🌻 *क़र्ज़ की समझ* 🌻
एक सेठ जी थे। बहुत दयालु थे, धरम-करम में यकीन करते थे। उनके पास कोई भी व्यक्ति उधार मांगने आ जाता तो वो उसे मना नहीं करते थे। वो मुनीम को बुलाते और जो उधार मांगने वाला होता, उससे पूछते कि तुम उधार कब लौटाओगे? इस जन्म में या अगले जन्म में?
जो लोग ईमानदार होते, वो कहते इसी जन्म में। कुछ लोग चतरे भी होते है। तो कई चतरे मन ही मन खुश होते कि अच्छा सेठ है, अगले जन्म में उधार वापसी की उम्मीद लगाए बैठा है। ऐसे लोग मुनीम से कहते कि वो अगले जन्म में लौटाएंगे। मुनीम कभी किसी से कुछ पूछता नहीं था। जो जिस जन्म की बात कह देता, मुनीम लिख लेता।
एक दिन एक चोर सेठ के पास उधार मांगने पहुंचा। उसे मालूम था कि सेठ अगले जन्म तक के लिए उधार देता है। हालांकि उसका मकसद उधार लेने से अधिक सेठ की तिजोरी को देखना भी था। चोर ने सेठ से कुछ पैसे उधार मांगे, सेठ ने मुनीम को बुला कर उधार देने को कह दिया। मुनीम ने चोर से पूछा कि इस जन्म में लौटाओगे या अगले जन्म में? चोर ने कहा अगले जन्म में।
मुनीम ने तिजोरी खोल कर पैसे उसे दे दिए। चोर ने तिजोरी देख ली।
अब चोर ने तय कर लिया कि इस मूर्ख सेठ की तिजोरी रात में उड़ा दी जाए। वो रात में सेठ के घर पहुंच गया और वो वहीं भैंसों के तबेले में छिप कर सेठ के सोने का इंतज़ार करने लगा।
अचानक चोर ने सुना कि भैंसे आपस में बातें कर रही हैं। चोर भैंसो की भाषा ठीक से समझ पा रहा था। एक भैंस ने दूसरी से पूछा कि तुम तो आज ही आई हो न, बहन? भैंस ने जवाब दिया, “हां, आज ही सेठ के तबेले में आई हूं। तुम कब से यहां हो?”
“मुझे तो तीन साल हो गए। मैंने सेठ से उधार लिया था यह कह कर कि अगले जन्म में लौटाऊंगी। सेठ से उधार लेने के बाद जब मेरी मृत्यु हो गई तो मैं भैंस बन गई और सेठ के तबेले में चली आई। अब दूध देकर उसका कर्ज़ उतार रही हूं। जब तक कर्ज़ की रकम पूरी नहीं हो जाएगी, तब तक यहीं रहना होगा।”
चोर ने पूरी बात सुनी और वहां बंधी भैसों की ओर देखा। वो समझ गया कि उधार चुकाना ही पड़ता है। इस जन्म में या अगले जन्म में। उसे चुकाना ही होगा।
वो उल्टे पांव सेठ के घर की ओर भागा और जो कर्ज़ उसने लिया था उसे फटाफट मुनीम को लौटा कर रजिस्टर से अपना नाम कटवा लिया। हम सब भी इस दुनिया के अंदर इसलिए हैं कि कुछ लेने देने के हिसाब चुकाने हैं।
ज्योतिष सेवा