Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

​एक बहुत अमीर 


​एक बहुत अमीर आदमी ने रोड के किनारे एक भिखारी से पूछा.. “तुम भीख क्यूँ मांग रहे हो जबकि तुम तन्दुरुस्त  हो…??”
भिखारी ने जवाब दिया… “मेरे पास महीनों से कोई काम नहीं है…

अगर आप मुझे कोई नौकरी दें तो मैं अभी  से भीख मांगना छोड़ दूँ”
अमीर मुस्कुराया और कहा.. “मैं तुम्हें कोई नौकरी तो नहीं दे सकता ..

लेकिन मेरे पास इससे भी अच्छा कुछ है… 

क्यूँ नहीं तुम मेरे बिज़नस पार्टनर बन जाओ…”
भिखारी को उसके  कहे पर यकीन नहीं हुआ… 

“ये आप क्या कह रहे हैं क्या ऐसा मुमकिन है…?”
“हाँ मेरे पास एक चावल का प्लांट है.. तुम चावल बाज़ार में सप्लाई करो और जो भी मुनाफ़ा होगा उसे हम महीने के अंत में आपस में बाँट लेंगे..”
भिखारी के आँखों से ख़ुशी के आंसू निकल पड़े… 

” आप मेरे लिए जन्नत के फ़रिश्ते बन कर आये हैं मैं किस कदर आपका शुक्रिया अदा करूँ..”
फिर अचानक वो चुप हुआ और कहा.. “हम मुनाफे को कैसे बांटेंगे..?

क्या मैं 20% और आप 80% लेंगे ..या मैं 10% और आप 90% लेंगे..

जो भी हो …मैं तैयार हूँ और बहुत खुश हूँ…”
अमीर आदमी ने बड़े प्यार से उसके सर पर हाथ रखा ..

“मुझे मुनाफे का केवल 10% चाहिए बाकी 90% तुम्हारा ..ताकि तुम तरक्की कर सको..”
भिखारी अपने घुटने के बल  गिर पड़ा.. और रोते हुए बोला… 

“आप जैसा कहेंगे मैं वैसा ही करूंगा… मैं आपका बहुत शुक्रगुजार हूँ …।
और अगले दिन से भिखारी ने काम शुरू कर दिया ..उम्दा चावल और 

बाज़ार से सस्ते… और दिन रात की मेहनत से..बहुत जल्द ही उसकी बिक्री 

काफी बढ़ गई… रोज ब रोज तरक्की होने लगी….
और फिर वो दिन भी आया जब मुनाफा बांटना था.
और वो 10% भी अब उसे बहुत ज्यादा लग रहा  था… उतना उस भिखारी ने कभी सोचा भी नहीं था… अचानक एक शैतानी ख्याल उसके दिमाग में आया…
“दिन रात मेहनत मैंने की है…और उस अमीर आदमी ने कोई भी काम नहीं किया.. सिवाय मुझे अवसर देने की..मैं उसे ये 10% क्यूँ दूँ …वो इसका 

हकदार बिलकुल भी नहीं है..।
और फिर वो अमीर आदमी अपने नियत समय पर मुनाफे में 

अपना हिस्सा 10% वसूलने आया और भिखारी ने जवाब दिया

” अभी कुछ हिसाब बाक़ी है, मुझे यहाँ नुकसान हुआ है, लोगों से कर्ज की अदायगी बाक़ी है, ऐसे शक्लें बनाकर उस अमीर आदमी को हिस्सा देने को टालने लगा.”
अमीर आदमी ने कहा के “मुझे पता है तुम्हे कितना मुनाफा हुआ है फिर कयुं तुम मेरा हिस्सा देनेसे टाल रहे हो ?”
उस भिखारी ने तुरंत जवाब दिया “तुम इस मुनाफे के हकदार नहीं हो ..क्योंकि सारी मेहनत मैंने की है…”
अब सोचिये…

अगर वो अमीर हम होते और भिखारी से ऐसा जवाब सुनते ..

तो …हम क्या करते ?
ठीक इसी तरह………

भगवान  ने हमें जिंदगी दी..हाथ- पैर..आँख-कान.. दिमाग दिया..

 समझबूझ  दी…बोलने को जुबान दी…जज्बात दिए…”
हमें याद रखना चाहिए कि दिन के 24 घंटों में  10% भगवान  का हक है….

हमें इसे राज़ी ख़ुशी भगवान के नाम सिमरन में अदा करना चाहिए..और…भगवान का शुक्रिया अदा करना चाहिए  जिसने हमें  जिंदगी दी सुख दिए ।

Laxmi kant Varshaney

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​मोहम्मद गौरी


​मोहम्मद गौरी का वध भी वसंत पंचमी को हुआ था
वसंत पंचमी का दिन हमें पृथ्वीराज चौहान की भी याद दिलाता है। उन्होंने विदेशी हमलावर मोहम्मद गौरी को 16 बार पराजित किया और उदारता दिखाते हुए हर बार जीवित छोड़ दिया, पर जब सत्रहवीं बार वे पराजित हुए, तो मोहम्मद गौरी ने उन्हें नहीं छोड़ा। वह उन्हें अपने साथ अफगानिस्तान ले गया और उनकी आंखें फोड़ दीं।इसके बाद की घटना तो जग प्रसिद्ध ही है।
गौरी ने मृत्युदंड देने से पूर्व उनके शब्दभेदी बाण का कमाल देखना चाहा। पृथ्वीराज के साथी कवि चंदबरदाई के परामर्श पर गौरी ने ऊंचे स्थान पर बैठकर तवे पर चोट मारकर संकेत किया। तभी चंदबरदाई ने पृथ्वीराज को संदेश दिया।
चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण*। 

*ता ऊपर सुल्तान है, मत चूको चौहान ॥*
पृथ्वीराज चौहान ने इस बार भूल नहीं की। 

उन्होंने तवे पर हुई चोट और चंदबरदाई के संकेत से अनुमान लगाकर जो बाण मारा, वह गौरी के सीने में जा धंसा । (1192 ई) यह घटना भी वसंत पंचमी वाले दिन हुई थी