Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

एक समय संत प्रात: काल


एक समय संत प्रात: काल* भ्रमण हेतू समुद्र के किनारे गए!
समुद्र के किनारे उन्होने एक पुरुष को देखा जो एक स्त्री की गोद में सर रख कर सोया हुआ था
पास में शराब की खाली बोतल पड़ी हुई थी.संत बहुत दु:खी हुए!
उन्होने ये विचार किया की ये मनुष्य कितना कामान्ध हैं!
जो प्रात:काल शराब सेवन करके स्त्री की गोदी में सर रख कर प्रेमालाप कर रहा हैं!
थोड़ी देर बाद समुद्र से बचाओ, बचाओ की आवाज आई,संत नें देखा की एक मनुष्य समुद्र में डूब रहा हैं!
मगर स्वयम को तैरना नहीं आने के कारण वो संत देखने के सिवाय कुछ नहीं कर सकते थे!
स्त्री की गोद में सिर रख कर सोया हुआ व्यक्ति उठा और डूबने वाले को बचाने हेतू पानी में कूद गया!
थोड़ी देर में उसने डूबने वाले को बचा लिया और किनारे ले आया!
संत विचार में पड़ गए की इस व्यक्ति को बुरा कहें या भला!
वो उसके पास गए और बोले भाई तूं कौन हैं और यहां क्या कर रहा हैं?
उस व्यक्ति ने उत्तर दिया की में एक मछुआरा हूं और मछली मारनें का काम करता हूं.आज कई दिनों से समुद्र से मछली पकड़ कर प्रात: जल्दी यहां लौटा हूं.
मेरी मां मुझे लेने के लिए आई थी और साथ में(घर में कोई दूसरा बर्तन नहीं होने पर)इस दारू की बोतल में पानी ले आई.
कई दिनो की यात्रा से में थका हुआ था
और भोर के सुहावने वातावरण में ये पानी पी कर थकान कम करने हेतू मां की गोदी में सिर रख कर ऐसे ही सो गया.
संत की आंखों में आंसु आ गए की मैं कैसा मनुष्य हूं जो देखा उसके बारे में
गलत विचार किया जिसकी वास्तविकता अलग थी!
कोई बात हम देखते वो नहीं होती हैं उसका एक दूसरा पहलू भी हो सकता हैं

किसी के प्रति कोई निर्णय लेने से पहले सौ बार सोचो...🙏🙏

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सौ ऊंट


🐪🐪🐪🐪 सौ ऊंट 🐪🐪🐪🐪

अजय राजस्थान के किसी शहर में रहता था l वह ग्रेजुएट था और एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता था l पर वो अपनी ज़िन्दगी से खुश नहीं था l हर समय वो किसी न किसी समस्या से परेशान रहता था और उसी के बारे में
सोचता रहता था l

एक बार अजय के शहर से कुछ दूरी पर एक फ़कीर बाबा का काफिला रुका
हुआ था l शहर में चारों और उन्ही की चर्चा थी l बहुत से लोग अपनी समस्याएं लेकर उनके पास पहुँचने लगे l अजय को भी इस बारे में पता चला और उसने भी फ़कीर बाबा के दर्शन करने का निश्चय किया l

छुट्टी के दिन सुबह -सुबह ही अजय उनके काफिले तक पहुंचा l वहां सैकड़ों लोगों की भीड़ जुटी हुई थी, बहुत इंतज़ार के बाद अजय का नंबर आया l

वह बाबा से बोला ,” बाबा , मैं अपने जीवन से बहुत दुखी हूँ , हर समय समस्याएं मुझे घेरी रहती हैं l कभी ऑफिस की टेंशन रहती है , तो कभी घर पर अनबन हो जाती है , और कभी अपने सेहत को लेकर परेशान रहता हूँ…. बाबा कोई ऐसा उपाय बताइये कि मेरे जीवन से सभी समस्याएं ख़त्म हो जाएं और मैं चैन से जी सकूँ ?

बाबा मुस्कुराये और बोले , “ पुत्र , आज बहुत देर हो गयी है मैं तुम्हारे प्रश्न का उत्तर कल सुबह दूंगा …लेकिन क्या तुम मेरा एक छोटा सा काम करोगे …?”

“ज़रूर करूँगा ..”, अजय उत्साह के साथ बोला l

“देखो बेटा , हमारे काफिले में सौ ऊंट हैं , और इनकी देखभाल करने वाला आज बीमार पड़ गया है , मैं चाहता हूँ कि आज रात तुम इनका खयाल रखो …और जब सौ के सौ ऊंट बैठ जाएं तो तुम भी सो जाना …”, ऐसा कहते हुए बाबा अपने तम्बू में चले गए ..

अगली सुबह बाबा अजय से मिले और पुछा , “ कहो बेटा , नींद अच्छी आई .”

“कहाँ बाबा , मैं तो एक पल भी नहीं सो पाया , मैंने बहुत कोशिश की पर मैं सभी ऊंटों को नहीं बैठा पाया , कोई न कोई ऊंट खड़ा हो ही जाता …!!!”, अजय दुखी होते हुए बोला .” l

“ मैं जानता था यही होगा …आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ है कि ये सारे ऊंट एक साथ बैठ जाएं …!!!”, “ बाबा बोले ..

अजय नाराज़गी के स्वर में बोला , “ तो फिर आपने मुझे ऐसा करने को क्यों कहा ”

बाबा बोले , “ बेटा , कल रात तुमने क्या अनुभव किया , यही ना कि चाहे कितनी भी कोशिश कर लो सारे ऊंट एक साथ नहीं बैठ सकते … तुम एक को बैठाओगे तो कहीं और कोई दूसरा खड़ा हो जाएगा इसी तरह तुम एक समस्या का समाधान करोगे तो किसी कारणवश दूसरी खड़ी हो जाएगी .. पुत्र जब तक जीवन है ये समस्याएं तो बनी ही रहती हैं … कभी कम तो कभी ज्यादा ….”

“तो हमें क्या करना चाहिए ?” , अजय ने जिज्ञासावश पुछा l

“इन समस्याओं के बावजूद जीवन का आनंद लेना सीखो … कल रात क्या हुआ , कई ऊंट रात होते -होते खुद ही बैठ गए , कई तुमने अपने प्रयास से बैठा दिए , पर बहुत से ऊंट तुम्हारे प्रयास के बाद भी नहीं बैठे …और जब बाद में तुमने देखा तो पाया कि तुम्हारे जाने के बाद उनमे से कुछ खुद ही बैठ गए …. कुछ समझे ….

“समस्याएं भी ऐसी ही होती हैं , कुछ तो अपने आप ही ख़त्म हो जाती हैं , कुछ को तुम अपने प्रयास से हल कर लेते हो …और कुछ तुम्हारे बहुत कोशिश करने पर भी हल नहीं होतीं , ऐसी समस्याओं को समय पर छोड़ दो … उचित समय पर वे खुद ही ख़त्म हो जाती हैं …. और जैसा कि मैंने पहले कहा … जीवन है तो कुछ समस्याएं रहेंगी ही रहेंगी …. पर इसका ये मतलब नहीं की तुम दिन रात उन्ही के बारे में सोचते रहो … ऐसा होता तो ऊंटों की देखभाल करने वाला कभी सो नहीं पाता…. समस्याओं को एक तरफ रखो और जीवन का आनंद लो ….!!!!!

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क्यों भगवान शिव को प्रिय हैं सर्प ?


क्यों भगवान शिव को प्रिय हैं सर्प ?

पौराणिक मान्यताओं में भगवान शंकर और सर्प का जुड़ाव गहरा है तभी तो वह उनके शरीर से लिपटे रहते है। यह बात सिर्फ मान्यताओं तक ही सीमित नहीं है।

यूं तो भगवान जनता जनार्दन के लिए अपनी कृपा बरसाने में अति दयालु है लेकिन कहते हैं कि अगर आपको भगवान शंकर के दर्शन ना हो और अगर सर्प के दर्शन हो जाएं तो समझिए कि साक्षात भगवान शंकर के ही दर्शन हो गए।

शिव को नागवंशियों से घनिष्ठ लगाव था। नाग कुल के सभी लोग शिव के क्षेत्र हिमालय में ही रहते थे। कश्मीर का अनंतनाग इन नागवंशियों का गढ़ था।

नागकुल के सभी लोग शैव धर्म का पालन करते थे। नागों के प्रारंभ में 5 कुल थे। उनके नाम इस प्रकार हैं- शेषनाग (अनंत), वासुकी, तक्षक, पिंगला और कर्कोटक।

ये शोध के विषय हैं कि ये लोग सर्प थे या मानव या आधे सर्प और आधे मानव? हालांकि इन सभी को देवताओं की श्रेणी में रखा गया है तो निश्‍चित ही ये मनुष्य नहीं होंगे।

नाग वंशावलियों में ‘शेषनाग’ को नागों का प्रथम राजा माना जाता है। शेषनाग को ही ‘अनंत’ नाम से भी जाना जाता है। ये भगवान विष्णु के सेवक थे।

इसी तरह आगे चलकर शेष के बाद वासुकी हुए, जो शिव के सेवक बने। फिर तक्षक और पिंगला ने राज्य संभाला। वासुकी का कैलाश पर्वत के पास ही राज्य था और मान्यता है कि तक्षक ने ही तक्षकशिला (तक्षशिला) बसाकर अपने नाम से ‘तक्षक’ कुल चलाया था।

उक्त पांचों की गाथाएं पुराणों में पाई जाती हैं।

उनके बाद ही कर्कोटक, ऐरावत, धृतराष्ट्र, अनत, अहि, मनिभद्र, अलापत्र, कम्बल, अंशतर, धनंजय, कालिया, सौंफू, दौद्धिया, काली, तखतू, धूमल, फाहल, काना इत्यादि नाम से नागों के वंश हुए जिनके भारत के भिन्न-भिन्न इलाकों में इनका राज्य था।

हर हर महादेव

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शिवलिंग …गुप्तांग नहीं है


आप सभी इसे ध्यान से पढ़िए…. शिवलिंग …गुप्तांग नहीं है… शिव के लिंग को “गुप्तांग” समझने वाले अवश्य पढें… प्रिय पाठकों/मित्रों, शिवलिंग का वास्तविक अर्थ क्या है और कैसे इसका गलत अर्थ निकालकर हिन्दुओं को भ्रमित किया गया कुछ लोग शिवलिंग की पूजा की आलोचना करते है, छोटे छोटे बच्चो को बताते है कि हिन्दू […]

via शिवलिंग …गुप्तांग नहीं है… — “विनायक वास्तु टाईम्स”