भ्रष्टाचार खतम करना एक असंभव कार्य है, जिसे कम करने की मोदी ने ठान ली है। जिस व्यक्ति का निजी जीवन उज्ज्वल होता है वही ऐसा काम कर सकता है, नरेन्द्र मोदी जिस संघ परिवार से संबंधित हैं, काँटों में खिले सुरभित पुष्प हैं इसलिये वे डर कर अपना कदम आगे बढ़ने से नहीं रोकेंगे, उनपर विश्वास किया जा सकता है। कृष्ण का चरित्र सदा से असाधरण चिंतकों को भी विभ्रम में डालता रहा है।
नरेन्द्र मोदी के विरोधी राजनेताओं की मजबूरी देखिये, मोदी को बदनाम करने के लिये उन्हें अडानी, अंबानी के नाम का सहारा लेना पड़ता है जबकि नेहरू जी, इन्दिरा जी, राजीव गाँधी, आदि प्रभृति प्रधानमंत्रियों को बदनाम करने के लिये किसी दूसरे व्यक्ति के नाम की कभी जरूरत नहीं पड़ी।
भ्रष्टाचार के चक्रव्यूह में नरेन्द्र मोदी प्रवेश कर गये हैं, उनके साथियों को कुण्ठारूपी जयद्रथ ने बाहर ही रोक लिया है। हार गये तो अभिमन्यु और जीत गये तो अर्जुन के रूप में अमर हों जायेंगे। जनता को कृष्ण बनना होगा तभी अधर्म के घटाटोप में छिपे धर्म को बाहर निकाला जा सकता है। इतिहास में नरेन्द्र मोदी किस रूप में स्मरणीय रहेंगे, अभी बताना कठिन है पर वह असाधारण हैं, स्पष्ट दिख रहा है।