Month: February 2017
आज विद्यालय में बहुत चहल पहल है
आज विद्यालय में बहुत चहल पहल है
।
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सब कुछ साफ – सुथरा , एक दम
सलीके से ।
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सुना है निरीक्षण को कोई
साहब आने वाले हैं
।
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पूरा विद्यालय चकाचक ।
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नियत समय पर साहब विद्यालय
पहुंचे ।
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ठिगना कद , रौबदार चेहरा , और
आँखें तो जैसे
जीते जी पोस्टमार्टम कर दें ।
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पूरे परिसर के निरीक्षण के बाद
उनहोंने
कक्षाओं का रुख किया ।
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कक्षा पांच के एक
विद्यार्थी को उठा कर
पूछा , बताओ देश का प्रधान
मंत्री कौन है ?
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बच्चा बोला -जी राम लाल ।
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साहब बोले -बेटा प्रधान मंत्री ?
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बच्चा – रामलाल ।
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अब साहब गुस्साए – अबे तुझे पांच
में किसने
पहुंचाया ? पता है मैं तेरा नाम
काट
सकता हूँ ।
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बच्चा –
कैसे काटोगे ?
मेरा तो नाम ही नहीं लिखा है
।
मैं तो बाहर बकरी चरा रहा था ।
इस मास्टर ने कहा कक्षा में बैठ
जा दस रूपये
मिलेंगे ।
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मुझे तो तू ये बता कि रूपये तू
देगा या मास्टर ?
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साहब भुनभुनाते हुवे मास्टर
जी के पास गए ,
कडक आवाज में पूछा –
क्या मजाक बना रखा है ।
फर्जी बच्चे बैठा रखे हैं ।
पता है मैं तुम्हे नौकरी से बर्खास्त
कर सकता हूँ
।
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गुरूजी –
कर दे भाई ।
मैं कौन सा यहाँ का मास्टर हूँ ।
मास्टर
तो मेरा पड़ोसी दुकानदार है ।
वो दुकान का सामान लेने शहर
गया है।
कह रहा था एक खूसट साहब
आएगा , झेल लेना ।
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अब तो साहब का गुस्सा सातवें
आसमान पर ।
पैर पटकते हुए प्रधानाध्यापक के
सामने जा पहुंचे
।
चिल्लाकर बोले ,
” क्या अंधेरगर्दी है
, शरम नहीं आती ।
क्या इसी के लिए तुम्हारे स्कूल
को सरकारी इमदाद मिलती है
।
पता है ,मैं तुम्हारे स्कूल
की मान्यता समाप्त
कर सकता हूँ
जवाब दो प्रिंसिपल साहब ।
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प्रिंसिपल ने दराज से एक
सौ की गड्डी निकाल कर मेज
पर रखी और
बोला –
मैं कौन सा प्रिंसिपल हूँ
प्रिंसिपल तो मेरे चाचा हैं ।
प्रॉपर्टी डीलिंग भी करते हैं
आज एक सौदे का बयाना लेने
शहर गए हैं ।
कह रहे थे ,
एक कमबख्त निरीक्षण
को आएगा , उसके मुंह पे ये
गड्डी मारना और दफा करना ।
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साहब ने मुस्कराते हुए गड्डी जेब के
हवाले
की और बोले – आज बच गये तुम सब ।
अगर आज
मामाजी को सड़क के ठेके के
चक्कर में शहर
ना जाना होता , और
अपनी जगह वो मुझे
ना भेजते तो तुम में से एक
की भी नौकरी ना बचती ।
जीवन का मूल्य क्या है?
एक आदमी ने भगवान बुद्ध से पुछा : जीवन का मूल्य क्या है?
बुद्ध ने उसे एक पत्थर दिया
और कहा : जा और इस पत्थर का
मूल्य पता करके आ , लेकिन ध्यान
रखना पत्थर को बेचना नही है I
वह आदमी पत्थर को बाजार मे एक संतरे वाले के पास लेकर गया और बोला : इसकी कीमत क्या है?
संतरे वाला चमकीले पत्थर को देख
कर बोला, “12 संतरे लेजा और इसे
मुझे दे जा”
आगे एक सब्जी वाले ने उस चमकीले पत्थर को देखा और कहा
“एक बोरी आलू ले जा और
इस पत्थर को मेरे पास छोड़ जा”
आगे एक सोना बेचने वाले के
पास गया उसे पत्थर दिखाया सुनार
उस चमकीले पत्थर को देखकर बोला, “50 लाख मे बेच दे” l
उसने मना कर दिया तो सुनार बोला “2 करोड़ मे दे दे या बता इसकी कीमत जो माँगेगा वह दूँगा तुझे..
उस आदमी ने सुनार से कहा मेरे गुरू
ने इसे बेचने से मना किया है l
आगे हीरे बेचने वाले एक जौहरी के पास गया उसे पत्थर दिखाया l
जौहरी ने जब उस बेशकीमती रुबी को देखा , तो पहले उसने रुबी के पास एक लाल कपडा बिछाया फिर उस बेशकीमती रुबी की परिक्रमा लगाई माथा टेका l
फिर जौहरी बोला , “कहा से लाया है ये बेशकीमती रुबी? सारी कायनात , सारी दुनिया को बेचकर भी इसकी कीमत नही लगाई जा सकती
ये तो बेसकीमती है l”
वह आदमी हैरान परेशान होकर सीधे बुद्ध के पास आया l
अपनी आप बिती बताई और बोला
“अब बताओ भगवान ,
मानवीय जीवन का मूल्य क्या है?
बुद्ध बोले :
संतरे वाले को दिखाया उसने इसकी कीमत “12 संतरे” की बताई l
सब्जी वाले के पास गया उसने
इसकी कीमत “1 बोरी आलू” बताई l
आगे सुनार ने “2 करोड़” बताई l
और
जौहरी ने इसे “बेशकीमती” बताया l
अब ऐसा ही मानवीय मूल्य का भी है l
तू बेशक हीरा है..!!
लेकिन,
सामने वाला तेरी कीमत,
अपनी औकात – अपनी जानकारी – अपनी हैसियत से लगाएगा।
घबराओ मत दुनिया में..
तुझे पहचानने वाले भी मिल जायेगे।

જલીકટ્ટુનું મહાભારત
જલીકટ્ટુનું મહાભારત આ એક બહુ જૂની હરપ્પન પરમ્પરા છે તેને કોઈ ખાસ ધર્મ સાથે સાંકળવી નહિ જોઈએ. કારણ ઉત્તર ભારતના કે મધ્ય ભારતના હિંદુઓ આ પરંપરા પાળતા નથી. પરંપરા, સંસ્કૃતિ અને ધર્મ ત્રણે અલગ અલગ હોય …
Source: જલીકટ્ટુનું મહાભારત
–: એક હતો રાજા કેટલીક મોડર્ન બોધકથાઓ :–
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गाय तेरी माता है,हम उसको खाता है
दिल्ली में नपुंसक सरकारें आती-जाती रहीं मगर नहीं बदला तो भारतीय सैनिकों के ऊपर गालियां,गोलियां और पत्थरबाजी का क्रूर कश्मीरी निज़ाम और भारतीय सेना की बेरोकटोक बेइज़्ज़ती !!आपका दिल टूट जाएगा जब आप यह पढ़ेंगे कि कश्मीरी लौंडे जब झुण्ड में होते है तो अक्सर कुछ कश्मीरी लौंडे अपनी पैंट की ज़िप खोलकर अपना गुप्तांग भारतीय सैनिकों को दिखा देते हैं, हमारे सैनिक बेइज़्ज़ती और अपमान से रुसवा हो दूसरी और मुँह फेर लेते हैं !! दिल्ली के “किन्नर” राजनीतिज्ञों को टूटते मनोबल वाली सेना के अपमान और रुसवाई से कुछ लेना देना नहीं ! हर सप्ताह 4-6 साथियों की मौत का गम भी तो घाटी में पदस्थ सैनिकों की ड्यूटी का हिस्सा है !! आर्मी के बैंड को मातमी धुन के अलावा कुछ और बजाने की ज़रूरत ही नहीं रही ! इतनी मज़लूम और दया के काबिल तो दुनिया के किसी और देश की सेना कभी नहीं रही !
आज जब सेना अध्यक्ष ने कह दिया कि पाकी,ISIS के झंडे फहराने वाले,आर्मी एक्शन के समय आतंकियों की मदद करने वालों के ऊपर भी कार्यवाही होगी तो कांग्रेस-सेक्युलर देशद्रोही गैंग का गर्भपात हो गया ।
विवेक ही बड़ा है
विवेक ही बड़ा है
एक बार हनुमान जी की भेंट अर्जुन से हुई। हनुमान राम के भक्त थे, अर्जुन श्रीकृष्ण के। दोनों में बहस छिड़ गई। हनुमान जी कहने लगे राम बली हैं, अर्जुन कहते श्रीकृष्ण बली हैं।बहस का अंत न होते देख परीक्षा करने का निश्चय हुआ और शर्त तय हुई कि जो हारे वह आत्महत्या कर ले।
अर्जुन ने श्रीकृष्ण का ध्यान किया और तुरंत समुद्र में एक विशाल पुल बाँध दिया और हनुमान जी से बोले-अब यदि तुम्हारे राम बली हैं तो इस पुल को तोड़ दो। यदि न तोड़ सके तो राम का पराक्रम घटिया माना जाएगा।’’ हनुमान जी जोश में भर गए। उन्होंने शरीर का शत योजन विस्तार किया और पुल पर कूद पड़े। भक्तों के इस झगड़े का पता भगवान् को हुआ तो वे बहुत चिंतित हुए। यदि हनुमान की रक्षा करते हैं तो अर्जुन का अंत होता है। अर्जुन जीतते हैं तो हनुमान की मृत्यु निश्चित है। सोच-विचार कर उन्होंने स्वयं ही अपना शरीर पुल के नीचे लगा दिया। हनुमान जी ने जैसे ही अपना कदम बढ़ाया कि उनके भार से भगवान् का शरीर फट गया और खून बहने लगा। हनुमान जी ने राम को पहचाना, वे कूद कर उनके पास पहुँचे और दुःख करने लगे। अर्जुन ने कृष्ण रूपी भगवान् को पहचाना वे भी दौड़ कर विलाप करने लगे। भगवान् ने समझाया-अच्छा होता आप लोग विवेक से काम लेते। मैं एक हूँ, मेरे ही अनेक रूप संसार में फैले हैं। इसलिए किसी से झगड़ा नहीं करना चाहिए। कोई विवाद आए तो उसे विवेक से हल कर लेना चाहिए।’
दिनेश कडेल
अपने जमाने की सुपर डुपर मेगा हिट फिल्म थी जॉनी मेरा नाम
अपने जमाने की सुपर डुपर मेगा हिट फिल्म थी जॉनी मेरा नाम …… देवं साब की फिल्म थी जिसे उनके छोटे भाई Goldy आनंद ने डायरेक्ट किया था । …वो फिल्म Thriller फिल्मों में मील का पत्थर है । उसकी गिनती Bollywood की महानतम फिल्मों में होती है ।
📽..फिल्म का खलनायक प्रेम नाथ है । उसने अपने सगे बड़े भाई ( अभिनेता सज्जन ) को अपने अड्डे के तहखाने में बरसों से बंद कर रखा है जिसे खोजते हुए उसकी बेटी हेमा मालिनी प्रेम नाथ के अड्डे पे जा पहुँचती है ।
📽…फिल्म के climax में दोनों भाइयों सज्जन और प्रेमनाथ का संवाद है ।
🤕..सज्जन पूछता है कि…. आखिर तुझे मुझसे समस्या क्या है ?
आखिर मेरा दोष क्या है जो मुझे तू इतनी बड़ी सज़ा दे रहा है ?
👹प्रेम नाथ जवाब देता है ……..तुम्हारा दोष ये है कि
….👉🏼तुम बेहद शरीफ आदमी हो ।
बेहद ईमानदार हो ।
और तुम्हारी इस शराफत , इस ईमानदारी ने बचपन से ही मेरा जीना हराम कर रखा है ।
👉🏼शराब तुम नहीं पीते , जूआ तुम नहीं खेलते । अय्याशी तुम नहीं करते ।
👉🏼 तुम्हारी ये शराफत मुझे परेशान करती है । तुम्हारी अच्छाई मुझे बुरा बनाती है । अगर तुम भी बुरे होते तो मुझे कोई परेशानी न होती ।
🤔🤔🤔🤔👹🤔🤔🤔🤔
आज विपक्ष की भी यही समस्या है …
🙏🏼मोदी साल में 365 दिन , प्रतिदिन 18 से 20 घंटे काम करते हैं ।
🙏🏼शराब नहीं पीते ।
🙏🏼अय्याशी नहीं करते ।
🙏🏼भ्रष्ट नहीं हैं ।
🙏🏼आगे पीछे कोई बेटा ,बेटी , बहू , दामाद , साली , सरहज , भाई , भतीजा , भांजा नहीं है उनका , जिसके लिए वो धन संग्रह करें ।
🙏🏼उनका ऐसा कोई रिश्तेदार नहीं है जो दिल्ली की सत्ता के गलियारों में घूम के रोब ग़ालिब करे और दलाली करे ।
🙏🏼मोदी की समस्या ये है कि उनको हर weekend पे अय्याशी करने यूरोप अमेरिका नहीं जाना है ।
🙏🏼 मोदी की समस्या ये है कि वो कोकीन नहीं पीते ।
🙏🏼मोदी की समस्या ये है कि उनको bangkok में मालिश कराने का शौक नहीं है ।
🙏🏼मोदी की समस्या ये है कि किसी swiss bank में उनका कोई खाता नहीं है ।
🙏🏼मोदी की समस्या ये है कि उनके तहखानों में 1000 और 500 की गड्डियाँ नहीं सड़ रहीं ।
👉🏼मोदी की ईमानदारी , मोदी की देश भक्ति , मोदी की वफादारी ही मोदी की सबसे बड़ी समस्या है ।
🤗ज़ाहिर सी बात है …….
👉🏼 आज की राजनीति में मोदी अन्य नेताओं ( भाजपा समेत ) के लिए एक समस्या बन गए हैं ।
👉🏼👉🏼👉🏼कड़वा सत्य ये है कि
आज मोदी के साथ भारत की जनता के अलावा और कोई नहीं है ।
खुद उनके भाजपा के कई सहयोगी भी नहीं , क्योंकि मोदी ने उन सबको भी पिछली 8 Nov को भिखारी बना दिया है ।
(साभार दीपक कपूर)
किसी गाँव में चार मित्र रहते थे
बोधकथा
यह कहानी किसी को अपमानित करने के उद्देश्य से नहीं लिखी गई है. इसमें एक सन्देश छिपा है.
किसी गाँव में चार मित्र रहते थे।चारों में इतनी घनी मित्रता थी कि हर समय साथ रहते उठते बैठते,योजनाएँ बनाते।एक ब्राह्मण एक ठाकुर एक बनिया और एक नाई था पर कभी भी चारों में जाति का भाव नहीं था गजब की एकता थी। इसी एकता के चलते वे गाँव के किसानों के खेत से गन्ने चने आलू आदि चीजें उखाड़ कर खाते थे।
एक दिन इन चारों ने किसी किसान के खेत से चने के झाड़ उखाड़े और खेत में ही बैठकर हरी हरी फलियों का स्वाद लेने लगे।
खेत का मालिक किसान आया चारों की दावत देखी उसे बहुत क्रोध आया उसका मन किया कि लट्ठ उठाकर चारों को पीटे पर चार के आगे एक?वो स्वयं पिट जाता सो उसने एक युक्ति सोची।
चारों के पास गया,ब्राह्मण के पाँव छुए,ठाकुर साहब की जयकार की बनिया महाजन से राम जुहार और फिर नाई से बोला–देख भाई ब्राह्मण देवता धरती के देव हैं,ठाकुर साहब तो सबके मालिक हैं अन्नदाता हैं,महाजन सबको उधारी दिया करते हैं ये तीनों तो श्रेष्ठ हैं तो भाई इन तीनों ने चने उखाड़े सो उखाड़े पर तू? तू तो ठहरा नाई तूने चने क्यों उखाड़े? इतना कहकर उसने नाई के दो तीन लट्ठ रसीद किये।बाकी तीनों ने कोई विरोध नहीं किया क्योंकि उनकी तो प्रशंसा हो चुकी थी।
अब किसान बनिया के पास आया और बोला-अबे तू साहूकार होगा तो अपने घर का पण्डित जी और ठाकुर साहब तो नहीं है ना! तूने चने क्यों उखाड़े? बनिये के भी दो तीन तगड़े तगड़े लट्ठ जमाए।पण्डित और ठाकुर ने कुछ नहीं कहा।
अब किसान ने ठाकुर से कहा–ठाकुर साहब माना आप अन्नदाता हो पर किसी का अन्न छीनना तो गलत बात है अरे पण्डित महराज की बात दीगर है उनके हिस्से जो भी चला जाये दान पुन्य हो जाता है पर आपने तो बटमारी की! ठाकुर साहब को भी लट्ठ का प्रसाद दिया,पण्डित जी बोले नहीं, नाई और बनिया अभी तक अपनी चोट सहला रहे थे।
जब ये तीनों पिट चुके तब किसान पण्डितजी के पास गया और बोला–माना आप भूदेव हैं पर इन तीनों के गुरु घण्टाल आप ही हैं आपको छोड़ दूँ ये तो अन्याय होगा तो दो लट्ठ आपके भी पड़ने चाहिए। मार खा चुके बाकी तीनों बोले हाँ हाँ,पण्डित जी को भी दण्ड मिलना चाहिए।अब क्या पण्डित जी भी पीटेगए।
किसान ने इस तरह चारों को अलग अलग करके पीटा किसी भी ने किसी के पक्ष में कुछ नहीं कहा,उसके बाद से चारों कभी भी एक साथ नहीं देखे गये।
मित्रों पिछली दो तीन सदियों से हिंदुओं के साथ यही होता आया है,कहानी सच्ची लगी हो तो समझने का प्रयास करो और अगर कहानी केवल कहानी लगी हो तो आने वाले समय के लट्ठ तैयार हैं।
विष्णु अरोड़ाजी
हिन्दी मास के क्रमानुसार इस क्षेत्र में मनाये जाने वाले जानेवाले पर्व, उत्सव,मेलों का क्रमबद्ध अध्ययन निम्नलिखित है-
हिन्दी मास के क्रमानुसार इस क्षेत्र में मनाये जाने वाले जानेवाले पर्व, उत्सव,मेलों का क्रमबद्ध अध्ययन निम्नलिखित है-
पर्व– त्योहार, मेले
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आषाढ़ मास के त्योहार / पर्व /मेले
1 ) योगिनी एकादशी – यह एकादशी आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष में मनायी जाती है। इस दिन लोग पूरे दिन का व्रत रखकर भगवान नारायण की मूर्ति को स्नान कराकर भोग लगाते हुए पुष्प , धूप , दीप से आरती करते हैं। गरीब ब्राह्मणों को दान भी किया जाता है। इस एकादशी के बारे में मान्यता है कि मनुष्य के सब पाप नष्ट हो जाते हैं तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है । 2 ) गुरु पूर्णिमा – आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा अथवा व्यास पूर्णिमा कहते हैं । इस दिन लोग अपने गुरु के पास जाते हैं तथा उच्चासन पर बैठाकर माल्यापर्ण करते हैं तथा पुष्प ,फल, वस्र आदि गुरु को अर्पित करते हैं। यह गुरु – पूजन का दिन होता है जिसकी प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है। श्रावण मास के त्योहार — पर्व / मेले 1 ) शिव जी के सोमवार व्रत व मेले
2 ) नाग पंचमी श्रावण की शुक्ल पंचमी को नाग पंचमी कहा जाता है। ज्योतिष व मान्यताओं के अनुसार पंचमी तिथि के स्वामी नाग हैं अत: सपं व नागों की पूजा पंचमी को होनी चाहिए । इसी मान्यता व परम्परा के अनुसार पूरे क्षेत्र में सर्पों के पीने के लिए कटोरी में दूध रखा जाता है तथा दीवार पर नागों का चित्र बनाकर उनकी पूजा की जाती है बाद में अर्पित जल को घर के चारों कोनों व दिशाओं में छींटा जाता है। 3 ) रक्षा बन्धन
भाद्रपद मास के त्योहार व मेले 1 ) हरियाली तीज
2 ) श्री कृष्ण जन्माष्टमी
3 ) हरतालिका तीज यह भाद्र शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाने वाला पर्व – व्रत है । इसमें सुहागिन स्रियाँ अपने सुहाग की रक्षा के लिए भगवान शिव व पार्वती की मूर्ति बालू से बनाकर पूजन करती है तथा रात्रि में भक्ति गीत गाकर जागरण करती है। मान्यता है कि इस व्रत व पूजन को करने वाली स्रियाँ माँ पार्वती के समान सुखपूर्वक पति रमण करके शिवलोक को जाती है। यह व्रत इस क्षेत्र में ब्राह्मणों के परिवार में स्रियों द्वारा विशेष रुप से रखा जाता है। 4 ) गणेश चतुर्थी भादौं मास के शुक्ल पक्ष की चौथ को गणेश चतुर्थी पर्व मनाया जाता है। इसमें प्रात: काल गणेश जी की मिट्टी की मूर्ति बनाकर श्री गणेश जी की पूजा की जाती है। पूजन में लड्डुओं का भोग लगाकर गणेश जी के 10 नामों का जप करते हैं। वैसे तो यह पर्व पूरे भारत में मनाया जाता है परन्तु रुहेलखण्ड क्षेत्र में मुरादाबाद जिले चन्दौसी नामक नगर में यह पर्व अत्यन्त धूमधाम से मनाया जाता है तथा 15 दिन तक विशाल मेला लगता है। नगर में गणेश जी की विशाल शोभायात्रा निकाली जाती है तथा नगर मे 15 दिन तक उत्सव का वातावरण रहता है। “चन्दौसी का गणेश चतुर्थी का मेला ” पूरे उत्तर भारत में प्रसिद्ध है। इस मेले में दूर – दूर से लोग यहाँ आते है तथा यहाँ प्रवास करते हैं। 5 ) अनन्त चर्तुदशी भादौं मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाने वाला यह पर्व भगवान श्री नारायण को समर्पित है । इस क्षेत्र में यह पर्व ब्राह्मणों – क्षत्रियों में प्रमुख रुप से मनाया जाता है। इसमें प्रात: स्नान आदि से निवृत होकर चौकी के ऊपर मण्डप बनाकर उसमे अक्षत या कुश के 7 कणों से शेष भगवान की प्रतिमा स्थापित करते हैं तथा उसके समीप 14 गांठे लगाकर हल्दी से रंगे कच्चे धागे को रखते हैं । तदु परान्त पूजा – अर्चना करके 14 गाँठ लगे अनन्त को दायीं भुजा पर धारण करते हैं । मान्यता है कि इस दिन इस अनन्त को हाथ में बाँधने से अनन्त फल की प्राप्ति होती है तथा रक्षा होती है । आश्विन मास के पर्व -त्योहार , मेले 1 ) नवरात्रे (नव दुर्गा व्रत) आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक यह व्रत 9 दिन तक मनाया जाता है। इसमें नौ दिन तक नौ देवियों की पूजा – अर्चना की जाती है। इसमें प्रथम दिन ( प्रतिपदा )प्रात: स्नानादि से निवृत होकर 9 दिनों तक व्रत के लिए संकल्प करके मिट्टी की वेदी बनाकर उसमें जौं बोते है तथा उसी स्थान पर घट (घडा/कलश)स्थापित करते हैं। घट के ऊपर कुल देवी की प्रतिमा स्थापित कर उसका पूजन करते हैं तथा दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है। रुहेलखण्ड क्षेत्र के बरेली नगर में वमनपुरी नामक मुहल्ले में इन नवरात्रों में रामलीला तथा मेले का आयोजन होता है। दुर्गाष्टमी — यह त्योहार आश्विन शुक्ल पक्ष अष्टमी को आता है इस दिन व्रत रखकर दुर्गादेवी की पूजा की जाती है । भगवती दुर्गा को चने , हलवे , खीर , पूड़ी , पुआ आदि का भोग लगाया जाता है । अधिकांश घरों में इस दिन हवन आदि भी होते हैं। 2 ) दशहरा ( विजयदशमी )
3 ) शरद -पूर्णिमा अश्विन शुक्ल पूर्णिमा को ” शरद पूर्णिमा” कहा जाता है। इसे कौमुदी व्रत भी कहते हैं। रासोत्सव का यह दिन वास्तव में भगवान श्री कृष्ण द्वारा जगत की भलाई के लिए निश्चित किया गया है , ऐसी इस क्षेत्र में पारम्परिक मान्यता है। इस दिन मन्दिरों में विशेष सेवा पूजन किया जाता है तथा रात्रि में भगवान को खीर अथवा दूध से भोग लगाया जाता है। कार्तिक माह के पर्व / त्योहार , मेले 1 ) करवा चौथ
2 ) अहोई अष्टमी यह त्योहार कार्तिक कृष्ण पक्ष अष्टमी को मनाया जाता है। इस दिन माँ अपनी सन्तानों की लम्बी आयु के लिये दिन भर व्रत रखकर सायंकाल में तारे निकलने के बाद दीवार पर अहोई बनाकर पूजा करती है। अहोई देवी के चित्र के साथ- साथ सेही और सेही के बच्चों के चित्र बनाकर भी पूजा की जाती है। 3 ) धनतेरस यह त्योहार दीपावली के आने की सूचना देता है। यह पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी को मनाया जाता है। इस दिन घर में लक्ष्मी का आवास मानते है। इसी दिन धनवन्तरी समुद्र से अमृत कलश लेकर प्रकट हुये थे , इसलिए धनतेरस को ‘ धनवन्तरी- जयंती ‘ भी कहते है। इस पर्व में सायं को लक्ष्मी , कुवेर व धनवन्तरी की पूजा की जाती है तथा घर में कोई नया बर्तन खरीद कर लाते हैं ; इसके पीछे मान्यता है कि इस दिन खरीदारी करने से घर में समृद्धि आती है। 4 )नरक चर्तुदशी कार्तिक कृष्ण पक्ष की चर्तुदशी के दिन नरक चर्तुदशी मनाया जाता है । यह दीपावली से एक दिन पूर्व होता है। इस दिन नरक से मुक्ति पाने के लिए प्रात: काल शरीर में तेल लगाकर चिचड़ी पौधा सहित स्नान करते हैं तथा शाम को यमराज के लिए सरसों के तेल में जलाकर दीपदान करते है जो घर के द्वार के बाहर किया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर नामक दैत्य का वध किया था। 5 ) दीपावली
6 ) गोर्वधन पूजा (अन्नकूट) दीपावली के अगले दिन कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा को अन्नकूट उत्सव मनाया जाता है,इसी दिन गोर्वधन पूजा भी की जाती है। इस दिन प्रात: काल स्रियां घर के आंगन में गोबर का अन्नकूट बनाकर भगवान श्री कृष्ण व गायों की पूजा करती है । यह पर्व रुहेलखण्ड के समीपवर्ती ब्रज क्षेत्र में प्रमुख रुप से धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन मन्दिरों में विविध प्रकार की खाद्य- सामग्रियों से भगवान का भोग लगाया जाता है। 7 ) भैया दूज
8 ) कार्तिक पूर्णिमा इसे ‘ त्रिपुरी पूर्णिमा ‘ भी कहते है। इस तिथि को भगवान श्री नारायण का मत्स्यावतार हुआ था। इस दिन गंगा स्नान तथा दान का महत्व है । रुहेलखण्ड क्षेत्र में इस दिन गंगा घाट कछला (जनपद वदायूँ ) , ढाई घाट ( जनपद शाहजहाँपुर ) तथा रामगंगा (चौवारी – बरेली ) में विशाल मेलों का आयोजन होता है। मार्गशीर्ष (अगहन) के त्योहार एवं मेले 1 ) भैरव जयन्त मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष अष्टमी के दिन भैरव जी का जन्म हुआ था। इस पर्व में दिनभर व्रत रखकर जल का अर्ध्व देकर भैरव जी का पूजन किया जाता है। रात्रि में जागरण कर शिव- पार्वती की तथा भैरव जी की पूजा जाती है क्योंकि भैरव जी को भगवान शिव का ही रुप माना जाता है। 2 ) मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत यह व्रत मार्गशीर्ष पूर्णिमा को रखा जाता है। सबसे पहले नियमपूर्वक व्रत रखकर भगवान श्री नारायण की उपासना की जाती है तथा वेदी बनाकर हवन किया जाता है। रात्रि में चन्द्रमा को अर्ध्व देकर पूजन किया जाता है। पौष (पूष) माह के त्योहार एवं मेले 1 ) पौष पूर्णिमा स्नान यह स्नान पौष की पूर्णिमा से प्रारम्भ होता है। इस स्नान के लिए रुहेलखण्ड क्षेत्र में गंगा घाट पर कछला (जिला – बदायूँ) तथा ढ़ाई घाट (जिला शाहजहाँपुर) एवं रामगंगा घाट चौबारी (जिला – बरेली) में विशाल मेले लगते हैं जो दो सप्ताह तक चलते है तथा अधिकांश ग्रामीण श्वाद्धालु यहाँ डेरा डालकर मेंले में रहते है तथा गंगा स्नान एवं मेले का आनन्द उठाते हैं। 2 ) मकर संक्रान्ति पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है जब इस पर्व को मनाया जाता है । अंग्रेजी तिथि के अनुसार प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी को मनायी जाती है। इस दिन गंगा स्नान करके , तिल के मिष्ठान आदि को ब्राह्मणों व पूज्य व्यक्तियों को दान दिया जाता है। इस पर्व पर भी क्षेत्र में गंगा एवं रामगंगा घाटों पर बड़े मेले लगते है। दक्षिण भारत में इसी पर्व को पोंगल भी कहा जाता है। माघ (माह) मास के पर्व -त्योहार , मेले 1 ) सकट चौथ यह पर्व हिन्दू स्रियों द्वारा माघ कृष्ण पक्ष चर्तुथी को व्रत व पूजन द्वारा मनाया जाता है व चन्द्रमा की पूजा की जाती है। दिन भर व्रत रहने के बाद शाम को चन्द्र दर्शन के बाद चन्द्रमा , गौरी- शंकर व गणेश की दूव , तिल ,गुड़, मिष्ठान से भोग लगाकर पूजा की जाती है तथा सकट देव की कथा सुनी-सुनाई जाती है । यह पर्व पूरे क्षेत्र में उल्लास के साथ मनाया जाता है। 2 ) बसंत पंचमी
3 ) माघ पूर्णिमा माघ पूर्णिमा का धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्व है। यह पर्व स्नान पवाç का अन्तिम प्रतीक है तथा इस दिन स्नान आदि करके विष्णु पूजन तथा दान देने का विशेष फल मिलता है। रुहेलखण्ड क्षेत्र में कछला गंगा घाट (बदायूँ) ढाई घाट (शाहजहाँपुर) तथा रामगंगा घाट चौबारी (बरेली) पर बड़े गंगा मेले लगते है तथा यहाँ दूर-दूर से लोग आते हैं। फाल्गुन मास के पर्व – त्योहार एवं मेले 1 ) महाशिवरात्रि
2 ) होली
चैत्र (चैत) मस के पर्व ,मेले 1 ) धूलिका पर्व चैत्र मास कृष्ण पक्ष प्रतिपदा को होली के बाद यह पर्व मनाया जाता है । इस दिन होलिका दहन की अवशिष्ट राख को सभी लोग श्रद्धापूर्वक मस्तक पर लगाते हैं। 2 ) बासोड़ा यह त्योहार होली के एक सप्ताह बाद चैत्र मास के कृष्ण पक्ष में सोमवार या गुरुवार को मनाया जाता है तथा शीतला माता की पूजा की जाती है । बासोड़ा में भोजन एक दिन पूर्व ही बनाकर रख दिया जाता है तथा बासोड़ा वाले दिन वही भोजन किया जाता है। क्षेत्र के सभी घरों में यह पर्व मनाया जाता है। 3 ) नवरात्रे (दुर्गा पूजन) यह चैत्र मास के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से लेकर रामनवमी तक (9 दिन)दुर्गा पूजन के रुप में मनाया जाता है। इन 9 दिनों उपवास रखकर नौ देवियों तथा कन्याओं का पूजन किया जाता है तथा दुर्गा सप्तशती का पाठ करके दुर्गा पूजन किया जाता है। नवें दिन हवन आदि करके कन्या व ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान दिया जाता है। 4 ) रामनवमी
वैशाख मास के पर्व – त्योहार , मेले 1 ) वैशाखी पूर्णिमा मेला वैशाखी पूर्णिमा स्नान लाभ की दृष्टि से महत्वपूर्ण पर्व है । इस दिन गंगा जैसी पवित्र नदी में स्नान करने से सभी पाप नष्ट होते हैं, ऐसी मान्यता है। इस दिन यहाँ के गंगा घाटों (कछला , ढाई घाट , चौबारी) पर बड़े मेले लगते है। 2 ) सोमवती अमावस्या
ज्येष्ठ (जेठ) मास के पर्व – त्योहार , मेले 1 ) वट पूजन
2 ) श्री गंगा दशहरा ज्येष्ठ सुदी दशमी को गंगा दशहरा पर्व मनाया जाता है । इसी दिन नदियो में श्रेष्ठ गंगा जी भागीरथ द्वारा पृथ्वी पर लायी गयी थीं। गंगा स्नान करके , दान पुण्य करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है, ऐसी पारम्परिक मान्यता है। इस दिन भी इस क्षेत्र में गंगा घाटों पर स्नानदि श्रद्धालुओं की बड़ी भीड़ जुटती है तथा गंगा – मेलें का आयोजन होता है। 3 ) निर्जला एकादशी इस व्रत में सुहागिन स्रियां पति की लम्बी आयु के लिए बिना जल पिये, बिना कुछ खाये-पिये व्रत रखती है । इस दिन गंगा स्नान तथा दान देने का भी विशेष महत्व है। |