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સતત નફો આપતા દોસ્તી નાં સંબંધો નો હિસાબ શું કરું


સતત નફો આપતા દોસ્તી નાં સંબંધો નો હિસાબ શું કરું

ક્યારેય દોસ્તી નો હિસાબ કિતાબ લખ્યો નથી ચોપડા માં
બસ લખ્યું છે દોસ્તો નું નામ ચોપડામાં

દરેક પાને બસ નફો જ નફો દેખાય છે
સુખ દુખ નો ક્યા હિસાબ રખાય છે

મિત્રો નાં નામ થી શરુ કરી મિત્રો નાં નામ થી પૂર્ણ થાય છે
દોસ્તી અને વિશ્વાસ થી ખાતાવહી સંપૂર્ણ થાય છે

ખુબ નફો કર્યો છે એટલે ઓડીટ ને પાત્ર થાય છે આપણી દોસ્તી

હેત પ્રેમ વિશ્વાસ ને ભરોસા નો ટેક્સ ભરી ને સદાબહાર ધમધમતી રાખીએ આપણી દોસ્તી !

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હસી મઝાક ની આ પલ યાદ રાખજો
આ નાના માણસ નો પ્રેમ યાદ રાખજો
કાલે હું રહું કે ના રહું
એક મસ્તી ખોર તમારો મિત્ર હતો એ યાદ રાખજો……

 

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अकबर बीरबल सभा मे बैठ कर आपस मे बात कर रहे थे !


अकबर बीरबल सभा मे बैठ कर आपस मे बात कर रहे थे !

अकबर : मुझे इस राज्य से 5 मूर्ख ढूंढ कर दिखाओ.!!

बीरबल ने खोज शुरू की.
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एक महीने बाद वापस आये सिर्फ 2 लोगों के साथ।

अकबर ने कहा मैने 5 मूर्ख लाने के लिये कहा था !!

बीरबल ने कहां हुजुर लाया हूँ। पेश करने का मौका दिया जाय..

आदेश मिल गया।

बीरबल ने कहा- हुजुर यह पहला मूर्ख है। मैने इसे बैलगाडी पर बैठ कर भी बैग सर पर ढोते हुए देखा और पूछने पर जवाब मिला के कहीं बैल के उपर ज्यादा लोड
ना हो जाए इसलिये बैग सिर पर ढो रहा हुँ!!
इस हिसाब से यह पहला मूर्ख है!!

दूसरा मूर्ख यह आदमी है जो आप के सामने खडा है. मैने देखा इसके घर के ऊपर छत पर घास निकली थी. अपनी भैंस को छत पर ले जाकर घास खिला रहा था. मैने देखा और पूछा तो जवाब मिला कि घास छत पर जम जाती है तो भैंस को ऊपर ले जाकर घास खिला देता हूँ. हुजुर
जो आदमी अपने घर की छत पर जमी घास को काटकर फेंक नहीं सकता और भैंस को उस छत पर ले जाकर घास खिलाता है, तो उससे बडा मूर्ख और कौन हो सकता है!!!

तीसरा मूर्ख: बीरबल ने आगे कहा. जहाँपनाह अपने राज्य मे इतना काम है. पूरी नीति मुझे सम्हालना है. फिर भी मै मूर्खों को ढूढने में एक महीना बर्बाद कर रहा हूॅ इसलिये तीसरा मूर्ख मै
ही हूँ.

चौथा मूर्ख.. जहाँपनाह. पूरे राज्य की जिम्मेदारी आप के ऊपर है.
दिमाग वालों से ही सारा काम होने वाला है. मूर्खों से कुछ होने वाला नहीं है. फिर भी आप मूर्खों को ढूढ रहे हैं. इस लिये चौथा मूर्ख जहाँपनाह आप हुए।

पांचवा मूर्ख…जहाँ पनाह मै बताना चाहता हूँ कि दुनिया भर के काम धाम को छोड़कर. घर परिवार को छोड़कर. पढाई लिखाई पर ध्यान ना देकर, व्हाट्सएप्प पर पूरा ध्यान लगा कर और पाँचवें मूर्ख को जानने के लिए अब भी पोस्ट पढ़ रहा है वही पाँचवा मूर्ख है

इससे बडा मुर्ख दुनिया में कोई नहीं
अब क्या सोच रहे हो ?

latest hai…
आगे भेजो और मुर्ख
इन्तजार कर रहे होंगे !!!!!!!!!

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पत्नी: अगर मैं अचानक मर गई तो तुम क्या


पत्नी: अगर मैं अचानक मर गई तो तुम क्या
दूसरी
शादी करोगे?
पति: नो डार्लिंग, ऐसा तो मैं सोच भी नहीं
सकता।
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पत्नी: क्यों, नहीं क्यों? अरे आपके अच्छे बुरे
पलों
को बांटने के लिए कोई तो साथी चाहिए।
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प्लीज शादी कर लेना डार्लिंग।
पति: ओह माय शोना… मरने के बाद की भी
मेरी इतनी फ़िक्र?
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पत्नी: तो वादा? आप दूसरी शादी कर लोगे
ना?
पति: ओके बाबा, लेकिन सिर्फ तुम्हारी
खातिर करूँगा।
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पत्नी: तुम अपनी नई पत्नी को इस घर में
रखोगे
ना?
पति: हाँ, लेकिन उसे तुम्हारा कमरा कभी
इस्तेमाल नहीं करने दूंगा।
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पत्नी: उसे अपनी कार चलाने दोगे?
पति: नो, नेवर… उस कार को तो तुम्हारी
यादगार बना के रखूंगा। उसको दूसरी कार
दिला दूंगा।
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पत्नी: और मेरे ज़ेवर?
पति: वो उसे कैसे दे सकता हूँ। उनसे तुम्हारी
यादें
जुड़ीं होंगी। वो अपने लिए नई ज्वेलरी मांगेगी
ना।
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पत्नी: वो मेरी चप्पलें पहनेगी तो?
पति: नहीं उसका नंबर 7 है और तुम्हारा 9।
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कमरे में एक दम चुप्पी छा गई।
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पति: ओ नो।
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पति का अंतिम संस्कार कल दोपहर 3:00 बजे
होगा। 😃

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આ એ સમય ની વાત કે


આ એ સમય ની વાત કે
જ્યારે
‘ Windows ‘ એટલે ફક્ત બારી હતી અને
‘ Applications ‘ એટલે કાગળ પર લખાયેલો ‘અરજી પત્ર’ હતો…

જ્યારે
‘ Keyboard ‘ એટલે ‘ પીયાનો ‘ અને
‘ Mouse ‘ એટલે માત્ર ‘ ઉંદર ‘ જ હતો…

જ્યારે
‘ file ‘ એ કાર્યાલયની અત્યંત ‘ મહત્વ ની વસ્તુ ‘ અને
‘ Hard Drive ‘ એટલે મહામાર્ગનો થકાવનારો પ્રવાસ ‘ હતો…

જયારે
‘ Cut ‘ ધારદાર વસ્તુ થતું
અને ‘ Paste ‘ ગુંદર થઈ થતું…

જ્યારે
‘Web’ એટલે ‘ કરોળિયા ના ઝાળા ‘ હતાં
અને ‘ virus ‘ થઈ ફક્ત ‘ તાવ ‘ જ આવતો…

જ્યારે
‘Apple’ અને ‘Blackberry’ એ ફક્ત ‘ ફળો ‘ જ હતાં…

ત્યારે
આપણી પાસે કુટુંબ સાથે ઉઠવા-બેસવા, મિત્રો સાથે ખેલકૂદ કરવા માટે ભારોભાર વખત હતો
એજ આપણા જીવનનો સુવર્ણકાળ હતો…

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ઘર સળગે તો વીમો લેવાય



Ganpat Chavda

 

ઘર સળગે તો વીમો લેવાય ,
સપના સળગે તો શું કરવું ?

આભ વરસે તો છત્રી લેવાય ,
આંખો વરસે તો શું કરવું ?

સિંહ ગરજે તો ભાગી જવાય ,
અહંકાર ગરજે તો શું કરવું ?

કાંટો ખટકે તો કાઢી લેવાય ,
કોઈ વાત ખટકે તો શું કરવું ?

પીડા છલકે તો ગોળી લેવાય ,
વેદના છલકે તો શું કરવું ?

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एक राजमहल में कामवाली


एक राजमहल में कामवाली और उसका बेटा काम करते थे.
एक दिन राजमहल में कामवाली के बेटे को हीरा मिलता है. वो माँ को बताता है.
कामवाली होशियारी से वो हीरा बाहर फेककर कहती है ये कांच है हीरा नहीं.
कामवाली घर जाते वक्त चुपके से वो हीरा उठाके ले जाती है.
वह सुनार के पास जाती है…
सुनार समझ जाता है इसको कही मिला होगा,
ये असली या नकली पता नही इसलिए पुछने आ गई.
सुनार भी होशियारीसें वो हीरा बाहर फेंक कर कहता है
ये कांच है हीरा नहीं.
कामवाली लौट जाती है.
सुनार वो हीरा चुपके सेे उठाकर जौहरी के पास ले जाता है,
जौहरी हीरा पहचान लेता है.
अनमोल हीरा देखकर उसकी नियत बदल जाती है.
वो भी हीरा बाहर फेंक कर कहता है ये कांच है हीरा नहीं.
जैसे ही जौहरी हीरा बाहर फेंकता है…
उसके टुकडे टुकडे हो जाते है.
यह सब एक राहगीर निहार रहा था…
वह हीरे के पास जाकर पूछता है…
कामवाली और सुनार ने दो बार तुम्हे फेंका…
तब तो तूम नही टूटे… फिर अब कैसे टूटे?
हीरा बोला….
कामवाली और सुनार ने दो बार मुझे फेंका
क्योंकि…
वो मेरी असलियत से अनजान थे.
लेकिन….
जौहरी तो मेरी असलियत जानता था…
तब भी उसने मुझे बाहर फेंक दिया…
यह दुःख मै सहन न कर सका…
इसलिए मै टूट गया …..
ऐसा ही…
हम मनुष्यों के साथ भी होता है !!!
जो लोग आपको जानते है,
उसके बावजुत भी आपका दिल दुःखाते है
तब यह बात आप सहन नही कर पाते….!
इसलिए….
कभी भी अपने स्वार्थ के लिए करीबियों का
दिल ना तोड़ें…!!!
हमारे आसपास भी…
बहुत से लोग… हीरे जैसे होते है !
उनकी दिल और भावनाओं को ..
कभी भी मत दुखाएं…
और ना ही…
उनके अच्छे गूणों के टुकड़े करिये…!!!