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👉एक
आदमी के तीन मित्र थे।।
पहला मित्र
उस आदमी से रोज़ मिलता।
दूसरा मित्र
उस आदमी से 15 दिन बाद मिलता।
तीसरा मित्र
छः महीने में एक बार मिलता था।
👉एक दिन उस आदमी पर कोई मुसीबत आ गई।
उसे कचहरी में अपने किसी दोस्त की गवाही चाहिए थी।
उस आदमी ने अपने पहले दोस्त से बात की
जो कि उसे रोज़ मिलता था।पहले मित्र ने मना कर दिया कि वह साथ नही जा सकता और गवाही नही दे सकता।
उस आदमी ने अपने दूसरे दोस्त से साथ चल कर गवाही देने को कहा पर उस दोस्त ने बोला कि मैं तुम्हारे साथ कचहरी तक तो चल सकता हूँ पर गवाही नही दे सकता।
आदमी को बहुत निराशा हुई।
अंत में उसने अपने तीसरे मित्र से पूछा साथ चलने के लिए जो कि छः महीने में एक बार मिलता थ।
वह मित्र सहर्ष गवाही के लिए तैयार हो गया।।
👉साथियो ये तीन मित्र हैं,
हमारा शरीर,
हमारे भाई बंधु,
हमारे अच्छे कर्म।।
जब हम भगवान के घर जाते हैं
सबसे पहले हमारा शरीर हमारा साथ छोड़ देता है।उसके बाद हमारे भाई बंधु हमें श्मशान तक छोड़ कर आते हैं।
तीसरा मित्र है हमारे अच्छे कर्म
जो भगवान के सामने हमारे अच्छे कामों की गवाही देते हैं।
हरि बोल🙏🙏🙏
👉नफरत निंदा छोड़ दो।।
प्यार करो नाम जपो।।
यही सच्ची कमाई है।।
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