भरत मेघवाल -!- जालोर
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भगवान श्री कृष्ण को लेकर जालोर के इतिहास में कई कथाएं प्रचलित है। बताया जाता है भगवान श्री कृष्ण जिले के कई गांवों से होकर गुजरे थे।
महाभारत तथा पौराणिक कथानुसार आर्यों की यादव शाखा के नेता बलराम और श्री कृष्ण मरूकांतर ((रेगिस्तानी क्षेत्र))होकर गुजरे। पौराणिक कथाओं में ऐसा उल्लेख है कि कृष्ण भगवान भाद्राजून में अपनी बहिन सुभद्रा से मिलने आए थे। ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण की सहमति से जब अर्जुन यादव कुमारी सुभद्रा का हरण कर सुभद्रा-अर्जुन गांव में दोनों ने विवाह किया था। इसी कारण इस स्थान का नाम सुभद्रा-अर्जुन पड़ा जो कालांतर में भाद्राजून हो गया। सुभद्रा का हरण करने की बात को लेकर भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलभद्र कृष्ण से नाराज हुए। तब भगवान कृष्ण सुभद्रा के पास गए। माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण अपनी बहिन से मिलने इसी मार्ग से होते हुए गए थे।
हल्देश्वर मठ के महंत शीतलाईनाथ के अनुसार भागवत कथा में वर्णित है कि भगवान श्री कृष्ण अपनी बहन के पास जाने से पहले हल्देश्वर मठ में कुछ देर विश्राम किया था। उन्होंने अपने रथ व घोड़े को हल्देश्वर मठ जालोर के पास छोड़ा था। यहां से वे जालोर स्थित जलंधरनाथजी के धुने पर दर्शन करने गए, जहां उन्होंने जलंधरनाथजी से आशीर्वाद लिया। इसके बाद वे रायथल होते हुए भाद्राजून गए और अपनी बहन तथा अर्जुन को आशीर्वाद दिया।
नाथ बताते है कि ऐसा कहा जाता है उस समय हल्देश्वर मठ के आस पास जंगल ही था, जालोर किले की दूसरी तरफ था। मोहनलाल गुप्ता लिखित पुस्तक जालोर जिले का सांस्कृतिक इतिहास में सुभद्रा अर्जुन के भाद्राजून में विवाह करने तथा अपनी बहन सुभद्रा को आशीर्वाद देने से पूर्व कृष्ण का जालोर के वर्तमान हल्देश्वर मठ में विश्राम करने का वर्णन लिखा है।