Posted in जीवन चरित्र

पूज्य महंत योगी आदित्यनाथ जी महाराज


पूज्य महंत योगी आदित्यनाथ जी महाराज

(मुख्य मंत्री (उत्तर प्रदेश),गोरक्षपीठाधीश्वर, गोरक्षपीठ, लोक सभा सदस्य गोरखपुर, उत्तर प्रदेश)

http://www.yogiadityanath.in/About.aspx

जब सम्पूर्ण पूर्वी उत्तर प्रदेश जेहाद, धर्मान्तरण, नक्सली व माओवादी हिंसा, भ्रष्टाचार तथा अपराध की अराजकता में जकड़ा था उसी समय नाथपंथ के विश्व प्रसिद्ध मठ श्री गोरक्षनाथ मंदिर गोरखपुर के पावन परिसर में शिव गोरक्ष महायोगी गोरखनाथ जी के अनुग्रह स्वरूप माघ शुक्ल 5 संवत् 2050 तदनुसार 15 फरवरी सन् 1994 की शुभ तिथि पर गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ जी महाराज ने अपने उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ जी का दीक्षाभिषेक सम्पन्न किया।

योगीजी का जन्म देवाधिदेव भगवान् महादेव की उपत्यका में स्थित देव-भूमि उत्तराखण्ड में 5 जून सन् 1972 को हुआ। शिव अंश की उपस्थिति ने छात्ररूपी योगी जी को शिक्षा के साथ-साथ सनातन हिन्दू धर्म की विकृतियों एवं उस पर हो रहे प्रहार से व्यथित कर दिया। प्रारब्ध की प्राप्ति से प्रेरित होकर आपने 22 वर्ष की अवस्था में सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यास ग्रहण कर लिया। आपने विज्ञान वर्ग से स्नातक तक शिक्षा ग्रहण की तथा छात्र जीवन में विभिन्न राष्ट्रवादी आन्दोलनों से जुड़े रहे।

आपने संन्यासियों के प्रचलित मिथक को तोड़ा। धर्मस्थल में बैठकर आराध्य की उपासना करने के स्थान पर आराध्य के द्वारा प्रतिस्थापित सत्य एवं उनकी सन्तानों के उत्थान हेतु एक योगी की भाँति गाँव-गाँव और गली-गली निकल पड़े। सत्य के आग्रह पर देखते ही देखते शिव के उपासक की सेना चलती रही और शिव भक्तों की एक लम्बी कतार आपके साथ जुड़ती चली गयी। इस अभियान ने एक आन्दोलन का स्वरूप ग्रहण किया और हिन्दू पुनर्जागरण का इतिहास सृजित हुआ।

अपनी पीठ की परम्परा के अनुसार आपने पूर्वी उत्तर प्रदेश में व्यापक जनजागरण का अभियान चलाया। सहभोज के माध्यम से छुआछूत और अस्पृश्यता की भेदभावकारी रूढ़ियों पर जमकर प्रहार किया। वृहद् हिन्दू समाज को संगठित कर राष्ट्रवादी शक्ति के माध्यम से हजारों मतान्तरित हिन्दुओं की ससम्मान घर वापसी का कार्य किया। गोरक्षा के लिए आम जनमानस को जागरूक करके गोवंशों का संरक्षण एवं सम्वर्धन करवाया। पूर्वी उत्तर प्रदेश में सक्रिय समाज विरोधी एवं राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर भी प्रभावी अंकुश लगाने में आपने सफलता प्राप्त की। आपके हिन्दू पुनर्जागरण अभियान से प्रभावित होकर गाँव, देहात, शहर एवं अट्टालिकाओं में बैठे युवाओं ने इस अभियान में स्वयं को पूर्णतया समर्पित कर दिया। बहुआयामी प्रतिभा के धनी योगी जी, धर्म के साथ-साथ सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से राष्ट्र की सेवा में रत हो गये।

अपने पूज्य गुरुदेव के आदेश एवं गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता की मांग पर आपने वर्ष 1998 में लोकसभा चुनाव लड़ा और मात्र 26 वर्ष की आयु में भारतीय संसद के सबसे युवा सांसद बने। जनता के बीच दैनिक उपस्थिति, संसदीय क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले लगभग 1500 ग्रामसभाओं में प्रतिवर्ष भ्रमण तथा हिन्दुत्व और विकास के कार्यक्रमों के कारण गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता ने आपको वर्ष 1999, 2004 और 2009 के चुनाव में निरन्तर बढ़ते हुए मतों के अन्तर से विजयी बनाकर चार बार लोकसभा का सदस्य बनाया।

संसद में सक्रिय उपस्थिति एवं संसदीय कार्य में रुचि लेने के कारण आपको केन्द्र सरकार ने खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग और वितरण मंत्रालय, चीनी और खाद्य तेल वितरण, ग्रामीण विकास मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी, सड़क परिवहन, पोत, नागरिक विमानन, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालयों के स्थायी समिति के सदस्य तथा गृह मंत्रालय की सलाहकार समिति, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और अलीगढ़ विश्वविद्यालय की समितियों में सदस्य के रूप में समय-समय पर नामित किया।

व्यवहार कुशलता, दृढ़ता और कर्मठता से उपजी आपकी प्रबन्धन शैली शोध का विषय है। इसी अलौकिक प्रबन्धकीय शैली के कारण आप लगभग 36 शैक्षणिक एवं चिकित्सकीय संस्थाओं के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मंत्री, प्रबन्धक या संयुक्त सचिव हैं।

हिन्दुत्व के प्रति अगाध प्रेम तथा मन, वचन और कर्म से हिन्दुत्व के प्रहरी योगीजी को विश्व हिन्दु महासंघ जैसी हिन्दुओं की अन्तर्राष्ट्रीय संस्था ने अन्तर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा भारत इकाई के अध्यक्ष का महत्त्वपूर्ण दायित्व दिया, जिसका सफलतापूर्वक निर्वहन करते हुए आपने वर्ष 1997, 2003, 2006 में गोरखपुर में और 2008 में तुलसीपुर (बलरामपुर) में विश्व हिन्दु महासंघ के अन्तर्राष्ट्रीय अधिवेशन को सम्पन्न कराया। सम्प्रति आपके प्रभामण्डल से सम्पूर्ण विश्व परिचित हुआ।

आपकी बहुमुखी प्रतिभा का एक आयाम लेखक का है। अपने दैनिक वृत्त पर विज्ञप्ति लिखने जैसे श्रमसाध्य कार्य के साथ-साथ आप समय-समय पर अपने विचार को स्तम्भ के रूप में समाचार-पत्रों में भेजते रहते हैं। अत्यल्प अवधि में ही ‘यौगिक षटकर्म’, ‘हठयोग: स्वरूप एवं साधना’, ‘राजयोग: स्वरूप एवं साधना’ तथा ‘हिन्दू राष्ट्र नेपाल’ नामक पुस्तकें लिखीं। श्री गोरखनाथ मन्दिर से प्रकाशित होने वाली वार्षिक पुस्तक ‘योगवाणी’ के आप प्रधान सम्पादक हैं तथा ‘हिन्दवी’ साप्ताहिक समाचार पत्र के प्रधान सम्पादक रहे। आपका कुशल नेतृत्व युगान्तकारी है और एक नया इतिहास रच रहा है।

व्यक्तित्व के विभिन्न आयाम


भगवामय बेदाग जीवन- योगी आदित्यनाथ जी महाराज एक खुली किताब हैं जिसे कोई भी कभी भी पढ़ सकता है। उनका जीवन एक योगी का जीवन है, सन्त का जीवन है। पीड़ित, गरीब, असहाय के प्रति करुणा, किसी के भी प्रति अन्याय एवं भ्रष्टाचार के विरुद्ध तनकर खड़ा हो जाने का निर्भीक मन, विचारधारा एवं सिद्धान्त के प्रति अटल, लाभ-हानि, मान-सम्मान की चिन्ता किये बगैर साहस के साथ किसी भी सीमा तक जाकर धर्म एवं संस्कृति की रक्षा का प्रयास उनकी पहचान है।

 

पीड़ित मानवता को समर्पित जीवन – वैभवपूर्ण ऐश्वर्य का त्यागकर कंटकाकीर्ण पगडंडियों का मार्ग उन्होंने स्वीकार किया है। उनके जीवन का उद्देश्य है – ‘न त्वं कामये राज्यं, न स्वर्ग ना पुनर्भवम्। कामये दुःखतप्तानां प्राणिनामर्तिनाशनम्।। अर्थात् ‘‘हे प्रभो! मैं लोक जीवन में राजपाट पाने की कामना नहीं करता हूँ। मैं लोकोत्तर जीवन में स्वर्ग और मोक्ष पाने की भी कामना नहीं करता। मैं अपने लिये इन तमाम सुखों के बदले केवल प्राणिमात्र के कष्टों का निवारण ही चाहता हूँ।’’ पूज्य योगी आदित्यनाथ जी महाराज को निकट से जानने वाला हर कोई यह जानता है कि वे उपर्युक्त अवधारणा को साक्षात् जीते हैं। वरना जहाँ सुबह से शाम तक हजारों सिर उनके चरणों में झुकते हों, जहाँ भौतिक सुख और वैभव के सभी साधन एक इशारे पर उपलब्ध हो जायं, जहाँ मोक्ष प्राप्त करने के सभी साधन एवं साधना उपलब्ध हों, ऐसे जीवन का प्रशस्त मार्ग तजकर मान-सम्मान की चिंता किये बगैर, यदा-कदा अपमान का हलाहल पीते हुए इस कंटकाकीर्ण मार्ग का वे अनुसरण क्यों करते?

 

सामाजिक समरसता के अग्रदूत- ‘जाति-पाँति पूछे नहिं कोई-हरि को भजै सो हरि का होई’ गोरक्षपीठ का मंत्र रहा है। गोरक्षनाथ ने भारत की जातिवादी-रूढ़िवादिता के विरुद्ध जो उद्घोष किया, उसे इस पीठ ने अनवरत जारी रखा। गोरक्षपीठाधीश्वर परमपूज्य महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज के पद-चिह्नों पर चलते हुए पूज्य योगी आदित्यनाथ जी महाराज ने भी हिन्दू समाज में व्याप्त कुरीतियों, जातिवाद, क्षेत्रवाद, नारी-पुरुष, अमीर-गरीब आदि विषमताओं, भेदभाव एवं छुआछूत पर कठोर प्रहार करते हुए, इसके विरुद्ध अनवरत अभियान जारी रखा है। गाँव-गाँव में सहभोज के माध्यम से ‘एक साथ बैठें-एक साथ खाएँं’ मंत्र का उन्होंने उद्घोष किया।

 

भ्रष्टाचार-आतंकवाद-अपराध विरोधी संघर्ष के नायक – योगी जी के भ्रष्टाचार-विरोधी तेवर के हम सभी साक्षी हैं। अस्सी के दशक में गुटीय संघर्ष एवं अपराधियों की शरणगाह होने की गोरखपुर की छवि योगी जी के कारण बदली है। अपराधियों के विरुद्ध आम जनता एवं व्यापारियों के साथ खड़ा होने के कारण आज पूर्वी उत्तर प्रदेश में अपराधियों के मनोबल टूटे हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में योगी जी के संघर्षों का ही प्रभाव है कि माओवादी-जेहादी आतंकवादी इस क्षेत्र में अपने पॉव नही पसार पाए। नेपाल सीमा पर राष्ट्र विरोधी शक्तियों की प्रतिरोधक शक्ति के रुप में हिन्दु युवा वाहिनी सफल रही है।

 

शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवा के पुजारी- सेवा के क्षेत्र में शिक्षा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र को प्राथमिकता दिये जाने के गोरक्षपीठ द्वारा जारी अभियान को पूज्य योगी आदित्यनाथ जी महाराज ने भी और सशक्त ढंग से आगे बढ़ाया है। योगी जी के नेतृत्व में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद् द्वारा आज तीन दर्जन से अधिक शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थाएँ गोरखपुर एवं महाराजगंज जनपद में कुष्ठरोगियों एवं वनटांगियों के बच्चों की निःशुल्क शिक्षा से लेकर बी0एड0 एवं पालिटेक्निक जैसे रोजगारपरक सस्ती एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने का भगीरथ प्रयास जारी है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में गुरु श्री गोरक्षनाथ चिकित्सालय ने अमीर-गरीब सभी के लिये एक समान उच्च कोटि की स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध करायी है। निःशुल्क स्वास्थ्य शिविरों ने जनता के घर तक स्वास्थ्य सुविधाएँ पहुचायी हैं।

 

विकास के पथ पर अनवरत गतिशील – योगी आदित्यनाथ जी महाराज के व्यक्तित्व में सन्त और जननेता के गुणों का अद्भुत समन्वय है। ऐसा व्यक्तित्व विरला ही होता है। यही कारण है कि एक तरफ जहॉ वे धर्म-संस्कृति के रक्षक के रूप में दिखते हैं तो दूसरी तरफ वे जनसमस्याओं के समाधान हेतु अनवरत संघर्ष करते रहते है; सड़क, बिजली, पानी, खेती आवास, दवाई और पढ़ाई आदि की समस्याओं से प्रतिदिन जुझती जनता के दर्द को सड़क से संसद तक योगी जी संघर्षमय स्वर प्रदान करते रहे हैं। इसी का परिणाम है कि केन्द्र और प्रदेश में विपक्षी पार्टियों की सरकार होने के बावजूद गोरखपुर विकास के पथ पर अनवरत गतिमान है।

Posted in जीवन चरित्र

चाणक्य -विजय कृष्ण पांडेय


चाणक्य –

विजय कृष्ण पांडेय

विश्व प्रसिद्ध महान विभूति को
शत् शत् नमन,,,,

नंद वंश का खात्मा कर लिया बदला,बच्चे को बना दिया था भारत का सम्राट
बिहार की धरती पर एक से बढ़कर एक महापुरुषों ने जन्म लिया है,उन्ही में से
एक ऐसे महापुरुष के बारे में हम चर्चा करेंगे जिसकी बनाई नीतियों पर आज भी
बड़े-बड़े सूरमा चलना चाहते हैं,
जिसने कूटनीति, अर्थनीति और राजनीति में ऐसे मानक स्थापित किए जो आज
भी लोगों के लिए आदर्श बने हुए हैं।

उसने राजा हो या रंक, स्त्री हो या पुरुष, बालक हो या वृद्ध हर किसी के लिए कई
और महत्वपूर्ण नियम निर्धारित किए, जिन पर चलकर आज भी कोई किसी भी
मुकाम को हासिल कर सकता है।
उस महाज्ञानी और महाविद्वान का नाम है चाणक्य।
चाणक्य का नाम सुनते ही एक तेज-तर्रार व्यक्ति की छवि दिमाग में दौड़ जाती है।
दुनिया भर में चाणक्य को एक महान विचारक, कूटनीतिक, राजनीतिक और उच्च
कोटि के अर्थशास्त्री का दर्जा प्राप्त है।
चाणक्य ने सदियों पहले जिस अर्थशास्त्र की लिख डाला था उसे अभी भी अनुसरण
किया जाता है।
भारतीय विचारक मानते हैं कि चाणक्य उन लोगों में से एक हैं जिन्होने सबसे पहले
एकछत्र भारत की कल्पना की थी।
चाणक्य ने अपने जीवन में हमेशा उच्च विचारों और ऊंचे आदर्शों को अपनाए रखा।

—गुणों की खान थे चाणक्य
चाणक्य को एक ओर पारंगत और दूरदर्शी राजनीतिज्ञ के रूप में मौर्य साम्राज्य का
संस्थापक और संरक्षक माना जाता है,
तो दूसरी ओर उसे संस्कृति साहित्य के इतिहास में अपनी अतुलनीय एवं अद्भुत कृति
के कारण अपने विषय का एकमात्र विद्वान होने का गौरव प्राप्त है।
कौटिल्य की विद्वता, निपुणता और दूरदर्शिता का बखान भारत के शास्त्रों, काव्यों
तथा अन्य ग्रंथों में किया गया है।

—भरी सभा में कहा था नंद वंश का कर दूंगा समूल नाश
चाणक्य ने नंद वंश के राजा से कहा था कि व्यक्ति अपने गुणों से ऊपर बैठता है,
ऊंचे स्थान पर बैठने से कोई भी ऊंचा नहीं हो जाता है।
ये बातें चाणक्य ने तत्कालीन शक्तिशाली राजा महानंद के राजदरबार में कहीं थी।
तब मगध राज्य में किसी यज्ञ का आयोजन किया गया था।
उस यज्ञ में चाणक्य भी सम्मिलित हुए थे और जाकर एक प्रधान आसन पर बैठ
गए थे।
इनके काले कलूटे रंग को देखकर महाराज नंद इन्हे आसन से उठवा कर अपमानित किया था।
अपमान से क्रोधित होकर चाणक्य ने भरी सभा में प्रतिज्ञा की कि जबतक मैं नंद
वंश का समूल नाश नहीं कर दूंगा अपनी चोटी नहीं बाधूंगा।

—एकछत्र भारत का देखा था सपना
चाणक्य एक बहुत ही क्रोधी और बुद्धिमान ब्राम्हण थे जिन्हे कौटिल्य के नाम से
भी जाना जाता है।
चाणक्य को मौर्य साम्राज्य के संस्थापक के रूप में भी याद किया जाता है।
चाणक्य की सबसे बड़ी इच्छा थी कि भारत को एक गौरवशाली और विशाल राज्य
के रूप में देखना।

—चंद्रगुप्त के संग मिलकर लिया अपमान का बदला
उन दिनों राज्य से निकाले गए राजकुमार चंद्रगुप्त से मुलाकात चाणक्य की
मुलाकात हुई।
चाणक्य ने इस राजकुमार को शिक्षा-दीक्षा देकर योग्य राजकुमार बनाया।
जिसकी मदद से चाणक्य ने नंदवंश के ताबूत में आखिरी कील ठोकी थी।
चाणक्य ने जो अखंड़ भारत का सपना था उसे चंद्रगुप्त के साथ मिलकर पूरा किया। चंद्रगुप्त चाणक्य की मदद से संपूर्ण भारत को एक साम्राज्य के अधीन लाने में
सफल हो गए थे।

—मौर्य वंश की नींव
मुद्रा राक्षस के मुताबिक चंद्रगुप्त मौर्य नंद वंश के राजा सर्वार्थसिद्धि के पुत्र थे,
चंद्रगुप्त की माता का नाम मुरा था जो कि एक शूद्र की पुत्री थी।
वहीं विष्णु पुराण से पता चलता है कि चंद्रगुप्त नंद वंश का ही राजकुमार था जो मुरा नामक दासी का पुत्र था।
नंद वंश की शुरुआत महापद्मानंद के द्वारा की मानी जाती है, जिसे मगध का पहला
शूद्र राजा कहा जाता है।

आचार्य चाणक्य एक ऐसी महान विभूति थे, जिन्होंने अपनी विद्वत्ता और क्षमताओं
के बल पर भारतीय इतिहास की धारा को बदल दिया।
मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चाणक्य कुशल राजनीतिज्ञ, चतुर कूटनीतिज्ञ, प्रकांड अ
र्थशास्त्री के रूप में भी विश्वविख्‍यात हुए।
इतनी सदियाँ गुजरने के बाद आज भी यदि चाणक्य के द्वारा बताए गए सिद्धांत ‍और
नीतियाँ प्रासंगिक हैं तो मात्र इसलिए क्योंकि उन्होंने अपने गहन अध्‍ययन,चिंतन और
जीवानानुभवों से अर्जित अमूल्य ज्ञान को, पूरी तरह नि:स्वार्थ होकर मानवीय कल्याण
के उद्‍देश्य से अभिव्यक्त किया।

वर्तमान दौर की सामाजिक संरचना, भूमंडलीकृत अर्थव्यवस्था और शासन-प्रशासन
को सुचारू ढंग से बताई गई ‍नीतियाँ और सूत्र अत्यधिक कारगर सिद्ध हो सकते हैं।
चाणक्य नीति के द्वितीय अध्याय से यहाँ प्रस्तुत हैं कुछ अंश –

1. जिस प्रकार सभी पर्वतों पर मणि नहीं मिलती, सभी हाथियों के मस्तक में मोती
उत्पन्न नहीं होता, सभी वनों में चंदन का वृक्ष नहीं होता, उसी प्रकार सज्जन पुरुष
सभी जगहों पर नहीं मिलते हैं।

2. झूठ बोलना, उतावलापन दिखाना,दुस्साहस करना,छल-कपट करना,मूर्खतापूर्ण
कार्य करना,लोभ करना,अपवित्रता और निर्दयता – ये सभी स्त्रियों के स्वाभाविक
दोष हैं।
चाणक्य उपर्युक्त दोषों को स्त्रियों का स्वाभाविक गुण मानते हैं।
हालाँकि वर्तमान दौर की शिक्षित स्त्रियों में इन दोषों का होना सही नहीं कहा जा
सकता है।

3. भोजन के लिए अच्छे पदार्थों का उपलब्ध होना,उन्हें पचाने की शक्ति का होना,
सुंदर स्त्री के साथ संसर्ग के लिए कामशक्ति का होना, प्रचुर धन के साथ-साथ धन
देने की इच्छा होना।
ये सभी सुख मनुष्य को बहुत कठिनता से प्राप्त होते हैं।

4. चाणक्य कहते हैं कि जिस व्यक्ति का पुत्र उसके नियंत्रण में रहता है,जिसकी
पत्नी आज्ञा के अनुसार आचरण करती है और जो व्यक्ति अपने कमाए धन से
पूरी तरह संतुष्ट रहता है।
ऐसे मनुष्य के लिए यह संसार ही स्वर्ग के समान है।

5. चाणक्य का मानना है कि वही गृहस्थी सुखी है,जिसकी संतान उनकी आज्ञा का
पालन करती है।
पिता का भी कर्तव्य है कि वह पुत्रों का पालन-पोषण अच्छी तरह से करे।
इसी प्रकार ऐसे व्यक्ति को मित्र नहीं कहा जा सकता है,जिस पर विश्वास नहीं किया
जा सके और ऐसी पत्नी व्यर्थ है जिससे किसी प्रकार का सुख प्राप्त न हो।

6. जो मित्र आपके सामने चिकनी-चुपड़ी बातें करता हो और पीठ पीछे आपके कार्य
को बिगाड़ देता हो, उसे त्याग देने में ही भलाई है।
चाणक्य कहते हैं कि वह उस बर्तनके समान है,जिसके ऊपर के हिस्से में दूध लगा है
परंतु अंदर विष भरा हुआ होता है।

7. जिस प्रकार पत्नी के वियोग का दुख, अपने भाई-बंधुओं से प्राप्त अपमान का दुख
असहनीय होता है, उसी प्रकार कर्ज से दबा व्यक्ति भी हर समय दुखी रहता है।
दुष्ट राजा की सेवा में रहने वाला नौकर भी दुखी रहता है।
निर्धनता का अभिशाप भी मनुष्य कभी नहीं भुला पाता।
इनसे व्यक्ति की आत्मा अंदर ही अंदर जलती रहती है।

8. ब्राह्मणों का बल विद्या है,राजाओं का बल उनकी सेना है,वैश्यों का बल उनका धन है
और शूद्रों का बल दूसरों की सेवा करना है।

ब्राह्मणों का कर्तव्य है कि वे विद्या ग्रहण करें।
राजा का कर्तव्य है कि वे सैनिकों द्वारा अपने बल को बढ़ाते रहें।
वैश्यों का कर्तव्य है कि वे व्यापार द्वारा धन बढ़ाएँ,
शूद्रों का कर्तव्य श्रेष्ठ लोगों की सेवा करना है।

9. चाणक्य का कहना है कि मूर्खता के समान यौवन भी दुखदायी होता है क्योंकि जवानी
में व्यक्ति कामवासना के आवेग में कोई भी मूर्खतापूर्ण कार्य कर सकता है।
परंतु इनसे भी अधिक कष्टदायक है दूसरों पर आश्रित रहना।

10. चाणक्य कहते हैं कि बचपन में संतान को जैसी शिक्षा दी जाती है,उनका विकास
उसी प्रकार होता है।
इसलिए माता-पिता का कर्तव्य है कि वे उन्हें ऐसे मार्ग पर चलाएँ, जिससे उनमें
उत्तम चरित्र का विकास हो क्योंकि गुणी व्यक्तियों से ही कुल की शोभा बढ़ती है।

11. वे माता-पिता अपने बच्चों के लिए शत्रु के समान हैं, जिन्होंने बच्चों को ‍अच्छी
शिक्षा नहीं दी।
क्योंकि अनपढ़ बालक का विद्वानों के समूह में उसी प्रकार अपमान होता है जैसे
हंसों के झुंड में बगुले की स्थिति होती है।
शिक्षा विहीन मनुष्य बिना पूँछ के जानवर जैसा होता है, इसलिए माता-पिता का
कर्तव्य है कि वे बच्चों को ऐसी शिक्षा दें जिससे वे समाज को सुशोभित करें।

12. चाणक्य कहते हैं कि अधिक लाड़ प्यार करने से बच्चों में अनेक दोष उत्पन्न
हो जाते हैं।
इसलिए यदि वे कोई गलत काम करते हैं तो उसे नजरअंदाज करके लाड़-प्यार
करना उचित नहीं है। बच्चे को डाँटना भी आवश्यक है।

13. शिक्षा और अध्ययन की महत्ता बताते हुए चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य का जन्म
बहुत सौभाग्य से मिलता है,इसलिए हमें अपने अधिकाधिक समय का वे‍दादि शास्त्रों
के अध्ययन में तथा दान जैसे अच्छे कार्यों में ही सदुपयोग करना चाहिए।

14. चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति अच्छा मित्र नहीं है उस पर तो विश्वास नहीं
करना चाहिए, परंतु इसके साथ ही अच्छे मित्र के संबंद में भी पूरा विश्वास नहीं
करना चाहिए, क्योंकि यदि वह नाराज हो गया तो आपके सारे भेद खोल सकता है।
अत: सावधानी अत्यंत आवश्यक है।

चाणक्य का मानना है कि व्यक्ति को कभी अपने मन का भेद नहीं खोलना चाहिए।
उसे जो भी कार्य करना है,उसे अपने मन में रखे और पूरी तन्मयता के साथ समय
आने पर उसे पूरा करना चाहिए।

15. चाणक्य के अनुसार नदी के किनारे स्थित वृक्षों का जीवन अनिश्चित होता है,
क्योंकि नदियाँ बाढ़ के समय अपने किनारे के पेड़ों को उजाड़ देती हैं।
इसी प्रकार दूसरे के घरों में रहने वाली स्त्री भी किसी समय पतन के मार्ग पर जा
सकती है।
इसी तरह जिस राजा के पास अच्छी सलाह देने वाले मंत्री नहीं होते,वह भी बहुत
समय तक सुरक्षित नहीं रह सकता।
इसमें जरा भी संदेह नहीं करना चाहिए।

17. चाणक्य कहते हैं कि जिस तरह वेश्या धन के समाप्त होने पर पुरुष से मुँह
मोड़ लेती है।
उसी तरह जब राजा शक्तिहीन हो जाता है तो प्रजा उसका साथ छोड़ देती है।
इसी प्रकार वृक्षों पर रहने वाले पक्षी भी तभी तक किसी वृक्ष पर बसेरा रखते हैं,
जब तक वहाँ से उन्हें फल प्राप्त होते रहते हैं।
अतिथि का जब पूरा स्वागत-सत्कार कर दिया जाता है तो वह भी उस घर को
छोड़ देता है।

18. बुरे चरित्र वाले, अकारण दूसरों को हानि पहुँचाने वाले तथा अशुद्ध स्थान पर
रहने वाले व्यक्ति के साथ जो पुरुष मित्रता करता है, वह शीघ्र ही नष्ट हो जाता है।
आचार्य चाणक्य का कहना है मनुष्य को कुसंगति से बचना चाहिए।
वे कहते हैं कि मनुष्य की भलाई इसी में है कि वह जितनी जल्दी हो सके, दुष्ट
व्यक्ति का साथ छोड़ दे।

19. चाणक्य कहते हैं कि मित्रता, बराबरी वाले व्यक्तियों में ही करना ठीक रहता है।
सरकारी नौकरी सर्वोत्तम होती है और अच्छे व्यापार के लिए व्यवहारकुशल होना
आवश्यक है।
इसी तरह सुंदर व सुशील स्त्री घर में ही शोभा देती है।

जयति पुण्य सनातन संस्कृति,,,
जयति पुण्य भूमि भारत,,,

सदा सुमंगल,,,
वन्देमातरम,,,,
जय भवानी,,
जय श्री राम,,

Posted in आयुर्वेद - Ayurveda

आज क्यों होती है यह अलर्जी और क्या हैं इससे बचने के उपाय ? आइए जानते हैं इसके सभी पहलुओं कोः


आज क्यों होती है यह अलर्जी और क्या हैं इससे बचने के उपाय ? आइए जानते हैं इसके सभी पहलुओं कोः

http://isha.sadhguru.org/blog/hi/jeene-ke-rang-dhang/naak-kee-allergy-se-kaise-bachen/

आजकल कई तरह की एलर्जी देखने में आती हैं। इनमें से जो एलर्जी सबसे ज्यादा परेशानी पैदा करती हैं, वे आंख और नाक की एलर्जी हैं। जब किसी इंसान का ‘इम्यून सिस्टम’ यानी प्रतिरोधक तंत्र वातावरण में मौजूद लगभग नुकसानरहित पदार्थों के संपर्क में आता है तो एलर्जी संबंधी समस्या होती है। शहरी वातावरण में तो इस तरह की समस्याएं और भी ज्यादा हैं।

नाक की एलर्जी से पीड़ित लोगों की नाक के पूरे रास्ते में अलर्जिक सूजन पाई जाती है। ऐसा धूल और पराग कणों जैसे एलर्जी पैदा करने वाली चीजों के संपर्क में आने की वजह से होता है।

नाक की एलर्जी के प्रकार

नाक की एलर्जी मुख्य तौर पर दो तरह की होती है। पहली मौसमी, जो साल में किसी खास वक्त के दौरान ही होती है और दूसरी बारहमासी, जो पूरे साल चलती है। दोनों तरह की एलर्जी के लक्षण एक जैसे होते हैं।

– मौसमी एलर्जी को आमतौर पर घास-फूस का बुखार भी कहा जाता है। साल में किसी खास समय के दौरान ही यह होता है। घास और शैवाल के पराग कण जो मौसमी होते हैं, इस तरह की एलर्जी की आम वजहें हैं।

– नाक की बारहमासी एलर्जी के लक्षण मौसम के साथ नहीं बदलते। इसकी वजह यह होती है कि जिन चीजों के प्रति आप अलर्जिक होते हैं, वे पूरे साल रहती हैं।

जिन लोगों को एलर्जी की समस्या है, उन्हें लगातार कपालभाति का अभ्यास करना चाहिए और इसकी अवधि को जितना हो सके, उतना बढ़ाना चाहिए। तीन से चार महीने का अभ्यास आपको एलर्जी से मुक्ति दिला सकता है।

इनमें शामिल हैं: कॉकरोच, पालतू जानवरों की रूसी और छछूंदर के बीजाणु। इसके अलावा घरों में पाए जाने वाले बेहद छोटे-छोटे परजीवियों से भी एलर्जी हो सकती है। घर की साफ-सफाई करने वाला हर शख्स जानता है कि धूल का कोई मौसम नहीं होता। अच्छी बात यह है कि एलर्जी पैदा करने वाले इन कारणों से बचकर आप हमेशा रहने वाली नाक की एलर्जी को नियंत्रित कर सकते हैं।
कारण
– एलर्जी की प्रवृत्ति आपको आनुवंशिक रूप से यानि कि अपने परिवार या वंश से मिल सकती है।

– किसी खास पदार्थ के साथ लंबे वक्त तक संपर्क में रहने से भी हो सकती है।

– नाक की एलर्जी को बढ़ाने वाले कारकों में शामिल हैं: सिगरेट के धुएं के संपर्क में आना, जन्म के समय बच्चे का वजन बहुत कम होना, बच्चों को बोतल से ज्यादा दूध पिलाना, बच्चों का जन्म उस मौसम में होना, जब वातावरण में पराग कण ज्यादा होते हैं।
बचाव
मौसमी एलर्जी से बचाव :
जिन चीजों से आपकी एलर्जी बढ़ जाती है, उन सभी को आप खत्म तो नहीं कर सकते, लेकिन कुछ कदम उठाकर आप इसके लक्षणों को नियंत्रित कर सकते हैं। साथ ही, एलर्जी पैदा करने वाले उन तत्वों से बचाव भी संभव है।

– बरसात के मौसम, बादलों वाले मौसम और हवा रहित दिनों में पराग कणों का स्तर कम होता है। गर्म, शुष्क और हवा वाला मौसम वायुजनित पराग कणों और एलर्जी के लक्षणों को बढ़ा सकता है। इसलिए ऐसे दिनों में बाहर कम आएं-जाएं और खिड़कियों को बंद करके रखें।

– अपने बगीचे या आंगन को सही तरीके से रखें। लॉन की घास को दो इंच से ज्यादा न बढ़ने दें। चमकदार और रंगीन फूल सबसे अच्छे होते हैं, क्योंकि वे ऐसे पराग कण पैदा करते हैं, जिनसे एलर्जी नहीं होती।

बारहमासी एलर्जी से बचावः

पूरे साल के दौरान अगर आप एलर्जी से पीड़ित रहते हैं, तो इसका दोष आपके घर या ऑफिस को दिया जा सकता है। एलर्जी के लक्षणों को कम करने के लिए सबसे बढ़िया तरीका है कि आप अपने घर और ऑफिस को साफ-सुथरा रखें।

इसके लिए हफ्ते में एक बार घर और ऑफिस की धूल झाड़ना अच्छा कदम है, लेकिन एलर्जी से पीड़ित लोगों के लिए यह काफी नहीं है। हो सकता है कि साफ सुथरी जगह होने के बावजूद वहां से एलर्जी पैदा करने वाले तत्व साफ न हुए हों। नाक की एलर्जी से पीड़ित लोगों के लिए घर को एक बेहतर जगह बनाने के लिए कुछ अतिरिक्त कदम उठाए जाने की जरूरत है।

– कालीन और गद्देदार फर्नीचर की साफ-सफाई पर खास ध्यान दें।

– ऐसे गद्दों और तकियों के कवर का इस्तेमाल करें जिन पर एलर्जी पैदा करने वाले तत्वों का असर न होता हो।

– हर हफ्ते अपने बिस्तर को धोएं। इससे चादरों और तकियों के कवर पर आने वाले एलर्जी पैदा करने वाले तत्वों से छुटकारा मिलेगा। अच्छा तो यह होगा कि इन्हें गर्म पानी में धोया जाए और फिर इन्हें गर्म ड्रायर में सुखाया जाए।

– जब आप बाहर जाते हैं तो पराग कण आपके जूतों से चिपक जाते हैं। इसलिए बाहर से आने से पहले पैरों को पोंछ लें या जूतों को बाहर ही उतार दें।

– अपने दरवाजे और खिड़कियां बंद रखें, खासकर उन दिनों में जब पराग कण ज्यादा होते हैं।

एलर्जी का इलाज

नाक की एलर्जी का इलाज करने के लिए तीन तरीके हैं:

1 सबसे अच्छा तरीका है बचाव। जिन वजहों से आपको एलर्जी के लक्षण बढ़ते हैं, उनसे आपको दूर रहना चाहिए।

2 दवा जिनका उपयोग आप लक्षणों को रोकने और इलाज के लिए करते हैं।

3 इम्यूनोथेरपी- इसमें मरीज को इंजेक्शन दिए जाते हैं, जिनसे एलर्जी करने वाले तत्वों के प्रति उसकी संवेदनशीलता में कमी आ जाती है।

नाक की एलर्जी को आपको नजरंदाज नहीं करना चाहिए। अगर इसका इलाज न किया जाए, तो इससे साइनस, गला, कान और पेट की समस्याएं हो सकती हैं।

ऐसी स्थितियों के लिए इलाज की मुख्य पद्धति के अलावा वैकल्पिक तरीके भी इस्तेमाल किए जाते हैं। जहां तक योग की बात है, तो सदगुरु कहते हैं कि कपालभाति का रोजाना अभ्यास करने से एलर्जी के मरीजों को काफी फायदा होता है।

एलर्जी में रामबाण है कपालभाति

“मैं ऐसे कई लोगों को जानता हूं जिन्होंने अपने साइनस का इलाज करने की कोशिश में अपने पूरे सिस्टम को बिगाड़ दिया है। इसके लिए आपको बस एक या दो महीने तक लगातार कपालभाति का अभ्यास करना है, आपका साइनस पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। अगर आप इसे सही तरीके से करते हैं, तो कपालभाति से सर्दी-जुकाम से संबंधित हर रोग में आराम मिलेगा।

जिन लोगों को एलर्जी की समस्या है, उन्हें लगातार कपालभाति का अभ्यास करना चाहिए और इसकी अवधि को जितना हो सके, उतना बढ़ाना चाहिए। तीन से चार महीने का अभ्यास आपको एलर्जी से मुक्ति दिला सकता है। कुछ अपवाद हो सकते हैं, लेकिन ज्यादातर लोगों को इससे फायदा ही हुआ है।

10 से 12 काली मिर्च कूट लें। इन्हें दो चम्मच शहद में रात भर भिगोकर रखें। सुबह उठकर इसे खा लें और काली मिर्च को चबा लें। शहद में हल्दी मिला ली जाए तो वह भी अच्छा है। अगर आप सभी डेरी पदार्थों से बचकर रहते हैं तो अपने आप ही बलगम कम होता जाएगा।

जिन लोगों को कोई आराम नहीं मिला, उन्हें चाहिए कि जिन चीजों से उन्हें एलर्जी होती है, उनसे कुछ समय के लिए बचकर रहें और कुछ समय तक क्रिया करना जारी रखें, जिससे यह ठीक से काम करने लगे। एलर्जी की वजह से हो सकता है कि उनकी क्रिया बहुत ज्यादा प्रभावशाली न हो। अगर नाक का रास्ता पूरी तरह नहीं खुला है और बलगम की ज्यादा मात्रा है तो क्रिया पूरी तरह से प्रभावशाली नहीं भी हो सकती है। अगर सही तरीके से इसका अभ्यास किया जाए, तो आपको अपने आप ही एलर्जी से छुटकारा मिल सकता है। सर्दी का मौसम फिर आपको परेशान नहीं करेगा। सर्दी ही नहीं, गर्मी से भी आपको ज्यादा परेशानी नहीं होगी। जब आपके भीतर ही एयर कंडिशन हो तो गर्मी और सर्दी आपको बहुत ज्यादा परेशान नहीं करेगी।

नाक के रास्तों को साफ रखना और सही तरीके से सांस लेना एक बेहद महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। आधुनिक समाज के लोग इसे भूल गए हैं। उन्हें लगता है कि कैसे भी जाए, बस हवा अंदर चली जाए, इतना ही काफी है। ऐसा नहीं है। साफ नासिका छिद्र और श्वसन के स्वस्थ तरीके का बड़ा महत्व है। अगर कपालभाति का भरपूर अभ्यास किया जाए तो अतिरिक्त बलगम यानी कफ भी खत्म हो जाएगा। शुरू में आप कपालभाति 50 बार करें। इसके बाद धीरे-धीरे रोजाना 10 से 15 बार इसे बढ़ाते जाएं। चाहें तो इसकी संख्या एक हजार तक भी बढ़ा सकते हैं। ऐसे भी लोग हैं जो 500, 1000 या 1500 कपालभाति भी करते हैं। अभ्यास करते रहने से एक ऐसा वक्त भी आएगा, जब कोई अतिरिक्त बलगम नहीं होगा और आपका नासिका छिद्र हमेशा साफ रहेगा।” – सदगुरु

कुछ घरेलू नुस्खे

जिन लोगों को सर्दी के रोग हैं और हर सुबह उन्हें अपनी नाक बंद मिलती है, उन्हें नीम, काली मिर्च, शहद और हल्दी का सेवन करना चाहिए। इससे उन्हें काफी फायदा होगा।

– इसके लिए नीम की पत्तियों को पीसकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट से एक छोटी सी गोली बना लें, इसे शहद में डुबोएं और हर सुबह खाली पेट इसे निगल लें। अगले एक घंटे तक कुछ न खाएं, ताकि नीम का आपके शरीर पर असर हो सके। यह तरीका हर तरह की एलर्जी में फायदा पहुंचाता है, चाहे वह त्वचा की एलर्जी हो, भोजन की एलर्जी हो या किसी और चीज की। इस अभ्यास को हमेशा करते रहना चाहिए। इससे नुकसान कुछ नहीं है। नीम के अंदर जबर्दस्त औषधीय गुण हैं। कड़वाहट ज्यादा महसूस होती है तो नीम की मुलायम नई पत्तियों का इस्तेमाल कर लें, नहीं तो कोई भी हरी और ताजी पत्ती ठीक है।

– 10 से 12 काली मिर्च कूट लें। इन्हें दो चम्मच शहद में रात भर भिगोकर रखें। सुबह उठकर इसे खा लें और काली मिर्च को चबा लें। शहद में हल्दी मिला ली जाए तो वह भी अच्छा है। अगर आप सभी डेरी पदार्थों से बचकर रहते हैं तो अपने आप ही बलगम कम होता जाएगा।

ईशा योग केंद्र पर ‘शून्य इंटेंसिव योग कार्यक्रम’ में कपालभाति सिखाया जाता है। इस कार्यक्रम के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए देखें –  शून्य मैडिटेशन

Posted in आयुर्वेद - Ayurveda

1 महीने पीएं मेथी का पानी, शरीर के हर पार्ट में आएगा ये चमत्कारिक बदलाव


1 महीने पीएं मेथी का पानी, शरीर के हर पार्ट में आएगा ये चमत्कारिक बदलाव
🌼घर पर आसानी से मिल जाने वाली मेथी में इतने सारे गुण है कि आप सोच भी नहीं सकते है। यह सिर्फ एक मसाला नहीं है बल्कि एक ऐसी दवा है जिसमें हर बीमारी को खत्म करने का दम है। आइए आज हम आपको मेथी के पानी के कुछ चमत्कारिक तरीके बताते हैं।

करें ये काम

🌼एक पानी से भरा गिलास ले कर उसमें दो चम्‍मच मेथी दाना डाल कर रातभर के लिये भिगो दें। सुबह इस पानी को छानें और खाली पेट पी जाएं। रातभर मेथी भिगोने से पानी में एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी ऑक्‍सीडेंट गुण बढ जाते हैं। इससे शरीर की तमाम बीमारियां चुटकियों में खत्म हो जाती है। आइए आपको बताते है कि कौन सी है वो खतरनाक 7 बीमारियां जो भग जाएंगी इस पानी को पीने से।

वजन होगा कम

🌼यदि आप भिगोई हुई मेथी के साथ उसका पानी भी पियें तो आपको जबरदस्‍ती की भूख नहीं लगेगी। रोज एक महीने तक मेथी का पानी पीने से वजन कम करने में मदद मिलती है।

गठिया रोग से बचाए

🌼इसमें एंटीऑक्‍सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होने के नातेए मेथी का पानी गठिया से होने वाले दर्द में भी राहत दिलाती है।

कोलेस्‍ट्रॉल लेवल घटाए

🌼बहुत सारी स्‍टडीज़ में प्रूव हुआ है कि मेथी खाने से या उसका पानी पीने से शरीर से खराब कोलेस्‍ट्रॉल का लेवल कम होकर अच्‍छे कोलेस्‍ट्रॉल का लेवल बढ़ता है।

ब्लड प्रेशर होगा कंट्रोल

🌼मेथी में एक galactomannan नामक कम्‍पाउंड और पोटैशियम होता है। ये दो सामग्रियां आपके ब्‍लड प्रेशर को कंट्रोल करने में बड़ी ही सहायक होती हैं।

कैंसर से बचाए

🌼मेथी में ढेर सारा फाइबर होता है जो कि शरीर से विषैले तत्‍वों को निकाल फेंकती है और पेट के कैंसर से बचाती है।

किडनी स्‍टोन

🌼अगर आप भिगोई हुई मेथी का पानी 1 महीने तक हर सुबह खाली पेट पियेंगे आपकी किडनी से स्‍टोन जल्‍द ही निकल जाएंगे।

मधुमेह

🌼मेथी में galactomannan होता है जो कि एक बहुत जरुरी फाइबर कम्‍पाउंड है। इससे रक्‍त में शक्‍कर बड़ी ही धीमी गति से घुलती है। इस कारण से मधुमेह नहीं होता।

Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

एक धनी किसान ने बहुत सारी जमीन


एक धनी किसान ने बहुत सारी जमीन पर धान की फसल रोपी और उसकी रखवाली के लिए अनेक नौकर तैनात कर दिए। वे रात-दिन रखवाली करते, लेकिन फिर भी पक्षी आकर फसल खा जाते।
नौकरों ने यह बात किसान को बताई, तो उसने रखवालों को जाल फैलाने का आदेश दिया, ताकि पक्षियों को पकड़ा जा सके। एक दिन उसमें एक सुंदर पक्षी फंस गया। नौकर उसे किसान के पास ले गए। उन्होंने कहा -यह रोज हमारे खेत से भरपेट धान खाता है और खाने के बाद कुछ धान की बालियों को मुंह में दबाकर उड़ जाता है। किसान ने सुना तो बोला- अच्छा अब हम इसे सजा देंगे।
तभी पक्षी बोल पड़ा-सजा देने से पहले आप मेरी भी सुन लें। जमींदार ने कहा- ठीक है कहो। पक्षी ने कहा-आपके इतने बड़े खेत से मेरे चोंच भर हिस्सा लेने से आपका कुछ विशेष नुकसान नहीं हो जाएगा। मैं अपने खाने के बाद केवल छह बालियां लेकर जाता हूं। किसान ने पूछा-किस लिए? पक्षी ने कहा- मैं दो बालियां अपने वृद्ध माता-पिता के लिए लेकर जाता हूं। उन्हें अब दिखाई नहीं देता है। मेरा कर्तव्य है कि मैं अपने वृद्ध माता-पिता का पालन-पोषण करूं, उन्हें भूखा न रखूं।
दो बालियां नन्हे-मुन्हे बच्चों के लिए लेकर जाता हूं और दो बालियां परमार्थ रूप में अपने बीमार पड़ोसियों के लिए लेकर जाता हूं। यदि जीवन में इतना परमार्थ भी न कर सकूं तो मेरा जीवन व्यर्थ है। पक्षी का कथन सुनकर किसान बहुत प्रभावित हुआ। उसे लगा इससे सीखने की जरूरत है। उसने पक्षी को आजाद कर दिया।

Dinesh Kedal

Posted in श्रीमद्‍भगवद्‍गीता

भागवत गीता की सही होती बातें 👌🏻


भागवत गीता की सही होती बातें 👌🏻

🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱

गीता 📜 में लिखी ये 10 भयंकर बातें कलयुग में हो रही हैं सच,…👇🏻

1.ततश्चानुदिनं धर्मः सत्यं शौचं क्षमा दया ।
कालेन बलिना राजन् नङ्‌क्ष्यत्यायुर्बलं स्मृतिः ॥

इस श्लोक का अर्थ है कि कलयुग में धर्म, स्वच्छता, सत्यवादिता, स्मृति, शारीरक शक्ति, दया भाव और जीवन की अवधि दिन-ब-दिन घटती जाएगी.

2.वित्तमेव कलौ नॄणां जन्माचारगुणोदयः ।
धर्मन्याय व्यवस्थायां कारणं बलमेव हि ॥

इस गीता के श्लोक का अर्थ है की कलयुग में वही व्यक्ति गुणी माना जायेगा जिसके पास ज्यादा धन है. न्याय और कानून सिर्फ एक शक्ति के आधार पे होगा !

3. दाम्पत्येऽभिरुचि र्हेतुः मायैव व्यावहारिके ।
स्त्रीत्वे पुंस्त्वे च हि रतिः विप्रत्वे सूत्रमेव हि ॥
इस श्लोक का अर्थ है कि कलयुग में स्त्री-पुरुष बिना विवाह के केवल रूचि के अनुसार ही रहेंगे.
व्यापार की सफलता के लिए मनुष्य छल करेगा और ब्राह्मण सिर्फ नाम के होंगे.

4. लिङ्‌गं एवाश्रमख्यातौ अन्योन्यापत्ति कारणम् ।
अवृत्त्या न्यायदौर्बल्यं पाण्डित्ये चापलं वचः ॥
इस श्लोक का अर्थ है कि
घूस देने वाले व्यक्ति ही न्याय पा सकेंगे और जो धन नहीं खर्च पायेगा उसे न्याय के लिए दर-दर की ठोकरे खानी होंगी. स्वार्थी और चालाक लोगों को कलयुग में विद्वान माना जायेगा.

5. क्षुत्तृड्भ्यां व्याधिभिश्चैव संतप्स्यन्ते च चिन्तया ।
त्रिंशद्विंशति वर्षाणि परमायुः कलौ नृणाम.

कलयुग में लोग कई तरह की चिंताओं में घिरे रहेंगे. लोगों को कई तरह की चिंताए सताएंगी और बाद में मनुष्य की उम्र घटकर सिर्फ 20-30 साल की रह जाएगी.
6. दूरे वार्ययनं तीर्थं लावण्यं केशधारणम् ।
उदरंभरता स्वार्थः सत्यत्वे धार्ष्ट्यमेव हि॥

लोग दूर के नदी-तालाबों और पहाड़ों को तीर्थ स्थान की तरह जायेंगे लेकिन अपनी ही माता पिता का अनादर करेंगे. सर पे बड़े बाल रखना खूबसूरती मानी जाएगी और लोग पेट भरने के लिए हर तरह के बुरे काम करेंगे.

7. अनावृष्ट्या विनङ्‌क्ष्यन्ति दुर्भिक्षकरपीडिताः । शीतवातातपप्रावृड् हिमैरन्योन्यतः प्रजाः ॥

इस श्लोक का अर्थ है कि
कलयुग में बारिश नहीं पड़ेगी और हर जगह सूखा होगा.मौसम बहुत विचित्र अंदाज़ ले लेगा. कभी तो भीषण सर्दी होगी तो कभी असहनीय गर्मी. कभी आंधी तो कभी बाढ़ आएगी और इन्ही परिस्तिथियों से लोग परेशान रहेंगे.

8. अनाढ्यतैव असाधुत्वे साधुत्वे दंभ एव तु ।
स्वीकार एव चोद्वाहे स्नानमेव प्रसाधनम् ॥
कलयुग में जिस व्यक्ति के पास धन नहीं होगा उसे लोग अपवित्र, बेकार और अधर्मी मानेंगे. विवाह के नाम पे सिर्फ समझौता होगा और लोग स्नान को ही शरीर का शुद्धिकरण समझेंगे.

9. दाक्ष्यं कुटुंबभरणं यशोऽर्थे धर्मसेवनम् ।
एवं प्रजाभिर्दुष्टाभिः आकीर्णे क्षितिमण्डले ॥
लोग सिर्फ दूसरो के सामने अच्छा दिखने के लिए धर्म-कर्म के काम करेंगे. कलयुग में दिखावा बहुत होगा और पृथ्वी पे भृष्ट लोग भारी मात्रा में होंगे. लोग सत्ता या शक्ति हासिल करने के लिए किसी को मारने से भी पीछे नहीं हटेंगे.

10. आच्छिन्नदारद्रविणा यास्यन्ति गिरिकाननम् ।
शाकमूलामिषक्षौद्र फलपुष्पाष्टिभोजनाः ॥

पृथ्वी के लोग अत्यधिक कर और सूखे के वजह से घर छोड़ पहाड़ों पे रहने के लिए मजबूर हो जायेंगे. कलयुग में ऐसा वक़्त आएगा जब लोग पत्ते, मांस, फूल और जंगली शहद जैसी चीज़ें खाने को मजबूर होंगे.

गीता में श्री कृष्णा द्वारा लिखी ये बातें इस कलयुग में सच होती दिखाई दे रही है. आपसे अनुरोध है कि इस जानकारी को ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ शेयर कीजिये ताकि हर भारतीय को पता चले कि हिन्दू धर्म कितना पुराना है.
हमें गर्व है कि श्री कृष्ण जैसे अवतारों ने पृथ्वी पे आकर कलयुग की भविष्यवाणी इतनी पहले ही कर दी थी, लेकिन फिर भी आज का मनुष्य अभी तक कोई सबक नहीं ले पाया.

Posted in हास्यमेव जयते

परीक्षा में गब्बरसिंह का चरित्र चित्रण करने के लिए कहा गया


परीक्षा में गब्बरसिंह का चरित्र चित्रण करने के लिए कहा गया-😀😁
.
दसवीं के एक छात्र ने लिखा-😉
.
1. सादगी भरा जीवन-
:- शहर की भीड़ से दूर जंगल में रहते थे,
एक ही कपड़े में कई दिन गुजारा करते थे,
खैनी के बड़े शौकीन थे.😂
.
2. अनुशासनप्रिय-
:- कालिया और उसके साथी को प्रोजेक्ट ठीक से न करने पर सीधा गोली मार दिये थे.😂
.
3.दयालु प्रकृति-
:- ठाकुर को कब्जे में लेने के बाद ठाकुर के सिर्फ हाथ काटकर छोड़ दिया था, चाहते तो गला भी काट सकते थे😂
.
4. नृत्य संगीत प्रेमी-
;- उनके मुख्यालय में नृत्य संगीत के कार्यक्रम चलते रहते थे..
‘महबूबा महबूबा’,😂
‘जब तक है जां जाने जहां’.
बसंती को देखते ही परख गये थे कि कुशल नृत्यांगना है.😂😂
.
5. हास्य रस के प्रेमी-
:- कालिया और उसके साथियों को हंसा हंसा कर ही मारे थे. खुद भी ठहाका मारकर हंसते थे, वो इस युग के ‘लाफिंग बुद्धा’ थे.😂
.
6. नारी सम्मान-
:- बंसती के अपहरण के बाद सिर्फ उसका नृत्य देखने का अनुरोध किया था,😀😂
.
7. भिक्षुक जीवन-
:- उनके आदमी गुजारे के लिए बस सूखा अनाज मांगते थे,
कभी बिरयानी या चिकन टिक्का की मांग नहीं की.. .😂
.
8. समाज सेवक-
:- रात को बच्चों को सुलाने का काम भी करते थे ..

टीचर अब तक कोमा में है😁

Posted in जीवन चरित्र

कौन हैं योगी आदित्यनाथ जी ??


कौन हैं योगी आदित्यनाथ जी ??
जानिए विशतार पूर्वक :–
योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश की गोरखपुर
से
सांसद है.. लोकसभा चुनाव में उन्होंने
लगातार सातवें
बार जीत दर्ज की…
योगी आदित्यनाथ बीएससी पास हैं
26साल की
उम्र से ही सांसद हैं सातवें बार संसद पहुंचे
हैं,लेकिन
उनकी इस चमत्कारी जीत के पीछे उनका
कट्टर
हिंदुत्व का एजेंडा हैं ऐसा एजेंडा जिससे
उनकी
ताकत लगातार बढ़ती गई.
इतनी कि आखिरकार गोरखपुर में जो योगी
कहे
वही नियम है, वही कानून है.तभी तो उनके
समर्थक
नारा भी लगाते हैं,’गोरखपुर में रहना है तो
योगी-
योगीकहना होगा.
‘1998 में शुरू हुई राजनीतिक पारी योगी
आदित्यनाथ का असली नाम है अजय सिंह.
वह मूल रूप से उत्तराखंड के रहने वाले हैं. गढ़वाल
यूनिवर्सिटी से उन्होंने बीएससी की
पढ़ाई की.
गोरखनाथ मंदिर के महंत अवैद्यनाथ ने उन्हें
दीक्षा
देकर योगी बनाया था अवैद्यनाथ ने 1998 में
राजनीति से संन्यास लिया और योगी
आदित्यनाथ
को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर
दिया.
यहीं से योगी आदित्यनाथ की
राजनीतिक पारी
शुरू हुई है.1998 में गोरखपुर से12वीं लोकसभा
का
चुनाव जीतकर योगी आदित्यनाथ संसद पहुंचे
तो वह
सबसे कमउम्र के सांसद थे
हिंदू युवा वाहिनी का गठन राजनीति के
मैदान में
आते ही योगी आदित्यनाथ ने सियासत की
दूसरी
डगर भी पकड़ ली उन्होंने हिंदू युवा
वाहिनी का
गठन किया और धर्म परिवर्तन के खिलाफ
मुहिम छेड़
दी कट्टर हिंदुत्व की राह पर चलते हुए उन्होंने
कई बार
विवादित बयान दिए.
योगी विवादों में बने रहे, लेकिन उनकी
ताकत
लगातार बढ़ती गई. 2007 में गोरखपुर में दंगे हुए
तो
योगी आदित्यनाथ को मुख्य आरोपी
बनाया
गया.गिरफ्तारी हुई और इस पर कोहराम
भी
मचा.योगी के खिलाफ कई अपराधिक मुकदमे
भी
दर्ज हुए.
अब तक योगी आदित्यनाथ की हैसियत ऐसी
बन गई
कि जहां वो खड़े होते, वहाँ सभा शुरू हो
जाती.वो
जो बोल देते, उनके समर्थकों के लिए वो कानून
हो
जाता.
यही नहीं,होली और दीपावली जैसे
त्योहार कब
मनाया जाए, इसके लिए भी योगी
आदित्यनाथ
गोरखनाथ मंदिर से फरमान जारी करते हैं
इसलिए
गोरखपुर में हिन्दूओं के त्योहार एक दिन बाद
मनाए
जाते हैं.
उर्दू बन गई हिंदी, मियां बदलकर
मायायोगी
आदित्यनाथ के तौर-तरीकों का अंदाजा इस
बात से
लगाया जा सकता है कि उन्होंने गोरखपुर के
कई
ऐतिहासिक मुहल्लों के नाम बदलवा दिए.
इसके तहत
उर्दू बाजार हिंदी बाजार बन
गया.अलीनगर
आर्यनगर हो गया. मियां बाजार माया
बाजार हो
गया. इतना ही नहीं,
योगी आदित्यनाथ तो आजमगढ़ का नाम भी
बदलवाना चाहते हैं.इसके पीछे आदित्यनाथ
का तर्क
है कि देश की पहचान हिंदी से है उर्दू से नहीं,
आर्य से
है अली से नहीं. गोरखपुर और आसपास के इलाके
में
योगी आदित्यनाथ और उनकी हिंदू युवा
वाहिनी
की तूती बोलती है.
बीजेपी में भी उनकी जबरदस्त धाक है.इसका
प्रमाण
यह है कि पिछले लोकसभा चुनावों में प्रचार
के लिए
योगी आदित्यनाथ को बीजेपी ने
हेलीकॉप्टर
मुहैया करवाया था !
#जय_श्रीराम

Posted in भारत गौरव - Mera Bharat Mahan

क्या आपने कभी इन पश्चिमी philosophers को पढ़ा है:


क्या आपने कभी इन पश्चिमी philosophers को पढ़ा है:
———————————————-

1. लियो टॉल्स्टॉय (1828 -1910):

“हिन्दू और हिन्दुत्व ही एक दिन दुनिया पर राज करेगी, क्योंकि इसी में ज्ञान और बुद्धि का संयोजन है”।

2. हर्बर्ट वेल्स (1846 – 1946):

” हिन्दुत्व का प्रभावीकरण फिर होने तक अनगिनत कितनी पीढ़ियां अत्याचार सहेंगी और जीवन कट जाएगा । तभी एक दिन पूरी दुनिया उसकी ओर आकर्षित हो जाएगी, उसी दिन ही दिलशाद होंगे और उसी दिन दुनिया आबाद होगी । सलाम हो उस दिन को “।

3. अल्बर्ट आइंस्टीन (1879 – 1955):

“मैं समझता हूँ कि हिन्दूओ ने अपनी बुद्धि और जागरूकता के माध्यम से वह किया जो यहूदी न कर सके । हिन्दुत्व मे ही वह शक्ति है जिससे शांति स्थापित हो सकती है”।

4. हस्टन स्मिथ (1919):

“जो विश्वास हम पर है और इस हम से बेहतर कुछ भी दुनिया में है तो वो हिन्दुत्व है । अगर हम अपना दिल और दिमाग इसके लिए खोलें तो उसमें हमारी ही भलाई होगी”।

5. माइकल नोस्टरैडैमस (1503 – 1566):

” हिन्दुत्व ही यूरोप में शासक धर्म बन जाएगा बल्कि यूरोप का प्रसिद्ध शहर हिन्दू राजधानी बन जाएगा”।

6. बर्टरेंड रसेल (1872 – 1970):

“मैंने हिन्दुत्व को पढ़ा और जान लिया कि यह सारी दुनिया और सारी मानवता का धर्म बनने के लिए है । हिन्दुत्व पूरे यूरोप में फैल जाएगा और यूरोप में हिन्दुत्व के बड़े विचारक सामने आएंगे । एक दिन ऐसा आएगा कि हिन्दू ही दुनिया की वास्तविक उत्तेजना होगा “।

7. गोस्टा लोबोन (1841 – 1931):

” हिन्दू ही सुलह और सुधार की बात करता है । सुधार ही के विश्वास की सराहना में ईसाइयों को आमंत्रित करता हूँ”।

8. बरनार्ड शा (1856 – 1950):

“सारी दुनिया एक दिन हिन्दू धर्म स्वीकार कर लेगी । अगर यह वास्तविक नाम स्वीकार नहीं भी कर सकी तो रूपक नाम से ही स्वीकार कर लेगी। पश्चिम एक दिन हिन्दुत्व स्वीकार कर लेगा और हिन्दू ही दुनिया में पढ़े लिखे लोगों का धर्म होगा “।

9. जोहान गीथ (1749 – 1832):

“हम सभी को अभी या बाद मे हिन्दू धर्म स्वीकार करना ही होगा । यही असली धर्म है ।मुझे कोई हिन्दू कहे तो मुझे बुरा नहीं लगेगा, मैं यह सही बात को स्वीकार करता हूँ ।”

Posted in जीवन चरित्र

कौन हैं योगी आदित्यनाथ जानिए


कौन हैं योगी आदित्यनाथ जानिए,,,,,,,,,,,,


योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश की गोरखपुर से सांसद है….
लोकसभा चुनाव में उन्होंने लगातार पाँचवें बार जीत दर्ज की….
योगी आदित्यनाथ बीएससी पास हैं….
26 साल की उम्र से ही सांसद हैं सातवें बार संसद पहुंचे हैं….
लेकिन उनकी इस चमत्कारी जीत के पीछे उनका कट्टर हिंदुत्व का एजेंडा हैं ऐसा एजेंडा जिससे
उनकी ताकत लगातार बढ़ती गई………

इतनी कि आखिरकार गोरखपुर में जो योगी कहे वही नियम है, वही कानून है, तभी तो उनके समर्थक नारा भी लगाते हैं, के गोरखपुर में रहना है तो योगी – योगी कहना होगा……

1998 में शुरू हुई राजनीतिक पारी योगी आदित्यनाथ का असली नाम है अजय सिंह…..
वह मूल रूप से उत्तराखंड के रहने वाले हैं…….
गढ़वाल यूनिवर्सिटी से उन्होंने बीएससी की पढ़ाई की……
गोरखनाथ मंदिर के महंत अवैद्यनाथ ने उन्हें दीक्षा देकर योगी बनाया था………
अवैद्यनाथ ने 1998 में राजनीति से संन्यास लिया और योगी आदित्यनाथ को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया……

यहीं से योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक पारी शुरू हुई है…. 1998 में गोरखपुर से12वीं लोकसभा का चुनाव जीतकर योगी आदित्यनाथ संसद पहुंचे तो वह सबसे कम उम्र के सांसद थे……
हिंदू युवा वाहिनी का गठन राजनीति के मैदान में आते ही योगी आदित्यनाथ ने सियासत की दूसरी डगर भी पकड़ ली उन्होंने
हिंदू युवा वाहिनी का गठन किया और धर्म परिवर्तन के खिलाफ
मुहिम छेड़ दी कट्टर हिंदुत्व की राह पर चलते हुए उन्होंने कई बार विवादित बयान भी दिए…..
योगी विवादों में बने रहे, लेकिन उनकी ताकत लगातार बढ़ती गई….

2007 में गोरखपुर में दंगे हुए तो योगी आदित्यनाथ को मुख्य आरोपी बनाया गया………
गिरफ्तारी हुई और इस पर कोहराम भी मचा….
योगी के खिलाफ कई अपराधिक मुकदमे भी दर्ज हुए…..
अब तक योगी आदित्यनाथ की हैसियत ऐसी बन गई कि जहां वो खड़े होते, वहाँ सभा शुरू हो जाती….
वो जो बोल देते, उनके समर्थकों के लिए वो कानून हो जाता…..
यही नहीं, होली और दीपावली जैसे
त्योहार कब मनाया जाए, इसके लिए भी योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर से फरमान जारी करते हैं…..

इसलिए गोरखपुर में हिन्दूओं के त्योहार एक दिन बाद मनाए जाते हैं…..
उर्दू बन गई हिंदी, मियां बदलकर मायायोगी आदित्यनाथ के
तौर-तरीकों का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने गोरखपुर के कई ऐतिहासिक मुहल्लों के नाम बदलवा दिए……

इसके तहत उर्दू बाजार हिंदी बाजार बन गया…..
अलीनगर आर्यनगर हो गया……
मियां बाजार माया बाजार हो गया…..
इतना ही नहीं, योगी आदित्यनाथ तो आजमगढ़ का नाम भी
बदलवाना चाहते हैं…..
इसके पीछे आदित्यनाथ का तर्क है कि देश की पहचान हिंदी से है उर्दू से नहीं…. आर्य से है अली से नहीं….
गोरखपुर और आसपास के इलाके में योगी आदित्यनाथ और उनकी हिंदू युवा वाहिनी की तूती बोलती है….
बीजेपी में भी उनकी जबरदस्त धाक है….
इसका प्रमाण यह है कि पिछले लोकसभा चुनावों में प्रचार
के लिए योगी आदित्यनाथ को बीजेपी ने हेलीकॉप्टर मुहैया करवाया था,,,,,,,,,,

नोट – योगी आदित्यनाथ का रुतबा गोरखपुर में ठीक वैसा ही हैं…. जैसा महाराष्ट्र में बाला साहेब ठाकरे का था….!!!!

जय जय श्री राम