Posted in कविता - Kavita - કવિતા

“હૈયા ની હાટડી મા હેત વેચવા બેઠો છુ.


“હૈયા ની હાટડી મા હેત વેચવા બેઠો છુ.

વગર દામે લઈ જાઓ હુ વહાલ વહેચવા બેઠો છુ”

“ના રાજ જોઈએ,

ના તાજ જોઈએ,

માણસ ને માણસ સાથે શોભે,

એવો મિજાજ જોઈએ….”

”બંધ આંખે હુ ચાલતો નથી,

સંબંધો વિશે હુ કઈ જાણાતો નથી,

હસી ને લોકો ને મળવુ એ મારો શોખ છે,

મળ્યા પછી કોઈ મને ભુલી જાય

તે વાત મા હુ માનતો નથી.

Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

Couldn’t resist this one…enjoy


Couldn’t resist this one…enjoy

A farmer is on the hill top  with his herd….

A helicopter suddenly lands and a handsome youth comes out.

He approaches the farmer with a swagger and tells him, “if I can tell you accurately the number of cows u have wil u allow me to take one of your calves?”

FARMER thinks and says okay.

The young man presses an app on his smartphone and gets the satellite image on dharwad.indicate where he is, he then sends his co – ordinates to ISRO- which then photographs the area for him. he then calls ISRO to identify all living things in the radius of the hill top and gets an answer 35. He deducts 2 and tells farmer…

you have 33 cows.

Farmer says ok you can have one of my calves.

 

As the young man is trying to load the animal on to his helicopter, the FARMER says; “if I tell u r name will u return my calf?”

 

The young guy says ok.

 

The farmer says : U r RAHUL GANDHI.

 

The young man is shocked😳, he says, “how did you know ?”

 

Farmer says, ” its Easy, u came here when no one invited you, u used millions of tax payers money to give me information which I have known for years”

 

By the way these are sheep not cows and could u please return my dog…😂😂😂

Posted in બાળ ગીતો

નાનપણમાં કેટ-કેટલીય વાર સાંભળેલી દસવાતો:😉😉


નાનપણમાં કેટ-કેટલીય વાર સાંભળેલી દસવાતો:😉😉

  1. જો..જો..! કીડી મરી ગઈ..!!

(સાલું, વાગ્યું હોય આપણને, અને મરી જાય કીડી ..? કમાલ છે..)

 

  1. મોટો થઈશ ને.. એટલે લાવી આપીશ..!

(જાણે કેમ કે, પ્રોપર્ટીમાંથી કોઈ ભાગમાગી લીધો હોય..)

  1. આવું ના બોલાય, પાપ લાગે..!

(આવું આવું જ કહીને કાયમ ડરાવે રાખ્યા હતા.)

  1. સુઈ જા, નહીં તો બાવો આવશે..!

(હા.. જાણે બધા બાવા નવરા જ બેઠા હોય ને ..!)

  1. આ ગંદુ છે. ચલ, આપણે બીજું રમકડું લઇ લેશું..!

(જેવું ખબર પડે, કે આ મોંઘું છે, કે તરત તે ગંદુ બની જાય…!)

  1. રડવાનું બંધ કર, તો ચોકલેટ મળશે..!

(ને પછી કાયમ, ચોકલેટ ખાવાની તો કાયમ ‘ના’ જ પાડતા…!)

  1. જલ્દી ખાઈ લે નહીં તો પેલી બેબી ખાઈ જશે…!

(પેટ ભલેને ફાટી જતું હોય, તો પણ પેલી બેબીના ડરને લીધે, ત્યારે ને ત્યારે ખાવું પડતું..!)

  1. બા..બા જવું છે ને,.? તો જીદ નહીં કર..!

(બા..બા જવાની આશામાં ને આશામાં છોકરું થાકીને સુઈ જાય, પણ તેમનો તો મુડ જ ના બનતો …!)

  1. તું તો ડાહ્યો દીકરો છે ને મારો..?

(હા… તો શું એમ કહીને બધા કામ કરાવીલેવાના…? )

અને સહુથી જક્કાસ તો આ…!

  1. એ…ઈ…! કાગો લઇ ગ્યો, જો….!

(મા-કસમ, એક મચ્છર પણ આસપાસ ઉડતો ના હોય, એ વખતે..!!)

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In a Store a man asked for 1/2 kg of butter.


In a Store a man asked for 1/2 kg of butter.

The salesperson, a young boy, said that only 1kg packs were available in the Store, but the man insisted on buying only 1/2 kg.

So the boy went inside to the manager’s room and said “An idiot outside wants to buy only 1/2 kg of butter”.

To his surprise, the customer was standing right behind him.

So the boy added immediately, “And this gentleman wants to buy the other half”.

 

After the customer left, the manager said “You have saved your position by being clever enough at the right time.

Where do you come from?”

 

To this the boy said, “I come from Brazil. The place consists of only prostitutes and football players!”

 

The manager replied coldly, “My wife is also from Brazil”.

 

To this the boy asked excitedly, “Oh yeah? Which team does she play for?”

 

Moral:-

Presence of mind helps, Never Panic,

There’s always a solution!

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यार से ऐसी यारी रख


 

यार से ऐसी यारी रख

दुःख में भागीदारी रख,

 

चाहे लोग कहे कुछ भी

तू तो जिम्मेदारी रख,

 

वक्त पड़े काम आने का

पहले अपनी बारी रख,

 

मुसीबते तो आएगी

पूरी अब तैयारी रख,

 

कामयाबी मिले ना मिले

जंग हौंसलों की जारी रख,

 

बोझ लगेंगे सब हल्के

मन को मत भारी रख,

 

मन जीता तो जग जीता

कायम अपनी खुद्दारी रख.

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कॉलेज में Happy married life पर एक workshop हो रही थी


कॉलेज में Happy married life पर एक  workshop हो रही थी, जिसमे कुछ शादीशुदा  जोडे हिस्सा ले रहे थे। जिस समय प्रोफेसर  मंच पर आए  उन्होने नोट किया कि सभी पति- पत्नी शादी पर जोक कर  हँस रहे थे… ये देख कर प्रोफेसर ने कहा कि चलो पहले  एक Game खेलते है… उसके बाद  अपने विषय पर बातें करेंगे। सभी  खुश हो गए और कहा कोनसा Game ? प्रोफ़ेसर ने एक married लड़की को खड़ा किया और कहा कि तुम ब्लेक बोर्ड पे ऐसे 25- 30 लोगों के  नाम लिखो जो तुम्हे सबसे अधिक प्यारे हों लड़की ने पहले तो अपने परिवार के लोगो के नाम लिखे फिर अपने सगे सम्बन्धी, दोस्तों,पडोसी और सहकर्मियों के नाम लिख दिए…अब प्रोफ़ेसर ने उसमे से कोई भी कम पसंद वाले 5 नाम मिटाने को कहा… लड़की ने अपने सह कर्मियों के नाम मिटा दिए.. प्रोफ़ेसर ने और 5 नाम मिटाने को कहा..लड़की ने थोडा सोच कर अपने पड़ोसियो के नाम मिटा दिए… अब प्रोफ़ेसर ने और 10 नाम मिटाने को कहा… लड़की ने अपने सगे सम्बन्धी और दोस्तों के नाम मिटा दिए…अब बोर्ड पर सिर्फ 4 नाम बचे थे जो उसके मम्मी- पापा, पति और बच्चे का नाम था..  अब प्रोफ़ेसर ने कहा इसमें से और 2 नाम मिटा दो… लड़की असमंजस में पड गयी बहुत सोचने के बाद बहुत दुखी होते हुए उसने अपने मम्मी- पापा का नाम मिटा दिया… सभी लोग स्तब्ध और शांत थे क्योकि वो जानते थे कि ये गेम सिर्फ वो लड़की ही नहीं खेल रही थी उनके दिमाग में भी यही सब चल रहा था। अब सिर्फ 2 ही नाम बचे थे… पति और बेटे का… प्रोफ़ेसर ने कहा और एक नाम मिटा दो… लड़की अब सहमी सी रह गयी… बहुत सोचने के बाद रोते हुए अपने बेटे का नाम काट दिया…प्रोफ़ेसर ने  उस लड़की से कहा तुम अपनी जगह पर जाकर बैठ जाओ… और सभी की तरफ गौर से देखा…और पूछा- क्या कोई बता सकता है कि ऐसा क्यों हुआ कि सिर्फ पति का ही नाम बोर्ड पर रह गया। कोई जवाब नहीं दे पाया… सभी मुँह लटका कर बैठे थे…प्रोफ़ेसर ने फिर उस लड़की को खड़ा किया और कहा… ऐसा क्यों ! जिसने तुम्हे जन्म दिया और पाल पोस कर इतना बड़ा किया उनका नाम तुमने मिटा दिया… और तो और तुमने अपनी कोख से जिस बच्चे को जन्म दिया उसका भी नाम तुमने मिटा दिया ? लड़की ने जवाब दिया……. कि अब मम्मी- पापा बूढ़े हो चुके हैं, कुछ साल के बाद वो मुझे और इस दुनिया को छोड़ के चले जायेंगे …… मेरा बेटा जब बड़ा हो जायेगा तो जरूरी नहीं कि वो शादी के बाद मेरे साथ ही रहे। लेकिन मेरे पति जब तक मेरी जान में जान है तब तक मेरा आधा शरीर बनके मेरा साथ निभायेंगे इस लिए मेरे लिए सबसे अजीज मेरे पति हैं..प्रोफ़ेसर और बाकी स्टूडेंट ने तालियों की गूंज से लड़की को सलामी दी…प्रोफ़ेसर ने कहा तुमने बिलकुल सही कहा कि तुम और सभी के बिना रह सकती हो पर अपने आधे अंग अर्थात अपने पति के बिना नहीं रह सकती lमजाक मस्ती तक तो ठीक है पर हर इंसान का अपना जीवन साथी ही उसको सब  से ज्यादा अजीज होता है… ये सचमुच सच है for all husband and wife   कभी मत भूलना…..

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एक डलिया में संतरे बेचती बूढ़ी औरत से एक युवाअक्सर संतरे खरीदता ।


एक डलिया में संतरे बेचती बूढ़ी

औरत से एक युवाअक्सर संतरे खरीदता ।

अक्सर, खरीदे संतरों से एक संतरा

निकाल उसकी एक फाँक चखता

और कहता, “ये कम मीठा लग रहा है, देखो !”

बूढ़ी औरत संतरे को चखती और

प्रतिवाद करती “ना बाबू मीठा तो है!”

वो उस संतरे को वही छोड़,

बाकी संतरे ले गर्दन झटकते

आगे बढ़ जाता।

युवा अक्सर अपनी पत्नी के साथ होता था।

एक दिन पत्नी नें पूछा

“ये संतरे तो हमेशा मीठे ही होते हैं,

फिर यह नौटंकी तुम हमेशा

क्यों करते हो ?”

युवा ने पत्नी को एक मघुर

मुस्कान के साथ बताया

“वो बूढ़ी माँ संतरे बहुत मीठे बेचती है,

पर खुद कभी नहीं खाती,

इस तरह उसे मै संतरे खिला देता हूँ ।

उसके संतरे भी बिकते है और

उसमें से अंततः एकाद उसे भी

खाना नसीब हो जाता है।

और नुक्सान भी नहीं होगा।

बुढ़िया के पड़ोस में बैठी सब्जीवाली

भी रोज का यह माज़रा देखती।

.

एक दिन, बूढ़ी माँ से उस सब्जी बेचनें

वाली औरत ने सवाल किया,

ये झक्की लड़का संतरे लेते इतना

चख चख करता है,

रोज संतरों में नुस्ख निकालता है,

तुझे भी चखाता है।

पर संतरे तौलते समय मै तेरे

पलड़े देखती हूँ, तू हमेशा

उसकी चखने की झक्की में,

उसे ज्यादा संतरे तौल देती है ।

ऐसे लड़के के पीछे क्यों अपना

नुक्सान करती हो?

तब बूढ़ी माँ नें साथ सब्जी बेचने

वाली से कहा

“उसका चखना संतरे के लिए नहीं,

मुझे संतरा खिलानें को लेकर होता है।

,

बस इतना ही है की वो समझता है

में उसकी यह बात समझती नही।

लेकिन मै बस उसका प्रेम देखती हूँ,

पलड़ो पर संतरे तो अपने

आप बढ़ जाते हैं ।

,

विस्वास कीजिये कभी कभी जीवन

का आनंद इन्हीं छोटी छोटी

बातों में आता है।

,

पैसे नहीं दूसरों के प्रति प्रेम

और आदर ही जीवन में मिठास

घोलता है।

देने में जो सुख है वह

छीनने-पाने में नहीं।

खुशियां बांटने से बढ़ेंगी ही; नुक्सान नहीं होगा।

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एक गोत्र में शादी क्यूँ नहीं..


: ✅

एक गोत्र में शादी क्यूँ नहीं..

================

वैज्ञानिक कारण..!

===========

 

 

एक दिन डिस्कवरी पर

जेनेटिक बीमारियों से

सम्बन्धित एक ज्ञानवर्धक कार्यक्रम था

 

उस प्रोग्राम में

 

एक अमेरिकी वैज्ञानिक ने कहा की

जेनेटिक बीमारी न हो

=============

इसका एक ही इलाज है

==============

और वो है

“सेपरेशन ऑफ़ जींस”

=============

मतलब अपने नजदीकी रिश्तेदारो में

विवाह नही करना चाहिए

क्योकि

नजदीकी रिश्तेदारों में

जींस सेपरेट (विभाजन) नही हो पाता

और

जींस लिंकेज्ड बीमारियाँ जैसे

हिमोफिलिया, कलर ब्लाईंडनेस, और

एल्बोनिज्म होने की

100% चांस होती है ..

 

फिर बहुत ख़ुशी हुई

जब उसी कार्यक्रम में

ये दिखाया गया की

आखिर

“हिन्दूधर्म” में

********

हजारों-हजारों सालों पहले

***************

जींस और डीएनए के बारे में

****************

कैसे लिखा गया है ?

************

हिंदुत्व में गोत्र होते है

*************

और

एक गोत्र के लोग

आपस में शादी नही कर सकते

ताकि

जींस सेपरेट (विभाजित) रहे.. ******************

उस वैज्ञानिक ने कहा की

===============

आज पूरे विश्व को मानना पड़ेगा की

********************

“हिन्दूधर्म ही”

*********

विश्व का एकमात्र ऐसा धर्म है जो

*******************

“विज्ञान पर आधारित” है !

****************

 

हिंदू परम्पराओं से जुड़े

%%%%%%%%%

ये वैज्ञानिक तर्क:

%%%%%%%

1-

कान छिदवाने की परम्परा:

***************

भारत में लगभग सभी धर्मों में

कान छिदवाने की

परम्परा है।

वैज्ञानिक तर्क-

%%%%%%

दर्शनशास्त्री मानते हैं कि

इससे सोचने की शक्त‍ि बढ़ती है।

जबकि

डॉक्टरों का मानना है कि इससे बोली

अच्छी होती है और

कानों से होकर दिमाग तक जाने वाली नस का

रक्त संचार नियंत्रित रहता है।

 

2-

माथे पर कुमकुम/तिलक

%%%%%%%%%%

महिलाएं एवं पुरुष माथे पर

कुमकुम या तिलक लगाते हैं

वैज्ञानिक तर्क-

%%%%%%

आंखों के बीच में

माथे तक एक नस जाती है।

कुमकुम या तिलक लगाने से

उस जगह की ऊर्जा बनी रहती है।

माथे पर तिलक लगाते वक्त जब अंगूठे या उंगली से प्रेशर पड़ता है,

तब चेहरे की त्वचा को रक्त सप्लाई करने वाली मांसपेशी सक्रिय हो जाती है।

इससे चेहरे की कोश‍िकाओं तक अच्छी तरह रक्त पहुंचता

 

3-

जमीन पर बैठकर भोजन

%%%%%%%%%%

भारतीय संस्कृति के अनुसार

जमीन पर बैठकर भोजन करना अच्छी बात होती है

वैज्ञानिक तर्क-

%%%%%%

पलती मारकर बैठना

************

एक प्रकार का योग आसन है।

******************

इस पोजीशन में बैठने से

**************

मस्त‍िष्क शांत रहता है और

भोजन करते वक्त

अगर दिमाग शांत हो तो

पाचन क्रिया अच्छी रहती है। इस पोजीशन में बैठते ही

खुद-ब-खुद दिमाग से 1 सिगनल

पेट तक जाता है, कि

वह भोजन के लिये तैयार हो जाये

 

4-

हाथ जोड़कर नमस्ते करना

%%%%%%%%%%%

 

जब किसी से मिलते हैं तो

हाथ जोड़कर नमस्ते अथवा नमस्कार करते हैं।

वैज्ञानिक तर्क-

%%%%%%

जब सभी उंगलियों के शीर्ष

एक दूसरे के संपर्क में आते हैं

और उन पर दबाव पड़ता है।

एक्यूप्रेशर के कारण उसका

सीधा असर

हमारी आंखों, कानों और दिमाग पर होता है,

ताकि सामने वाले व्यक्त‍ि को हम लंबे समय तक याद रख सकें।

दूसरा तर्क यह कि हाथ मिलाने (पश्च‍िमी सभ्यता) के बजाये अगर आप नमस्ते करते हैं

तो सामने वाले के शरीर के कीटाणु आप तक नहीं पहुंच सकते।

अगर सामने वाले को स्वाइन फ्लू भी है तो भी वह वायरस आप तक नहीं पहुंचेगा।

 

5-

भोजन की शुरुआत तीखे से और

%%%%%%%%%%%%

अंत मीठे से

%%%%%

जब भी कोई धार्मिक या

पारिवारिक अनुष्ठान होता है तो

भोजन की शुरुआत तीखे से और

अंत मीठे से होता है।

वैज्ञानिक तर्क-

%%%%%%

तीखा खाने से

हमारे पेट के अंदर

पाचन तत्व एवं अम्ल सक्रिय हो जाते हैं

इससे

पाचन तंत्र ठीक से संचालित होता है

अंत में

मीठा खाने से

अम्ल की तीव्रता कम हो जाती है

इससे पेट में जलन नहीं होती है

 

6-

पीपल की पूजा

%%%%%%

तमाम लोग सोचते हैं कि

पीपल की पूजा करने से

भूत-प्रेत दूर भागते हैं।

वैज्ञानिक तर्क-

%%%%%%

इसकी पूजा इसलिये की जाती है,

ताकि

इस पेड़ के प्रति लोगों का सम्मान बढ़े

और

उसे काटें नहीं

पीपल एक मात्र ऐसा पेड़ है, जो

रात में भी ऑक्सीजन प्रवाहित करता है

 

7-

दक्ष‍िण की तरफ सिर करके सोना

%%%%%%%%%%%%%

दक्ष‍िण की तरफ कोई पैर करके सोता है

तो लोग कहते हैं कि

बुरे सपने आयेंगे

भूत प्रेत का साया आयेगा,poorvajon ka esthaan,आदि

इसलिये

उत्तर की ओर पैर करके सोयें

वैज्ञानिक तर्क-

%%%%%%

जब हम

उत्तर की ओर सिर करके सोते हैं,

तब

हमारा शरीर पृथ्वी की चुंबकीय तरंगों की सीध में आ जाता है।

शरीर में मौजूद आयरन यानी लोहा

दिमाग की ओर संचारित होने लगता है

इससे अलजाइमर,

परकिंसन, या दिमाग संबंधी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है

यही नहीं रक्तचाप भी बढ़ जाता है

 

8-

सूर्य नमस्कार

%%%%%%

हिंदुओं में

सुबह उठकर सूर्य को जल चढ़ाते

नमस्कार करने की परम्परा है।

वैज्ञानिक तर्क-

%%%%%%

पानी के बीच से आने वाली

सूर्य की किरणें जब

आंखों में पहुंचती हैं तब

हमारी आंखों की रौशनी अच्छी होती है

 

9-

सिर पर चोटी

%%%%%%

हिंदू धर्म में

ऋषि मुनी सिर पर चुटिया रखते थे

आज भी लोग रखते हैं

वैज्ञानिक तर्क-

%%%%%%

जिस जगह पर चुटिया रखी जाती है

उस जगह पर

दिमाग की सारी नसें आकर मिलती हैं

इससे दिमाग स्थ‍िर रहता है

और

इंसान को क्रोध नहीं आता

सोचने की क्षमता बढ़ती है।

 

10-

व्रत रखना

%%%%

कोई भी पूजा-पाठ, त्योहार होता है तो

लोग व्रत रखते हैं।

वैज्ञानिक तर्क-

%%%%%%

आयुर्वेद के अनुसार

व्रत करने से

पाचन क्रिया अच्छी होती है और

फलाहार लेने से

शरीर का डीटॉक्सीफिकेशन होता है

यानी

उसमें से खराब तत्व बाहर निकलते हैं

शोधकर्ताओं के अनुसार व्रत करने से

कैंसर का खतरा कम होता है

हृदय संबंधी रोगों,मधुमेह,आदि रोग भी

जल्दी नहीं लगते

 

11-

चरण स्पर्श करना

%%%%%%%

हिंदू मान्यता के अनुसार

जब भी आप किसी बड़े से मिलें तो

उसके चरण स्पर्श करें

यह हम बच्चों को भी सिखाते हैं

ताकि वे बड़ों का आदर करें

वैज्ञानिक तर्क-

%%%%%%

मस्त‍िष्क से निकलने वाली ऊर्जा

हाथों और सामने वाले पैरों से होते हुए

एक चक्र पूरा करती है

इसे

कॉसमिक एनर्जी का प्रवाह कहते हैं

इसमें दो प्रकार से ऊर्जा का प्रवाह होता है

या तो

बड़े के पैरों से होते हुए छोटे के हाथों तक

या फिर

छोटे के हाथों से बड़ों के पैरों तक

 

12-

क्यों लगाया जाता है सिंदूर

%%%%%%%%%%%

शादीशुदा हिंदू महिलाएं सिंदूर लगाती हैं

वैज्ञानिक तर्क-

%%%%%%

सिंदूर में

हल्दी,चूना और मरकरी होता है

यह मिश्रण

शरीर के रक्तचाप को नियंत्रित करता है

इससे स्ट्रेस कम होता है।

 

13-

तुलसी के पेड़ की पूजा

%%%%%%%%%

तुलसी की पूजा करने से घर में समृद्ध‍ि आती है

सुख शांति बनी रहती है।

वैज्ञानिक तर्क-

%%%%%%

तुलसी इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है

लिहाजा अगर घर में पेड़ होगा तो

इसकी पत्त‍ियों का इस्तेमाल भी होगा और

उससे बीमारियां दूर होती हैं।

 

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Posted in श्रीमद्‍भगवद्‍गीता

गीता


भगवद  गीता अध्याय: 8
श्लोक 5

श्लोक:
अंतकाले च मामेव स्मरन्मुक्त्वा कलेवरम्‌।
यः प्रयाति स मद्भावं याति नास्त्यत्र संशयः॥

भावार्थ:
जो पुरुष अंतकाल में भी मुझको ही स्मरण करता हुआ शरीर को त्याग कर जाता है, वह मेरे साक्षात स्वरूप को प्राप्त होता है- इसमें कुछ भी संशय नहीं है ।
॥ 5 ।।

Posted in गौ माता - Gau maata

गऊ माता


ऋगवेद में गऊ माता की महिमा का वर्णन —

ऋग्वेद के ६ वें मंडल का सम्पूर्ण २८ वां सूक्त
गाय की महिमा बखान रहा है –

१.आ गावो अग्मन्नुत भद्रमक्रन्त्सीदन्तु –
प्रत्येक जन यह सुनिश्चित करें कि गौएँ
यातनाओं से दूर तथा स्वस्थ रहें |

२.भूयोभूयो रयिमिदस्य वर्धयन्नभिन्ने –
गाय की देख-भाल करने वाले को
ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है |

३.न ता नशन्ति न दभाति –
तस्करो नासामामित्रो व्यथिरा दधर्षति
गाय पर शत्रु भी शस्त्र का प्रयोग न करें |

४. न ता अर्वा रेनुककाटो अश्नुते
न संस्कृत्रमुप यन्ति ता –
कोइ भी गाय का वध न करे |

५.गावो भगो गाव इन्द्रो मे अच्छन् –
गाय बल और समृद्धि लातीं हैं |

६. यूयं गावो मेदयथा –
गाय यदि स्वस्थ और प्रसन्न रहेंगी
तो पुरुष और स्त्रियाँ भी निरोग और
समृद्ध होंगे |

७. मा वः स्तेन ईशत माघशंस: –
गाय हरी घास और शुद्ध जल का सेवन करें |
वे मारी न जाएं और हमारे लिए समृद्धि लायें |

सनातन धर्म में गौमाता का सर्वश्रेष्ठ स्थान !!

स्कंध पुराण में गौमाता को इस देश की
अधिष्ठात्री का दर्जा दिया गया है।

गाय के दूध,दही,घी,गोबर के गुणों के
संदर्भ में सभी को ज्ञात है।

विश्व की मां गाय है।

विज्ञान में सुख की कल्पना हो सकती
है किन्तु अध्यात्म में शांति,सद्भव,सुख –
समृद्धि की प्राप्ति होती है।
अध्यात्म के चिन्तन से ही समाज का
कल्याण होता है।

शास्त्रों के अनुसार गौसेवा के पुण्य का
प्रभाव कई जन्मों तक बना रहता है !!

देवता भी गो पूजा करते हैं ।
गाय में सब देवताओं का दिव्यत्व है ।
एक धर्मपूर्ण दिन का आरंभ उसकी पूजा
से होता है ।

विभिन्न धार्मिक त्योहारों में उसकी
प्रमुखता है ।

विशेषतः संक्रांति और दीपावली गाय
से जुड़े उत्सव हैं ।

विभिन्न अनुष्ठानों में गव्य उत्पाद
आवश्यक हैं ।
इस प्रकार गाय हमारे जीवन का अभिन्न
अंग है ।

*वेद पुराणों में गाय*
यः पौरुषेण क्रविषा समंक्ते
यो अश्वेन पशुना यातुधानः ।
ये अघ्न्याये भरति क्षीरमग्ने
तेषां शीर्षाणि हरसापि वृश्चः ॥

हे अग्निदेव ! अपनी लपटों से उन दानवों के
सर जला दो,जो मनुष्यों और घोड़े और गाय
जैसे प्राणियों का मांस भक्षण करते और गाय
का दूध चूसते हैं ।
(रिक संहिता ८७-१६१)

*प्रजापतिर्मह्यमेता रराणो
विश्वैर्देवैः पितृभिः संविदानः ।
शिवाः सतीरुप नो गोष्ठमाकस्तासां
वयं प्रजया संसदेम ॥
(रिक संहिता १० – १६९-४)

हे परमेश्वर,अन्य सब देवताओं के साथ
हमारी खुशी के लिये शुभ और विशाल
गो स्थान बनाकर उन्हें गाय और बछड़ों
से भर दें ।
हम गो धन का आनंद लें और गायों की
सेवा करें ।

*सा विश्वाय़ूः सा विश्वकर्मा सा विश्वधायाः।
(शुक्ल यजुर्वेद १-४)

गायें यज्ञों में रत सभी ऋषियों और यज्ञों के
आयोजकों के आयुष्य को बढ़ायें ।
गाय यज्ञ के सभी संस्कारों का समन्वय
करती है ।
अपने दूध के नैवेद्य से गाय यज्ञ के सभी
देवताओं को संतुष्ट करती है ।

*आ गावो अग्मन्नुत भद्रकम्रन्
सीदंतु गोष्मेरणयंत्वस्मे ।
प्रजावतीः पुरुरूपा इहस्स्युरिंद्राय
पूर्वीरुष्सोदुहानाः ॥
यूयं गावो मे दयथा कृशं चिदश्रीरं
चित्कृणुथा सुप्रतीकम् ।
भद्र गृहं कृणुथ भद्रवाचो बृहद्वो
वय उच्यते सभासु ॥
(अथर्ववेद ४-२१-११ और ६)

गो माताओं ! तुम अपने दूध और घी से
दुर्बलों को बलिष्ठ बनाती हो और रोगियों
को स्वस्थ ।
अपनी पवित्र वाणी से तुम हमारे घरों को
शुद्ध करती हो ।
सभाओं में तुम्हारा गुणगान होता है ।

*वशां देवा उपजीवंति वशां मनुष्या उप ।
वशेदं सर्वं भवतु यावतु सूर्यो विपश्यति ॥
(अथर्ववेद १०-१०-३४)

देवता और मानव गो पदार्थों पर जीतें हैं ।
जब तक सूर्य चमकेगा,विश्व में गायें रहेंगी ।
सारा ब्रह्मांड गाय के संबल पर निर्भर है ।

*सा नो मंद्रेषमूर्जम् दुहाना ।
धेनुर्वा गस्मानुष सुष्टुतैतु ॥

वह है कामधेनु – हमारी आवश्यकताओं
को पूर्ण करने वाली दिव्य गाय ।
उसका मुख स्त्री और शरीर गाय का है ।
जब सागर मंथन हुआ तो वह अमृत के
पूर्व निकली ।
उसके केशों से सुगंध फैलता है ।
अपने थनों से वह धर्म,अर्थ,काम और
मोक्ष की वृद्धि करती है ।
वह आत्म ज्ञान का घर है और सूर्य,चंद्र
और अग्निदेव को शरण देती है ।
सब देवता और प्राणी उस पर निर्भर
करते हैं ।
तनिक सी प्रार्थना पर वह हमें भोजन
और परम ज्ञान देती है ।
वह हमारे निकट ही रहे ।

*पीतोदका जग्धतृणा दुग्धदेहा निरिंद्रियाः ।
आनंदा नाम तेलोकस्तान् स गच्चति ता ददत् ॥

(कठोपनिषद – विश्वजित यज्ञ के अवसर पर
नचिकेता ऋषि ने वाजश्रवों से कहा)
इन गायों ने घास और जल का आहार
लिया है ।
इन्हें दूहा गया है ।
वें अब प्रजनन आयु को पार कर चुकी हैं ।
इन गायों का त्याग करने वाला आनंदविहीन
अंधेरे स्थल को प्राप्त होगा ।
इनके स्थान पर मुझे दान कर दो ।

*गोकुलस्य तृषार्तस्य जलार्थे वसुधाधिपः ।
उत्पादयति यो विघ्नं तं विद्याद्ब्रह्मघातिनम् ॥
(महाभारत अनुशासन पर्व-२४-७)

प्यासी गायों को पानी देने में बाधा डालने
को ब्रह्महत्या के समान मानना चाहिए ।

*गवां मूत्रपुरीषस्य नोद्विजेत कथंचन ।
न चासां मांसमश्नीयाद्गवां पुष्टिं तथाप्नुयात् ॥
(महाभारत अनुशासन पर्व ७८-१७)

गोमूत्र और गोबर का सेवन करने में न
हिच-किचाये ।
ये पवित्र हैं ।
किंतु गोमांस का भक्षण कभी न करें ।
पंचगव्य सेवन से व्यक्ति बलिष्ठ बनता है ।

*गावो ममाग्रतो नित्यं गावः पृष्ठत एव च ।
गावो मे सर्वतश्चैव गवां मध्ये वसाह्यहम् ॥
(महाभारत, अनुशासन पर्व ८०-३)

मेरे सामनें,मेरे पीछे और मेरे चारों तरफ
गायें हों ।
मैं गायों के साथ जीता हूँ ।

*दानानामपि सर्वेषां गवां दानं प्रशस्यते ।
गावः श्रेष्ठाः पवित्राश्च पावनं ह्येतदुत्तमम् ॥
(महाभारत, अनुशासन पर्व ८३-३)

गोदान अन्य दानों से श्रेष्ठ है ।
गायें सर्वोच्च और पवित्र हैं ।

*सर्वोपनिषदो गावो दोग्धा गोपालनंदनः ।
पार्थो वत्सः सुधीर्भोक्तादुग्धं गीतामृतःमहत् ॥

भगवद्गीता उपनिषदों का सार है ।
यह श्री कृष्ण द्वारा दूही जानेवाली गाय के
समान है ।
अर्जुन बछड़े जैसा है ।
विद्वान भक्त भगवद्गीता का दुग्ध पान कर
रहें हैं ।

*गौर्मे माता वृषभः पिता मे
दिवं शर्म जगते मे प्रतिष्ठा ।

गाय मेरी माता और बैल पिता है ।
यह युगल मुझे इस संसार और स्वर्ग दोनों
में आनंद का आशीर्वाद दे ।
मैं अपने जीवन के लिये गाय पर निर्भर हूँ,
यह करते हुए गाय को समर्पित हों ।

*गावो बंधुर्मनुष्याणां मनुष्याबांधवा गवाम् ।
गौः यस्मिन् गृहेनास्ति तद्बंधुरहितं गृहम् ॥
(पद्मपुराण)

गायों में लक्ष्मी का निवास है ।
वे पापों से मुक्त हैं ।
मानव और गाय का संबंध अति सुंदर है ।
गौविहीन घर प्रियजनविहीन के समान है।

*वागिंद्रियस्वरूपायै नमः ।
वाचावृत्तिप्रद्दयिन्यै नमः ॥
अकारादिक्षकारांतवैखरीवक्स्वरूपिण्य़ै नमः॥
(अत्रि संहिता ३१०)

गो पदार्थों के उपयोग के माध्यम से गो सेवा,
चेतना और साहस दोनों को बढ़ाती है ।

*यन्न वेद्ध्वनिध्यांतं न च गोभिरलंकृतम् ।
यन्नबालैः परिवृतं श्मशानमिव तद्गृहम् ॥
(विष्णु स्मृति)

वह घर श्मशान के समान है जहाँ वेदों
का पाठ नहीं होता और जहाँ गायें और
बालक नहीं दिखते ।

*गोमूत्रगोमयं सर्पि क्षीरं दधि च रोचना ।
षदंगमेतत् परमं मांगल्यं सर्वदा गवाम् ॥

गोमूत्र,गोबर,दूध,घी,दहीं और गोरोचन –
यह ६ अत्यंत पवित्र पदार्थ हैं ।
शास्त्रों के अनुसार गौसेवा एवं गऊ पूजा
के पुण्य का प्रभाव कई जन्मों तक बना
रहता है !!

प्राचीन समय से ही मानव समाज की
मूल संपत्ति गायें रही हैं उस समय पशुधन
की रक्षा एवं पालन पोषण का भार पराक्रमी,
साहसी,निडर वर्ग के हाथों सौंपा जाता था।

गौ की कितनी अनंत महिमा है तथा गौ सेवा
क्या है उसका क्या फल है,भली भांति जाने।

‘सर्वे देवा: स्थिता डेहेसर्व देवमयी हि गौ:।
गाय के शरीर में सभी देवताओं का निवास
है अत: गाय सर्व देवमयी है।

भारत वर्ष में प्राचीन काल से ही बड़े-बड़े
महापुरुषों द्वारा गौ सेवा और गोपालन
होता चला आया है।

रघुवंशी महाराज दिलीप नंदिनी गौ के लिए
अपने प्राण देने हेतु प्रस्तुत हो गये।

भगवान श्रीराम का अवतार ही गौ,ब्राह्मण
हितार्थ हुआ था।

भगवान श्री कृष्ण का बाल्य जीवन गौ सेवा
में बीता,उन्होंने जंगलों में घूम-घूम कर गाय
चराये।

इसी से उनका नाम गोपाल पड़ा।

गौ सेवा और गौ वंश की उन्नति भारतीय
संस्कृति के अभिन्न अंग हैं।
गौ सेवा ही सच्ची राष्ट्र सेवा एवं सर्वोत्तम
भगवदाराधना है।
गोचर भूमि छोडऩा पुण्य माना गया है।
गौ से हमारा आध्यात्मिक संबंध है।
मृत्यु के पश्चात गौ वैतरणी पार कराती है,
इसलिए गौ सदैव पूज्या है।

हवन में गाय के घी की आहुति दी जाती है
जिससे सूर्य की किरणें पुष्ट होती है।

जिससे वर्षा होकर अन्न,पौधे,घास के पैदा
होने से संपूर्ण प्राणियों का भरण पोषण
होता है।

गाय के गोबर में लक्ष्मी जी का और गौमूत्र
में गंगाजी का निवास माना गया है जिससे
अनेक औषधियां बनाई जाती हैं।

गौ भारत वर्ष की कृषि प्रधान अर्थ व्यवस्था
की भी रीढ़ है।
अमृततुल्य दूध के अतिरिक्त खेत जोतने एवं
बोझा ढोने हेतु बैलों तथा भूमि की उर्वरता
बनाए रखने के लिए उत्तम खाद भी हमें
गाय से मिलना है।

गाय और बैल अपनी दृढ़पीठ पर हमारी
अर्थव्यवस्था का भार उठाए हुए हैं।

अत: मनुष्य को गौ की महिमा महत्ता का
ध्यान रखते हुए उसकी तन,मन,धन से सेवा
करनी चाहिये।

हमें सभी प्रकार से गाय की रक्षा एवं उन्नति
के लिए कटिबद्ध हो जाना चाहिये।

समस्त मनुष्यों के लिए सुख-शांति के भण्डार
एवं समस्त फल दायिनी गौ माता का वर्तमान
में घोर तिरस्कार हो रहा है।

बड़े दुख की बात है गोपाल के देश में आज
निर्बाध गो-वध जारी है और गो रक्त से भारत
की पवित्र भूमि लाल हो रही है।

ऐसे में राष्ट्र कवि की ये पंक्तियां बरबस याद
आती हैं-
गाय ही विष्णु,कल्पवृक्ष है।
मातृ शक्ति गौ माता हमारी धरोहर है,
इसकी रक्षा हर कीमत पर होनी चाहिये।
गौ हत्या देश के लिये कलंक है।

“तेजो राष्ट्रस्य निर्हन्ति न वीरो जायते वृषा”
(अथर्वेद)
जहाँ गउएँ परेशान होती हैं,वहां उस राष्ट्र
का तेज शून्य हो जाता है,वहां वीर जन्म
नही लेते।

सनातन की शुरूआत गौ माता से ही होती
है और समापन भी गौ माता से होता है।

कोई भी धर्म का कार्य गाय के दूध के बिना
पूर्ण नहीं होता।

सनातन धर्म में गौ माता का सर्वश्रेष्ठ स्थान है।

भगवान श्रीकृष्ण जी का मुख मण्डल गाय
के गोबर,मूत्र से सना हुआ है,गाय की करूणा
सबसे श्रेष्ठ है।

गाय की रक्षा के लिये स्वयं भगवान अवतार
लिये हैं इसलिये गाय का संरक्षण देश समाज
के हित में है।

गऊ माता से प्रेम की सार्थकता तभी सिद्ध
होगी जब सभी अपने जीवन में सरंक्षण की
भावना को आत्मसात करेंगे।

जब गाय से प्यार हो जायेगा तब गाय की
सेवा अपने आप होने लगेगी।

भूमि वन्ध्या हो रही,वृष जाति दिन-दिन घट
रही,घी दूध दुर्लभ हो रहा,बल वीर्य की जड़
कट रही है।

गो वंश के उपकार की सब ओर आज
पुकार है।
तो भी यहां उसका निरंतर हो रहा
संहार है।।

गऊ वंदे मातरम !!

गऊ माता की वंदना;

नमो गोभ्य: श्रीमतीभ्य:सौरभेयीभ्य एव च।
नमो ब्रह्मसुताभ्यश्च पवित्राभ्यो नमो नम:।।

यया सर्वमिदं व्याप्तं जगत स्थावरजंगमम्।
तांधेनुंशिरसा वंदे भूतभव्यस्य मातरम्।।

पञ्च गाव: समुत्पन्ना मथ्यमाने महोदधौ।
तासां मथ्ये तु या नंदा तस्यै देव्यै नमो नम:।।

सर्वकामदुधे देवि सर्वतीर्थाभिषेचिनि।
पावनि सुरभिश्रेष्ठे देवि तुभ्यं नमो नम:।।

गऊ ग्रास नैवेद्य मन्त्र —

सुरभिस्त्वं जगान्मातेर्देवि विष्णुपदे स्थिता ।
सर्वदेवमयी ग्रासं मया दत्तामिमं।।

गऊ प्रदक्षिणा मन्त्र —

गवां दृष्ट्वा नमस्कृत्य कुर्याच्वैव प्रदक्षिणम्।
प्रदक्षिणीकृता तेन सप्तद्वीपा वसुंधरा।।
मातर: सर्वभूतानां गाव: सर्वसुखप्रदा:।
वृद्धिमाकान्गाक्ष्ता पुंसा नित्यं कार्या प्रदक्षिणा।।

गऊ माता की पूजा करें,,
गऊ माता की सेवा करें,,
गऊ माता का संरक्षण करें,,
गऊ माता की पूजा,नैवेद्य एवं प्रदक्षिणा
अर्पण से समस्त देवी देवताओं की पूजा
हो जाती है।

सनातन हिंदू धर्म का पालन करें,,
देश को समृद्ध बनायें,,

गऊ माता को किसी भांति भी कष्ट पहुंचाने
वाले जन्म जन्मांतर के लिए पीढ़ियों तक
शापित हो जाते हैं,,सदा दुःख पाते हैं।

जयति पुण्य सनातन संस्कृति,,,
जयति पुण्य भूमि भारत,,,

सदा सर्वदा सुमंगल,,,
वंदेगऊमातरम,,,,,,,
जय श्री कृष्ण,,,
जय भवानी,,,
जय श्री राम~