Posted in हिन्दू पतन

मुस्लिम पर्सनल लॉ


आपने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का नाम तो सुना होगा,
ट्रिपल तलाक इत्यादि के मौके पार इसका नाम कई बार टीवी पर आया, मीडिया में आया असल में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड एक NGO है जिसका मुख्य दफ्तर दिल्लीमें है मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड आज हमारी संसद और यहाँ तक की सुप्रीम कोर्ट को भी कई मौकों पर धमकी देता है भारत के खिलाफ जंग की धमकी, जिहाद की धमकी, हिंसा की धमकी इत्यादिऔर अब जो हम आपको इस संस्था के बारे में बताने जा रहे है, कदाचित आपको ये जानकारियां कहीं मिले ही न, ये संगठन कब बना किसने बनायावैसे आपके मन में आता होगा की चूँकि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड है तो इसे मुसलमानो ने ही बनाया होगा पर अब जानिए इसकी सच्चाई*
1971 आते आते इंदिरा गाँधी की लोकप्रियता बहुत घटने लगी थी, 1975 में इंदिरा गाँधी ने आपातकाल भी लगाया था, इंदिरा गाँधी को ये देश जैसे विरासत में जवाहर लाल नेहरू से मिला थाइंदिरा इसे अपनी जागीर समझती थी, घटती लोकप्रियता, और विपक्ष की बढ़ती लोकप्रियता से परेशान होकर, इंदिरा गाँधी ने सेक्युलर भारत में मुसलमानो के तुष्टिकरण के लिए स्वयं मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की 1971 में स्थापना की
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के लिए इंदिरा गाँधी के विशेष नियम भी बनाया, इस संस्था का आज तक कभी ऑडिट नहीं हुआ है, जबकि अन्य NGO का होता है पर इसे विशेष छूट मिली हुई है ये अरब के देशों से कितना पैसा पाती है, उस पैसे का क्या करती है, किसीको कुछ नहीं पता*
91% मुस्लिम महिलाएं ट्रिपल तलाक के खिलाफ है फिर भी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट को हिंसा तक की धमकी देता है,आपको जानकरआश्चर्य होगा की 95% मुसलमान महिलाओ को तो ये भी नहीं पता की मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड असल में है क्या*
इस NGO में केवल कट्टरपंथी मुस्लिम ही है, नरेंद्र मोदी के सर पर फतवा देने वाला इमाम बरकाती भी इस NGO का सदस्य है, जिहादी किस्म के ही लोग इस संस्था में हैं, इस संस्था में 1 भी महिला नहीं है मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मुसलमानो का नहीं बल्कि इंदिरा गाँधी का बनाया हुआ है वैसे आपको एक जानकारी दे दें, की 1930 में मुस्लिम लीग को पाकिस्तान बनाने का आईडिया मुसलमानो ने नहीं बल्कि मोतीलाल नेहरू ने दिया था ईस परिवार ने भारत का इतना नाश किया है की,
आज भारत की 99% समस्या इनके कारण ही है।

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शीतला माता पुजा (बास्योडा) का शास्त्रीय आधार


शीतला माता पुजा (बास्योडा) का शास्त्रीय आधार

प्रश्नन : इस बार शीतला माता की पूजा कब करे?
® : लोकपर्व बास्योड़ा (शीतलाष्टमी) * सोमवार ( 2O मार्च, 2017)* को मनाया जाएगा। इससे पहले रविवार को घरों में विभिन्न पकवान बनाए जाएंगे। शीतलाष्टमी पर शीतला माता के भोग के लिए पुए, पापड़ी, राबड़ी, लापसी और गुलगुले सहित विभिन्न पकवान तैयार किए जाएंगे।

* सोमवार को महिलाएं शीतला माता की पूजा-अर्चना कर उन्हें ठंडे पकवानों का भोग लगाकर परिजनों की सुख-समृद्धि की कामना करें।*

प्रश्न : क्यों लगाते हैं ठंडे पकवानों का भोग,
®: भारतीय संस्कृति में जितने भी पर्व-उत्सव मनाए जाते हैं उनका संबंध ऋतु, स्वास्थ्य, सद्भाव और भाईचारे से है। होली के बाद मौसम का मिजाज बदलने लगता है और गर्मी भी धीरे-धीरे कदम बढ़ाकर आ जाती है। बास्योड़ा मूलतः इसी अवधारणा से जुड़ा पर्व है।

इस दिन ठंडे पकवान खाए जाते हैं। राजस्थान में बाजरे की रोटी, छाछ, दही का सेवन शुरू हो जाता है ताकि गर्मी के मौसम और लू से बचाव हो सके। शीतला माता के पूजन के बाद उनके जल से आंखें धोई जाती हैं। यह हमारी संस्कृति में नेत्र सुरक्षा और खासतौर से गर्मियों में आंखों का ध्यान रखने की हिदायत का संकेत है।

प्रश्न : क्या संदेश है इस पर्व का हमारे जीवन को?
®: माता का पूजन करने से सकारात्मकता का संचार होता है। मस्तक पर तिलक लगाने का मतलब है अपने दिमाग को ठंडा रखो। जल्दबाजी से काम न लो। विवेक और समझदारी से ही फैसला लो। क्रोध, तनाव और चिंता को पीछे छोड़कर वर्तमान को संवारो।
®
प्रश्न : क्या बहुत पुराना है ये प्रचलन
® : बास्योड़ा के दिन नए मटके, दही जमाने के कुल्हड़, हाथ से चलने वाले पंखे लाने व दान करने का भी प्रचलन है। यह परंपरा बताती है कि हमारे पूर्वज ऋतु परिवर्तन को स्वास्थ्य के साथ ही परोपकार, सद्भाव से भी जोड़कर रखते थे। यह प्रचलन तब से है जब कूलर, फ्रीज, एसी जैसे उपकरणों का आविष्कार भी नहीं हुआ था।
प्रश्न : कैसे करें मां शीतला का पूजन?
उतर: बास्योड़ा के दिन सुबह एक थाली में राबड़ी, रोटी, चावल, दही, चीनी, मूंग की दाल, बाजरे की खिचड़ी, चुटकी भर हल्दी, जल, रोली, मोली, चावल, दीपक, धूपबत्ती और दक्षिणा आदि सामग्री से मां शीतला का पूजन करना चाहिए। पूजन किया हुआ जल सबको आंखों से लगाना चाहिए ।।

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माँ शीतला कि पावन सत्य कथा


माँ शीतला कि पावन सत्य कथा
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यह कथा बहुत पुरानी है एक वार शीतला माता ने सोचा कि चलो आज देखु कि धरती पर मेरी पूजा कोन करता है कोन मुझे मानता हे यही सोचकर शीतला माता धरती पर राजस्थान के डुंगरी गाँव में आई और देखा कि इस गाँव में मेरा मंदिर भी नही है। ना मेरी पुजा है माता शीतला गाँव कि गलियो में घूम रही थी तभी एक मकान के ऊपर से किसी ने चावल का उवला पानी (मांड) निचे फेका वह उवलता पानी शीतला माता के ऊपर गिरा जिससे शीतला माता के शरीर में (छाले) फफोले पडगये शीतला माता के पुरे शरीर में जलन होने लगी शीतला माता गाँव में इधर उधर भाग भाग के चिल्लाने लगी अरे में जल गई मेरा शरीर तप रहा है जल रहा हे कोई मेरी मददकरो लेकिन उस गाँव में किसी ने शीतला माता कि मदद नही कि तभी अपने घर बहार एक कुम्हारन (महिला) बेठी थी उस कुम्हारन ने देखा कि अरे यह बुडी माई तो बहुत जलगई इसके पुरे शरीर में तपन है इसके पुरे शरीर में (छाले) फफोले पड़गये है यह तपन सहन नही कर पा रही है तब उस कुम्हारन ने कहा है माँ तू यहाँ आकार बेठ जा में तेरे शरीर के ऊपर ठंडा पानी डालती हु कुम्हारन ने उस बुडी माई पर खुब ठंडा पानी डाला और बोली हे माँ मेरे घर में रात कि बनी हुई रावडी रखी है थोड़ा दही भी है तु ठंडी (जुवार) के आटे कि रावडी और दही खाया इससे शरीर में ठंडाई मिली तब उस कुम्हारन ने कहा आ माँ बेठ जा तेरे सिर के बाल बिखरे हे ला में तेरी चोटी गुथ देती हु और कुम्हारन माई कि चोटी गूथने हेतु (कंगी) कागसी बालो में करती रही अचानक कुम्हारन कि नजर उस बुडी माई के सिर के पिछे पड़ी तो कुम्हारन ने देखा कि एक आँख वालो के अंदर छुपी हे यह देखकर वह कुम्हारन डर के मारे घबराकर भागने लगी तभी उस बुडी माई ने कहा रुक जा बेटी तु डरमत में कोई भुत प्रेत नही हु में शीतला देवी हु में तो इस घरती पर देखने आई थी कि मुझे कोन मानता है। कोन मेरी पुजा करता है इतना कह माता चारभुजा वाली हीरे जबाहरात के आभूषण पहने सिर पर स्वर्णमुकुट धारण किये अपने असली रुप में प्रगट हो गई माता के दर्शन कर कुम्हारन सोचने लगी कि अब में गरीब इस माता को कहा विठाऊ तब माता बोली हे बेटी तु किस सोच मे पडगई तब उस कुम्हारन ने हाथ जोड़कर आँखो में आसु बहते हुए कहा है माँ मेरे घर में तो चारो तरफ दरिद्रता है बिखरी हुई हे में आपको कहा बेठाऊ मेरे घर में ना तो चोकी है ना बैठने का आसन तब शीतला माता प्रसन्न होकर उस कुम्हारन के घर पर खड़े हुए गधे पर बेठ कर एक हाथ में झाड़ू दूसरे हाथ में डलिया लेकर उस कुम्हारन के घर कि दरिद्रता को झाड़कर डलिया में भरकर फेक दिया और उस कुम्हारन से कहा है बेटी में तेरी सच्ची भक्ति से प्रसन्न हु अब तुझे जो भी चाहिये मुझसे वरदान मांग ले तब कुम्हारन ने हाथ जोड़ कर कहा है माता मेरी इक्छा है अब आप इसी (डुंगरी) गाँव मे स्थापित होकर यही रहो और जिस प्रकार आपने आपने मेरे घर कि दरिद्रता को अपनी झाड़ू से साफ़ कर दूर किया ऐसे ही आपको जो भी होली के बाद कि सप्तमी को भक्ति भाव से पुजा कर आपकी ठंडा जल दही व वासी ठंडा भोजन चडाये उसके घर कि दरिद्रता को साफ़ करना और आपकी पुजा करने वाली नारि जाति (महिला) का अखंड सुहाग रखना उसकी गोद हमेसा भरी रखना साथ ही जो पुरुष शीतला सप्तमी को नाई के यहा बाल ना कटवाये धोबी को कपड़े धुलने ना दे और पुरुष भी आप पर ठंडा जल चडाकर नरियल फूल चडाकर परिवार सहित ठंडा वासी भोजन करे उसके काम धंधे व्यापार में कभी दरिद्रता ना आये तव माता बोली तथाअस्तु है बेटी जो जओ तुने वरदान मांगे में सब तुझे देती हु । है बेटी तुझे आर्शिबाद देती हु कि मेरी पुजा का मुख्ख अधिकार इस धरती पर सिर्फ कुम्हार जाति का ही होगा। तभी उसी दिन से डुंगरी गाँव में शीतला माता स्थापित हो गई और उस गाँव का नाम हो गया (शील कि डुंगरी) शील कि डुंगरी भारत का एक मात्र मुख्ख मंदिर है। शीतला सप्तमी वहाँ बहुत विशाल मेला भरता है। इस कथा को पड़ने से घर कि दरिद्रता का नाश होने के साथ सभी मनोकामना पुरी होती है।
🚩जय माँ शितला सबका कल्याण करे..D🌹

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बूथ केप्चरिंग


ज.लाल नेहरू थे भारत में पहली बूथ केप्चरिंग के मास्टरमाइण्ड प्रधानमन्त्री
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जवाहर लाल नेहरू देश में हुए प्रथम आम चुनाव में उत्तर प्रदेश की रामपुर सीट से पराजित घोषित हो चुके कांग्रेसी प्रत्याशी मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को किसी भी कीमत पर ज़बरदस्ती जिताने के आदेश दिये थे। उनके आदेश पर उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमन्त्री पं. गोविन्द वल्लभ पन्त ने रामपुर के जिलाधिकारी पर घोषित हो चुके परिणाम बदलने का दबाव डाला और इस दबाव के कारण प्रशासन ने जीते हुए प्रत्याशी विशनचन्द्र सेठ की मतपेटी के वोट मौलाना अबुल कलाम की पेटी में डलवा कर दुबारा मतगणना करवायी और मौलाना अबुल कलाम को जिता दिया।

यह रहस्योदघाटन उत्तर प्रदेश के तत्कालीन सूचना निदेशक शम्भूनाथ टण्डन ने अपने एक लेख में किया है।

उन्होंने अपने लेख “जब विशनचन्द सेठ ने मौलाना आज़ाद को धूल चटाई थी भारतीय इतिहास की एक अनजान घटना” में लिखा है कि भारत में नेहरू ही बूथ कैप्चरिंग के पहले मास्टर माइंड थे। उस ज़माने में भी बूथ पर कब्ज़ा करके परिणाम बदल दिये जाते थे।

देश के प्रथम आम चुनाव में सिर्फ़ उत्तर प्रदेश में ही कांग्रेस के 12 हारे हुए प्रत्याशियों को जिताया गया। देश के बटवारे के बाद लोगों में कांग्रेस और खासकर नेहरू के प्रति बहुत गुस्सा था लेकिन चूँकि नेहरू के हाथ में अन्तरिम सरकार की कमान थी इसलिए नेहरू ने पूरी सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल करके जीत हासिल की थी।

देश के बटवारे के लिए हिन्दू महासभा ने नेहरू और गान्धी की तुष्टीकरण नीति को जिम्मेदार मानते हुए देश में उस समय ज़बरदस्त आन्दोलन चलाया था और लोगों में नेहरू के प्रति बहुत गुस्सा था इसलिए हिन्दू महासभा ने कांग्रेस के दिग्गज़ नेताओं के विरुद्ध हिन्दू महासभा के दिग्गज़ लोगों को खड़ा करने का निश्चय किया था। इसीलिए नेहरू के विरुद्ध फूलपुर से सन्त प्रभुदत्त ब्रम्हचारी और मौलाना अबुल कलाम के विरुद्ध रामपुर से विशनचन्द्र सेठ को लड़ाया गया।

नेहरू को अन्तिम राउण्ड में ज़बरदस्ती 2000 वोट से जिताया गया। वहीं सेठ विशनचन्द्र के पक्ष में भारी मतदान हुआ और मतगणना के पश्चात् प्रशासन ने बाक़ायदा लाउडस्पीकरों से सेठ विशनचन्द्र को 10000 वोट से विजयी घोषित कर दिया। जीत की ख़ुशी में हिन्दू महासभा के लोगों ने विशाल विजय जुलूस भी निकाला।

जैसे ही ये समाचार वायरलेस से लखनऊ फिर दिल्ली पहुँची तो मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की अप्रत्याशित हार के समाचार से नेहरू तिलमिला उठे और उन्होंने तमतमा कर तुरन्त उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमन्त्री पं. गोविन्द वल्लभ पन्त को चेतावनी भरा सन्देश दिया कि मैं मौलाना की हार को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं कर सकता, अगर मौलाना को ज़बरदस्ती नहीं जिताया गया तो आप अपना इस्तीफ़ा शाम तक दे दीजिए।

फिर पन्तजी ने आनन फानन में सूचना निदेशक (जो इस लेख के लेखक हैं) शम्भूनाथ टण्डन को बुलाया और उन्हें रामपुर के जिलाधिकारी से सम्पर्क करके किसी भी कीमत पर मौलाना अबुल कलाम को जिताने का आदेश दिया। फिर जब शम्भूनाथ जी ने कहा कि सर! इससे दंगे भी भड़क सकते हैं तो इस पर पन्तजी ने कहा कि देश जाये भाड़ में, नेहरू जी का हुक़्म है।फिर रामपुर के जिलाधिकारी को वायरलेस पर मौलाना अबुल कलाम को जिताने के आदेश दे दिये गये। फिर रामपुर का सिटी कोतवाल ने सेठ विशनचन्द्र के पास गया और कहा कि आपको जिलाधिकारी साहब बुला रहे हैं जबकि वो लोगों की बधाइयाँ स्वीकार कर रहे थे।

जैसे ही जिलाधिकारी ने उनसे कहा कि मतगणना दुबारा होगी तो विशनचन्द्र सेठ ने इसका कड़ा विरोध किया और कहा कि मेरे सभी कार्यकर्ता जुलूस में गये हैं ऐसे में आप मतगणना एजेंट के बिना दुबारा मतगणना कैसे कर सकते हैं? लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गयी। जिलाधिकारी ने साफ़ साफ़ कहा कि सेठ जी! हम अपनी नौकरी बचाने के लिए आपकी बलि ले रहे हैं क्योंकि ये नेहरू का आदेश है।

शम्भूनाथ टण्डन जी ने आगे लिखा है कि चूँकि उन दिनों सभी प्रत्याशियों की उनके चुनाव चिन्ह वाली अलग-अलग पेटियाँ हुआ करती थीं और मतपत्र पर बिना कोई निशान लगाये अलग अलग पेटियों में डाले जाते थे। इसलिए ये बहुत आसान था कि एक प्रत्याशी के वोट दूसरे की पेटी में मिला दिये जायें।

देश में हुए प्रथम आम चुनाव की इसी ख़ामी का फ़ायदा उठाकर अय्यास नेहरू इस देश की सत्ता पर काबिज़ हुआ था और उस नेहरू ने इस देश में भ्रष्टाचार के जो बीज बोये थे वो आज उसके खानदान के काबिल वारिसों की अच्छी तरह देखभाल करने के कारण वटवृक्ष बन चुके हैं।

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साभार:- शम्भूनाथ टण्डन (पूर्व सूचना निदेशक, यूपी) की पुस्तक:- *गान्धी और नेहरू : हिन्दुस्तान का दुर्भाग्य*

Posted in सुभाषित - Subhasit

क्या खूब लिखा है किसी ने


क्या खूब लिखा है किसी ने…🖊
आगे सफर था और पीछे हमसफर था…🖊

रूकते तो सफर छूट जाता और चलते तो हमसफर छूट जाता…🖊

मंजिल की भी हसरत थी और उनसे भी मोहब्बत थी…🖊
ए दिल तू ही बता,उस वक्त मैं कहाँ जाता…🖊

मुद्दत का सफर भी था और बरसो
का हमसफर भी था

रूकते तो बिछड जाते और चलते तो बिखर जाते…🖊
यूँ समँझ लो,

प्यास लगी थी गजब की
मगर पानी मे जहर था…🖊
पीते तो मर जाते और ना पीते तो भी मर जाते…🖊
बस यही दो मसले, जिंदगीभर ना हल हुए…🖊
ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल हुए…🖊

वक़्त ने कहा…..काश थोड़ा और सब्र होता…🖊
सब्र ने कहा….काश थोड़ा और वक़्त होता🖊

सुबह सुबह उठना पड़ता है कमाने के लिए साहेब…🖊
आराम कमाने निकलता हूँ आराम छोड़कर…🖊
“हुनर” सड़कों पर तमाशा करता है और “किस्मत” महलों में राज करती है…🖊

“शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी,

पर चुप इसलिये हु कि, जो दिया तूने,
वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता”…🖊

अजीब सौदागर है ये वक़्त भी
जवानी का लालच दे के बचपन ले गया…🖊
अब अमीरी का लालच दे के जवानी ले जाएगा…🖊
लौट आता हूँ वापस घर की तरफ… हर रोज़ थका-हारा,
आज तक समझ नहीं आया की जीने के लिए काम करता हूँ या काम करने के लिए जीता हूँ…🖊

बचपन में सबसे अधिक बार पूछा गया सवाल –
“बङे हो कर क्या बनना है ?”
जवाब अब मिला है, – “फिर से बच्चा बनना है…🖊

“थक गया हूँ तेरी नौकरी से ऐ जिन्दगी
मुनासिब होगा मेरा हिसाब कर दे…🖊

दोस्तों से बिछड़ कर यह हकीकत खुली…🖊

बेशक, कमीने थे पर रौनक उन्ही से थी…🖊

भरी जेब ने ‘ दुनिया ‘ की पहेचान करवाई और खाली जेब ने ‘ अपनो ‘ की…🖊

जब लगे पैसा कमाने, तो समझ आया,
शौक तो मां-बाप के पैसों से पुरे होते थे,
अपने पैसों से तो सिर्फ जरूरतें पुरी होती है…🖊

हंसने की इच्छा ना हो,
तो भी हसना पड़ता है…🖊
.
कोई जब पूछे कैसे हो..?
तो मजे में हूँ कहना पड़ता है…🖊
.

ये ज़िन्दगी का रंगमंच है दोस्तों,
यहाँ हर एक को नाटक करना पड़ता है…🖊

“माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती,
यहाँ आदमी आदमी से जलता है…🖊

दुनिया के बड़े से बड़े साइंटिस्ट, ये ढूँढ रहे हैं की
मंगल ग्रह पर जीवन है या नहीं…🖊

पर आदमी ये नहीं ढूँढ रहा
कि जीवन में मंगल है या नहीं…🖊

मंदिर में फूल चढ़ा कर आए तो यह एहसास हुआ,
कि…

पत्थरों को मनाने में ,
फूलों का क़त्ल कर आए हम…🖊

गए थे गुनाहों की माफ़ी माँगने,
वहाँ एक और गुनाह कर आए हम…🖊

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अकबर : मुझे इस राज्य से 5 मूर्ख ढूंढ कर दिखाओ.!!


अकबर : मुझे इस राज्य से 5 मूर्ख ढूंढ कर दिखाओ.!!

बीरबल ने खोज शुरू की.
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एक महीने बाद वापस आये सिर्फ 2 लोगों के साथ।

अकबर ने कहा मैने 5 मूर्ख लाने के लिये कहा था !!

बीरबल ने कहां हुजुर लाया हूँ। पेश करने का मौका दिया जाय..

आदेश मिल गया।

बीरबल ने कहा- हुजुर यह पहला मूर्ख है। मैने इसे बैलगाडी पर बैठ कर भी बैग सर पर ढोते हुए देखा और पूछने पर जवाब मिला के कहीं बैल के उपर ज्यादा लोड
ना हो जाए इसलिये बैग सिर पर ढो रहा हुँ!!
इस हिसाब से यह पहला मूर्ख है!!

दूसरा मूर्ख यह आदमी है जो आप के सामने खडा है. मैने देखा इसके घर के ऊपर छत पर घास निकली थी. अपनी भैंस को छत पर ले जाकर घास खिला रहा था. मैने देखा और पूछा तो जवाब मिला कि घास छत पर जम जाती है तो भैंस को ऊपर ले जाकर घास खिला देता हूँ. हुजुर
जो आदमी अपने घर की छत पर जमी घास को काटकर फेंक नहीं सकता और भैंस को उस छत पर ले जाकर घास खिलाता है, तो उससे बडा मूर्ख और कौन हो सकता है!!!

तीसरा मूर्ख: बीरबल ने आगे कहा. जहाँपनाह अपने राज्य मे इतना काम है. पूरी नीति मुझे सम्हालना है. फिर भी मै मूर्खों को ढूढने में एक महीना बर्बाद कर रहा हूॅ इसलिये तीसरा मूर्ख मै
ही हूँ.

चौथा मूर्ख.. जहाँपनाह. पूरे राज्य की जिम्मेदारी आप के ऊपर है.
दिमाग वालों से ही सारा काम होने वाला है. मूर्खों से कुछ होने वाला नहीं है. फिर भी आप मूर्खों को ढूढ रहे हैं. इस लिये चौथा मूर्ख जहाँपनाह आप हुए।

पांचवा मूर्ख…जहाँ पनाह मै बताना चाहता हूँ कि दुनिया भर के काम धाम को छोड़कर. घर परिवार को छोड़कर. पढाई लिखाई पर ध्यान ना देकर, व्हाट्सएप्प पर पूरा ध्यान लगा कर और पाँचवें मूर्ख को जानने के लिए अब भी पोस्ट पढ़ रहा है वही पाँचवा मूर्ख है

इससे बडा मुर्ख दुनिया में कोई नहीं
अब क्या सोच रहे हो ?

Posted in PM Narendra Modi

योगी जी


योगी जी को गाली देने वालों को समर्पित:
👉जिस आयु में तुम अपने बाप की अय्याशियों के मजे ले रहे थे, उस छोटी सी आयु मे वो अपने घर का सुख छोड़कर सन्यासी हो गया था।
👉जब तुम अपने घर भरने के लिए दूसरों के घर उजाड़ रहे थे, वो उन उजड़े हुए घरों को संवारने का रास्ता खोज रहा था।
👉तुम या तुम्हारा संबधी यदि एक छोटा पार्षद भी बन जाये तो 5 वर्षों में करोड़ों कमा लेते हो, वो 19 वर्षों से सांसद है, पर 1 रुपया भी अपने लिए नहीं कमाया।
➡”योगी” केवल एक शब्द या एक व्यक्ति नहीं है, ये तो त्याग और तपस्या से अर्जित किया हुआ आध्यात्मिक ज्ञानकोष है जो अपने प्रकाश से समाज को जाग्रत और संवर्धित करता है।


#योगी_आदित्यनाथ_एक_विचित्र_व्यक्तित्व
एक बार योगी आदित्यनाथ की जाति का विरोध करने से पहले एक मर्तबा उनकी जीवल शैली भी देख ली होती तो इतना जहर न फेंकते…
आज भी उनके कमरे में 1 #सोफा तो छोड़ो दीवान भी नहीं है… नीचे जमींन पर सोते हैं… सुबह 3 बजे पूजा करने से लेकर पहनने के लिए कुछ कपड़ो के सिवा सिर्फ कुछ किताबें हैं 10by8 के कमरे मे… इसके सिवा कुछ नहीं…
आज भी सारे सन्यासियो वाली परंपराओं का संपूर्ण पालन करते हैं, जो एक #सन्यासी की बाधाएं होती है… सांसद होने के बावजूद कोई शानोशौकत नहीं ली…
क्या यही चीज किसी #मौलाना के साथ देखी है क्या??अगर अब भी दिमाग में सवाल है तो शीशा अपनी तरफ घुमा लेना हमेशा दुसरो की तरफ घुमाने की बजाय…

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एक नेता जी की बीवी के साथ कोई जबरदस्ती कर रहा था


एक नेता जी की बीवी के साथ कोई जबरदस्ती कर रहा था

तो वो नेता जी भागकर अंदर गए और चरखा उठा लाये

और चलाने लगे।

बीवी को गुस्सा आया और वो चिल्लाई :

तुम पागल हो क्या ये गुंडा मेरे साथ गलत कर रहा है

और तुम चरखा चला रहे हो ??

पति : चरखे से तो अंग्रेज भाग गए फिर ये किस खेत की मूली है

ये भी भाग जाएगा!

ये कहकर नेता जी चरखा और जोर से चलाने लगे

जब तक वो गुंडा उस नारी के साथ और ज्यादा बदतमीजी करता रहा!

बीवी रोती हुई गुस्से में पति से बोली

छोडो ये चरखा और pls मुझे बचाओ!

ये सुनकर पति ने चरखा side में पटका

और उठकर बलात्कारी के निकट गया

और पूरी विनम्रता से बोला मेरी पत्नी को छोड़ दीजिये!

इतना सुनते ही उस गुंडे ने पति के एक खेंचके झाँपट मार दिया!

तो पति ने दूसरा गाल आगे कर दिया

और फिर बोला pls मेरी बीवी को छोड़

दीजिये उस गुंडे ने दूसरे गाल पे भी एक कसके झाँपट मार दिया

पति बेहोश हो गया!

इतने में एक भगत सिंह नाम का वीर वहाँ से गुजरा,

उसने जब चीख पुकार सुनी तो वो अंदर गया

और उस महिला को बचाने के लिए गुंडे से भिड़ गया

और आखिर में उस गुंडे को भगा दिया!

उस औरत ने भगत सिंह को धन्यवाद दिया,

तभी पुलिस वहाँ पहुंच गयी

तो पत्नी ने सारा क्रेडिट अपने पति को दे दिया

और दोनों लाल गाल दिखा कर पति ने बहादुरी के सबूत दिखा दिए,

पुलिस ने उस पति को

वीरता चक्र दिया और भगत सिंह को पकड़ के

गुंडा गर्दी करने के आरोप में जेल में डाल दिया !

नोट:- इस घटना का इतिहास से कोई

लेना देना नही है..

कितने झूले थे फाँसी पर ,

और कितनों ने गोली खाई थी,

क्यों झूठ बोलते हो साहब ,

कि चरखा चलाने से आजादी पाई थी..!

Posted in हिन्दू पतन

योगी आदित्यनाथ


तुमने अगर लव जेहाद को रोका होता तो…..
योगी आदित्यनाथ को CM नहीं बनाते।
तुमने मस्जिदों से लाउडस्पीकर उतरवा दिए होते तो….
योगी आदित्यनाथ को CM नहीं बनाते।
तुमने ये नहीं कहा होता की इस प्रदेश पर पहला हक़ मुस्लिमो का हे तो…..
योगी आदित्यनाथ को CM नहीं बनाते ।
तुमने अपनी जीत का मदार मुस्लिमो पर नहीं रखा होता तो…..
योगी आदित्यनाथ को CM नहीं बनाते ।
तुमने हिन्दुओ का खात्मा करने के लिए महाठगबंधन नहीं किया होता तो…..
योगी आदित्यनाथ को CM नहीं बनाते।
तुमने आजमखान जैसे लोगो को अपना सेनापति नहीं बनाया होता तो…..
योगी आदित्यनाथ को CM नहीं बनाते ।
तुमने जो कुछ किया हिन्दुओ के खिलाफ, वो नहीं करते तो……
योगी आदित्यनाथ को CM नहीं बनाते ।
ये मोदी हे, विकास भी करेगा और तुम्हारे गले में सांस भी अटकाकर रखेगा।
अगर जरूरत पड़ी तो तुम्हारी नस्ल को रोकने के लिए सेक्युलर नसबंदी का क़ानून भी राजसभा से पारित करवा देगा।
ये मोदी हे, इसको बैंक बैलेंस नहीं बढ़ाना हे और ना ही अपनी वाहवाही लुटानी हे, ये वो ही करेगा जो भारत माता के लिए सही होगा।

और आखिर में, पुरे विश्व में हिन्दू धर्म ही हे जो अहिंसा का पाठ पढाता हे, योगी से डरो मत उसने भगवा पहना हे, भगवा कभी आतंक नहीं फैलाता, सदभावना बढ़ाता हे । (अगर ऊँगली नहीं की तो)

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पानी ने दूध से मित्रता की और उसमे समा गया..


✨पानी ने दूध से मित्रता की और उसमे समा गया..

जब दूध ने पानी का समर्पण देखा तो उसने कहा-
मित्र तुमने अपने स्वरुप का त्याग कर मेरे स्वरुप को धारण किया है….

अब मैं भी मित्रता निभाऊंगा और तुम्हे अपने मोल बिकवाऊंगा।

दूध बिकने के बाद
जब उसे उबाला जाता है तब पानी कहता है..

अब मेरी बारी है मै मित्रता निभाऊंगा
और तुमसे पहले मै चला जाऊँगा..
दूध से पहले पानी उड़ता जाता है

जब दूध मित्र को अलग होते देखता है
तो उफन कर गिरता है और आग को बुझाने लगता है,

जब पानी की बूंदे उस पर छींट कर उसे अपने मित्र से मिलाया जाता है तब वह फिर शांत हो जाता है।

पर
इस अगाध प्रेम में..
थोड़ी सी खटास-
(निम्बू की दो चार बूँद)
डाल दी जाए तो
दूध और पानी अलग हो जाते हैं..

थोड़ी सी मन की खटास अटूट प्रेम को भी मिटा सकती है।

रिश्ते में..
खटास मत आने दो॥
“क्या फर्क पड़ता है,
हमारे पास कितने लाख,
कितने करोड़,
कितने घर,
कितनी गाड़ियां हैं,

खाना तो बस दो ही रोटी है।
जीना तो बस एक ही ज़िन्दगी है।
I
फर्क इस बात से पड़ता है,
कितने पल हमने ख़ुशी से बिताये,
कितने लोग हमारी वजह से खुशी से जीए।😘😊

✍🏻 सुनने की आदत डालो क्योंकि
ताने मारने वालों की कमी नहीं हैं।

✍🏻 मुस्कराने की आदत डालो क्योंकि
रुलाने वालों की कमी नहीं हैं

✍🏻 ऊपर उठने की आदत डालो क्योंकि टांग खींचने वालों की कमी नहीं है।

✍🏻 प्रोत्साहित करने की आदत डालो क्योंकि हतोत्साहित करने वालों की कमी नहीं है!!

✍🏻 सच्चा व्यक्ति ना तो नास्तिक होता है ना ही आस्तिक होता है ।
सच्चा व्यक्ति हर समय वास्तविक होता है……

✍🏻 छोटी छोटी बातें दिल में रखने से
बड़े बड़े रिश्ते कमजोर हो जाते हैं”

✍🏻 कभी पीठ पीछे आपकी बात चले
तो घबराना मत …
बात तो
“उन्हीं की होती है”..
जिनमें कोई ” बात ” होती है

✍🏻 “निंदा” उसी की होती है जो”जिंदा” हैँ मरने के बाद तो सिर्फ “तारीफ” होती है