चीनी एक जहर है जो अनेक रोगों का कारण है.
(1)– चीनी बनाने की प्रक्रिया मेँ गंधक का सबसे अधिक प्रयोग होता है । गंधक माने पटाखोँ का मसाला ।
(2)– गंधक अत्यंत कठोर धातु है जो शरीर मेँ चला तो जाता है परंतु बाहर नहीँ निकलता ।
(3)– चीनी कॉलेस्ट्रॉल बढ़ाती है जिसके कारण हृदयघात या हार्ट अटैक आता है ।
(4)– चीनी शरीर के वजन को अनियन्त्रित कर देती है जिसके कारण मोटापा होता है ।
(5)– चीनी रक्तचाप या ब्लड प्रैशर को बढ़ाती है ।
(6)– चीनी ब्रेन अटैक का एक प्रमुख कारण है ।
(7)– चीनी की मिठास को आधुनिक चिकित्सा मेँ सूक्रोज़ कहते हैँ जो इंसान और जानवर दोनो पचा नहीँ पाते ।
(8)– चीनी बनाने की प्रक्रिया मेँ तेइस हानिकारक रसायनोँ का प्रयोग किया जाता है ।
(9)– चीनी डाइबिटीज़ का एक प्रमुख कारण है ।
(10)– चीनी पेट की जलन का एक प्रमुख कारण है ।
(11)– चीनी शरीर मे ट्राइ ग्लिसराइड को बढ़ाती है ।
(12)– चीनी पेरेलिसिस अटैक या लकवा होने का एक प्रमुख कारण है ।
(13)चीनी बनाने की सबसे पहली मिल अंग्रेजो ने 1868 मेँ लगाई थी ।
उसके पहले भारतवासी शुद्ध देशी गुड़ खाते थे और कभी बीमार नहीँ पड़ते थे ।
(14) कृपया चीनी से गुड़ पे आएँ.।
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Day: March 25, 2016
Image from Harshad Ashodiya
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एक बार की बात है
एक बार की बात है , किसी शहर में एक बहुत अमीर
आदमी रहता था. उसे एक अजीब शौक था , वो अपने घर के
अन्दर बने एक बड़े से स्विमिंग पूल में बड़े-बड़े
रेप्टाइल्स
पाले हुए था ; जिसमे एक से बढ़कर एक सांप,
मगरमच्छ ,घड़ियाल ,आदि शामिल थे .
एक बार वो अपने घर पर एक
पार्टी देता है .बहुत से लोग
उस पार्टी में आते हैं.
खाने-पीने के बाद
वो सभी मेहमानों को स्विमिंग पूल के
पास ले जाता है और कहता है –
” दोस्तों, आप इस पूल को देख रहे हैं, इसमें एक से एक
खतरनाक जीव हैं , अगर आपमें से कोई इसे तैर कर पार कर ले
तो मैं उसे १ करोड़ रुपये
या अपनी बेटी का हाथ दूंगा…”
सभी लोग पूल की तरफ देखते हैं पर
किसी की भी हिम्मत
नहीं होती है कि उसे पार करे….
लेकिन तभी छपाक से
आवाज होती है और एक लड़का उसमे कूद जाता है ,और
मगरमच्छों , साँपों, इत्यादि से बचता हुआ पूल पार कर जाता है.
सभी लोग उसकी इस बहादुरी को देख हैरत में पड़ जाते हैं.
अमीर आदमी को भी यकीन नहीं होता है कि कोई
ऐसा कर सकता है ; इतने सालों में किसी ने पूल पार
करना तो दूर उसका पानी छूने तक
की हिम्मत नहीं की !
वो उस लड़के को बुलाता है , ” लड़के , आज तुमने बहुत
ही हिम्मत का काम किया है , तुम सच- मुच बहादुर हो बताओ तुम कौन सा इनाम चाहते हो।
” अरे , इनाम-विनाम तो मैं लेता रहूँगा ,
पहले ये बताओ
कि मुझे धक्का किसने दिया था….!” ,
लड़का बोला.
तो मित्रों ये एक छोटा सा जोक था। पर
इसमें एक बहुत
बड़ा सन्देश छुपा हुआ है – उस लड़के में तैर
कर स्विमिंग पूल
पार करने की काबीलियत तो थी पर
वो अपने आप
नहीं कूदा , जब किसी ने
धक्का दिया तो वो कूद गया और
पार भी कर गया . अगर कोई उसे
धक्का नहीं देता तो वो कभी न कूदने
की सोचता और न पूल
पार कर पाता , पर अब
उसकी ज़िन्दगी हमेशा के लिए
बदल चुकी थी …
ऐसे ही हमारे अन्दर कई टैलेंट छुपे होते हैं
जब तक हमारे अन्दर कॉन्फिडेंस और रिस्क उठाने की हिम्मत नहीं होती तब तक हम लाइफ के
ऐसे कई चैलेंजे
में कूदे बगैर ही हार मान लेते हैं ,
हमें चाहिए कि हम
अपनी काबीलियत पर विश्वास करें और
ज़िन्दगी में मिले
अवसरों का लाभ उठाएं🏻🏻🏻
All the best
એક કોલેજીયન યુવક કોલેજમાં રજા હોવાથી આજે ઘરે
એક કોલેજીયન યુવક કોલેજમાં રજા હોવાથી આજે ઘરે
હતો. યુવકના દાદાએ યુવકને કહ્યુ, ” બેટા, મારે નવા
ચશ્મા લેવાના છે તું મારી સાથે ચાલને ?”
મોબાઇલ પર ચેટીંગ કરતા યુવકને દાદાની આ
દરખાસ્ત ન ગમી. એમણે દાદાને કહ્યુ, ” દાદાજી,
જમાનાની સાથે હવે તમારી જાતને પણ બદલો અને
આધુનિક ટેકનોલેજીનો ઉપયોગ કરતા થાવ. ચશ્મા
ખરીદવા માટે હવે દુકાન સુધી લાંબા થવાની અને
સમય બગાડવાની કોઇ જરૂર નથી.”
દાદાએ આશ્વર્ય સાથે કહ્યુ, ” શું વાત છે બેટા ? દુકાને
ગયા વગર પણ ચશ્માની ખરીદી થઇ શકે ? ” યુવાને
જરા રુઆબ સાથે કહ્યુ, ” દાદા, અહીંયા આવો, મારી
બાજુમાં બેસો, હું તમને સમજાવુ. આ મોબાઇલ
ઇન્ટરનેટનો ઉપયોગ કરીને તમે બધી જ વસ્તુઓ ઘરે
બેઠા ખરીદી શકો છો. જુદી-જુદી ઓનલાઇન સેવા
પુરી પાડતા ડીપાર્ટમેન્ટલ સ્ટોર પરથી તમે ખાલી
ચશ્મા જ નહી. કરીયાણુ, કપડા, ઇલેક્ટ્રોનિક્સ
આઇટમ બધુ જ ખરીદી શકો છો. હવે તમારી
જુનવાણી પધ્ધતિને પડતી મુકો અને આ આધુનિક
પધ્ધતિ અપનાવો એટલે તમે ઘરે બેઠા જરૂરીયાત
મુજબની બધી જ વસ્તુઓ ખરીદી શકો.”
દાદાએ યુવાન પૌત્રની બધી વાત ધ્યાનથી
સાંભળી પછી હળવેકથી કહ્યુ, ” બેટા, તારી વાત તો
સાચી છે કે આ ઓનલાઇન ખરીદી કરવાથી આપણો
સમય બચે છે અને થોડું ડીસ્કાઉન્ટ પણ મળે એટલે પૈસા
પણ બચે. પણ સમય અને પૈસા બચાવવા જતા જેના
વગર જીવવું મુશ્કેલ છે એવો માનવીય સંબંધ છુટી જાય
છે એનું શું ? ” યુવકને કંઇ ન સમજાયુ એટલે એણે દાદાને
કહ્યુ, ” તમે શું કહેવા માંગો છો એની કંઇ ખબર નથી
પડતી.”
દાદાએ યુવકના ખભે હાથ મુકતા કહ્યુ, ” બેટા, હમણા
થોડા દિવસ પહેલા હું બીમાર પડ્યો. રોજ
શાકભાજી લેવા હું જતો પણ હું બીમાર પડ્યો એટલે
તારા પપ્પા ગયેલા. શાકભાજીવાળાને મારી
બીમારીની ખબર પડી તો એ સાંજે એમની દુકાન
બંધ કરીને મારી ખબર કાઢવા માટે આપણી ઘરે
આવેલો અને મારી પથારી પાસે બેસીને મને
સાંત્વના આપેલી. થોડા વર્ષો પહેલા થોડો સમય
આપણે નાણાકીય તંગીનો ભોગ બનેલા ત્યારે
આપણા કરીયાણાવાળાએ આખા વર્ષનું કરીયાણું
ઉધાર આપેલુ અને પૈસા આપવાની કોઇ ચિંતા ન
કરતા એમ કહેલું. જ્યારે તું નાનો હતો ત્યારે હું તને
સાથે લઇને એ કરીયાણાવાળાને ત્યાં ખરીદી કરવા
માટે જતો. એ ઓછુ ભણેલો કરીયાણાવાળો હંમેશા
હસતા હસતા તને ચોકલેટ કે પેંડો પણ આપતો અને
ક્યારેય બીલમાં ચોકલેટ-પેંડાની રકમ ઉમેરતો
નહોતો. ”
યુવક એકધ્યાન થઇને દાદાની વાત સાંભળી રહ્યો
હતો. દાદાએ વાત આગળ વધારી ” બેટા,
કાપડવાળાને ત્યાં ખરીદી કરવા જઇએ ત્યારે એકાદ
બે ઓળખીતા માણસો મળી જ જતા અને એની સાથે
વાત કરવાનો મોકો પણ મળી જતો. હૈયામાં
ધરબાઇને ભરેલી કેટલીક વાતો ત્યાં સહજતાથી
ઠલવાઇ જતી અને હૈયુ હળવું ફુલ થઇ જતું. જેને ત્યાંથી
આપણે નીયમિત ખરીદીઓ કરતા એ બધા આપણા
સુખના કે દુ:ખના પ્રસંગમાં ભાગીદાર થતા હતા. હવે
મને જણાવ તારી ઓનલાઇન ખરીદીમાં આવી
સુવિધા મળે ખરી ? ”
યુવાન કોઇ જવાબ ન આપી શક્યો. બાળપણની
કેટલીક ઘટનાઓ યુવકના માનસપટ પર ઉભરી આવી
અને દાદાજીને એણે એટલું જ કહ્યુ, ” ચાલો દાદાજી
હું આપની સાથે આવુ આપણે ચશ્માવાળા ભાઇની
દુકાને જઇને એમની ચા પી આવીએ અને તમારા
ચશ્મા લઇ આવીએ. રસ્તામાં તમારા એકાદ બે
ભાઇબંધો મળી જશે તો એને મળી પણ આવીએ.”
મિત્રો, જરા વિચાર કરવાની જરૂર છે કે સમય અને
પૈસા બચાવવાની દોડમાં આપણે માણસ મટીને
મશીન તો નથી બની ગયા ને ? કારણકે જો મશીન
બની જઇશું તો ગમે એટલા પૈસા બચાવ્યા હોય કે ગમે
એટલો સમય બચાવ્યો હોય તો પણ સંબંધ વગર પૈસા
અને સમયનું કરીશું શું ? ટેકનોલોજીનો ઉપયોગ જરૂર
કરીએ પણ માનવ સંપર્કો સાવ તુટી ન જાય એ પણ
જરૂરી છે.
भारत में पहली बूथ कैप्चरिंग का मास्टरमाइंड जवाहरलाल गाज़ी ( नेहरू ) थे ।
भारत में पहली बूथ कैप्चरिंग का मास्टरमाइंड जवाहरलाल गाज़ी ( नेहरू ) थे ।
देश का पहला दुर्भाग्य PM जवरलाल नेहरु ( गाज़ी ) थे भारत में पहली बूथ केप्चरिंग का मास्टर माइंड ।
जवाहरलाल नेहरू देश में हुए प्रथम आम चुनाव में उत्तर प्रदेश की रामपुर सीट से पराजित घोषित हो चुके कांग्रेसी प्रत्याशी मौलाना अबुल कलाम आजाद को किसी भी कीमत पर जबरजस्ती जिताने के आदेश दिये थे | उनके आदेश पर उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री पं गोविन्द वल्लभ पन्त ने रामपुर के जिलाधिकारी पर घोषित हो चुके परिणाम बदलने का दबाव डाला और इस दबाव के कारण प्रशासन ने जीते हुए प्रत्याशी विशन चन्द्र सेठ की मतपेटी के वोट मौलाना अबुल के पेटी के डलवाकर दुबारा मतगणना करवाकर मौलाना अबुल को जीता दिया |
ये रहस्योदघाटन उत्तर प्रदेश के तात्कालीन सुचना निदेशक शम्भुनाथ टंडन ने अपने एक लेख मे किया है |
उन्होंने अपने लेख “जब विशन सेठ ने मौलाना आजाद को धुल चटाई थी भारतीय इतिहास की एक अनजान घटना ” में लिखा है की भारत मे नेहरु ही बूथ कैप्चरिंग के पहले मास्टर माइंड थे | उस ज़माने में भी बूथ पर कब्जा करके परिणाम बदल दिये जाते थे और देश के प्रथम आम चुनाव मे सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही कांग्रेस के 12 हारे हुए प्रत्याशियों को जिताया गया | देश के बटवारे के बाद लोगो मे कांग्रेस और खासकर नेहरु के प्रति बहुत गुस्सा था लेकिन चूँकि नेहरु के हाथ मे अंतरिम सरकार की कमान थी इसलिए नेहरु ने पूरी सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल करके जीत हासिल थी |
देश के बटवारे के लिए हिंदू महासभा ने नेहरु और गाँधी की तुष्टीकरण की नीति को जिम्मेदार मानते हुए देश मे उस समय जबरजस्त आन्दोलन चलाया था और लोगो मे नेहरु के प्रति बहुत गुस्सा था, इसलिए हिंदू महासभा ने कांग्रेस के दिग्गज नेताओ के विरुद्ध हिंदू महासभा के दिग्गज लोगो को खड़ा करने का निश्चय किया था | इसीलिए नेहरु के विरुद्ध फूलपुर से संत प्रभुदत्त ब्रम्हचारी और मौलाना अबुल के विरुद्ध रामपुर से भईया विशन चन्द्र सेठ को लडाया गया | नेहरु को भी अंतिम राउंड मे जबरजस्ती 2000 वोट से जिताया गया | वही सेठ विशन चन्द्र के पक्ष मे भारी मतदान हुआ और मतगणना के पश्चात प्रशासन ने बकायदा लाउडस्पीकरों से सेठ विशन चंद को 10000 वोट से विजयी घोषित कर दिया | और फिर रामपुर मे हिंदू महासभा के लोगो ने विशाल विजयी जुलुस भी निकाला | फिर जैसे ही ये समाचार वायरलेस से लखनऊ फिर दिल्ली पहुची तो मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की अप्रत्याशित हार के समाचार से नेहरु तिलमिला और तमतमा उठे। उन्होंने तुरंत उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री पं गोविन्द वल्लभ पन्त को चेतावनी भरा संदेश दिया की मै मौलाना की हार को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नही कर सकता, अगर मौलाना को जबरजस्ती नही जिताया गया तो आप अपना इस्तीफा शाम तक दे दीजिए |
फिर पन्त जी ने आनन फानन मे सुचना निदेशक (जो इस लेख के लेखक है) शम्भू नाथ टंडन को बुलाया और उन्हें रामपुर के जिलाधिकारी से सम्पर्क करके किसी भी कीमत पर मौलाना अबुल को जिताने का आदेश दिया. . फिर जब शम्भु नाथ जी के कहा की सर इससे दंगे भी भडक सकते है तो इस पर पन्त जी ने कहा की देश जाये भांड मे नेहरु जी का हुकम है | फिर रामपुर के जिलाधिकारी को वायरलेस पर मौलाना अबुल को जिताने के आदेश दे दिये गए | फिर रामपुर के सीटी कोतवाल ने सेठ विशनचन्द्र के पास गया और कहा कि आपको जिलाधिकारी साहब बुला रहे है जबकि वो लोगो की बधाईयाँ स्वीकार कर रहे थे |
और जैसे ही जिलाधिकारी ने उनसे कहा कि मतगणना दुबारा होगी तो सेठ विशन चन्द्र ने इसका कड़ा विरोध किया और कहा कि मेरे सभी कार्यकर्ता जुलुस मे गए है ऐसे मे आप बिना मतगणना एजेंट के दुबारा कैसे मतगणना कर सकते है ? लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गयी और जिलाधिकारी के साफ साफ कहा कि सेठ जी हम अपनी नौकरी बचाने के लिए आपकी बलि ले रहे है क्योंकि ये नेहरु का आदेश है |
शम्भु नाथ टंडन जी ने आगे लिखा है कि चूँकि उन दिनों प्रत्याशियो के नामो की अलग अलग पेटियां हुआ करती थी और मतपत्र पर बिना कोई निशान लगाये अलग अलग पेटियों मे डाले जाते थे इसलिए ये बहुत आसान था कि एक प्रत्याशी के वोट दूसरे की पेटी मे मिला दिये जाये | देश मे हुए प्रथम आमचुनाव की इसी खामी का फायदा उठाकर अय्यास नेहरु ने इस देश की सत्ता पर काबिज हुआ था और उस नेहरु ने इस देश मे जो भ्रष्टाचार के बीज बोये थे वो आज उसके खानदान के “काबिल” वारिसों के अच्छी तरह देखभाल करने की वजह के एक वटवृक्ष बन चूका है |
लेखक :- शम्भू नाथ टंडन (तत्कालीन सूचना निदेशक)
साभार :- गाँधी और नेहरू : हिंदुस्तान का दुर्भाग्य ।
भगवान श्री कृष्ण जब बांसुरी बजाते थे तो गाय ज्यादा दूध देती थी ।
भगवान श्री कृष्ण जब बांसुरी बजाते थे तो गाय ज्यादा दूध देती थी । संगीत का प्रकृति के साथ घनिष्ठ संबंध रहा है । संगीत के सात स्वरों की उत्पत्ति भी प्रकृति से हुई है । ‘सा’ की उत्पत्ति ‘मोर’ के स्वर से, ‘रे’ की उत्पत्ति ‘ऋषभ’ जैसे बैल, गाय आदि । ‘‘ग’ की उत्पत्ति अज यानि भेड़, बकरी, ‘म’ क्रौंच पक्षी का स्वर है । ‘प’ की उत्पत्ति ‘कोयल’ से हुई है । कहा भी जाता है कि पंचम स्वर में कोयल बोले । ‘ध’ धैवत है यानि घोड़ा और ‘नि’ की उत्पत्ति ‘हाथी’ के स्वर से हुई है । उल्लेखनीय है कि पक्षी, जीव-जन्तु केवल एक ही स्वर में बोल सकते हैं जबकि मनुष्य सारे स्वरों में गा सकता है । भारतीय शास्त्रीय संगीत के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अकबर के दरबार में नवरत्नों में शामिल तानसेन राग ‘मल्हार’ गाकर वर्षा ला देते थे और राग ‘दीपक’ गाकर दीप जला देते थे । रागों के स्वर का प्रकृति पर विशेष प्रभाव पड़ता है । हाल ही में मध्यप्रदेश के वन विभाग में एक शोध हुआ जिसमें वृक्ष प्रजातियों को मशहूर सितार वादक रविशंकर की राग ‘भैरवी’ में निबद्ध रचना सुनाई गई । राग से आंवला और सीताफल सरीखी फल प्रजातियों के बीजों में अंकुर फूटने की दर में 9 प्रतिशत का इजाफा हुआ । रागों से पशुओं के कठोर व्यवहार पर भी काबू पाया जा सकता है ।
પરબના પાણી પડીકે લાવ્યા..
પરબના પાણી પડીકે લાવ્યા..
ગાય ગઈ ને થેલીઓ લાવ્યા…
રેણ રહી ગઈ ને ટીવી લાવ્યા..
મિત્રો બદલે મોબાઈલ લાવ્યા…
ખાટલા છોડી સેટી પલંગ લાવ્યા..
Walk ની જગ્યાએ walker લાવ્યા…
મંદિરો મેલી Multiplax માં ભાગ્યા..
રમતો વિસરાઇ Computer લાવ્યા…
શ્રદ્ધા ખોઇ અંધશ્રદ્ધામાં ફસાયા..
માનવતા મૂકી યાંત્રિકતા લાવ્યા…
ગામડા હવે શહેરમાં ભાગ્યા..
જુનું ભૂલી આધુનિકરણ લાવ્યા…
ઘરની જગ્યાએ મકાન બાંધ્યા..
માતાની બદલીમાં આયા લાવ્યા…
પાણીયારા ગયા filter લટકાવ્યા..
ખીચડી ખોવાઇ હવે મેગી લાવ્યા…
“જગત”ને ભૂલી ભોગમાં અટવાયા..
કોને ખબર શું ખોયું ને શું લાવ્યા…
જાણું છું કે માર્ચ એન્ડીંગ છે
જાણું છું કે માર્ચ એન્ડીંગ છે ; પણ શું કરું
સતત નફો આપતા દોસ્તી નાં સંબંધો નો હિસાબ શું કરું
ક્યારેય દોસ્તી નો હિસાબ કિતાબ લખ્યો નથી ચોપડા માં
બસ લખ્યું છે દોસ્તો નું નામ ચોપડામાં
દરેક પાને બસ નફો જ નફો દેખાય છે
સુખ દુખ નો ક્યા હિસાબ રખાય છે
મિત્રો નાં નામ થી શરુ કરી મિત્રો નાં નામ થી પૂર્ણ થાય છે
દોસ્તી અને વિશ્વાસ થી ખાતાવહી સંપૂર્ણ થાય છે
ખુબ નફો કર્યો છે એટલે ઓડીટ ને પાત્ર થાય છે આપણી દોસ્તી
હેત પ્રેમ વિશ્વાસ ને ભરોસા નો ટેક્સ ભરી ને સદાબહાર ધમધમતી રાખીએ આપણી દોસ્તી !