धन तेरस, सोमवार, कार्तिक कृ्ष्ण पक्ष 9 नवम्बर, 2015
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धन तेरस, सोमवार, कार्तिक कृ्ष्ण पक्ष 9 नवम्बर, 2015
उत्तरी भारत में कार्तिक कृ्ष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन धनतेरस का पर्व पूरी श्रद्धा व विश्वास से मनाया जाता है. देव धनवन्तरी के अलावा इस दिन, देवी लक्ष्मी जी और धन के देवता कुबेर के पूजन की परम्परा है. इस दिन कुबेर के अलावा यमदेव को भी दीपदान किया जाता है. इस दिन यमदेव की पूजा करने के विषय में एक मान्यता है कि इस दिन यमदेव की पूजा करने से घर में असमय मृ्त्यु का भय नहीं रहता है. धन त्रयोदशी के दिन यमदेव की पूजा करने के बाद घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर मुख वाला दीपक पूरी रात्रि जलाना चाहिए. इस दीपक में कुछ पैसा व कौडी भी डाली जाती है.
धनतेरस का महत्व
Significance of Dhanteras
साथ ही इस दिन नये उपहार, सिक्का, बर्तन व गहनों की खरीदारी करना शुभ रहता है. शुभ मुहूर्त समय में पूजन करने के साथ सात धान्यों की पूजा की जाती है. सात धान्य गेंहूं, उडद, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर है. सात धान्यों के साथ ही पूजन सामग्री में विशेष रुप से स्वर्णपुष्पा के पुष्प से भगवती का पूजन करना लाभकारी रहता है. इस दिन पूजा में भोग लगाने के लिये नैवेद्ध के रुप में श्वेत मिष्ठान्न का प्रयोग किया जाता है. साथ ही इस दिन स्थिर लक्ष्मी का पूजन करने का विशेष महत्व है.
धन त्रयोदशी के दिन देव धनवंतरी देव का जन्म हुआ था. धनवंतरी देव, देवताओं के चिकित्सकों के देव है. यही कारण है कि इस दिन चिकित्सा जगत में बडी-बडी योजनाएं प्रारम्भ की जाती है. धनतेरस के दिन चांदी खरीदना शुभ रहता है.
धन तेरस पूजा मुहूर्त
Auspicious Time for Dhanteras Puja
1. प्रदोष काल:-
सूर्यास्त के बाद के 2 घण्टे 24 की अवधि को प्रदोषकाल के नाम से जाना जाता है. प्रदोषकाल में दीपदान व लक्ष्मी पूजन करना शुभ रहता है.
दिल्ली में 9 नवम्बर 2015 सूर्यास्त समय सायं 17:28 तक रहेगा. इस समय अवधि में स्थिर लग्न 17:51 से लेकर 19.47 के मध्य वृषभ काल रहेगा. मुहुर्त समय में होने के कारण घर-परिवार में स्थायी लक्ष्मी की प्राप्ति होती है.
2. चौघाडिया मुहूर्त:-
9 नवंबर 2015, सोमवार
अमृ्त काल मुहूर्त 04:30 से 18:00 तक
चर काल 18:00 से लेकर 19:30 तक
लाभ काल 22:30 से 24:00 तक
उपरोक्त में लाभ समय में पूजन करना लाभों में वृ्द्धि करता है. शुभ काल मुहूर्त की शुभता से धन, स्वास्थय व आयु में शुभता आती है. सबसे अधिक शुभ अमृ्त काल में पूजा करने का होता है.
सांय काल में शुभ महूर्त
Auspicious Time During the Evening
17:24 से 20:07 तक का समय धन तेरस की पूजा के लिये विशेष शुभ रहेगा.
धनतेरस में क्या खरीदें
What to Buy During Dhanteras
लक्ष्मी जी व गणेश जी की चांदी की प्रतिमाओं को इस दिन घर लाना, घर- कार्यालय,. व्यापारिक संस्थाओं में धन, सफलता व उन्नति को बढाता है.
इस दिन भगवान धनवन्तरी समुद्र से कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिये इस दिन खास तौर से बर्तनों की खरीदारी की जाती है. इस दिन बर्तन, चांदी खरीदने से इनमें 13 गुणा वृ्द्धि होने की संभावना होती है. इसके साथ ही इस दिन सूखे धनिया के बीज खरीद कर घर में रखना भी परिवार की धन संपदा में वृ्द्धि करता है. दीपावली के दिन इन बीजों को बाग/ खेतों में लागाया जाता है ये बीज व्यक्ति की उन्नति व धन वृ्द्धि के प्रतीक होते है.
धन तेरस पूजन
Dhanteras Puja
धन तेरस की पूजा शुभ मुहुर्त में करनी चाहिए. सबसे पहले तेरह दीपक जला कर तिजोरी में कुबेर का पूजन करना चाहिए. देव कुबेर का ध्यान करते हुए, भगवान कुबेर को फूल चढाएं और ध्यान करें, और कहें, कि हे श्रेष्ठ विमान पर विराजमान रहने वाले, गरूडमणि के समान आभावाले, दोनों हाथों में गदा व वर धारण करने वाले, सिर पर श्रेष्ठ मुकुट से अलंकृ्त शरीर वाले, भगवान शिव के प्रिय मित्र देव कुबेर का मैं ध्यान करता हूँ.
इसके बाद धूप, दीप, नैवैद्ध से पूजन करें. और निम्न मंत्र का जाप करें.
‘यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य अधिपतये
धन-धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा ।’
धनतेरस की कथा
Story of Dhanteras
एक किवदन्ती के अनुसार एक राज्य में एक राजा था, कई वर्षों तक प्रतिक्षा करने के बाद, उसके यहां पुत्र संतान कि प्राप्ति हुई. राजा के पुत्र के बारे में किसी ज्योतिषी ने यह कहा कि, बालक का विवाह जिस दिन भी होगा, उसके चार दिन बाद ही इसकी मृ्त्यु हो जायेगी.
ज्योतिषी की यह बात सुनकर राजा को बेहद दु:ख हुआ, ओर ऎसी घटना से बचने के लिये उसने राजकुमार को ऎसी जगह पर भेज दिया, जहां आस-पास कोई स्त्री न रहती हो, एक दिन वहां से एक राजकुमारी गुजरी, राजकुमार और राजकुमारी दोनों ने एक दूसरे को देखा, दोनों एक दूसरे को देख कर मोहित हो गये, और उन्होने आपस में विवाह कर लिया.
ज्योतिषी की भविष्यवाणी के अनुसार ठीक चार दिन बाद यमदूत राजकुमार के प्राण लेने आ पहुंचें. यमदूत को देख कर राजकुमार की पत्नी विलाप करने लगी. यह देख यमदूत ने यमराज से विनती की और कहा की इसके प्राण बचाने का कोई उपाय बताईयें. इस पर यमराज ने कहा की जो प्राणी कार्तिक कृ्ष्ण पक्ष की त्रयोदशी की रात में जो प्राणी मेरा पूजन करके दीप माला से दक्षिण दिशा की ओर मुंह वाला दीपक जलायेगा, उसे कभी अकाल मृ्त्यु का भय नहीं रहेगा. तभी से इस दिन घर से बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाये जाते है.