करोड़ों जिंदगियां – आज दिन भी – इस न्याय व्यवस्था के आगे – लाचार है…
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{1} – सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग केसों की संख्या- – 61,436
{2} – देश के हाईकोर्टों में पेंडिंग केसों की संख्या- – 38,91,076
{3} – देश में निचली अदालतों में पेंडिंग केसों की संख्या- 2,30,79,723
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आज दिन देश की अदालतों में चल रहे इन सारे मुकदमों की संख्या – तीन करोड़ – के करीब है;
इस का पूरा अर्थ भी जान लीजिये :––
{1} – तीन करोड़ मुकदमों में – सीधे सीधे – मुदकमा दर्ज करने वाले – तीन करोड़ – भारतीय नागरिक – जुड़े हुए है…
{2} – तीन करोड़ मुकदमों में – तकरीबन हर मुकदमें – कम से कम 3 लोगों को दोषी मान ले क्योकि हर मुकदमें में 1 और 2 आदमी नही कई कई मुकदमों में दोषी माने जाने वाले लोगों की संख्या ज्यादा ही होती है – तो – ये संख्य हो गई – 3 गुणा 3 = नो करोड़ …
मुकदमा करने वाले तीन करोड़ – जिन पर मुकदमें चल रहे है वो नो करोड़ यानि कुल – 12 बराहा करोड़ लोग देश के विभिन्न कोर्टों में फसे हुए है…
इस सारे प्रकरण में – दुसरे लोग भी – जुड़े होते है जैसे – यार दोस्त, मिलने वाले, जानकार, रिश्तेदार – ऐसा करके – अदालतों के चक्कर काटने वाले लोगों की संख्या – 12 करोड़ से 15 करोड़ हो जाती है..{कोई शक}..
असली अपराधियों से “कई गुणा” ज्यादा “निर्दोष फसे या फसाये गये” लोगों की पैरवी करते पाए जाते है..
तो बन्धुओं – इस खेल में 12 या 15 करोड़ लोगों के साथ साथ उन के – परिवारों पर भी गौर कर लीजिये,
ये संख्या भी – 12 या 15 करोड़ ही हुई अब एक एक परिवार में कम से कम 6 आदमी भी माने {क्योकि हम 2 हमारे 2 से भी 4 हो जाते है}..
15 गुणा 6 = 90 – तब भी ये संक्या 12 करोड़ परिवारों 72 करोड़ और अगर 15 करोड़ माने तो 90 करोड़ हो जाती है..
देश में 24 हाई कोर्ट है – और – 600 जिला अदालतें है – और- वहां पहुंचने वाले लोग 90 करोड़ हो तो- ??- कितनी भीड़ होती होगी –??–
अब आप – भारतीय अदालतों में लगने वाली भीड़ का कुछ अंदाजा कर ही सकते है – या – आप भी – मेरी तरह मुर्ख ही है –??—
ये – “अंग्रेजों”- का “हम भारतीय लोगों” को – “उलझाये और दबाये” – रखने का एक “हथकंडा” था – जो नेहरु और तात्कालीन कोंग्रेसियों से – “अक्षर अक्षर” – “पूरा का पूरा” देश पर लागू कर दिया…
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उसी बिरादरी के लोग कह रहे है बैंको में भीड़ बहुत और देश में दंगो की सम्भावना है –??–
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“कौन थे वो लोग”
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“किस ने लाद दिया – देश पर ऐसा सिस्टम”
देश की जनता को गर्त में धकेलने वाले वो लोग,
ऐसा सिस्टम देश पर लादने वाले वो लोग “अपनी मौत” क्यों मरे,
कुत्ते की मौत “मारे” क्यों नही गये –??–
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जिन लोगों के “जीवन” में “कभी गर्म” हवा भी नही लगी,
जो इन बातो से “अनभिज्ञ” है उन्हें क्या “अहसास” होगा,
कि :—
कानून के इस खेल में “घर,परिवार, पैसा और जिन्दगी” और इज्जत “
कैसे “बर्बाद” हो जाती है।
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सर्वोच्च न्यायालय के :—
पूर्व मुख्य न्यायाधीश महोदय श्रीमान “काटजू साहब” जब 90% भारतीयों को मुर्ख कहते है, तो “मिर्ची”–“मेरे” को भी –“आप” को भी — और “सभी” को भी लगती है।
फिर हम सभी लोग — उन्हें “पागल” करार दे देते है।
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अगर देश “समझदारों” का होता तो ऐसे “सिस्टम” कतई “स्वीकार्य” नही होते।
दिल से मानिये कि ये देश 90%मूर्खों का नही,
अपितु 100% चूतियों का देश है।
तभी तो आज तक इस “सिस्टम” को ढो रहे है।
तभी तो — हर कोई हमे इंसान नही मान कर “गधों” की तरह “हांक” रहा है।
क्योकि :— हम है ही इसी “सलूक” के “काबिल”..।
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आज देश में लागू — “लोकतंत्र” के “चारों स्तंभ” सदा से ही “हिन्दुओं” के विरुद्ध काम करते रहे है।
“इन चारो” को “संचालित” करने वाला “संविधान” भी घोर “हिन्दू विरोधी”,
और “राष्ट्र विरोधी” बनाया हुआ है।
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क्यों कि :– इन सब का “निर्माण” -“देश और हिन्दू विरोधी”,
“अंग्रेजों और उन की “नाजायज औलादों कोंग्रेसियों” ने किया था।
नेहरु और तत्कालीन “पूरी कोंग्रेसी लोबी” इस “कुकर्म” में शामिल थी।
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उन लोगों को सिर्फ देश की “दौलत” और अपने “ऐसो आराम” से मतलब था।
उन्हें पिछले 70 साल से “आम जनता” से कभी कोई “मतलब” ही नही था।
देश चलाने के लिये सभी “एक गिरोह” की तरह काम कर रहे थे।
आज तक जितने भी काम हुए है सभी इस “गिरोह” की खुद की “भलाई” के लिये ही हुए है।
इन के किये कामो में “जनहित और राष्ट्रहित” का दूर दूर तक कोई वास्ता नही था।
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मै “हिंसक” हूँ और “हिंसा” में “विश्वास” करता हूँ,
आज इस देश में “कोंग्रेस” का “नाम लेवा” का “चुनाव जीतना” तो बहुत दूर की बात है,
आज तो ऐसे लोग तो “जीने” का “अधिकार” भी “खो” चुके है।
ऐसे लोगों को “जिन्दा” रहने का भी — कोई “हक” ही नही है।
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सन 1947 के बाद पुरे “देश में और हर जाति” में “देश और धर्म” पर मर मिटने वाले “जवामर्दों” का “भयंकर अकाल” हो गया था।
मै भी “हिंजड़ा” और आप भी “हिंजड़े” तो अब देश मे से “गंदगी” साफ़ करे कौन –??–
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गिरधारी भार्गव 22.11.2016