Posted in भारत का गुप्त इतिहास- Bharat Ka rahasyamay Itihaas

जहाँगीर


शाहजहाँ के हरम में ८००० रखैलें थीं जो उसे उसके पिता जहाँगीर से विरासत में मिली थी। उसने बाप की सम्पत्ति को और बढ़ाया। उसने हरम की महिलाओं की व्यापक छाँट की तथा बुढ़ियाओं को भगा कर और अन्य हिन्दू परिवारों से बलात लाकर हरम को बढ़ाता ही रहा।”(अकबर दी ग्रेट मुगल : वी स्मिथ, पृष्ठ ३५९)कहते हैं कि उन्हीं भगायी गयी महिलाओं से दिल्ली का रेडलाइट एरिया जी.बी. रोड गुलजार हुआ था और वहाँ इस धंधे की शुरूआत हुई थी।जबरन अगवा की हुई हिन्दू महिलाओं की यौन-गुलामी और यौन व्यापार को शाहजहाँ प्रश्रय देता था, और अक्सर अपने मंत्रियों और सम्बन्धियों को पुरस्कार स्वरूप अनेकों हिन्दू महिलाओं को उपहार में दिया करता था।यह नर पशु, यौनाचार के प्रति इतना आकर्षित और उत्साही था, कि हिन्दू महिलाओं का मीना बाजार लगायाकरता था, यहाँ तक कि अपने महल में भी।सुप्रसिद्ध यूरोपीय यात्री फ्रांकोइस बर्नियर ने इस विषय में टिप्पणी की थी कि, ”महल मेंबार-बार लगने वाले मीना बाजार, जहाँ अगवा कर लाईहुई सैकड़ों हिन्दू महिलाओं का, क्रय-विक्रय हुआ करता था, राज्य द्वारा बड़ी संख्या में नाचने वाली लड़कियों की व्यवस्था, और नपुसंक बनाये गये सैकड़ों लड़कों की हरमों में उपस्थिती, शाहजहाँ की अनंत वासना के समाधान के लिए ही थी।(टे्रविल्स इन दी मुगल ऐम्पायर- फ्रान्कोइस बर्नियर :पुनः लिखित वी. स्मिथ, औक्सफोर्ड १९३४)शाहजहाँ को प्रेम की मिसाल के रूप पेश किया जाता रहा है और किया भी क्यों न जाए ,८००० औरतों को अपने हरम में रखने वाला अगर किसी एक में ज्यादा रुचि दिखाए तो वो उसका प्यार ही कहा जाएगा।आप यह जानकर हैरान हो जायेंगे कि मुमताज का नाम मुमताज महल था ही नहीं बल्कि उसका असली नाम”अर्जुमंद-बानो-बेगम” था।और तो और जिस शाहजहाँ और मुमताज के प्यार की इतनी डींगे हांकी जाती है वो शाहजहाँ की ना तो पहलीपत्नी थी ना ही आखिरी ।मुमताज शाहजहाँ की सात बीबियों में चौथी थी । इसका मतलब है कि शाहजहाँ ने मुमताज से पहले 3 शादियाँ कर रखी थी और, मुमताज से शादी करने के बाद भी उसका मन नहीं भरा तथा उसके बाद भी उस ने 3 शादियाँ और की यहाँ तक कि मुमताज के मरने के एक हफ्ते के अन्दर ही उसकी बहन फरजाना से शादी कर ली थी। जिसे उसने रखैल बना कर रखा हुआ था जिससे शादी करने से पहले ही शाहजहाँ को एक बेटा भी था।अगर शाहजहाँ को मुमताजसे इतना ही प्यार था तो मुमताज से शादी के बाद भी शाहजहाँ ने 3 और शादियाँ क्यों की….?????अब आप यह भी जान लो कि शाहजहाँ की सातों बीबियों में सबसे सुन्दर मुमताज नहीं बल्कि इशरत बानो थी जो कि उसकी पहली पत्नी थी ।उस से भी घिनौना तथ्य यह है कि शाहजहाँ से शादी करते समय मुमताज कोई कुंवारी लड़की नहीं थी बल्किवो शादीशुदा थी और, उसका पति शाहजहाँ की सेना मेंसूबेदार था जिसका नाम “शेर अफगान खान” था।शाहजहाँ ने शेर अफगान खान की हत्या कर मुमताज से शादी की थी।गौर करने लायक बात यह भी है कि ३८ वर्षीय मुमताज की मौत कोई बीमारी या एक्सीडेंट से नहीं बल्कि चौदहवें बच्चे को जन्म देने के दौरान अत्यधिक कमजोरी के कारण हुई थी। यानी शाहजहाँ ने उसे बच्चेपैदा करने की मशीन ही नहीं बल्कि फैक्ट्री बनाकर मार डाला।शाहजहाँ कामुकता के लिए इतना कुख्यात था, की कईइतिहासकारों ने उसे उसकी अपनी सगी बेटी जहाँआरा के साथ स्वयं सम्भोग करने का दोषी कहा है।शाहजहाँ और मुमताज महल की बड़ी बेटी जहाँआरा बिल्कुल अपनी माँ की तरह लगती थी।इसीलिए मुमताज की मृत्यु के बाद उसकी याद में लम्पट शाहजहाँ ने अपनी ही बेटी जहाँआरा को फंसाकर भोगना शुरू कर दिया था।जहाँआरा को शाहजहाँ इतना प्यार करता था कि उसने उसका निकाह तक होने न दिया।बाप-बेटी के इस प्यार को देखकर जब महल में चर्चा शुरू हुई,तो मुल्ला-मौलवियोंकी एक बैठक बुलाई गयी और उन्होंने इस पाप को जायज ठहराने के लिए एक हदीस का उद्धरण दिया और कहा कि – “माली को अपने द्वारा लगाये पेड़का फल खाने का हक़ है”।(Francois Bernier wrote, ” Shah Jahan used to have regular sex with his eldest daughter Jahan Ara.To defend himself, Shah Jahan used to say that, it was the privilege of a planter to taste the fruit of the tree he had planted.”)इतना ही नहीं जहाँआरा के किसी भी आशिक को वह उसके पास फटकने नहीं देता था।कहा जाता है की एकबार जहाँआरा जब अपने एक आशिक के साथ इश्क लड़ा रही थी तो शाहजहाँ आ गया जिससे डरकर वह हरम के तंदूर में छिप गया, शाहजहाँ नेतंदूर में आग लगवा दी और उसे जिन्दा जला दिया।दरअसल अकबर ने यह नियम बना दिया था, की मुगलिया खानदान की बेटियों की शादी नहीं होगी। इतिहासकारइसके लिए कईकारण बताते हैं। इसका परिणाम यह होता था, की मुग़लखानदान की लड़कियां अपने जिस्मानी भूख मिटाने के लिए अवैध तरीके से दरबारी, नौकर के साथ साथ, रिश्तेदार यहाँ तक की सगे सम्बन्धियों का भी सहारा लेती थी।जहाँआरा अपने लम्पट बाप के लिए लड़कियाँ भी फंसाकर लाती थी। जहाँआरा की मदद से शाहजहाँ ने मुमताज के भाई शाइस्ता खान की बीबी से कई बार बलात्कार किया था।शाहजहाँ के राजज्योतिष की 13 वर्षीय ब्राह्मण लडकी को जहाँआरा ने अपने महल में बुलाकर धोखे सेनशा करा बाप के हवाले करदिया था जिससे शाहजहाँ ने 58 वें वर्ष में उस 13 बर्ष की ब्राह्मण कन्या से निकाह किया था।बाद में इसी ब्राहम्ण कन्या ने शाहजहाँ के कैद होने के बाद औरंगजेब से बचने और एक बार फिर से हवस की सामग्री बनने से खुद को बचाने के लिए अपने ही हाथों अपने चेहरे पर तेजाब डाल लिया था।शाहजहाँ शेखी मारा करता था कि ‘ ‘वह तिमूर (तैमूरलंग)का वंशज है जो भारत में तलवार और अग्नि लाया था।उस उजबेकिस्तान के जंगली जानवर तिमूर से और उसकी हिन्दुओं के रक्तपात की उपलब्धि से इतना प्रभावित था कि ”उसने अपना नाम तिमूरद्वितीय रख लिया”(दी लीगेसी ऑफ मुस्लिम रूल इन इण्डिया- डॉ. के.एस. लाल, १९९२ पृष्ठ- १३२).बहुत प्रारम्भिक अवस्था से ही शाहजहाँ ने काफिरों (हिन्दुओं) के प्रति युद्ध के लिए साहस व रुचि दिखाई थी।अलग-अलग इतिहासकारों ने लिखा था कि, ”शहजादे केरूप में ही शाहजहाँ ने फतेहपुर सीकरी पर अधिकार करलिया था और आगरा शहर में हिन्दुओं का भीषण नरसंहार किया था ।भारत यात्रा पर आये देला वैले, इटली के एक धनी व्यक्ति के अुनसार -शाहजहाँ की सेना ने भयानक बर्बरता का परिचय कराया था। हिन्दू नागरिकों को घोर यातनाओं द्वारा अपने संचित धन को दे देने के लिए विवश किया गया, और अनेकों उच्च कुल की कुलीन हिन्दू महिलाओं काशील भंग किया गया।”(कीन्स हैण्ड बुक फौर विजिटर्स टू आगरा एण्ड इट्सनेबरहुड, पृष्ठ २५)हमारे वामपंथी इतिहासकारों ने शाहजहाँ को एक महान निर्माता के रूप में चित्रित किया है। किन्तु इस मुजाहिद ने अनेकों कला के प्रतीक सुन्दर हिन्दू मन्दिरों और अनेकों हिन्दू भवन निर्माण कला के केन्द्रों का बड़ी लगन और जोश से विध्वंस किया था।अब्दुल हमीद ने अपने इतिहास अभिलेख, ‘बादशाहनामा’ में लिखा था-‘महामहिम शहंशाह महोदय की सूचना में लाया गया कि हिन्दुओं के एक प्रमुख केन्द्र, बनारस में उनके अब्बा हुजूर के शासनकाल में अनेकों मन्दिरों के पुनः निर्माण का काम प्रारम्भ हुआ था और काफिर हिन्दू अब उन्हें पूर्ण कर देने के निकट आ पहुँचे हैं।इस्लाम पंथ के रक्षक, शहंशाह ने आदेश दिया कि बनारस में और उनके सारे राज्य में अन्यत्र सभी स्थानों पर जिन मन्दिरों का निर्माण कार्य आरम्भ है,उन सभी का विध्वंस कर दिया जाए।इलाहाबाद प्रदेश से सूचना प्राप्त हो गई कि जिला बनारस के छिहत्तर मन्दिरों का ध्वंस कर दिया गया था।”(बादशाहनामा : अब्दुल हमीद लाहौरी, अनुवाद एलियट और डाउसन, खण्ड VII, पृष्ठ ३६)हिन्दू मंदिरों को अपवित्र करने और उन्हें ध्वस्त करनेकी प्रथा ने शाहजहाँ के काल में एक व्यवस्थित विकराल रूप धारण कर लिया था।(मध्यकालीन भारत – हरीश्चंद्र वर्मा – पेज-१४१)”कश्मीर से लौटते समय १६३२ मेंशाहजहाँ को बताया गया कि अनेकों मुस्लिम बनायी गयी महिलायें फिर से हिन्दू हो गईं हैं और उन्होंने हिन्दू परिवारों में शादी कर ली है।शहंशाह के आदेश पर इन सभी हिन्दुओं को बन्दी बना लिया गया। प्रथम उन सभी पर इतना आर्थिक दण्ड थोपा गया कि उनमें से कोई भुगतान नहीं कर सका।तब इस्लाम स्वीकार कर लेने और मृत्यु में से एक को चुन लेने का विकल्प दिया गया। जिन्होनें धर्मान्तरण स्वीकार नहीं किया, उन सभी पुरूषों का सर काट दिया गया। लगभग चार हजार पाँच सौं महिलाओं को बलात् मुसलमान बना लिया गया और उन्हें सिपहसालारों, अफसरों और शहंशाह के नजदीकी लोगों और रिश्तेदारों के हरम में भेज दिया गया।”(हिस्ट्री एण्ड कल्चर ऑफ दी इण्डियन पीपुल : आर.सी. मजूमदार, भारतीय विद्या भवन, पृष्ठ ३१२)१६५७ में शाहजहाँ बीमार पड़ा और उसी के बेटे औरंगजेब ने उसे उसकी रखैल जहाँआरा के साथआगरा के किले में बंद कर दिया । परन्तु औरंगजेब मे एक आदर्श बेटे का भी फर्ज निभाया और अपने बापकी कामुकता को समझते हुए उसे अपने साथ ४० रखैलें (शाही वेश्याएँ) रखने की इजाजत दे दी। और दिल्ली आकर उसने बाप के हजारों रखैलों में से कुछ गिनी चुनी औरतों को अपने हरम में डालकर बाकी सभी को उसने किले से बाहर निकाल दिया।उन हजारों महिलाओं को भी दिल्ली के उसी हिस्से में पनाह मिली जिसे आज दिल्ली का रेड लाईट एरिया जीबी रोड कहा जाता है। जो उसके अब्बा शाहजहाँ की मेहरबानी से ही बसा और गुलजार हुआ था ।शाहजहाँ की मृत्यु आगरे के किले में ही २२ जनवरी १६६६ ईस्वी में ७४ साल की उम्र में द हिस्ट्री चैन शाहजहाँ की मृत्यु आगरे के किले में ही २२ जनवरी १६६६ ईस्वी में ७४ साल की उम्र में द हिस्ट्री चैनल के अनुसार अत्यधिक कमोत्तेजक दवाएँ खा लेने का कारण हुई थी। यानी जिन्दगी के आखिरी वक्त तक वो अय्याशी ही करता रहा था।अब आप खुद ही सोचें कि क्यों ऐसे बदचलन और दुश्चरित्र इंसान को प्यार की निशानी समझा कर महानबताया जाता है…… ?????क्या ऐसा बदचलन इंसान कभी किसी से प्यारकर सकता है….?????क्या ऐसे वहशी और क्रूर व्यक्ति की अय्याशी की कसमेंखाकर लोग अपने प्यार को बे-इज्जत नही करते हैं ??दरअसल ताजमहल और प्यार की कहानी इसीलिए गढ़ी गयी है कि लोगों को गुमराह किया जा सके और लोगों खासकर हिन्दुओं से छुपायी जा सके कि ताजमहल कोई प्यार की निशानी नहीं बल्कि महाराज जय सिंह द्वारा बनवाया गया भगवान् शिव का मंदिर””तेजो महालय”” है….!और जिसे प्रमाणित करने के लिए शंकराचार्य स्वरूपानंद जी आज भी कोर्ट में सत्य की लड़ाई लड़ रहे हैं।असलियत में मुगल इस देश में धर्मान्तरण, लूट-खसोट और अय्याशी ही करते रहे परन्तु नेहरू के आदेश पर हमारे इतिहासकारों नें इन्हें जबरदस्ती महान बनाया। और ये सब हुआ झूठी धर्मनिरपेक्षता के नामपर।

अष्टाँगयोगनिष्ठ विक्रान्त अजातशत्रु's photo.
Posted in Netaji Subhash Chandra Bose

Netaji files


NaMo govt moves ahead on Netaji files, declassification to begin on January 23rd – 14 October 2015 The Narendra Modi government has begun moving towards declassifying the Netaji Subhas Chandra Bose files.
The files related to Subhas Chandra Bose, which have been kept secret hitherto, will be declassified by the government beginning January 23 next year, Subhas Chandra Bose’s birthday. Prime Minister Narendra Modi announced this today, saying, “there is no need to strangle history”. The PM was meeting Netaji’s family members.

Prime Minister Modi also promised to urge foreign governments to declassify files on Netaji available with them by writing to them and personally taking up the issue with foreign leaders. The government’s move is set to commence with Russia in December.

His announcement regarding an issue that has been hanging fire for seven decades came when he received 35 family members of Bose at his official residence in New Delhi and interacted with them for an hour.

“Process of declassification of files relating to Netaji will begin on 23rd January 2016, Subhas Babu’s birth anniversary,” Modi tweeted later.

“Will also request foreign governments to declassify files on Netaji available with them. Shall begin this with Russia in December,” he said in another tweet.

Declaring that “There is no need to strangle history”, he said “Nations that forget their history lack the power to create it”.
There have been demands by Netaji’s family and several others for declassification of secret files as they hope that it will help answer questions regarding his mysterious disappearance in 1945.

“I told Subhas Babu’s family members — please consider me a part of your family. They shared their valuable suggestions with me,” the Prime Minister said, while remarking that “it was a privilege to welcome” them to 7, Race Course Road, his official residence.

Netaji Subhas’ family members have requested the declassification of the files available with the Government of India. They suggested that the government of India initiate the process to get the files on Netaji available with foreign governments to also be declassified, a PMO statement said.

The Narendra Modi government has begun moving towards declassifying the Netaji Subhas Chandra Bose files.
INDIATOMORROW.CO|BY INDIA TOMORROW BUREAU
Posted in भारतीय मंदिर - Bharatiya Mandir

ATULYA BHARAT CHAVUNDARYA BASDI HASSAN KARNATAKA


ATULYA BHARAT CHAVUNDARYA BASDI HASSAN KARNATAKA

Chavundaraya Temple in Shravanabelagola of Hassan district in Southern Karnataka is located on Chandragiri Hills. Also known as the Chikkabetta, it is said to have been built by Chavundaraya, the military commander, poet and minister of the Western Ganga Dynasty of Talakkad. Some believe that it was his son Jinadevana who built it in memory of his father. Chavundaraya Temple was influenced by the Western Ganga style of architecture in addition to the Jain features in the building and the motifs applied to the structure.

"CHAVADARIYA BASDI HASSAN KARNATAKA"
"CHAVADARIYA BASDI HASSAN KARNATAKA"
"CHAVADARIYA BASDI HASSAN KARNATAKA"