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एक U.p. के लडके को जॉब नही मिली


एक U.p. के लडके को

जॉब नही मिली

तो उसने क्लिनिक खोला और
बाहर लिखा
तीन सौ रूपये मे ईलाज करवाये
ईलाज नही हुआ तो एक हजार रुपये वापिस

एक मुल्ले ने सोचा कि एक हजार रूपये कमाने का अच्छा मौका है
वो क्लिनिक पर गया
और बोला
मुझे किसी भी चीज का स्वाद नही आता I
U.p. का लड़का :

बॉक्स नं. २२ से दवा निकालो
और 3 बूँद पिलाओ
नर्स ने पिला दी

मुल्ला : ये तो पेट्रोल है
U.p. का लड़का :

मुबारक हो आपको टेस्ट महसूस हो गया

लाओ तीन सौ रूपये
मुल्ला , को गुस्सा आ गया

कुछ दिन बाद फिर वापिस गया

पुराने पैसे वसुल करने
मुल्ला : साहव मेरी याददास्त

कमजोर हो गई है ।
U.p. का लड़का :

बाँक्स नं, २२ से दवा निकालो और 3 बूँद पिलाओ
मुल्ला : लेकिन वो दवा तो जुबान की टेस्ट के लिए है
U.p. का लड़का

ये लो तुम्हारी याददास्त भी वापस आ गई

लाओ तीन सौ रूपए

इस बार मुल्ला गुस्से मे गया

-मेरी नजर कम हो गई है
U.p. का लड़का :

इसकी दवाई मेरे पास नही है I

लो एक हजार रुपये ।

मुल्ला -,यह तो सौ का नोट है ।, U.p. का लड़का

आ गई नजर।
ला तीन सौ रूपये ।।

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तुम मुसलमान हो मुझे दिक्कत नही है तुम ईसाई हो मुझे दिक्कत नही है मै हिन्दू हूँ तो तुम्हे दिक्कत है.?


तुम मुसलमान हो

मुझे दिक्कत नही है

तुम ईसाई हो

मुझे दिक्कत नही है

 

मै हिन्दू हूँ तो तुम्हे दिक्कत है.?

 

फिर तो तुम

दिक्कत मे रहोगे हमेशा

क्योंकि

मै गर्वित कट्टर हिन्दू हूँ.।

 

पाक से लेकर पेरिस तक कहीं भी आतकी हमला हो तो

एक ही कौम

एक ही महजब

और

एक ही मानसिकता वाले

लोगो पर शक जाता है

और

वो शक सच साबित भी होता है

 

तो कैसे मैं कह दूँ आतंकवाद का

कोई महजब नही होता.?

 

1 गांधी मरा,

6000 ब्राहमणों को मारा गया ।

 

1 इंदिरा गांधी मरी,

4700 सिखों को मारा गया ।

 

1 दामिनी को दर्दनाक मौत दी गयी,

1 मोमबत्ती जली ।

 

मुस्लमान वन्दे मातरम न बोले

तो ये उन का धार्मिक मामला है ।

 

नरेन्द्र मोदी टोपी ना पहने

तो ये साला सांप्रदायिक मामला है.?

 

डेनमार्क में अगर कोई फोटो बन गयी तो उस का सर कलम ।

 

श्रीराम की जमीन पर अगर मंदिर बनाने को बोला जाये तो हिन्दू बेशर्म.?

 

गोधरा में जो 50-60 हिन्दू ट्रेन में जले

वो सब भेड़ बकरी थे,

 

और उसके बाद जो मुस्लिम मरे वो देश के सच्चे प्रहरी.?

 

15 साल पहले ही कश्मीर हो गयी हिन्दुओ से खाली,

 

देश की बढती मुस्लिम आबादी हमारी खुशहाली.?

 

पठानी सूत,

नमाजी टोपी में

वो ख़ूबसूरत,

 

हम सिर्फ तिलक लगा लें या

राम कह दे तो

भगवा आतंक की मूरत.?

 

कोई लड़ता है यहाँ

पाकिस्तान के लिए,

कोई लड़ता है उर्दू जुबान के लिए,

 

सब चुप हो जाते हैं

श्री राम नाम के लिए,

 

अब तो गूंजते हैं नारे

तालिबान के लिए,

 

हिन्दू परेशान है

नौकरी और दुकान के लिए।

 

मैं पूछता हूँ इसका

समाधान कहाँ है.?

 

अरे तुम ही बोलो

हिन्दू का हिन्दुस्तान

कहां है.?

 

जिसकी तलवार की छनक से अकबर का दिल घबराता था

 

वो अजर अमर वो शूरवीर वो महाराणा कहलाता था

 

फीका पड़ता था

तेज सूरज का,

जब माथा ऊंचा करत था ,

 

थी तुझमे कोई बात राणा,

अकबर भी तुझसे डरता था

 

पुत्र मैं भवानी का….

मुझ पर किसका जोर…

 

काट दूंगा हर वो सर..

जो उठा मेरे धर्म की ओर..

 

भुल जाओ अपनी जात…

करो सिर्फ  धर्म की बात…

 

एकबार नही….

सौ बार सही…

हर बार यही दोहरायेगे…

 

जहाँ जन्म हुआ …

प्रभु श्री राम जी का …

मंदिर वहीं बनायेंगे ..

 

हिन्दुस्तान की सभी हिंदुत्व संगठन एक बनाऐ !!

इंडिया नहीं हमें हिन्दुस्तान चाहिये !!

 

!!अहींसा परमो धर्मःधर्महिंसा तदैव च:!!

 

अगर हिंदुत्व का खून हो तो share करना नही भूलना ….. ।।

 

🚩जय हिंद🚩

🚩जय श्रीराम🚩

🚩गर्व से कहो हम हिंदु है🚩

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हनुमान चालीसा में एक श्लोक है:-


हनुमान चालीसा में एक श्लोक है:-

जुग (युग) सहस्त्र जोजन (योजन) पर भानु |

लील्यो ताहि मधुर फल जानू ||

अर्थात हनुमानजी ने

एक युग सहस्त्र योजन दूरी पर

स्थित भानु अर्थात सूर्य को

मीठा फल समझ के खा लिया था |

 

1 युग = 12000 वर्ष

1 सहस्त्र = 1000

1 योजन = 8 मील

 

युग x सहस्त्र x योजन = पर भानु

12000 x 1000 x 8 मील = 96000000 मील

 

1 मील = 1.6 किमी

96000000 x 1.6 = 1536000000 किमी

 

अर्थात हनुमान चालीसा के अनुसार

सूर्य पृथ्वी से 1536000000 किमी  की दूरी पर है |

NASA के अनुसार भी सूर्य पृथ्वी से बिलकुल इतनी ही दूरी पर है|

 

इससे पता चलता है की हमारा पौराणिक साहित्य कितना सटीक एवं वैज्ञानिक है ,

इसके बावजूद इनको बहुत कम महत्व दिया जाता है |

.

भारत के प्राचीन साहित्य की सत्यता को प्रमाणित करने वाली ये जानकारी अवश्य शेयर करें |

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अगर हिंदू धर्म बुरा है :-


अगर हिंदू धर्म बुरा है :-

(1) तो क्यो

“नासा-के-वैज्ञानीको”

ने माना की

सूरज

से

“”

” ॐ ”

”  ”

की आवाज निकलती है?

(2) क्यो ‘अमेरिका’ ने

“भारतीय – देशी – गौमुत्र”  पर

4 Patent लिया ,

व,

कैंसर और दूसरी बिमारियो के

लिये दवाईया बना रहा है ?

जबकी हम

”  गौमुत्र  ”

का महत्व

हजारो साल पहले से जानते है,

 

(3) क्यो अमेरिका के

‘सेटन-हाल-यूनिवर्सिटी’ मे

“गीता”

पढाई जा रही है?

 

(4) क्यो इस्लामिक देश  ‘इंडोनेशिया’.       के Aeroplane का नाम

“भगवान नारायण के वाहन गरुड” के नाम पर  “Garuda Indonesia”  है, जिसमे  garuda  का symbol भी है?

 

(5) क्यो इंडोनेशिया के

रुपए पर

“भगवान गणेश”

की फोटो है?

 

(6) क्यो  ‘बराक-ओबामा’  हमेशा अपनी जेब मे

“हनुमान-जी”

की फोटो रखते है?

 

(7) क्यो आज

पूरी दुनिया

“योग-प्राणायाम”

की दिवानी है?

 

(8) क्यो  भारतीय-हिंदू-वैज्ञानीको”

ने

‘ हजारो साल पहले ही ‘

बता दिया  की

धरती गोल है ?

 

(9) क्यो जर्मनी के Aeroplane का

संस्कृत-नाम

“Luft-hansa”

है ?

 

(10) क्यो हिंदुओ के नाम पर  ‘अफगानिस्थान’  के पर्वत का नाम

“हिंदूकुश”  है?

(11) क्यो हिंदुओ के नाम पर

हिंदी भाषा,

हिन्दुस्तान,

हिंद महासागर

ये सभी नाम है?

 

(12) क्यो  ‘वियतनाम देश’  मे

“Visnu-भगवान”  की

4000-साल पुरानी मूर्ति पाई

गई?

 

(13) क्यो अमेरिकी-वैज्ञानीक

Haward ने,

शोध के बाद माना –

की

 

“गायत्री मंत्र मे  ” 110000 freq ”

 

के कंपन है?

 

(14) क्यो  ‘बागबत की बडी मस्जिद के इमाम’

ने

“सत्यार्थ-प्रकाश”

पढने के बाद हिंदू-धर्म अपनाकर,

“महेंद्रपाल आर्य”  बनकर,

हजारो मुस्लिमो को हिंदू बनाया,

और वो कई-बार

‘जाकिर-नाईक’ से

Debate के लिये कह चुके है,

मगर जाकिर की हिम्म्त नही हुइ,

 

(15) अगर हिंदू-धर्म मे

“यज्ञ”

करना

अंधविश्वास है,

तो ,

क्यो  ‘भोपाल-गैस-कांड’   मे,

जो    “कुशवाह-परिवार”  एकमात्र बचा,

जो उस समय   यज्ञ   कर रहा था,

 

(16) ‘गोबर-पर-घी जलाने से’

“१०-लाख-टन आक्सीजन गैस”

बनती है,

 

(17) क्यो “Julia Roberts”

(American actress and producer)

ने हिंदू-धर्म

अपनाया और

वो हर रोज

“मंदिर”

जाती है,

 

(18)

अगर

“रामायण”

झूठा है,

तो क्यो दुनियाभर मे केवल

“राम-सेतू”

के ही पत्थर आज भी तैरते है?

 

(19) अगर  “महाभारत”  झूठा है,

तो क्यो भीम के पुत्र ,

”घटोत्कच”

का विशालकाय कंकाल,

वर्ष 2007 में

‘नेशनल-जिओग्राफी’ की टीम ने,

‘भारतीय-सेना की सहायता से’

उत्तर-भारत के इलाके में खोजा?

 

(20) क्यो अमेरिका के सैनिकों को,

अफगानिस्तान (कंधार) की एक

गुफा में ,

5000 साल पहले का,

महाभारत-के-समय-का

“विमान”

मिला है?

 

ये जानकारिया आप खुद google मे search कर

सकते है . …..

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सन् 1528 में मीर बाक़ी ने अयोध्या में बाबरी ढांचा बनवाया था, सन् 1528 में भारत के इतिहास की शुरुआत नहीं हुई थी!


सन् 1528 में मीर बाक़ी ने अयोध्या में बाबरी ढांचा बनवाया था, सन् 1528 में भारत के इतिहास की शुरुआत नहीं हुई थी!

 

कथा इससे बहुत बहुत पुरानी है, बंधु. श्रीराम के मिथक से जुड़े लोक और शास्त्र के संपूर्ण वांग्मय में अहर्निश उल्लेख है अवधपुरी और सरयू सरिता का. पुरातात्त्विक सर्वेक्षण के अटल साक्ष्य हैं. परंपरा की साखी है. कोई इससे चाहकर भी इनकार नहीं कर सकता.

 

विवाद किस बात पर है? सन् 1528 में रामजन्मभूमि पर बाबरी ढांचे का बलात् निर्माण ही एक आक्रांताजनित दुर्भावना का परिचायक था. वह स्वयं एक भूल थी. भूलसुधार का तो स्वागत किया जाना चाहिए ना.

 

अदालत कहती है, दोनों पक्ष थोड़ा दें और थोड़ा लें. लेकिन दो पक्ष हैं ही कहां? एक ही पक्ष है. हमलावर का पक्ष कबसे होने लगा? रामायण की रचना क्या अदालत ने की थी? लोकभावना का सृजन अदालत ने किया था? अदालतें इतिहास की पुनर्रचना कबसे करने लगीं?

 

हर चीज़ की एक सीमा होती है. हर बात पर पीछे हटने की भी. आपको सल्तनत की हुक़ूमत भी चाहिए, आपको लूट के ऐवज़ में हिंदुस्तान का बंटवारा भी चाहिए, आपको बदले में भाईचारे की नीयत और सेकुलरिज़्म की शर्त भी चाहिए, आपको कश्मीर और हैदराबाद भी चाहिए, आपको तीन तलाक़ भी चाहिए, आपको बाबरी की निशानी भी चाहिए. हवस की एक हद होती है!

 

वे कहते हैं हज़ार साल पुरानी कड़वाहट दिल में रखकर क्या होगा, आज तो हम एक हैं. मैं कहता हूं ये नेक ख़याल है. तो क्यों नहीं आप ज़ख़्मों को हरा करने वाली कड़वाहट की एक ग़ैरजायज़ निशानी से अपना दावा वापस लेकर नेकनीयती का सबूत देते? भाईचारे की बुनियादी शर्त है, इसका निर्वाह आपने ही करना है. सो प्लीज़, ले-ऑफ़!

 

कुछ लोग कहते हैं वहां हस्पताल बनवा दीजिए. अजब अहमक़ हैं. आप अपने घर की रजिस्ट्री सरेंडर करके उस पर हस्पताल बनवा दीजिए ना. क़ाबा में हस्पताल बनवाइए, यरूशलम में बनवाइए. रामजन्मभूमि पर ही यह मेहरबानी किसलिए?

 

कुछ कहते हैं ये कोई इशू नहीं है, ग़रीबी बेरोज़गारी इशू हैं. हद है! दादरी इशू है, वेमुला इशू है, जेएनयू इशू है, एनडीटीवी इशू है, एक यही इशू नहीं है. दुनिया जहान की चीज़ों पर आप बात करेंगे, इसके उल्लेख पर आपको ग़रीबी बेरोज़गारी याद आ जाएगी.

 

सनद रहे : सवाल मंदिर का है ही नहीं. मैं यूं भी घोर अनीश्वरवादी हूं और देवस्थलों की देहरी नहीं चढ़ता. किंतु सवाल ऐतिहासिक न्याय का है, जातीय अस्मिता का है. कुछ चीज़ों का प्रतीकात्मक महत्व होता है. यह संदेश देना ज़रूरी होता है कि हम हर बार पीछे नहीं हट सकते. कोई भी स्वाभिमानी क़ौम ऐसा नहीं कर सकती.

 

आप अपना दावा छोड़िए, आपका दावा नाजायज़ है. अवधपुरी का इतिहास 1528 में प्रारंभ नहीं हुआ था, 1528 में तो उस पर कालिख लगी थी.

 

मंदिर वहीं बनेगा।

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भगवान कृष्ण के खिलाफ केस


*पोलैंड में,*

*भगवान कृष्ण के खिलाफ केस*–

 

दुनिया भर में तेजी से बढ़ता हिंदू धर्म का प्रभाव देखिये कि वारसॉ, पोलैंड में एक नन ने इस्कॉन के खिलाफ एक मामला अदालत में दायर किया था ! नन ने अदालत में टिप्पणी की कि इस्कॉन अपनी गतिविधियों को पोलैंड और दुनिया भर में फैला रहा है, और पोलैंड में इस्कॉन ने अपने बहुत से अनुयायी तैयार कर लिए है ! अत: वह इस्कॉन पर प्रतिबन्ध चाहती है क्योंकि उसके अनुयायियों द्वारा उस ‘कृष्णा’ को महिमा मंडित किया जा रहा है, जो ढीले चरित्र का था और जिसने १६,००० गोपियों से शादी कर रखी थी ! इस्कॉन के वकील ने न्यायाधीश से अनुरोध किया : “आप कृपया इस नन से वह शपथ दोहराने के लिए कहें, जो उसने नन बनते वक्त ली थी” न्यायाधीश ने नन से कहा कि वह जोर से वह शपथ सुनाये, लेकिन वह ऐसा नहीं करना चाहती थी ! फिर इस्कॉन के वकील ने खुद ही वह शपथ पढ़कर सुनाने की न्यायाधीश से अनुमति माँगी ! न्यायाधीश ने आज्ञा दे दी , इस्कॉन के वकील ने कहा पुरे विश्व में नन बनते समय लड़कियां यह शपथ लेती है कि “मै जीजस को अपना पति स्वीकार करती हूँ और उनके अलावा किसी अन्य पुरुष से शारीरिक सम्बन्ध नहीं बनाउंगी”. इस्कॉन के वकील ने कहा, “न्यायाधीश महोदय ! तो यह बताइये कि अब से पहले कितने लाख ननों ने जीसस से विवाह किया और भविष्य में कितनी नन जीसस से विवाह और करेंगी. भगवान कृष्ण पर तो सिर्फ यह आरोप है कि उन्होंने 16,000 गोपियों से शादी की थी, मगर दुनिया में दस लाख से भी अधिक नने हैं, जिन्होंने यह शपथ ली है कि उन्होंने यीशु मसीह से शादी कर रखी है! अब आप ही बताइये कि यीशु मसीह और श्री कृष्ण में से कौन अधिक लूज कैरेक्टर (निम्न चरित्र) हैं? साथ ही ननो के चरित्र के बारे में आप क्या कहेंगे? न्यायाधीश ने दलील सुनने के बाद मामले को खारिज कर दिया !

⛳⛳

*जय श्री कृष्णा ।।⛳⛳⛳*

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National


  1. National Sister – Mamta Banerjee

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  1. National Girlfriend – Sunny Leone

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  1. National Tension – Salman Khan’s Marriage

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  1. National Bachelor – Rahul Gandhi

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  1. National food – Kasam

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  1. National Struggler – Abhishek Bachchan

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  1. National Judge – Archana Puran Singh

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  1. National Mom – Jaya Lalita

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  1. National Jamaai – Robert Vadra

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  1. National Book – Face Book

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  1. National Robot -Manmohan Singh

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  1. National Bank – Swiss Bank

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  1. National God – Sachin Tendulkar

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  1. National Show – the Kapil sharma show

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  1. National Tiger – Narendra Modi

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16: National Time Pass :

Whatsapp

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Amul – The taste of India

 

Babool – The paste of India

 

Rahul Gandhi – The waste of India

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Modi – The best of India

 

Sonia – The guest of India:

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अयोध्या की कहानी जिसे पढ़पकर आप रो पड़ेंगे।


अयोध्या की कहानी जिसे पढ़पकर आप रो पड़ेंगे।

कृपया इस लेख को पढ़ें, तथा प्रत्येक हिन्दूँ मिञों को अधिक से अधिक शेयर करें।

जब बाबर दिल्ली की गद्दी पर आसीन हुआ उस समय जन्म भूमि सिद्ध महात्मा श्यामनन्द जी महाराज के

अधिकार क्षेत्र में थी। महात्मा श्यामनन्द की ख्याति सुन कर ख्वाजा कजल अब्बास मूसा आशिकान अयोध्या आये । महात्मा जी के शिष्य बनकर ख्वाजा कजल अब्बास मूसा ने योग और सिद्धियाँ प्राप्त कर ली और उनका नाम भी महात्मा श्यामनन्द के ख्यातिप्राप्त शिष्यों में लिया जाने लगा।

ये सुनकर जलालशाह नाम का एक फकीर भी महात्मा श्यामनन्द के पास आया और उनका शिष्य बनकर सिद्धियाँ प्राप्त करने लगा। जलालशाह एक कट्टर मुसलमान था, और उसको एक ही सनक थी,

हर जगह इस्लाम का आधिपत्य साबित करना । अत:

जलालशाह ने अपने काफिर गुरू की पीठ में छुरा घोंप कर ख्वाजा कजल अब्बास मूसा के साथ मिलकर ये विचार किया की यदि इस मदिर को तोड़ कर मस्जिद

बनवा दी जाये तो इस्लाम का परचम हिन्दुस्थान में स्थायी हो जायेगा। धीरे धीरे जलालशाह और ख्वाजा कजल अब्बास मूसा इस साजिश को अंजाम देने की तैयारियों में जुट गए ।

सर्वप्रथम जलालशाह और ख्वाजा बाबर के विश्वासपात्र बने और दोनों ने अयोध्या को खुर्द मक्का बनाने के लिए जन्मभूमि के आसपास की जमीनों में बलपूर्वक मृत मुसलमानों को दफन करना शुरू किया॥ और मीरबाँकी खां के माध्यम से बाबर को उकसाकर मंदिर के विध्वंस का कार्यक्रम बनाया। बाबा श्यामनन्द जी अपने मुस्लिम शिष्यों की करतूत देख के बहुत दुखी हुए और अपने निर्णय पर उन्हें बहुत पछतावा हुआ।

 

दुखी मन से बाबा श्यामनन्द जी ने रामलला की मूर्तियाँ सरयू में प्रवाहित किया और खुद हिमालय की और

तपस्या करने चले गए। मंदिर के पुजारियों ने मंदिर के अन्य सामान आदि हटा लिए और वे स्वयं मंदिर के द्वार पर रामलला की रक्षा के लिए खड़े हो गए। जलालशाह

की आज्ञा के अनुसार उन चारो पुजारियों के सर काट

लिए गए. जिस समय मंदिर को गिराकर मस्जिद बनाने

की घोषणा हुई उस समय भीटी के राजा महताब सिंह

बद्री नारायण की यात्रा करने के लिए निकले थे,अयोध्या पहुचने पर रास्ते में उन्हें ये खबर मिली तो उन्होंने अपनी यात्रा स्थगित कर दी और अपनी छोटी सेना में रामभक्तों को शामिल कर १ लाख चौहत्तर हजार लोगो के साथ बाबर की सेना के ४ लाख ५० हजार सैनिकों से लोहा लेने निकल पड़े।

रामभक्तों ने सौगंध ले रक्खी थी रक्त की आखिरी बूंद तक लड़ेंगे जब तक प्राण है तब तक मंदिर नहीं गिरने

देंगे। रामभक्त वीरता के साथ लड़े ७० दिनों तक घोर संग्राम होता रहा और अंत में राजा महताब सिंह समेत

सभी १ लाख ७४ हजार रामभक्त मारे गए। श्रीराम जन्म भूमि रामभक्तों के रक्त से लाल हो गयी। इस भीषण

कत्ले आम के बाद मीरबांकी ने तोप लगा के मंदिर गिरवा दिया । मंदिर के मसाले से ही मस्जिद का निर्माण हुआ

पानी की जगह मरे हुए हिन्दुओं का रक्त इस्तेमाल किया गया नीव में लखौरी इंटों के साथ ।

इतिहासकार कनिंघम अपने लखनऊ गजेटियर के 66वें अंक के पृष्ठ 3 पर लिखता है की एक लाख चौहतर हजार हिंदुओं की लाशें गिर जाने के पश्चात मीरबाँकी अपने मंदिर ध्वस्त करने के अभियान मे सफल हुआ और उसके बाद जन्मभूमि के चारो और तोप लगवाकर मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया..

इसी प्रकार हैमिल्टन नाम का एक अंग्रेज बाराबंकी गजेटियर में लिखता है की ” जलालशाह ने हिन्दुओं के खून का गारा बना के लखौरी ईटों की नीव मस्जिद बनवाने के लिए दी गयी थी।

उस समय अयोध्या से ६ मील की दूरी पर सनेथू नाम का एक गाँव के पंडित देवीदीन पाण्डेय ने वहां के आस पास के गांवों सराय सिसिंडा राजेपुर आदि के सूर्यवंशीय क्षत्रियों को एकत्रित किया॥ देवीदीन पाण्डेय ने सूर्य वंशीय क्षत्रियों से कहा भाइयों आप लोग मुझे अपना राजपुरोहित मानते हैं ..अप के पूर्वज श्री राम थे

और हमारे पूर्वज महर्षि भरद्वाज जी। आज मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की जन्मभूमि को मुसलमान आक्रान्ता कब्रों से पाट रहे हैं और खोद रहे हैं इस परिस्थिति में हमारा मूकदर्शक बन कर जीवित रहने की बजाय जन्म भूमि की रक्षार्थ युद्ध करते करते वीरगति पाना ज्यादा उत्तम होगा॥

 

देवीदीन पाण्डेय की आज्ञा से दो दिन के भीतर ९० हजार क्षत्रिय इकठ्ठा हो गए दूर दूर के गांवों से लोग समूहों में इकठ्ठा हो कर देवीदीन पाण्डेय के नेतृत्व में जन्मभूमि पर

जबरदस्त धावा बोल दिया । शाही सेना से लगातार ५ दिनों तक युद्ध हुआ । छठे दिन मीरबाँकी का सामना देवीदीन पाण्डेय से हुआ उसी समय धोखे से उसके अंगरक्षक ने एक लखौरी ईंट से पाण्डेय जी की खोपड़ी पर वार कर दिया। देवीदीन पाण्डेय का सर बुरी तरह फट गया मगर उस वीर ने अपने पगड़ी से खोपड़ी से बाँधा और तलवार से उस कायर अंगरक्षक का सर काट दिया।

इसी बीच मीरबाँकी ने छिपकर गोली चलायी जो पहले

ही से घायल देवीदीन पाण्डेय जी को लगी और वो जन्म भूमि की रक्षा में वीर गति को प्राप्त हुए.. जन्मभूमि फिर से 90 हजार हिन्दुओं के रक्त से लाल हो गयी। देवीदीन पाण्डेय के वंशज सनेथू ग्राम के ईश्वरी पांडे का पुरवा नामक जगह पर अब भी मौजूद हैं॥

पाण्डेय जी की मृत्यु के १५ दिन बाद हंसवर के महाराज

रणविजय सिंह ने सिर्फ २५ हजार सैनिकों के साथ

मीरबाँकी की विशाल और शस्त्रों से सुसज्जित सेना से

रामलला को मुक्त कराने के लिए आक्रमण किया । 10

दिन तक युद्ध चला और महाराज जन्मभूमि के रक्षार्थ

वीरगति को प्राप्त हो गए। जन्मभूमि में 25 हजार हिन्दुओं का रक्त फिर बहा। रानी जयराज कुमारी हंसवर के स्वर्गीय महाराज रणविजय सिंह की पत्नी थी।

 

जन्मभूमि की रक्षा में महाराज के वीरगति प्राप्त करने के बाद महारानी ने उनके कार्य को आगे बढ़ाने का बीड़ा उठाया और तीन हजार नारियों की सेना लेकर उन्होंने जन्मभूमि पर हमला बोल दिया और हुमायूं के समय तक उन्होंने छापामार युद्ध जारी रखा। रानी के गुरु स्वामी महेश्वरानंद जी ने रामभक्तों को इकठ्ठा करके सेना का प्रबंध करके जयराज कुमारी की सहायता की। साथ

ही स्वामी महेश्वरानंद जी ने सन्यासियों की सेना बनायीं इसमें उन्होंने २४ हजार सन्यासियों को इकठ्ठा किया और रानी जयराज कुमारी के साथ , हुमायूँ के समय में कुल १० हमले जन्मभूमि के उद्धार के लिए किये। १०वें हमले में शाही सेना को काफी नुकसान हुआ और जन्मभूमि पर

रानी जयराज कुमारी का अधिकार हो गया।

लेकिन लगभग एक महीने बाद हुमायूँ ने पूरी ताकत से

शाही सेना फिर भेजी ,इस युद्ध में स्वामी महेश्वरानंद

और रानी कुमारी जयराज कुमारी लड़ते हुए अपनी बची हुई सेना के साथ मारे गए और जन्मभूमि पर पुनः मुगलों का अधिकार हो गया। श्रीराम जन्मभूमि एक बार फिर कुल 24 हजार सन्यासियों और 3 हजार वीर नारियों के रक्त से लाल हो गयी। रानी जयराज कुमारी और स्वामी महेश्वरानंद जी के बाद यद्ध का नेतृत्व स्वामी बलरामचारी जी ने अपने हाथ में ले लिया। स्वामी बलरामचारी जी ने गांव गांव में घूम कर रामभक्त हिन्दू युवकों और सन्यासियों की एक मजबूत सेना तैयार करने का प्रयास किया और जन्मभूमि के उद्धारार्थ २० बार आक्रमण किये. इन २० हमलों में काम से काम १५ बार स्वामी बलरामचारी ने जन्मभूमि पर अपना अधिकार कर लिया मगर ये अधिकार अल्प समय के लिए रहता था थोड़े दिन बाद बड़ी शाही फ़ौज आती थी और जन्मभूमि पुनः मुगलों के अधीन हो जाती थी..जन्मभूमि में लाखों हिन्दू

बलिदान होते रहे। उस समय का मुग़ल शासक अकबर था।

 

शाही सेना हर दिन के इन युद्धों से कमजोर हो रही थी..

अतः अकबर ने बीरबल और टोडरमल के कहने पर खस

की टाट से उस चबूतरे पर ३ फीट का एक छोटा सा मंदिर बनवा दिया.

लगातार युद्ध करते रहने के कारण स्वामी बलरामचारी का स्वास्थ्य गिरता चला गया था और प्रयाग कुम्भ के अवसर पर त्रिवेणी तट पर स्वामी बलरामचारी की मृत्यु

हो गयी ..

इस प्रकार बार-बार के आक्रमणों और हिन्दू जनमानस के

रोष एवं हिन्दुस्थान पर मुगलों की ढीली होती पकड़ से

बचने का एक राजनैतिक प्रयास की अकबर की इस कूट नीति से कुछ दिनों के लिए जन्मभूमि में रक्त नहीं बहा।

 

यही क्रम शाहजहाँ के समय भी चलता रहा। फिर औरंगजेब के हाथ सत्ता आई वो कट्टर मुसलमान था और

उसने समस्त भारत से काफिरों के सम्पूर्ण सफाये का संकल्प लिया था। उसने लगभग 10 बार अयोध्या मे मंदिरों को तोड़ने का अभियान चलकर यहाँ के सभी प्रमुख मंदिरों की मूर्तियों को तोड़ डाला।

औरंगजेब के हाथ सत्ता आई वो कट्टर मुसलमान था और

उसने समस्त भारत से काफिरों के सम्पूर्ण सफाये का संकल्प लिया था। उसने लगभग 10 बार अयोध्या मे

मंदिरों को तोड़ने का अभियान चलकर यहाँ के सभी प्रमुख मंदिरों की मूर्तियों को तोड डाला।

औरंगजेब के समय में समर्थ गुरु श्री रामदास जी महाराज जी के शिष्य श्री वैष्णवदास जी ने जन्मभूमि के

उद्धारार्थ 30 बार आक्रमण किये। इन आक्रमणों मे

अयोध्या के आस पास के गांवों के सूर्यवंशीय क्षत्रियों ने

पूर्ण सहयोग दिया जिनमे सराय के ठाकुर सरदार गजराज सिंह और राजेपुर के कुँवर गोपाल सिंह

तथा सिसिण्डा के ठाकुर जगदंबा सिंह प्रमुख थे। ये सारे

वीर ये जानते हुए भी की उनकी सेना और हथियार बादशाही सेना के सामने कुछ भी नहीं है अपने जीवन के

आखिरी समय तक शाही सेना से लोहा लेते रहे। लम्बे समय तक चले इन युद्धों में रामलला को मुक्त कराने के लिए हजारों हिन्दू वीरों ने अपना बलिदान दिया और

अयोध्या की धरती पर उनका रक्त बहता रहा।

ठाकुर गजराज सिंह और उनके साथी क्षत्रियों के

वंशज

आज भी सराय मे मौजूद हैं। आज भी फैजाबाद जिले के आस पास के सूर्यवंशीय क्षत्रिय सिर पर पगड़ी नहीं बांधते,जूता नहीं पहनते, छता नहीं लगाते, उन्होने अपने पूर्वजों के सामने ये प्रतिज्ञा ली थी की जब तक श्री राम जन्मभूमि का उद्धार नहीं कर लेंगे तब तक जूता नहीं पहनेंगे,छाता नहीं लगाएंगे, पगड़ी नहीं पहनेंगे। 1640

ईस्वी में औरंगजेब ने मन्दिर को ध्वस्त करने के लिए जबांज खाँ के नेतृत्व में एक जबरजस्त सेना भेज दी थी, बाबा वैष्णव दास के साथ साधुओं की एक सेना थी जो हर विद्या मे निपुण थी इसे चिमटाधारी साधुओं की सेना भी कहते थे । जब जन्मभूमि पर जबांज खाँ ने आक्रमण किया तो हिंदुओं के साथ चिमटाधारी साधुओं की सेना की सेना मिल गयी और उर्वशी कुंड नामक जगह पर

जाबाज़ खाँ की सेना से सात दिनों तक भीषण युद्ध

किया ।

चिमटाधारी साधुओं के चिमटे के मार से मुगलों की सेना भाग खड़ी हुई। इस प्रकार चबूतरे पर स्थित मंदिर की रक्षा हो गयी । जाबाज़ खाँ की पराजित सेना को देखकर औरंगजेब बहुत क्रोधित हुआ और उसने जाबाज़ खाँ को हटाकर एक अन्य सिपहसालार सैय्यद हसन अली को 50 हजार सैनिकों की सेना और तोपखाने के साथ

अयोध्या की ओर भेजा और साथ मे ये आदेश दिया की अबकी बार जन्मभूमि को बर्बाद करके वापस आना है ,यह समय सन् 1680 का था । बाबा वैष्णव दास ने सिक्खों के गुरु गुरुगोविंद सिंह से युद्ध मे सहयोग के लिए पत्र के माध्यम संदेश भेजा । पत्र पाकर गुरु गुरुगोविंद सिंह सेना समेत तत्काल अयोध्या आ गए और ब्रहमकुंड पर अपना डेरा डाला । ब्रहमकुंड वही जगह जहां आज कल गुरुगोविंद सिंह की स्मृति मे सिक्खों का गुरुद्वारा बना हुआ है। बाबा वैष्णव दास एवं सिक्खों के गुरुगोविंद सिंह रामलला की रक्षा हेतु एकसाथ रणभूमि में कूद पड़े। इन वीरों कें सुनियोजित हमलों से मुगलो की सेना के पाँव उखड़ गये सैय्यद हसन अली भी युद्ध मे मारा गया। औरंगजेब हिंदुओं की इस प्रतिक्रिया से स्तब्ध रह गया था और इस युद्ध के बाद 4 साल तक उसने अयोध्या पर हमला करने की हिम्मत नहीं की। औरंगजेब ने सन् 1664 मे एक बार फिर श्री राम जन्मभूमि पर आक्रमण किया । इस भीषण हमले में शाही फौज ने लगभग 10 हजार से ज्यादा हिंदुओं की हत्या कर दी नागरिकों तक को नहीं छोड़ा। जन्मभूमि हिन्दुओं के रक्त से लाल हो गयी। जन्मभूमि के अंदर नवकोण के एक कंदर्प कूप नाम का कुआं था, सभी मारे गए हिंदुओं की लाशें मुगलों ने उसमे फेककर चारों ओर चहारदीवारी उठा कर उसे घेर दिया।

आज भी कंदर्पकूप “गज शहीदा” के नाम से प्रसिद्ध है, और जन्मभूमि के पूर्वी द्वार पर स्थित है। शाही सेना ने जन्मभूमि का चबूतरा खोद डाला बहुत दिनो तक वह

चबूतरा गड्ढे के रूप मे वहाँ स्थित था । औरंगजेब के क्रूर

अत्याचारो की मारी हिन्दू जनता अब उस गड्ढे पर ही श्री रामनवमी के दिन भक्तिभाव से अक्षत,पुष्प और जल चढाती रहती थी. नबाब सहादत अली के समय 1763 ईस्वी में जन्मभूमि के रक्षार्थ अमेठी के राजा गुरुदत्त सिंह और पिपरपुर के राजकुमार सिंह के नेतृत्व मे बाबरी ढांचे पर पुनः पाँच आक्रमण किये गये जिसमें हर बार हिन्दुओं

की लाशें अयोध्या में गिरती रहीं। लखनऊ गजेटियर

मे कर्नल हंट लिखता है की “लगातार हिंदुओं के हमले से ऊबकर नबाब ने हिंदुओं और मुसलमानो को एक साथ नमाज पढ़ने और भजन करने की इजाजत दे दी पर सच्चा मुसलमान होने के नाते उसने काफिरों को जमीन नहीं सौंपी।

“लखनऊ गजेटियर पृष्ठ 62” नासिरुद्दीन हैदर के समय मे मकरही के राजा के नेतृत्व में जन्मभूमि को पुनः अपने रूप मे लाने के लिए हिंदुओं के तीन आक्रमण हुये जिसमें

बड़ी संख्या में हिन्दू मारे गये। परन्तु तीसरे आक्रमण में डटकर नबाबी सेना का सामना हुआ 8वें दिन हिंदुओं की शक्ति क्षीण होने लगी ,जन्मभूमि के मैदान मे हिन्दुओं और मुसलमानो की लाशों का ढेर लग गया । इस संग्राम मे भीती,हंसवर,,मकर ही,खजुरहट,दीयरा अमेठी के राजा गुरुदत्त सिंह आदि सम्मलित थे। हारती हुई हिन्दू सेना के साथ वीर चिमटाधारी साधुओं की सेना आ मिली और इस युद्ध मे शाही सेना के चिथड़े उड गये और उसे

रौंदते हुए हिंदुओं ने जन्मभूमि पर कब्जा कर लिया।

मगर हर बार की तरह कुछ दिनो के बाद विशाल शाही सेना ने पुनः जन्मभूमि पर अधिकार कर लिया और हजारों हिन्दुओं को मार डाला गया। जन्मभूमि में हिन्दुओं का रक्त प्रवाहित होने लगा। नावाब वाजिदअली शाह के समय के समय मे पुनः हिंदुओं ने जन्मभूमि के उद्धारार्थ आक्रमण किया । फैजाबाद गजेटियर में कनिंघम ने लिखा “इस संग्राम मे बहुत ही भयंकर खूनखराबा हुआ ।दो दिन और रात होने वाले इस भयंकर युद्ध में सैकड़ों हिन्दुओं के मारे जाने के बावजूद हिन्दुओं नें राम जन्म भूमि पर कब्जा कर लिया। क्रुद्ध हिंदुओं की भीड़ ने कब्रें तोड़ फोड़ कर बर्बाद कर डाली मस्जिदों को मिसमार करने लगे और पूरी ताकत से मुसलमानों को मार-मार कर अयोध्या से खदेड़ना शुरू किया।मगर हिन्दू भीड़ ने

मुसलमान स्त्रियों और बच्चों को कोई हानि नहीं पहुचाई।

अयोध्या मे प्रलय मचा हुआ था ।

इतिहासकार कनिंघम लिखता है की ये अयोध्या का सबसे बड़ा हिन्दू मुस्लिम बलवा था। हिंदुओं ने अपना सपना पूरा किया और औरंगजेब द्वारा विध्वंस किए गए चबूतरे को फिर वापस बनाया । चबूतरे पर तीन फीट

ऊँची खस की टाट से एक छोटा सा मंदिर बनवा लिया ॥जिसमे पुनः रामलला की स्थापना की गयी। कुछ जेहादी मुल्लाओं को ये बात स्वीकार नहीं हुई और कालांतर में जन्मभूमि फिर हिन्दुओं के हाथों से निकल गयी। सन 1857 की क्रांति मे बहादुर शाह जफर के समय में बाबा रामचरण दास ने एक मौलवी आमिर अली के साथ जन्म भूमि के उद्धार का प्रयास किया पर 18 मार्च सन 1858 को कुबेर टीला स्थित एक इमली के पेड़ मे दोनों को एक साथ अंग्रेज़ो ने फांसी पर लटका दिया ।

जब अंग्रेज़ो ने ये देखा कि ये पेड़ भी देशभक्तों एवं राम भक्तों के लिए एक स्मारक के रूप मे विकसित हो रहा है तब उन्होने इस पेड़ को कटवा कर इस आखिरी निशानी को भी मिटा दिया…

इस प्रकार अंग्रेज़ो की कुटिल नीति के कारण राम जन्म भूमि के उद्धार का यह एकमात्र प्रयास विफल हो गया … अन्तिम बलिदान …

३० अक्टूबर १९९० को हजारों रामभक्तों ने वोट-बैंक के

लालची मुलायम सिंह यादव के द्वारा खड़ी की गईं अनेक

बाधाओं को पार कर अयोध्या में प्रवेश किया और विवादित ढांचे के ऊपर भगवा ध्वज फहरा दिया। लेकिन

२ नवम्बर १९९० को मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश दिया, जिसमें

सैकड़ों रामभक्तों ने अपने जीवन की आहुतियां दीं।

सरकार ने मृतकों की असली संख्या छिपायी परन्तु

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार सरयू तट रामभक्तों की लाशों से पट गया था। ४ अप्रैल १९९१ को कारसेवकों के हत्यारे, उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने इस्तीफा दिया।

लाखों राम भक्त ६ दिसम्बर को कारसेवा हेतु अयोध्या पहुंचे और राम जन्मस्थान पर बाबर के सेनापति द्वारा बनाए गए अपमान के प्रतीक मस्जिदनुमा ढांचे को ध्वस्त कर दिया। परन्तु हिन्दू समाज के अन्दर व्याप्त घोर संगठन हीनता एवं नपुंसकता के कारण आज भी हिन्दुओं के सबसे बड़े आराध्य भगवान श्रीराम एक फटे हुए तम्बू में विराजमान हैं।

जिस जन्मभूमि के उद्धार के लिए हमारे पूर्वजों ने अपना रक्त पानी की तरह बहाया। आज वही हिन्दू बेशर्मी से इसे “एक विवादित स्थल” कहता है।

सदियों से हिन्दुओं के साथ रहने वाले मुसलमानों ने आज

भी जन्मभूमि पर अपना दावा नहीं छोड़ा है। वो यहाँ किसी भी हाल में मन्दिर नहीं बनने देना चाहते हैं ताकि हिन्दू हमेशा कुढ़ता रहे और उन्हें नीचा दिखाया जा सके।

जिस कौम ने अपने ही भाईयों की भावना को नहीं समझा वो सोचते हैं

हिन्दू उनकी भावनाओं को समझे। आज तक किसी भी मुस्लिम संगठन ने जन्मभूमि के उद्धार के लिए आवाज नहीं उठायी, प्रदर्शन नहीं किया और सरकार पर दबाव नहीं बनाया आज भी वे बाबरी-विध्वंस की तारीख 6 दिसम्बर को काला दिन मानते हैं। और मूर्ख हिन्दू समझता है कि राम जन्मभूमि राजनीतिज्ञों और मुकदमों के कारण उलझा हुआ है।

ये लेख पढ़कर जिन हिन्दुओं को शर्म नहीं आयी वो कृपया अपने घरों में राम का नाम ना लें…अपने रिश्तेदारों से कह दें कि उनके मरने के बाद कोई “राम नाम” का नारा भी नहीं लगाएं।

विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ता एक दिन श्रीराम जन्म भूमि का उद्धार कर वहाँ मन्दिर अवश्य बनाएंगे। चाहे अभी और कितना ही बलिदान क्यों ना देना पड़े।

 

एक स्वमसेवक

 

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आपका बहुत आभारी रहूँगा ।।

Posted in गौ माता - Gau maata

बूचड़खाने बन्ध होने से यूपी सरकार को 12000 करोड़ का नुकसान होगा — आजतक न्यूज़


बूचड़खाने बन्ध होने से यूपी सरकार को 12000 करोड़ का नुकसान होगा — आजतक न्यूज़

अब खुद अंदाजा लगा लो की किस हद्द तक गौ हत्या करी जा रही है उत्तर प्रदेश में .. गौ जीवित रहेगी तो उसका लाभ हम मनुष्यों को ही मिलेगा .. यह लाभ की कीमत दुनिया का कोई देश आंकलन भी नहीं कर सकता, ये इतना बड़ा लाभ है | फिर भी लाभ की कीमत अगर लगानी है तो कम से कम 50 लाख करोड़ का लाभ होगा उत्तरप्रदेश को अगले 20 वर्षो में!

Posted in हिन्दू पतन

1200 साल की गुलामी में हमें सबसे बड़ा नुकसान मानसिक तौर पे गुलाम बनाने का हुआ हमारी धरती सिकुड़ी


1200 साल की गुलामी में हमें सबसे बड़ा नुकसान मानसिक तौर पे गुलाम बनाने का हुआ हमारी धरती सिकुड़ी, अपमानित हुए और यकीन मानिए आज जितने भी हिन्दू हैं उन्हें अपने पुरखों के पौरुष पर गर्व होना चाहिए कि उन्होंने तब अपना धर्म नहीं छोड़ा जब इस्लामी तलवार लगभग पूरे आर्यावर्त पर राज कर रही थी,

जब इस देश में श्री राम के मंदिर की निर्माण की बात चलती है तब तुरन्त विकास का लबादा ओढ़ लिया जाता है जबकि राम मंदिर सीधे सीधे विकास से सम्बंधित है इतिहास के गौरव को संजोकर रख नहीं सकते विकास को ध्वस्त होने में कितनी देर लगेगी 80% की आबादी की इच्छा से एक ज़मीन का टुकड़ा अपना नहीं सकते बड़ी-बड़ी इंडस्ट्री सम्भाल पाओगे?

बहन-बेटियों की रक्षा कर नहीं सकते व्यापार बचा पाओगे?

हज़ारों मंदिर तोड़े गए तब असुरक्षा नहीं आई एक मंदिर के बन जाने से देश का सेक्युलर ढांचा चटक जाएगा?

अरे लात मारिये ऐसे सद्भाव को जो एक ज़मीन के टुकड़े से खतरे में आ जा रहा है 1000 साल बाद भी इस सद्भाव की सारी कुर्बानी क्या हम ही देंगे?

मंदिर छोड़िये असली चरित्र समझना है तो बस 2 डायलॉग याद रखिए

“15 मिनट के लिए पुलिस हटा लो” और “जिस दिन हम 42% हो गए हिन्दुओ की बोटी-बोटी कर देंगे”

जब मज़हबी विस्तार का भेड़िया आप पे झपटेगा तो विकास की मखमली चादर तो आपको कम से कम बचा नहीं पाएगी।

बाकि मैं तो लिख कर सोये हुए हिन्दू को जगा ही सकता हूँ अब हिन्दू कितने समझदार है या मेरी बात को कितना समझते है ये देखने वाली बात है।

 

जय श्री राम।