किसी के बिना दुनिया का कोई भी काम रुक नहीं सकता , इसलिए अपने आप पर घमण्ड न करें।
एक घर के मुखिया को यह अभिमान हो गया कि उसके बिना उसके परिवार का काम नहीं चल सकता।
उसकी छोटी सी दुकान थी। उससे जो आय होती थी, उसी से उसके परिवार का गुजारा चलता था।
चूंकि कमाने वाला वह अकेला ही था इसलिए उसे लगता था कि उसके बगैर कुछ नहीं हो सकता।वह लोगों के सामने डींग हांका करता था।
एक दिन वह एक संत के सत्संग में पहुंचा। संत कह रहे थे, “दुनिया में किसी के बिना किसी का काम नहीं रुकता।यह अभिमान व्यर्थ है कि मेरे बिना परिवार या समाज ठहर जाएगा।सभी को अपने भाग्य के अनुसार प्राप्त होता है।”
सत्संग समाप्त होने के बाद मुखिया6 ने संत से कहा, “मैं दिन भर कमाकर जो पैसे लाता हूं उसी से मेरे घर का खर्च चलता है। मेरे बिना तो मेरे परिवार के लोग भूखे मर जाएंगे।”
संत बोले, “यह तुम्हारा भ्रम है।
हर कोई अपने भाग्य का खाता है।”
इस पर मुखिया ने कहा, “आप इसे प्रमाणित करके दिखाइए।”
संत ने कहा, “ठीक है। तुम
बिना किसी को बताए घर से एक महीने के लिए गायब हो जाओ।
”उसने ऐसा ही किया। संत ने यह बात फैला दी कि उसे बाघ ने अपना भोजन बना लिया है। मुखिया के परिवार वाले कई दिनों तकशोक संतप्त रहे।
गांव वाले आखिरकार उनकी मदद के लिये सामने आए। एक सेठ ने उसके बड़े लड़के को अपने यहां नौकरी दे दी। गांव वालों ने मिलकर लड़की की शादी कर दी।
एक व्यक्ति छोटे बेटे की पढ़ाई का खर्च देने को तैयार हो गया।
एक महीने बाद मुखिया छिपता-छिपाता रात के वक्त अपने घर आया। घर वालों ने भूत समझ कर दरवाजा नहीं खोला। जब वह बहुत गिड़गिड़ाया और उसने सारी बातें बताईं तो उसकी पत्नी ने दरवाजे के भीतर से ही उत्तर दिया,‘हमें तुम्हारी जरूरत नहीं है। अब हम पहले से ज्यादा सुखी हैं।’ उस व्यक्ति का सारा अभिमान चूर-चूर हो गया। संसार किसी के लिए भी नही रुकता!!
यहाँ सभी के बिना काम चल सकता है संसार सदा से चला आ रहा है और चलता रहेगा। जगत को चलाने की हाम भरने वाले बडे बडे सम्राट, मिट्टी हो गए, जगत उनके बिना भी चला है।
यदि आपको सुखी रहना है तो किसी से अपनी तुलना नहीं करो ‘आप’ आप ही हो।
आप के समान कोई नहीं। फिर क्यों दूसरों से अपनी तुलना करना, ईर्ष्या करना?
आइये इस बात को एक कहानी के माध्यम से समझते हैं —
एक कौआ जंगल में रहता था और अपने जीवन से संतुष्ट था। एक दिन उसने एक हंस को देखा, “यह हंस कितना सफेद है, कितना सुन्दर लगता है।” , उसने मन ही मन सोचा।
उसे लगा कि यह सुन्दर हंस दुनिया में सबसे सुखी पक्षी होगा, जबकि मैं तो कितना काला हूँ ! यह सब सोचकर वह काफी परेशान हो गया और उससे रहा नहीं गया, उसने अपने मनोभाव हंस को बताये ।
हंस ने कहा – “वास्तिकता ऐसी है कि पहले मैं खुद को आसपास के सभी पक्षिओ में सुखी समझता था। लेकिन जब मैने तोते को देखा तो पाया कि उसके दो रंग है तथा वह बहुत ही मीठा बोलता है। तब से मुझे लगा कि सभी पक्षिओ में तोता ही सुन्दर तथा सुखी है।”
अब कौआ तोते के पास गया।
तोते ने कहा – “मै सुखी जिंदगी जी रहा था, लेकिन जब मैंने मोर को देखा तब मुझे लगा कि मुझमे तो दो रंग ही ,, परन्तु मोर तो विविधरंगी है। मुझे तो वह ही सुखी लगता है।”
फिर कौआ उड़कर प्राणी संग्रहालय गया। जहाँ कई लोग मोर देखने एकत्र हुए थे।
जब सब लोग चले गए तो कौआ उसके पास जाकर बोला –“मित्र तुम तो अति सुन्दर हो। कितने सारे लोग तुम्हें देखने के लिए इकट्ठे होते है ! प्रतिदिन तुम्हें देखने के लिए हजारों लोग आते है ! जब कि मुझे देखते ही लोग मुझे उड़ा देते है। मुझे लगता है कि अपने इस ग्रह पर तो तुम ही सभी पक्षिओ में सबसे सुखी हो।”
मोर ने गहरी सांस लेते हुए कहाँ “मैं हमेशा सोचता था कि ‘मैं इस पृथ्वी पर अति सुन्दर हूँ, मैं ही अति सुखी हूँ।’ परन्तु मेरे सौन्दर्य के कारण ही मैं यहाँ पिंजरे में बंद हूँ। मैंने सारे प्राणी में गौर से देखे तो मैं समझा कि ‘कौआ ही ऐसा पक्षी है जिसे पिंजरे में बंद नहीं किया जाता।’ मुझे तो लगता है कि काश मैं भी तुम्हारी तरह एक कौआ होता तो स्वतंत्रता से सभी जगह घूमता- उड़ता, सुखी रहता !”
मित्रों, यही तो है हमारी समस्या। हम अनावश्यक ही दूसरों से अपनी तुलना किया करते है और दुखी- उदास बनते है। हम कभी हमें जो मिला होता है उसकी कद्र नहीं करते इसी के कारण दुःख के विषचक्र में फंसे रहेते है। प्रत्येक दिन को भगवान की भेंट समझ कर आनंद से जीना चाहिए।
तो आइये आज की सुहानी सुबह
का शुभारम्भ करें
अपने इस आज को
परमपिता परमेश्वर की
अमूल्य भेंट समझ कर
और यह सही भी है, है ना!
👌👌👌👌👌👌👌👌
आपका आज मंगलमय हो
इन्हीं मनोभावों
और आपकी प्यारी सी मुस्कान
😊😊😊😊😊😊😊😊😊
की अपेक्षा के साथ
💐सुप्रभात💐