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Fake currency


​First recorded case of Fake currency in Odisha-

RBI, Odisha had given fake currency worth Rs 3 lakhs to Inspector R K Das of Kharavelnagar PS, Bhubaneswar in 2005. After 1 year, the same notes surfaced in RBI which reported the matter to CID CB under Sri Amarananda Pattanayak. He gave it to IGP CR Sri S K Upadhyay who recommended action against Inspector R K Das. In stead of any action, Sri Pattanayak made promoted him as DSP and posted Sri R K Das as Registrar in Police Academy. He posted himself also as ADGP/DGP incharge of Police Academy without any Government order vide his own order No.4267/OP dt.30.8.05. After, recruitment, next collection is by Registrar, who conducts examination. I wrote letter No. 118/BPSPA. Con-III, dated 24.8.2007 to Sri Amarananda Pattanayak, IPS, DGP-cum-ADGP (Trg) /TS&M /CID/SAP-cum-SP PMT in continuation of 17 earlier letters and 30 letters by Principal Police Training College for inquiry against Inspector R K Das, promoted as DSP. No action was taken as the fake currency notes were part of cash bribe for promotion. Major circulation of fake currency was in Koraput Range where Sri Jaswindar Singh DIG was sent as temporary charge and murdered on 23-10-1986 through policemen for his inquiries into financial matters. SI Kulamani Naik in know of fake notes also died suspicious death while in training under R K Das. SUPREME COURT in SLP(CIVIL) NO.19947 OF 2008-Kedar Narayan Parida & Ors. Vs. State of Orissa passed the first stricture against Amarananda Pattanayak for putting political pressure in murder of Bhagirathi Das on 28-3-2007 vide Mangalpur P.S. Case No.28 of 2007. The stricture dated 24-4-2008 was received on 25 April by Government of Odisha which immediately recommended posting of Sri Pattanayak as Judge in Orissa Administrative Tribunal. Govt of India approved it vide Ministry of Personnel, DOPT order No. A-11014/8/2008-AT dt. 22-11-2008. Govt of Orissa, Home Deptt order No. IPS/1-66/2008/54601 Dt. 4-12-2008 posted him as judge in OAT. Arun Upadhyay

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यदि पकिस्तान से युद्ध शुरू हो गया होता तब क्या करते..


यदि पकिस्तान से युद्ध शुरू हो गया होता तब क्या करते………

आज ढेर सारे मित्र बड़े गुस्से में दिख रहे है। प्रधानमंत्री मोदी पर बहुत गुस्सा आ रहा है।
बड़े नोटों की बंदी से बहुत नाराज़ है ये मित्र। इनकी नाराज़गी बहुत हद तक उचित लगती है क्योकि इनमे से बहुतो को याद भी नहीं है कि इसी देश में अभी 10 -12 साल पहले तक दो किलो चीनी और दो लीटर मिटटी के तेल के लिए दिन भर लाइन में लगाना पड़ता था।
इस लाइन के कारण कई बार बहुत से जरूरी के काम नहीं हो पाते थे।
यहाँ उस बात की चर्चा नहीं बढ़ाऊंगा , पर एक बात जरूर सामने आकर दस्तक दे रही है कि पठानकोट और उडी के आतंकी हमलो के बाद जो लोग लगातार मोदी से पकिस्तान को ख़त्म करने और युद्ध करने की बात करते थे वे कहाँ है??
जो आज नोट के लिए दो घंटे लाइन नहीं झेल पा रहे है , इनमे से ही वे अधिकाँश आवाज़े थी जो मोदी पर तरह तरह के लांछन लगाने में एक दूसरे को पछाड़ा करते थे।
मोदी डरपोक हो गए थे इनकी भाषा में, क्योकि पाकिस्तान पर हमला नहीं कर रहे थे।
सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भी मोदी पर भरोसा नहीं था।
जरा कल्पना कीजिये….
पाकिस्तान से युद्ध लड़ना पड़ता तब क्या करते। तब तो सूरज ढलने के बाद से ही ब्लाक आउट हो जाता।
आप अपने घरो में रोशनी नहीं कर पाते.
बाज़ारो में इस तरह स्वतंत्र रूप से घूम नहीं पाते, तब इस तरह से सोशल मीडिया पर भी कुछ बकवास नहीं लिख पाते,
तब तो न एटीएम काम करता न बैंक,
कब कहाँ किस शहर में बम फटता और किस किस के अपने कहाँ कहाँ मारे जाते ,
लाशें गिनाने और गिनने की भी हिम्मत नहीं रह जाती ,
हर तरफ खूनी मंज़र होता।
सैनिको की लाशो के बक्से रुलाते।
हर मोहल्ला, हर गाँव, हर शहर तबाह होता,
हर ओर सिर्फ तबाही होती।
देश की सेना जीत जाती , यह अलग बात है पर उस दशा में आप का क्या होता?
आप की क्या दशा होती?
क्या तब भी विवाह के लिए पैसे देखते?
बिजली देखते? समय देखते?
या तब केवल अपनी जान की सूझती ?

मित्रो , धन्यवाद दो भगवान का कि “उसने” ऐसे समय में देश को एक ऐसा नायक दिया,
जिसने अपनी सूझ बूझ से दुश्मन के घर में घुस कर ऐसे घेरा की उसकी बोलती आज तक बंद है। अपने उस नायक की बदौलत ही देश वासियो ने जब दशहरा , ईद , बकरीद , मुहर्रम , दीवाली और छठ मना लिया….. तब,
उसने उन आतंकियों , भ्रष्ट माफियाओ , आर्थिक अपराधियो , कालाबाज़ारियों और जमाखोरों के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया।
यह युद्ध वास्तव में कौन लड़ रहा है और किससे लड़ रहा है इस पर भी विचार कीजिये।
यह युद्ध हर ईमानदार भारतवासी लड़ रहा है और पहली बार यह अवसर आया है की बेईमानो के गले तक आपके हाथ पहुच रहे है।
इस समय जो छटपटा रहे है ये वही लोग है जिन्हें कभी कन्हैया कुमार देश का हीरो लगता है और कभी भारत माता की जय बोलने में जिनको शर्म आती है।
आज हम और आप सभी मिल कर माँ भारती के आँचल को पवित्र करने की मुहीम में लगे है।
इस मुहीम पर आंच न आने दीजिये।
हम या आप कोई सीमा पर तोपो और गोलों के बीच जंग नहीं लड़ रहे ,
केवल थोड़ी सी असुविधाएं हो रही है हमें क्योकि हमारी आदत हो गयी है सुविधा और सुविधा शुल्क के बल पर सुविधा लेने की।
इस आदत को बदलिए।
सुनहरे भारत के निर्माण के लिए यह बहुत जरूरी है।
जय मोदी!!
जय राष्ट्र !!!

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भ्रष्टाचार


​भ्रष्टाचार खतम करना एक असंभव कार्य है, जिसे कम करने की मोदी ने ठान ली है। जिस व्यक्ति का निजी जीवन उज्ज्वल होता है वही ऐसा काम कर सकता है, नरेन्द्र मोदी जिस संघ परिवार से संबंधित हैं, काँटों में खिले सुरभित पुष्प हैं इसलिये वे डर कर अपना कदम आगे बढ़ने से नहीं रोकेंगे, उनपर विश्वास किया जा सकता है। कृष्ण का चरित्र सदा से असाधरण चिंतकों को भी विभ्रम में डालता रहा है।

नरेन्द्र मोदी के विरोधी राजनेताओं की मजबूरी देखिये, मोदी को बदनाम करने के लिये उन्हें अडानी, अंबानी के नाम का सहारा लेना पड़ता है जबकि नेहरू जी, इन्दिरा जी, राजीव गाँधी, आदि प्रभृति प्रधानमंत्रियों को बदनाम करने के लिये किसी दूसरे व्यक्ति के नाम की कभी जरूरत नहीं पड़ी। 

भ्रष्टाचार के चक्रव्यूह में नरेन्द्र मोदी प्रवेश कर गये हैं, उनके साथियों को कुण्ठारूपी जयद्रथ ने बाहर ही रोक लिया है। हार गये तो अभिमन्यु और जीत गये तो अर्जुन के रूप में अमर हों जायेंगे। जनता को कृष्ण बनना होगा तभी अधर्म के घटाटोप में छिपे धर्म को बाहर निकाला जा सकता है। इतिहास में नरेन्द्र मोदी किस रूप में स्मरणीय रहेंगे, अभी बताना कठिन है पर वह असाधारण हैं, स्पष्ट दिख रहा है।

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नोट बंदी पर 


​कोई नोटिस नही जारी होगा –कोई स्टे नही होगा 
सुप्रीम कोर्ट ने नोट बंदी पर केंद्र सरकार को कोई नोटिस 

जारी करने से मना कर दिया और नोट बंदी पर रोक 

लगाने से भी मना कर दिया —
केंद्र से अलबत्ता लोगों को हो रही असुविधा पर एक हफ्ते 

में जवाब माँगा है –याचिकाकर्ता से भी सकारात्मक 

सुझाव देने को कहा है –जाहिर है नोट बंदी में कोई कानूनी 

दखल नही बनता सुप्रीम कोर्ट के अनुसार –याचिकाकर्ता 

से सकारात्मक सुझाव का मतलब भी यही निकलता है कि 

लोगों की असुविधा कैसे दूर हो, उस पर बात करे ना कि 

नोट बंदी रुकवाने की —
ये अपने आप में मोदी जी की जीत है –लगता है इस फैसले 

से तड़पते हुए विपक्ष को भी जवाब मिल गया होगा –सोच 

समझ कर विपक्ष संसद ठप्प करे क्यूंकि जनसमर्थन मोदी 

के साथ और आज सुप्रीम कोर्ट ने भी कानूनी ठप्पा लगा दिया 

नोट बंदी पर — 
(सुभाष चंद्र)

15/11/2016

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नरेन्द्र मोदी की माता


​भारत जैसे विशाल देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की माता जी एक डी एफ सी बैंक के सामने २५०० रुपये के पुराने नॉट बदलने के लिए बैंक आईं , सफ़ेद कागज़ पर अंगूंठा लगाया , ढाई हजार रुपये के नए नॉट लिए , अपने घर के ही कुछ महिलाओर पुरुष के साथ , बहुत कमजोर थीं , कड़ी नहीं हो सकती थीं , बैंक के कर्मचारी ने उनको सबके सामने ढाई हजार रुपये दिए।  अरे शर्म कर , शर्म का सोनिया नकली गाँधी , ओ बेशर्म मायावती और ममता बनर्जी तुम भी औरत हो , ज़रा देखो ९४ साल नई भारत माता कड़ी हे ढाई हजार रुपये बढ़वाने के लिए बेन में।  क्या अपशब्द लिखूं इन राजनितिक चुड़ैलों को और उन सब गुंडे पत्रकारों को जैसे राजदीप सर देसाई जैसे , लाइन में खड़े लोगों की मदद के नाम पर भड़काने वाला राजदीप सरदेसाई को लोगों के द्वारा जबरदस्त पिटाई की जाना चाहिए था

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ये लोग मुझे ज़िंदा नहीं छोड़ेंगे…”


​प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे जीवट वाले व्यक्ति ने आज जिस अंदाज़ में सार्वजनिक मंच से कहा है कि “ये लोग मुझे ज़िंदा नहीं छोड़ेंगे…”

इससे यह स्पष्ट हो गया है कि स्थिति बहुत भयंकर और असहनीय रूप ले चुकी है…..

एक अकेला व्यक्ति 125 करोड़ हिंदुस्तानियों के हिस्से का ज़हर “नीलकण्ठ” महादेव बनकर पी रहा है.

.

एक अकेला व्यक्ति देश के अंदर मौजूद सारे राक्षसों के साथ-साथ अनगिनत विदेशी दुश्मनों (पाकिस्तान सरकार, पाकिस्तान की सेना, आईएस आई, दाऊद इब्राहिम, हाफिज सईद, चीन) के निशाने पर है……

क्योंकि देश के इतिहास में पहली बार किसी अकेले आदमी ने इतने सारे दुश्मनों की एक साथ नींद हराम कर दी है…

ये अच्छाई और बुराई का महासंग्राम है, हमको तैयार रहना है और मोदी जी का साथ देना है, क्योंकि अगर इन सभी राक्षसों ने मोदीजी को अगर अपने चक्रव्यूह में फंसा लिया तो फिर सदियों तक कोई दूसरा मोदी पैदा नहीं होगा…

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​RBI has recently published information about the money deposited


​RBI has recently published information about the money deposited in the banks in 3 days,

(amounts in crores)

Top 10 banks:

1. SBI                                 53,652

2. Central bank 49,644

3. PNB                               42,877

4. HDFC                            39,548

5. ICICI                              32,867

6. Bank of India               29,876

7. Bank of Baroda           25,765

8. Axis Bank                     18,768

9. Union Bank                  16,555

10. Andhra Bank             14,321
Amount deposited in Post offices                               36,009
Sirf 2 din me hi itna pesa banko me deposit hua he jara sochiye 30 December tak ye number kya hoga!!!!

Acchhe din aa gaye!!!

Please forward this message and let others know about demonetization effect. 

BIG SALUTE TO PM MODI!!!!

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​नोट बंदी का झाली याचे एक अजून प्रमुख कारण कदाचित बरेच जणांना माहित नसेल


​नोट बंदी का झाली याचे एक अजून प्रमुख कारण कदाचित बरेच जणांना  माहित नसेल
आपल्या देशात सध्या तयार होणारे 500 व 1000 चे नोटांचे कागद हा इंग्लंड हुन येत होता
व छपाई शाई जर्मनी हुन येत होती
विशेष धक्कादायक बाब म्हणजे
जी जर्मन व इंग्लिश कम्पन्या या बाबी भारतास तंत्रज्ञान पुरवत होत्या त्याच कम्पन्या तोच पेपर व शाई पाकिस्तानला हि पुरवत होत्या. फक्त दोन देशाची डिझाईन वेगवेगळी होती.
नेमक्या याच बाबीचा विरोध पंत प्रधान मनमोहन सिंग यांनी केला होता. पण चिदम्बरम यांनी ऐकले नाही व हा करार झाला.
त्याचा परिणाम पाकिस्तानला फेक करन्सी छापणे सोपे झाले. त्याची फळे चलन फुगवटा झाला व ज्याची झळ सर्वात जास्त सर्व सामान्य माणसाला झाला.
हा रिपोर्ट NIA  व RAW  यांनी आरबीआय व  केंद्राला रिपोर्ट केला. त्यामुळे नोट छपाई व शाई भारतात तयार करण्यात आली. व असे तंत्रज्ञान वापरून नोट तयार करण्यात आली आहे की ज्याची कॉपी पाकिस्तानला शक्य नाही.
*त्यामुळे आपण वरवर टिपणी करत आहोत तेवढा हा सोपा विषय नाही आहे मित्रानो*

दोन चार दिवस काय

आठ दिवस लागू द्या.

कारण एखादे राष्ट्र हे नागरिकाचे बलीदानातून मोठे व महान होते.

जपान, जर्मनी, इस्राईल हि उगाच प्रगत नाहीत.
 विशेष उल्लेखनीय बाब

सदर डीमोनिटीझेशन  मोदींनी स्वतः केलेली कृती नाही.

देशातील काळ्या पैशाचा सुळसुळाट, फेक करन्सी याचा भार दिवसे दिवस भारतीय अर्थ व्यवस्थेवर वाढत चालला होता.

चलन फुगवटा आटोक्यात येत नव्हता.
म्हणून रिझर्व्ह बँकेने यापूर्वी दोन वेळा नोटबंदी चा प्रस्ताव मागचे सरकारला दिला. मनमोहन सिंगची इच्छा असूनही राजकीय विल पॉवर चे अभावी ते एवढा रिस्की निर्णय घेऊ शकले नाही. दोन्ही वेळा प्रस्ताव फेटाळला गेला.
फरक एवढा यावेळेस निर्णय घेऊ शकणारे सरकार होते. तिसरे सत्ता केंद्र नव्हते. आणि हा निर्णय अमलात आला