🙏🌹
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लाभ् की गणित जब स्वार्थ भावना से अधिक
प्रभावी हो जाती है तो जो़ड-तो़ड प्रपंच
की गणित शुरू हो जाती है। चूंकि बुध,
बुद्धि के कारक हैं अत: अपराध का स्वरूप और हथियार
इसी के अनुरूप हो जाते हैं। इंटरनेट के माध्यम से
होने वाले अपराध, काग$जों में की जाने वाली
हेरा-फेरी आदि प्रतिकूल बुध से ही होते
हैं। हर्षद मेहता, केतन पारीख, तेलगी
आदि व्यक्तियों ने जो आर्थिक अपराध किए उन्हें बुद्धिमत्तापूर्ण
अपराध की श्रेणी में ही रखा
जा सकता है। इस प्रकार बुध विद्या रूपी वह
शक्तिपुंज है जो सकारात्मक हो जाएं तो ज्ञान, संगीत,
ललितकलाएं, मार्केटिंग, वाणी कौशल, लेखन आदि क्षेत्राें
में उन्नति देते हैं परंतु
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यदि नकारात्मक हो जाएं तो व्यक्ति अपराध के ऎसे-ऎसे रास्ते खोज
लेता है जिसकी कल्पना भी दूसरे
नहीं कर सकते। इंटरनेट पर नासा की
वेबसाइट को या इंटरनेट बैंकिंग में किसी के खाते को क्रेक
करना नकारात्मक बुध के कारण ही संभव है।
जन्मपत्रिका में बुध का शुभ होना या शुभ ग्रहों के प्रभाव में होना
एक वरदान है।
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➡⬆🙏बुद्ध का उपाय
⬆➡ इस मंत्र का
ॐ ➡⬆ इस मंत्र का जप 9000 (
लेकिन कलयुग में( 9000×4=36000) ॐ ब्रां
ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:।’)
करवे
⬆➡ नित्य बुधवार गणेश जी को दूर्वा
हल्दी युत चढावे
➡⬆ अछि क्वालिटी गणेश मुखी या 10
मुखी रुद्रक्ष् गले में धरण करे अस्लेसा ,जेष्ठ , व्
रेवती नछत्र में
व् हाथ में पन्ना भी धरण करे
⬆➡ दान-द्रव्य :पन्ना, सोना, कांसी, मूंग, खांड,
घी, हरा कपड़ा, सभी फूल,
हाथी दांत, कपूर, शस्त्र फल। का दान करे जब बुध
की महादशा हो यो आपकी
कुंडली में बुध मारकेश हो
➡⬆ विष्णु भगवान का पूजन करना चाहिए। क्योंकि बुध इनका
पुत्र है(
➡⬆ बुध वार को हरे चारे का दान करे गौसल में व् जब
कुंडली में राहु की दृस्टि बुध पर पड़
रही हो तो प्रत्येक दिन सवा 2 माह तक (राहु काल
में) गोमूत्र का सेवन करे कांसे के पत्र में उत्तर मुखी
होकर काला व् हरा वस्त्र पहन कर केसर का टीका
लगाकर
⬆➡🌹 हिजड़े को बुध के दिन चांदी की
चूड़ी और हरे रंग की साड़ी का
दान करे
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