Posted in कविता - Kavita - કવિતા

कोई वादा ना कर,


कोई वादा ना कर,

कोई इरादा ना कर;

ख्वाहिशों में खुद को आधा ना कर;

ये देगी उतना ही जितना लिख दिया

परमात्मा ने;

इस तकदीर से उम्मीद ज़्यादा ना कर।।

जिन्दगी की हर सुबह

कुछ शर्ते लेके आती है।

और जिन्दगी की हर शाम

कुछ तर्जुबे देके जाती है

Gud morning🌹❤🌹

[21/03, 7:58 a.m.] ‪+91 94525 77937: 👰🏻👉🏻 पत्नी की फटकार है अद्भुभुत

अद्भुभुत है पत्नी की मार

पत्नी के ताने सुन सुन कर

खुलते ज्ञान चक्षु के द्वार

 

दस्यु सुना उत्तर पत्नी का

भरम हो गया अंतर्ध्यान

हार गई पत्नी से दस्युता

बाल्मिकी हुए कवि महान

 

🙍👉🏻 पत्नी से जब मार पड़ी तो

रोया फूट फूट नादान

कालिदास अनपढ़ मतिमंद

बने कवि विद्वान महान

 

पत्नी की फटकार सुनी जब

तुलसी भागे छोड़ मकान

राम चरित मानस रच डाला

तुलसीदास भक्त महान

 

🙎🏻👉🏻 पत्नी छोड़ भागे थे जो जो….

वही बने विद्वान महान

गौतम बुद्ध महावीर तीर्थकर

पत्नी छोड़ बने भगवान

 

पत्नी छोड़ जो भागा मोदी

हुआ आज है पंत प्रधान😊

 

आडवाणी ना छोड़ सके तो

आज तक हैं वो परेशान🤔

 

🙍👉🏻 नहीँ किया शादी पप्पू ने

ना सुनी पत्नी की तान

इसीलिए करता बकलोली

बना है मूर्ख मूढ़ नादान😜

 

आप भी पत्नी छोड़ न पाए

इसीलिए तो हो परेशान

पत्नी छोड़ो बनो सन्यासी

पाओ मोक्ष और निर्वाण😊😎

Posted in संस्कृत साहित्य

११ बातें जो हर हिंदू को ज्ञात होनी चाहीये


Vishnu Arodaji: ११ बातें जो हर हिंदू को ज्ञात होनी चाहीये

 

१) क्या भगवान राम या भगवान कृष्ण कभी इंग्लंड के हाऊस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्य रहे थे?  नहीं ना? फिर ये क्या लॉर्ड रामा, लॉर्ड कृष्णा लगा रखा है? सीधे सीधे भगवान राम, भगवान कृष्ण कहियेगा.

 

२) किसी की मृत्यू होने पर “RIP” मत कहिये. कहीये “ओम शांती”, “सदगती मिले”, अथवा “मोक्ष प्राप्ती हो”. आत्मा कभी एक स्थान पर आराम या विश्राम नहीं करती. आत्मा का पुनर्जन्म होता है अथवा उसे मोक्ष मिल जाता है.

 

३) अपने रामायण एवं महाभारत जैसे ग्रंथों को मायथॉलॉजी मत कहियेगा. ये हमारा गौरवशाली इतिहास है और राम एवं कृष्ण हमारे ऐतिहासिक देवपुरुष हैं, कोई मायथोलॉजिकल कलाकार नहीं.

 

४) मूर्ती पूजा के बारे में कभी अपराधबोध न पालें यह कहकर की “अरे ये तो केवल प्रतीकात्मक है.” सारे धर्मोंमें मूर्तीपूजा होती है, भले ही वह ऐसा न कहें. कुछ मुर्दों को पूजते हैं कुछ काले पत्थरों को कुछ लटके हुए प्रेषितों को.

 

५) गणेशजी और हनुमानजी को  “Elephant god” या “Monkey god” न कहें. वे केवल हाथीयों तथा बंदरों के देवता नहीं है. सीधे सीधे श्री गणेश एवं श्री हनुमानजी कहें.

 

६) हमारें मंदिरों को प्रार्थनागृह न कहें. मंदिर देवालय होते हैं, भगवान के निवासगृह. वह प्रार्थनागृह नहीं होते. मंदिर में केवल प्रार्थना नहीं होती.

 

७) अपने बच्चों के जन्मदिनपर दीप बुझाके अपशकुन न करें. अग्निदेव को न बुझाएं. अपितु बच्चों को दीप की प्रार्थना सिखाएं “तमसो मा ज्योतिर्गमय” (हे अग्नि देवता, मुझे अंधेरे से उजाले की ओर जाने का रास्ता बताएं”.) ये सारे प्रतीक बच्चों के मस्तिष्क में गहरा असर करते हैं.

 

८) कृपया “spirituality” और “materialistic” जैसे शब्दों का उपयोग करने से बचें. हिंदूओं के लिये सारा विश्व दिव्यत्व से भरा है.  “spirituality” और “materialistic” जैसे शब्द अनेक वर्ष पहले युरोप से यहां आये जिन्होंने चर्च और सत्ता मे फरक किया था. या विज्ञान और धर्म में. इसके विपरित भारतवर्ष में ऋषीमुनी हमारे पहले वैज्ञानिक थे और सनातन धर्म का मूल विज्ञान में ही है. यंत्र, तंत्र, एवं मंत्र यह हमारे धर्म का ही हिस्सा है.

 

९) “Sin” इस शब्द के स्थान पर “पाप” शब्द का प्रयोग करें. हम हिंदूओं मे केवल धर्म (कर्तव्य, न्यायपरायणता, एवं प्राप्त अधिकार) और अधर्म (जब धर्मपालन न हो) है. पाप अधर्म का हिस्सा है.

 

१०) ध्यान के लिये ‘meditation’ एवं प्राणायाम के लिये ‘breathing exercise’ इन संज्ञाओं का प्रयोग न करें. यह बिलकुल विपरीत अर्थ ध्वनित करते हैं.

 

११) क्या आप भगवान से डरते है? नहीं ना? क्यों? क्योंकि भगवान तो चराचर मे विद्यमान हैं. इतना ही नहीं हम स्वयं भगवान का ही रूप हैं. भगवान कोई हमसे पृथक नहीं जो हम उनसे डरें. तो फिर अपने आप को “God fearing” अर्थात भगवान से डरने वाला मत कहीये.

 

ध्यान रहे, विश्व मे केवल उनका सन्मान होता है जो स्वयं का सन्मान करते है.

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अच्छा है चुप रहना सीखो ।


अच्छा है चुप रहना सीखो ।

लेकिन सच भी कहना सीखो।

झूठ दूर तक कब चलता है।

कड़वा सच भी सहना सीखो।

हवा के संग बहता जाता है।

अपने पाँव पर रहना सीखो।

दिल पत्थर ही ना बन जाये।

आँसू बन कर बहना सीखो।

अगर मज़े से रहना है तो।

किसी के दिल में रहना सीखो

झूठी शान में जीवन खोया।

अब जिल्लत में रहना सीखो।

हार जीत सब बेमानी है।

गिर-गिर उठते रहना सीखो ।

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मारवाड़ में होली के बाद एक पर्व शुरू होता है जिसे घुड़ला पर्व कहते है


Vishnu Arodaji:

मारवाड़ में होली के बाद एक पर्व शुरू होता है

जिसे घुड़ला पर्व कहते है

कुँवारी लडकिया अपने सर पर एक मटका उठाकर उसके अंदर दीपक जलाकर गांव में घूमती है

घर घर घुड़लो जैसा गीत गाती है

अब यह घुड़ला क्या है

कोई नहीं जानता है

घुड़ला की पूजा शुरू हो गयी

यह भी ऐसा ही धतकर्म है जैसा की अकबर महान था

वास्तव में घटना यह है घुड़ला खान अकबर का मुग़ल सरदार था

राजस्थान के जोधपुर जिले में पीपाड़  के पास एक गांव है कोसाणा ,

उस गांव में लगभग 200 कुंवारी कन्याये गणगोर पर्व की पूजा कर रही थी

वे व्रत में थी

उनको मारवाड़ी भाषा में तीजणियां कहते है

पूजन का स्थान तालाब का किनारा था

जो गांव से थोड़ा दूर था

जब घुड़ला खान वहां से अपनी टुकड़ी के साथ निकला तो इन बालिकाओं को पूजा करते देख

अकेला देख  उसकी नीयत बिगड़ गयी

उसने सभी का बलात्कार के उद्देश्य से अपहरण कर लिया

गांव वाले संख्या में काम होने से विरोध नहीं कर पाए

परन्तु जब इसकी सूचना रांव सातल जोधपुर को मिली तो

उसने घुड़ला खान का पीछा किया

उसकी पूरी टुकड़ी का वध किया

सब बालिकाओ को मुक्त कर उनके सतीत्व  की रक्षा करी

उसके बाद घुड़ला खान का  सर काट कर उन बालिकाओ को सुपर्द किया

यह सर एक मिट्टी के टूटे घड़े में रखा गया

तथा बालिकाओं ने उस सर को पुरे गाँव के हर घर में रौशनी कर बताया

यह है घुड़ले की वास्तविक कहानी

अब लोग रांव सातल को भूल गए

और घुड़ला खान को पूजने लग गये

इतिहास से जुडो

सातल को याद करो घुड़ले को जूते मारो

कथा साभार ठाकुर लाखन सिंह जी चौहान शंखवास जिला नागोर

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रात्रि ज्ञान


रात्रि ज्ञान

 

एक गूजरी दूध बेच रही थी और सबको दूध नाप नाप कर दे रही थी । उसी समय एक नौजवान दूध लेने आया तो गूजरी ने बिना नापे ही उस नौजवान का बरतन दूध से भर दिया ।

 

वहीं थोड़ी दूर पर एक फकीर हाथ में माला लेकर मनको को गिन गिन कर माल फेर था । तभी उसकी नजर गूजरी पर पड़ी और उसने ये सब देखा और पास ही बैठे व्यक्ति से सारी बात बताकर इसका कारण पूछा, उस व्यक्ति ने बताया कि जिस नौजवान को बिना नाप के दूध दिया है वह उस नौजवान से प्यार करती है इसलिए जहा प्यार होता है, वहां हिसाब किताब नही होता ।

 

यह बात फकीर के दिल को छूं गयी और उसने सोचा कि एक गुजरी जिससे प्यार करती है तो उसका हिसाब नही रखती और मैं जिस अपने परमात्मा से प्यार करता हूं उसके लिए सुबह से शाम तक मनके गिनगिन कर माला फेरता हूं । मुझसे तो अच्छी यह गुजरी ही है और उसने माला को तोड़कर फेंक दिया ।

 

जहां प्यार होता है वहां हिसाब किताब नही होता है और जहां हिसाब किताब होता है वहां प्यार नही होता है । सिर्फ व्यापार होता है ।