प्राचीन भारत के 10 सार्वकालिक महान योद्धाओ की सूची ।
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रावण और कर्ण योद्धा तो ठीक थे परंतु दोनों ने अपने योद्धा तत्व का विकास रोक दिया था और दोनों ही अपने प्रतिद्वंदियों से कई बार पराजित हुए और रावण द्वारा सीता के कायरतापूर्ण अपहरण और कर्ण द्वारा गंधर्वों के युद्ध में कायरतापूर्वक पलायन उन्हें टॉप 10 की सूची से बाहर कर देती है ।
पराजितों के प्रति रावण और कर्ण का व्यवहार भी योद्धा की गरिमा के विपरीत होता था । यही हाल अश्वत्थामा का भी है ।
बलराम यूँ तो बड़े योद्धा थे पर एक तो उन्होंने अपना विकास नहीं किया , दूसरे उनके दिव्यास्त्रों का ज्ञान सीमित था । अतः वे भी टॉप 10 में जगह डिजर्व नहीं करते ।
10 — मेघनाद ‘ इंद्रजीत ‘ — शुक्राचार्य और साक्षात ———————————– महादेव शिव से प्रशिक्षण प्राप्त लगभग सभी दिव्यास्त्रों का ज्ञाता । कई युध्द में इन्द्र सहित समस्त देव जाति का विजेता ।
कमजोरी — अपने विशिष्ट रथ पर अत्यधिक निर्भरता , अगस्त्य द्वारा बनाये गए कुछ नए दिव्यास्त्रों जैसे सूर्यास्त्र , एन्द्रास्त्र आदि से अनिभिज्ञता जो उसकी पराजय और मृत्यु का कारण बनी ।
9 — द्रोण — प्रशिक्षण परशुराम से ।
————– मुख्य अस्त्र धनुष , लगभग सभी दिव्यास्त्रों के ज्ञाता सिवाय तीन दिव्यास्त्रों को छोड़कर और वे थे प्रस्वपास्त्र , पाशुपतास्त्र और सुदर्शन चक्र ।
एकमात्र विराट युद्ध एवं महाभारत युद्ध में भाग लिया और क्रमशः अर्जुन व भीम के हाथों पराजित हुये |
पराजित द्रुपद के राज्य अपहरण और अभिमन्यु की कायरतापूर्ण हत्या में भी भागीदार जो इन्हें केवल एक क्रूर सेनापति की पदवी ही दिला सकती है ,सर्वश्रेष्ठ योद्धा की नहीं ।
8 — परशुराम — प्रशिक्षण सीधे महादेव शिव से
——————– मुख्य शस्त्र परशु ( फरसा ) और अस्त्रों में धनुष । लगभग सभी दिव्यास्त्र सिवाय प्रस्वापास्त्र और पाशुपतास्त्र के ।
हैहयों और उसके समर्थक क्षत्रियों के विरुद्ध 21 युद्ध लड़े । परंतु राम के समक्ष समर्पण और भीष्म के समक्ष प्रस्वपास्त्र के कारण हार स्वीकार करनी पड़ी
( यहां उन्हें कल्पांत अमर मानने वाला फंडा मान लिया गया है और यदि भीष्म वाले परशुराम को परशुराम पीठ के अन्य पीठाधीश मान भी लें तो भी राम की वैष्णव धनुष चढ़ाने की परीक्षा लेने के बाद स्वयं ही पराजय स्वीकार कर ली थी )
पराजितों के प्रति व्यवहार भी अत्यन्त कठोर ।
7– लक्ष्मण प्रशिक्षण – क्रमशः वसिष्ठ और अगस्त्य ——————द्वारा ।
मुख्य अस्त्र शस्त्र – धनुष और खड्ग । समस्त दिव्यास्त्रों का ज्ञान । छोटे बड़े कई युद्धों में भाग लिया ,परशुराम को चुनौती और मेघनाद जैसे उस युग के श्रेष्ठतम योद्धा को पराजित कर उसका वध किया l लव कुश के हाथों पराजय ।
6 – प्रद्युम्न — कृष्ण के सबसे ज्येष्ठ पुत्र ।
— प्रशिक्षण अर्जुन और कृष्ण द्वारा । भारत के 5 योद्धाओं में से एक जो चक्रव्यूह का भेदन कर सकते थे ।
आयुध धनुष व खड्ग । कृष्ण के अतिरिक्त एकमात्र व्यक्ति जो कृष्ण के सुदर्शन चक्र का संचालन कर सकते थे ।
मायायुद्ध में भी प्रवीण । कई युद्ध लड़े और विजयी भी हुये विशेषतः बाणासुर युद्ध के समय उसकी पक्ष से लड़ने आये कार्तिकेय को भी पराजित किया । परंतु पांडवों के अश्वमेध यज्ञ के समय एक असुर से पराजित हुए ।
5– हनुमान — प्रशिक्षण मूल रूप से मरुद्गणों और —————- विवस्वान अर्थात सूर्य द्वारा ( आकाश के सूर्य नहीं बल्कि देव जाति के एक देव सूर्य द्वारा )
गदा और परिघ विशेष प्रिय
विवस्वान को अपनी बहुत कम आयु में पराजित कर बंदी बना लिया और यहां तक कि श्रीराम के अश्वमेध यज्ञ के समय एक विरोधी राजा के समर्थन में उतरे महादेव शिव को कार्तिकेय , गणेश और वीरभद्र आदि गणों सहित अकेले पराजित किया ।
मेघनाद , कुम्भकर्ण ,रावण और यहां तक कि स्वयं श्रीराम का भी सफलता पूर्वक बराबरी से सामना किया ।
पराजितों के प्रति गरिमापूर्ण व्यवहार ।
कमजोरी — दिव्यास्त्रों का प्रतिरोध में प्रवीण अर्थात उनसे बचाव के तरीकों में माहिर परंतु दिव्यास्त्रों के व्यवहारिक उपयोग में प्रवीण होने का जिक्र नहीं मिलता हालांकि उन्होंने कपीन्द्रास्त्र नाम के एक दिव्यास्त्र का विकास किया था ।
4 — अर्जुन — प्रशिक्षिण क्रमशः द्रोण , इन्द्र एवं ———— साक्षात महादेव द्वारा । मुख्य अस्त्र धनुष । प्रस्वपास्त्र और सुदर्शन चक्र को छोड़कर सारे अस्त्रों का ज्ञान । सबसे भयंकर दिव्यास्त्र पाशुपतास्त्र ।
द्रुपद के विरुद्ध अभियान से लेकर महाभारत और फिर अश्वमेध यज्ञ तक निरंतर युद्ध ।
भीष्म के विरुद्ध कमजोर सिद्ध हुए । इसके अलावा अपने पुत्र वभृवाहन और अंत में आभीर ( अहीर ) दस्युओं के हाथों पराजय बड़ी पराजयें थीं ।
3 — भीष्म — परशुराम व वसुओं द्वारा प्रशिक्षित ।
———- मुख्य अस्त्र शस्त्र — धनुष तलवार एवं गदा । मुख्य दिव्यास्त्र – प्रस्वपास्त्र ।
काशी में शाल्व सहित पूरे भारत के राजाओं को अकेले परास्त किया । बाद में महाभारत में भी अपराजेय थे । उनकी यह चुनौती थी कि महादेव व कृष्ण को छोड़ संसार में कोई अन्य उन्हें परास्त नहीं कर सकता था ।
महाभारत में सिर्फ कुछ समय भर के लिये पूर्ण क्षमता से युद्ध करने पर अर्जुन पराजित हो गये और कृष्ण को अपनी प्रतिज्ञा तोड़ने के लिए विवश कर दिया ।
विराट युद्ध में भी अर्जुन का राजकुमार उत्तर को कहना था कि उन्हें विश्वास नहीं है कि भीष्म पराजित हुए हैं यानि कि वे अचेत नहीं हुए हैं ।
2 — राम — प्रशिक्षण – वसिष्ठ , विश्वामित्र और
——– अगस्त्य द्वारा । मुख्य अस्त्र धनुष और खडग । समस्त दिव्यास्त्रों का ज्ञान और स्वयं भी एक नये दिव्यास्त्र ‘ रामास्त्र ‘ का निर्माण किया जिसका ज्ञान भविष्य में लोग विसरित कर गये ।
हालांकि प्रद्युम्न ने एक बार इसके लघु रूप का प्रयोग हनुमान द्वारा बनाये गये कपीन्द्रास्त्र के विरुद्ध किया था । कई युद्धों के विजेता विशेषतः रावण के विरुद्ध ।
गीता में कृष्ण ने इन्हें शस्त्र धारियों में सर्वश्रेष्ठ कहा है ।
( कुछ गीता के राम को परशुराम कहते हैं पर वे परशुराम और भार्गव के नाम से ही उल्लिखित किये गए हैं केवल राम के नाम से नहीं )
हनुमान के विरुद्ध युद्ध में टाइ ।
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और नंबर एक हैं –-—
* कृष्ण * — प्रशिक्षण — प्रारम्भ में स्वप्रशिक्षण और
—- और कुंगफू का विकास और गोपों को प्रशिक्षित कर नारायणी सेना की नींव डाली ।
बाद में दिव्यास्त्रों का प्रशिक्षण क्रमशः सांदीपनि , परशुराम से और सुदर्शन चक्र की प्राप्ति देव अग्नि से ।
ज्ञात विश्व के समस्त दिव्यास्त्रों का ज्ञान ।
मुख्य अस्त्र शस्त्र – चक्र , धनुष , खड़ग और गदा ।
विश्व में शिव के अतिरिक्त व्यक्ति जिन्हें ” वैष्णव ज्वर ” के रूप में Bio-weapons ” का भी ज्ञान था ।
सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर जैसा कि मद्र राजकुमारी लक्ष्मणा के स्वयंवर में प्रमाणित हुआ जहां अर्जुन भी फेल हो गये ।
पूरा जीवन युद्धों में । सदैव अपराजित ।
महादेव शिव तक को पराजित किया और अकेले ही इन्द्र सहित समस्त देवसेना को परास्त किया ।
जीवन में केवल एक बार अर्जुन से युद्ध में टाइ रहा ।
( कृष्ण की ही इच्छा पर )
यानि भारत के प्राचीन काल के सर्वश्रेष्ठ योद्धा हैं –
कृष्ण!🙏