होली —
वैदिक काल में इस पर्व को नवान्नेष्टि कहा गया है। इस दिन खेत के अधपके अन्न का हवन कर प्रसाद बांटने का विधान है। इस अन्न को होला कहा जाता है, इसलिए इसे होलिकोत्सव के रूप में मनाया जाता था। इस पर्व को नवसंवत्सर का आगमन तथा बसंतागम के उपलक्ष्य में किया हुआ यज्ञ भी माना जाता है। कुछ लोग इस पर्व को अग्निदेव का पूजन मात्र मानते हैं। मनु का जन्म भी इसी दिन का माना जाता है। अत: इसे मन्वादितिथि भी कहा जाता है। पुराणों के अनुसार भगवान शंकर ने अपनी क्रोधाग्नि से कामदेव को भस्म कर दिया था, तभी से यह त्योहार मनाने का प्रचलन हुआ।
ऐतिहासिक रूप में होली-
होली बसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्त्वपूर्ण भारतीय रंगीन त्यौहार है| राग रंग का यह यह लोकप्रिय पर्व बसंत का सन्देश वाहक भी है| चूंकि यह पर्व बसंत ऋतु में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है इसलिए इसे ‘बसंतोत्सव’ और ‘काममहोत्सव’ भी कहा गया है | राग(संगीत) और रंग तो इसके मुख्य अंग तो हैं ही पर इनको अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंचाने वाली प्रकृति भी इस समय रंग-बिरंगे यौवन के साथ अपनी चरम अवस्था पर होती है | सर्वत्र वातावरण बड़ा ही मनमोहक होता है | यह त्यौहार फाल्गुन मास में मनाये जाने के कारण ‘फाल्गुनी’ के नाम से भी जाना जाता है और इस मास में चलने वाली बयारों का तो कहना ही क्या……..! हर प्राणी जीव इन बयारों का आनंद लेने के लिए मदमस्त हो जाता है……..! कोई तो अपने घरों में बंद होकर गवाक्षों से झाँक कर इस रंगीन छटा का आनंद लेता है और कोई खुले आम सर्वसम्मुख मदमस्त होकर लेता है……! यहाँ उम्र का कोई तकाज़ा नहीं बालक ,बच्चे बूढ़े वृद्ध हर कोई रंगीनी मस्तियों में छा जाते हैं…….!
इतिहासकार ऐसा मानते हैं कि आर्यों में भी इस पर्व का प्रचलन था लेकिन अधिकतर यह पूर्वी भारत में ही मनाया जाता था |इस पर्व का वर्णन अनेक पुरातन धार्मिक पुस्तकों में मिलता है| इनमें प्रमुख जैमिनी के पूर्व मीमांसा और गार्ह्य-सूत्र हैं |
‘नारद पुराण’ व ‘भविष्य पुराण’ जैसे पुराणों की प्राचीन हस्तलिपियों में और ग्रंथों में भी इस पर्व का उल्लेख मिलता है | बिंध्य क्षेत्र के रामगढ़ स्थान पर स्थित ईसा से तीन सौ वर्ष पुराने एक अभिलेख में भी इसका उल्लेख किया गया है|
सुप्रसिद्ध मुस्लिम पर्यटक अलबेरुनी जो एक प्रसिद्ध फारसी विद्वान्, धर्मज्ञ, व विचारक थे ने भी अपनी एक ऐतिहासिक यात्रा संस्मरण में वसंत में मनाए जाने वाले ‘होलिकोत्सव’ का वर्णन किया है | मुस्लिम कवियों ने भी अपनी रचनाओं में होली पर्व के उत्साहपूर्ण मनाये जाने का उल्लेख किया है……|
Sudhirkumar