विडियो:नाथूराम गोडसे के 150 बयान सार्वजनिक क्यों नहीं किये जाते ?
इन नेताओं ने अपनी कुर्सी की खातिर देश के वास्तविक इतिहास को आज तक धूमिल कर रखा है। जिस दिन कोई सिरफिरा (सिरफिरा इसलिये कह रहा हूँ, क्योंकि यह कार्य देश को आज़ादी दिलाने से कहीं अधिक जोखिम भरा है, जिसे करने डॉ श्यामा प्रसाद मुख़र्जी, नेताजी बोस या भगतसिंह-पंडित चंद्रशेखर आज़ाद आदि आदि को पुनर्जन्म लेना होगा।) नेता देश के वास्ताविक इतिहास को उजागर करने में सफल हो गया, भारत तो क्या समस्त विश्व में कोई अपने आपको गाँधीवादी कहने वाला नहीं मिलेगा।गांधीवाद देश को बहुत हानि पहुंचा रहा है। और इस बात को समस्त नेता समाज भलीभाँति जानता और समझता भी है।
यदि समस्त भारत यह निश्चय कर ले कि “वोट केवल उसी को देंगे जो भारत का वास्तविक इतिहास सामने लायेगा। या केवल इतना बताओ गाँधी हत्या/वध देशहित में था अथवा नहीं।” अन्यथा झूठे आश्वासन…
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