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इन पांच चीजों का चमत्कारी धुआं, घर में नेगेटिव को बना देगा पॉजीटिव


इन पांच चीजों का चमत्कारी धुआं, घर में नेगेटिव को बना देगा पॉजीटिव
यदि किसी घर-परिवार में अक्सर परेशानियां बनी रहती हैं। परिवार का कोई न कोई सदस्य हमेशा बीमार या अस्वस्थ रहता है। धन संबंधी परेशानियां बनी रहती है।
छोटे-छोटे कार्य भी बड़ी कठिनाई से पूर्ण होते हैं। तब संभव है कि उस घर में कोई वास्तु दोष हो, कोई नकारात्मक शक्ति सक्रिय हो। इस प्रकार के अशुभ प्रभावों से मुक्ति पाने के लिए यह उपाय अपनाएं।
वास्तु संबंधी दोषों को दूर करने और घर के वातावरण में फैली नकारात्मक ऊर्जा को प्रभावहीन करने के लिए वातावरण को शुद्ध और पवित्र बनाना चाहिए।
इसके लिए सुबह-सुबह घर में
लोबान,
गुग्गल,
कपूर,
देशी घी एवं
चंदन का चूरा एक साथ मिलाकर
गाय के कंडे पर धूनी दें।
पूरे घर में इस धूनी का धुआं फैलाएं। इसके प्रभाव से वातावरण में मौजूद नकारात्मक शक्तियां प्रभावहीन हो जाएंगी और सकारात्मक शक्तियों का प्रभाव बढ़ेगा।
-श्रीराम ज्योतिषसदन -के वाल से साभार —

Loksabha Varanasi-लोकसभा वाराणसी's photo.
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ATULYA BHARAT ANCIENT TEMPLE IN KULLU BAJAURA -BISHESHWARA TEMPLE HIMACHAL PRADESH


ATULYA BHARAT ANCIENT TEMPLE IN KULLU BAJAURA -BISHESHWARA TEMPLE HIMACHAL PRADESH

Bishweshwar Mahadev Temple Bajaura in Kullu

Bishweshwar Mahadev Temple

Bishweshwar Temple is the largest and the most attractive stone temple of Kullu Valley. This temple, built in the ninth century in pyramid style, is built on Shankaracharya Paddhati (style) of Panch Dev Puja. It is said that the Pandavas during their exile constructed this temple in just one day. Due to its wonderful architecture, it withstood the sever earthquake of 1905. This temple has been declared as a protected monument.

The temple of Bishweshwar Mahadev (or Vishveshvara Mahadev) is located at Bajaura 5 Km south from Bhuntar on Kullu-Manali National Highway No. 21. There are about twenty recorded stone-temples in Kullu of which the Bajaura temple of Lord Shiva (Lord of Universe) is the largest one. The famous archeologist, Dr Vogel has described this temple in detail in his report to the Archaeological Survey of India (1909-10). He says “The excellent workmanship of the large bas-reliefs and, in fact, all the sculptural decoration on Bajoura temple, points to an early date”. [Bas-relief is a sort of sculpture where the sulpture has less depth behind the faces or figures than the actual faces or figures would have, when measured]

"BISHESHWARA TEMPLE ,KULLU H.P"
"BISHESHWARA TEMPLE ,KULLU H.P"
"BISHESHWARA TEMPLE ,KULLU H.P"
"BISHESHWARA TEMPLE ,KULLU H.P"
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सेकुलरिज्म यानि दोहरेपन का इस से बड़ा उदहारण और क्या होगा


Vishnu Gupta shared Dainik Bharat‘s photo to the group: Vote for BJP.

सेकुलरिज्म यानि दोहरेपन का इस से बड़ा उदहारण और क्या होगा

Dainik Bharat's photo.
Dainik Bharat with Naveen Tuli and 48 others

13 hrs ·

सेकुलरिज्म यानि दोहरेपन का इस से बड़ा उदहारण और क्या होगा

मुस्लिम गौ का क़त्ल करके मांस खाने पर मारा गया तो हिन्दुओ ने आतंक मचा दिया
पूरी मीडिया, नेता मुस्लिम के घर जाने लगे न्याय मांगने लगे, मरने वाला शहीद हो गया
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वहीँ दिल्ली के बदरपुर में हिन्दू युवक को बर्बरता से मौत के घाट उतार दिया गया
मीडिया में कोई खबर भी न बनी, और केजरीवाल खुद दिल्ली का CM होकर उस हिन्दू युवक के घर
नहीं जा सका, न AAP मंडली में किसी ने ट्वीट तक किया
————————
इस देश में मुस्लिम की जान की कीमत है, पर देश के हर इलाके में क़त्ल किये जा रहे हिन्दुओ की जान की कोई
कीमत नहीं, अब भी सेक्युलर हिन्दू नहीं सुधरा तो नतीजा बड़ा भयानक होगा
‪#‎DainikBharat‬ ‪#‎Ravi21‬ ‪#‎AapKaCorruption‬ ‪#‎QuitSecularismNow‬

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// सतरंज (चुतरंग ) //


// सतरंज (चुतरंग ) //
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मित्रो क्या आप जानते है कि सतरंज कि खोज भारत में महात्मा SISSA ने 6TH AD में गुप्तकाल में क़ी . सतरंज को भारत में चतुरंग कहा जाता है . जब महात्मा sissa ने चुतरंग को राजा के दरबार में पर्दर्शित किया तो राजा ने खुश हो कर sissa को इनाम मागने के लिए कहा . तो सिस्सा ने राजा से कहा के मेरे को इतना चावल चाहिए के चुतरंग के सभी 64 बॉक्स चावल से भर जाये पर चावल को इस तरह से भरे के पहले बॉक्स में 1 चावल का दाना ,दूसरे में दो , तीसरे में चार , चोथे में आठ , पांचवे बॉक्स में 16 चावल के दाने रखे जाएँ और इसी तरह बाकी के बॉक्स भी भरे जाएँ .
सिस्सा पहले दिन 1 आये और इक चावल दाना ले गए दूसरे दिन दो , तिरसे दिन चार , चौथे दिन 16 दाने ले गए . मित्रो 16 दिनों के बाद चावल के दानो के गिनती 32768 पहुंच गई . इसके बाद राजा को अहसास हुआ की बह मुश्किल में फँस गया है . अब राजा और उसके दरबारिओ को चावल गिनने में सारा सारा दिन लग जाता था . और 33 बे बॉक्स पर पहुंच कर सरे राज्य का अनाज ख़तम हो गया

मित्रो इसके बाद काया हुआ . सिस्सा की पहेली किसने हाल की ,महात्मा सिस्सा का क्या हुआ , 64 बॉक्स भरने की लिए कित्न्ना चावल चाहिए जानने की लिए लिंक पर क्लिक करे . https://www.youtube.com/watch?v=dawybP061-k&feature=share
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मित्रो आपके रसोई घर से जो पशुओं के खाने योग्य अपशिष्ट (wastage) निकलती है जैसी बची हुई सब्जी , चायपती, रोटी इत्यादि इनको प्लास्टिक के लिफाफे मे डालने की जगह एक अलग डस्टबीन में डालें और इस डस्टबीन को ऐसी जगह डालें जहां पर आवारा पशु आते जाते हो . जिसको ख़ाकर ये भूखे पशु अपनी भूख शांत कर सकते हैं इसके निम्नलिखित लाभ है
1. पशुओं के पेट मे हानिकारक प्लास्टिक नही जायेगा
2. आपके घर के कुडेदान से दूर्गध नही आयेगी
3. देश को साफसुथरा रखने मे मदद मिलेगी
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लंदन का प्रसिद्ध सेंट जेम्स स्कूल .इस विद्यालय का लगभग हर विद्यार्थी संस्कृत भाषा का अध्ययन करता है . इस विद्यालय के अधयापकों से पूछने पर कि आप अपने स्कूल में संस्कृत क्यों पढातें है तो उनका कहना है कि संस्कृत बोलने से हमारे मस्तिष्क में तंरगे (vibrarations ) उत्पन्न होती है उसके कारण मस्तिष्क कई गुना तेज काम करता है और छात्रों का मानसिक विकास होता है .
मित्रो आप भी अपने बच्चों को संस्कृत सिखाइये .तो आप पूछेंगे कि कैसे ? तो इसके लिए आप बच्चों के लिए सप्ताह में कम से कम एक दिन किसी संस्कृत के आचार्य से TUTION दिलवा सकते है
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जाति पाति तोड दो संघ से नाता जोड़ लो
मित्रों यदि आप भी समाज से ऊँच नीच खत्म करना चाहते हो तो आज ही .RSS की शाखा में आयें और भेदभाव मुक्त राष्ट्र के लिये अपना योगदान दें ! वन्देमातरम्
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साई भक्त


साई भक्त अक्सर यह दावा करते है की साई बाबा भगवान है और उनकी भक्ति करने से सभी मुरादें पूरी होती है पर मुझे तो लगता है की साई बाबा तो खुद ही विकलांग है वो किसी की क्या मुराद पूरी करेंगे क्योंकि वो तो खुद ही ऊँ और राम की बैशाखी पर चलते है विश्वास ना हो तो देख लीजिये जहां भी साई का नाम लिखा मिलेगा वो इस प्रकार लिखा मिलता है

” ऊँ साई राम ”

अब बात करते है साई बाबा द्वारा सभी भक्तों की मुरादें पूरी करने की ।

अगर कोई आदमी किसी का कत्ल कर दे या रेप कर दे और साई बाबा के मंदिर मे चला जाये तो क्या बाबा उसको सज़ा से बचा लेंगे ?

अगर हाँ !

तो फिर तो साई से बड़ा कोई अपराधी नही क्योंकि अपराधी की मदद करने वाला भी अपराधी ही होता है और अगर बाबा के मंदिर मे जाने के बाद भी उसे सज़ा हो जाती है तो फिर बाबा के पूजा का , उनके मंदिर मे जाने का क्या फायदा ?

वैदिक धर्म तो यह कहता है की हर प्राणी को उसके द्वारा किये गये शुभ और अशुभ कर्मो का फल अवश्य भोगना पड़ता है और चूंकि परमात्मा न्यायकारी है इसलिये इस कर्म फल के भोग मे परमात्मा भी कोई दखल नही देता ।

अब प्रश्न यह उठता है की साई का गोरख धंधा कैसे फल फूल रहा है ?

दरअसल साई मंदिर के पूजारियों द्वारा व्यापक प्रचार के द्वारा लोगों के दिमाग मे यह भरा जाता है की शिर्डी मे साई के मंदिर मे मन्नत मांगने से वो मन्नत पूरी हो जाती है ।

इस प्रचार के पीछे इन पुजारियों का अपना स्वार्थ
है ।

जिस मंदिर मे जाने के बाद भक्त की मन्नत पूरी हो जाती है ।

उसी मंदिर मे भक्त मोटा चढ़ावा अर्पित करता है अब अगर 100- 100 भक्त अपनी अपनी मन्नत ले कर जाते है तो कर्म फल के सिद्धांत के अनुसार उनमे से 50 भक्तों की मन्नत पूरी हो जायेगी ।

अब यह 50 भक्त मोटा माल अर्पित करेंगे और सारी दुनियाँ मे साई की महिमा का गुण गान करेंगे और जिन ५० भक्तों की मन्नत पूरी नही हुई है वो इसमे अपने भाग्य का दोष मान कर चुप हो कर बैठ
जायेंगे ।

जो मोटा माल मिला है उसका कुछ भाग वो इन भक्तों की कहानियों का व्यापक प्रचार करने मे खर्च करेंगे ताकि अधिक से अधिक नये भक्त अपने ग्राहक बने ।

अगर साई बाबा मे इतनी ही ताकत होती तो बाकी सारे मंदिर बंद हो जाते पर ऐसा है नही धंधा उनका भी जोर शोर से चल रहा है ।

अब जिसके प्रचार मे जितनी ताकत होगी उतने ही उसके पास भक्त ( ग्राहक) आयेंगे यही सत्य है ।

बाकी चाहे इसे कहो कुछ भी ।

जय श्री राम ,
धर्म की जय हो अधर्म का नाश हो ।

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गुरु-दक्षिणा


…………………………………………गुरु-दक्षिणा………………………………………

एक बार एक शिष्य ने विनम्रतापूर्वक अपने गुरु जी से पूछा-‘गुरु जी,कुछ लोग कहते हैं कि जीवन एक संघर्ष है,कुछ अन्य कहते हैं कि जीवन एक खेल है और कुछ जीवन को एक उत्सव की संज्ञा देते हैं | इनमें कौन सही है?’गुरु जी ने तत्काल बड़े ही धैर्यपूर्वक उत्तर दिया-‘पुत्र,जिन्हें गुरु नहीं मिला उनके लिए जीवन एक संघर्ष है; जिन्हें गुरु मिल गया उनका जीवन एक खेल है और जो लोग गुरु द्वारा बताये गए मार्ग पर चलने लगते हैं,मात्र वे ही जीवन को एक उत्सव का नाम देने का साहस जुटा पाते हैं |’यह उत्तर सुनने के बाद भी शिष्य पूरी तरह से संतुष्ट न था| गुरु जी को इसका आभास हो गया |वे कहने लगे-‘लो,तुम्हें इसी सन्दर्भ में एक कहानी सुनाता हूँ| ध्यान से सुनोगे तो स्वयं ही अपने प्रश्न का उत्तर पा सकोगे |’

उन्होंने जो कहानी सुनाई,वह इस प्रकार थी-एक बार की बात है कि किसी गुरुकुल में तीन शिष्यों नें अपना अध्ययन सम्पूर्ण करने पर अपने गुरु जी से यह बताने के लिए विनती की कि उन्हें गुरुदाक्षिणा में, उनसे क्या चाहिए |गुरु जी पहले तो मंद-मंद मुस्कराये और फिर बड़े स्नेहपूर्वक कहने लगे-‘मुझे तुमसे गुरुदक्षिणा में एक थैला भर के सूखी पत्तियां चाहिए,ला सकोगे?’ वे तीनों मन ही मन बहुत प्रसन्न हुए क्योंकि उन्हें लगा कि वे बड़ी आसानी से अपने गुरु जी की इच्छा पूरी कर सकेंगे |सूखी पत्तियाँ तो जंगल में सर्वत्र बिखरी ही रहती हैं| वे उत्साहपूर्वक एक ही स्वर में बोले-‘जी गुरु जी, जैसी आपकी आज्ञा |’

अब वे तीनों शिष्य चलते-चलते एक समीपस्थ जंगल में पहुँच चुके थे |लेकिन यह देखकर कि वहाँ पर तो सूखी पत्तियाँ केवल एक मुट्ठी भर ही थीं ,उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा | वे सोच में पड़ गये कि आखिर जंगल से कौन सूखी पत्तियां उठा कर ले गया होगा? इतने में ही उन्हें दूर से आता हुआ कोई किसान दिखाई दिया |वे उसके पास पहुँच कर, उससे विनम्रतापूर्वक याचना करने लगे कि वह उन्हें केवल एक थैला भर सूखी पत्तियां दे दे |अब उस किसान ने उनसे क्षमायाचना करते हुए, उन्हें यह बताया कि वह उनकी मदद नहीं कर सकता क्योंकि उसने सूखी पत्तियों का ईंधन के रूप में पहले ही उपयोग कर लिया था | अब, वे तीनों, पास में ही बसे एक गाँव की ओर इस आशा से बढ़ने लगे थे कि हो सकता है वहाँ उस गाँव में उनकी कोई सहायता कर सके |वहाँ पहुँच कर उन्होंने जब एक व्यापारी को देखा तो बड़ी उम्मीद से उससे एक थैला भर सूखी पत्तियां देने के लिए प्रार्थना करने लगे लेकिन उन्हें फिर से एकबार निराशा ही हाथ आई क्योंकि उस व्यापारी ने तो, पहले ही, कुछ पैसे कमाने के लिए सूखी पत्तियों के दोने बनाकर बेच दिए थे लेकिन उस व्यापारी ने उदारता दिखाते हुए उन्हें एक बूढी माँ का पता बताया जो सूखी पत्तियां एकत्रित किया करती थी|पर भाग्य ने यहाँ पर भी उनका साथ नहीं दिया क्योंकि वह बूढी माँ तो उन पत्तियों को अलग-अलग करके कई प्रकार की ओषधियाँ बनाया करती थी |अब निराश होकर वे तीनों खाली हाथ ही गुरुकुल लौट गये |गुरु जी ने उन्हें देखते ही स्नेहपूर्वक पूछा- ‘पुत्रो,ले आये गुरुदक्षिणा ?’तीनों ने सर झुका लिया |गुरू जी द्वारा दोबारा पूछे जाने पर उनमें से एक शिष्य कहने लगा- ‘गुरुदेव,हम आपकी इच्छा पूरी नहीं कर पाये |हमने सोचा था कि सूखी पत्तियां तो जंगल में सर्वत्र बिखरी ही रहती होंगी लेकिन बड़े ही आश्चर्य की बात है कि लोग उनका भी कितनी तरह से उपयोग करते हैं |’गुरु जी फिर पहले ही की तरह मुस्कराते हुए प्रेमपूर्वक बोले-‘निराश क्यों होते हो ?प्रसन्न हो जाओ और यही ज्ञान कि सूखी पत्तियां भी व्यर्थ नहीं हुआ करतीं बल्कि उनके भी अनेक उपयोग हुआ करते हैं; मुझे गुरुदक्षिणा के रूप में दे दो |’तीनों शिष्य गुरु जी को प्रणाम करके खुशी-खुशी अपने-अपने घर की ओर चले गये |

वह शिष्य जो गुरु जी की कहानी एकाग्रचित्त हो कर सुन रहा था,अचानक बड़े उत्साह से बोला-‘गुरु जी,अब मुझे अच्छी तरह से ज्ञात हो गया है कि आप क्या कहना चाहते हैं |आप का संकेत, वस्तुतः इसी ओर है न कि जब सर्वत्र सुलभ सूखी पत्तियां भी निरर्थक या बेकार नहीं होती हैं तो फिर हम कैसे, किसी भी वस्तु या व्यक्ति को छोटा और महत्त्वहीन मान कर उसका तिरस्कार कर सकते हैं?चींटी से लेकर हाथी तक और सुई से लेकर तलवार तक-सभी का अपना-अपना महत्त्व होता है |’गुरु जी भी तुरंत ही बोले-‘हाँ, पुत्र,मेरे कहने का भी यही तात्पर्य है कि हम जब भी किसी से मिलें तो उसे यथायोग्य मान देने का भरसक प्रयास करें ताकि आपस में स्नेह, सद्भावना,सहानुभूति एवं सहिष्णुता का विस्तार होता रहे और हमारा जीवन संघर्ष के बजाय उत्सव बन सके | दूसरे,यदि जीवन को एक खेल ही माना जाए तो बेहतर यही होगा कि हम निर्विक्षेप,स्वस्थ एवं शांत प्रतियोगिता में ही भाग लें और अपने निष्पादन तथा निर्माण को ऊंचाई के शिखर पर ले जाने का अथक प्रयास करें |’अब शिष्य पूरी तरह से संतुष्ट था |

अंततः,मैं यही कहना चाहती हूँ कि यदि हम मन, वचन और कर्म- इन तीनों ही स्तरों पर इस कहानी का मूल्यांकन करें, तो भी यह कहानी खरी ही उतरेगी |सब के प्रति पूर्वाग्रह से मुक्त मन वाला व्यक्ति अपने वचनों से कभी भी किसी को आहत करने का दुःसाहस नहीं करता और उसकी यही ऊर्जा उसके पुरुषार्थ के मार्ग की समस्त बाधाओं को हर लेती है |वस्तुतः,हमारे जीवन का सबसे बड़ा ‘उत्सव’ पुरुषार्थ ही होता है-ऐसा विद्वानों का मत है |

Toshi Dogra's photo.
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तीन साधू


………………………………………….तीन साधू ………………………………………..
एक औरत अपने घर से निकली , उसने घर के सामने सफ़ेद लम्बी दाढ़ी में तीन साधू-महात्माओं को बैठे देखा . वह उन्हें पहचान नही पायी .

उसने कहा , ” मैं आप लोगों को नहीं पहचानती , बताइए क्या काम है ?”

” हमें भोजन करना है .”, साधुओं ने बोला .

” ठीक है ! कृपया मेरे घर में पधारिये और भोजन ग्रहण कीजिये .”

” क्या तुम्हारा पति घर में है ?” , एक साधू ने प्रश्न किया .

“नहीं, वह कुछ देर के लिए बाहर गए हैं .” औरत ने उत्तर दिया .

” तब हम अन्दर नहीं आ सकते “, तीनो एक साथ बोले .

थोड़ी देर में पति घर वापस आ गया , उसे साधुओं के बारे में पता चला तो उसने तुरंत अपनी पत्नी से उन्हें पुन: आमंत्रित करने के लिए कहा।औरत ने ऐसा ही किया , वह साधुओं के समक्ष गयी और बोली,” जी, अब मेरे पति वापस आ गए हैं , कृपया आप लोग घर में प्रवेश करिए !”

” हम किसी घर में एक साथ प्रवेश नहीं करते .” साधुओं ने स्त्री को बताया .

” ऐसा क्यों है ?” औरत ने अचरज से पूछा .

जवाब में मध्य में खड़े साधू ने बोला ,” पुत्री मेरी दायीं तरफ खड़े साधू का नाम ‘धन’ और बायीं तरफ खड़े साधू का नाम ‘सफलता’ है , और मेरा नाम ‘प्रेम’ है . अब जाओ और अपने पति से विचार-विमर्श कर के बताओ की तुम हम तीनो में से किसे बुलाना चाहती हो।”

औरत अन्दर गयी और अपने पति से सारी बात बता दी . पति बेहद खुश हो गया . ” वाह , आनंद आ गया , चलो जल्दी से ‘धन’ को बुला लेते हैं , उसके आने से हमारा घर धन-दौलत से भर जाएगा , और फिर कभी पैसों की कमी नहीं होगी .”

औरत बोली ,” क्यों न हम सफलता को बुला लें , उसके आने से हम जो करेंगे वो सही होगा , और हम देखते-देखते धन-दौलत के मालिक भी बन जायेंगे .”

“हम्म , तुम्हारी बात भी सही है , पर इसमें मेहनत करनी पड़ेगी , मुझे तो लगता ही धन को ही बुला लेते हैं .” , पति बोला .

थोड़ी देर उनकी बहस चलती रही पर वो किसी निश्चय पर नहीं पहुच पाए , और अंतत: निश्चय किया कि वह साधुओं से यह कहेंगे कि धन और सफलता में जो आना चाहे आ जाये।

औरत झट से बाहर गयी और उसने यह आग्रह साधुओं के सामने दोहरा दिया .

उसकी बात सुनकर साधुओं ने एक दूसरे की तरफ देखा और बिना कुछ कहे घर से दूर जाने लगे।

” अरे ! आप लोग इस तरह वापस क्यों जा रहे हैं ?” , औरत ने उन्हें रोकते हुए पूछा .

” पुत्री ,दरअसल हम तीनो साधू इसी तरह द्वार-द्वार जाते हैं , और हर घर में प्रवेश करने का प्रयास करते हैं , जो व्यक्ति लालच में आकर धन या सफलता को बुलाता है हम वहां से लौट जाते हैं , और जो अपने घर में प्रेम का वास चाहता है उसके यहाँ बारी- बारी से हम दोनों भी प्रवेश कर जाते हैं . इसलिए इतना याद रखना कि जहाँ प्रेम है वहां धन और सफलता की कमी नहीं होती ।”, ऐसा कहते हुए धन और सफलता नामक साधुओं ने अपनी बात पूर्ण की .

Toshi Dogra's photo.
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Shirdi Sai Baba


Shirdi Sai Baba – भारत के इतिहास का सबसे बड़ा पाखंड

सभी साई भक्तों से सवाल ?

1. क्या साई ने भगवान श्री राम की तरह राक्षसों का नाश किया ?

2. क्या साई ने भगवान श्री कृष्ण की तरह इस संसार को गीता का ज्ञान दिया ?

3. क्या साई ने भगवान शिव की तरह विषपान कर इस विश्व की रक्षा की ?

4. क्या साई ने किसी ग्रन्थ या महाकाव्य की रचना की ?

5. क्या साई ने श्रवण कुमार की तरह अपने माता पिता की सेवा की ?

6. क्या साई चैतन्य महाप्रभु की तरह हिन्दुओ के किसी भगवान के भक्त था ?

7. क्या साई ने गुरु गोविंद सिंह जी की तरह मुसलमानों से लोहा ले हिन्दू धर्म की रक्षा की ?

8. क्या साई ने छत्रपति शिवाजी महाराज की तरह मुसलमानों से लोहा ले हिन्दू धर्म की रक्षा की ?

9. क्या साई ने महाराणा प्रताप की तरह मुस्लिम आक्रांताओ से लोहा लेकर मातृभूमि की रक्षा की ?

10. क्या साई ने शहीद भगतसिंह , चन्द्रशेखर आजाद सुखदेव , राजगुरु आदि क्रांतिकारियों की तरह आजादी की लड़ाई मे अपना योगदान दिया ?

11. गायत्री मंत्र भी साईं के नाम पर और राम के नाम के आगे भी साई लगाते हैं जब तुम्हारे साई अकेले कल्याण करने में समर्थ हैं तो उसे “” भगवान राम “” की जरूरत क्यों है ?

12. वेद मंत्रों में साई को स्थापित किए जाने के लिए क्यों हेर-फेर किया जा रहा ह ?

13. साई के नाम पर हिन्दू धर्म को भ्रमित और विकृत क्यों किया जा रहा है ?

14. एक जिहादी साई को शिव और विष्णु की तरह हिन्दू देवताओं के रूप में चित्रित किया जाना क्या हिन्दू धर्म का अपमान नहीं है ?

15. इससे हम करोड़ों हिन्दुओं की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं, उस पर साई भक्त क्या कहना
चाहेंगे ?

16. क्या साई……. भगवान राम से भी बड़े हो गए
हैं ?

17. उन्हें ब्रह्मांड नायक क्यों बनाया गया… क्या उन्होंने ब्रह्मांड की रचना की है ?

18. क्या वे राजाधिराज थे ?

19. वे परब्रह्म थे ?

20. वे सच्चिदानंद थे……..?????????

21. क्या आप ऐसा लिख सकते हो कि ‘साई अल्लाह’ थे , अगर नहीं तो….. तो फिर उन्हें ‘परब्रह्म’ लिखने का अधिकार आपको किसने दिया ?

22. मंदिरों में साई की मूर्ति क्यों लगाई जा रही है ?

23. हिन्दू धर्म के देवी – देवताओं की मूर्तियां छोटी होती जा रही हैं और साई की मूर्ति बड़ी ?

24. हिन्दू मंदिरों में जान-बूझकर जो साई बाबा की मूर्ति स्थापित की जा रही है क्या वह उचित है ?

25. साई का चित्र पहले शिव के साथ जोड़कर दिखाया जाता था , आजकल राम और हनुमान के साथ जोड़कर दिखाया जाता है… क्या यह षड्यंत्र या मनमानी हरकत नहीं है ?

26. साई के नाम पर मनमाने मंदिर, आरती, चालीसा और तमाम तरह के कर्म कांड निर्मित कर लिए गए हैं , क्या यह उचित है…..???????????

27. क्या साई बाबा की तुलना राम – कृष्ण से करना सनातन धर्म का अपमान नहीं है ?

28. पहले साई को दत्तात्रेय का अवतार बताया
गया , फिर विरोध होने पर कबीर का , फिर नामदेव , पांडुरंग , अक्कलकोट का महाराज ?

29. अंत में शिव का अवतार इसलिए घोषित किया गया , क्योंकि शिवजी को भी ‍चित्रों में चिलम पीते हुए दर्शाया गया है ?

30. उसके बाद तो साई ……. सभी देवी-देवताओं के अवतार होने लगे क्यों ?

31. अब उन्हें रामावतार बताया जा रहा है क्यों ?

32. क्या ” सबका मालिक एक ” सूत्र चाँद साई ने दिया था ?

33. क्या ” श्रद्धा और सबुरी ” सूत्र चाँद साई ने दिया था ?

34. क्या चाँद साई के नाम के आगे ॐ लगाना उचित है ?

35. क्या वो संसार का स्वामी है ?

36. उसे मोहम्मद का अवतार क्यों नही बताया जाता ! जबकि उसे हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रतीक के रूप में प्रदर्शित किया जाता है ?

37. उसे अल्लाह का अवतार क्यों नही बताया
जाता ?

38. चाँद साई को जीजस का अवतार क्यों नही बताया जाता ?

क्या इसका कोई ठोस जवाब है कि……… उन्हें भगवान बनाने के लिए हिन्दुओं के अवतारों का ही सहारा क्यों लिया जा रहा
है …??????????

####### साई भक्तों को ….अगर इन सवालों के जबाब नहीं मिले तो…..

वे खुद ही सोच लें कि……….. वे किस लायक हैं ।

जय श्री राम
धर्म की जय हो अधर्म का नाश हो ।

‪#‎FraudSai‬ , ‪#‎BhaktiJihad‬ ,
‪#‎ExposeShirdisai‬ .

‪#‎बहरूपिया_साई‬ , ‪#‎भक्ति_जिहाद‬ ,
‪#‎शिर्डी_साई_बेनकाब‬

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Significance of Cow according to Hindu scriptures


Significance of Cow according to Hindu scriptures
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Praise of the Cow by Bhagwan Shiv ji
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O mother! I bow to you who is the mother who causes the creation, sustenance and dissolution of the world by nourishing the mother earth. You nourish the whole world with strength and friendship. You are the mother of all the Rudra’s and the daughter of all the Vasu’s.
~ Skandpuran
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Cows in Krishan-Leela
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The Cows in the ‘Vraja’ land that were most liked by Bhagwan Krishan were held by their tails by the ladies of the land. These cows, moved here and there by their calves and proceeding towards the grazing lands were most beautiful to behold.
~ Srimad Bhagvatam
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Cows in Rama-Leela
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O King, arrange for the cows to be given away by Rama and Lakshman. O Lakshman, take away the thousand cows.
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Sages and Cows
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Cow are most sacred – Vyas
Cows are the ladder to heaven ~ Chyavana
Cow are the best of all beings ~ Vaishith
Cows are to be circumambulated daily ~ Apastamba

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Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

तितली का संघर्ष


……………………………………..तितली का संघर्ष ……………………………………

एक बार एक आदमी को अपने उद्यान में टहलते हुए किसी टहनी से लटकता हुआ एक तितली का कोकून दिखाई पड़ा. अब हर रोज़ वो आदमी उसे देखने लगा, और एक दिन उसने देखा कि उस कोकून में एक छोटा सा छेद बन गया है. उस दिन वो वहीँ बैठ गया और घंटो उसे देखता रहा. उसने देखा की तितली उस खोल से बाहर निकलने की बहुत कोशिश कर रही है , पर बहुत देर तक प्रयास करने के बाद भी वो उस छेद से नहीं निकल पायी, और फिर वो बिलकुल शांत हो गयी मानो उसने हार मान ली हो.

इसलिए उस आदमी ने निश्चय किया कि वो उस तितली की मदद करेगा. उसने एक कैंची उठायी और कोकून की छेद को इतना बड़ा कर दिया की वो तितली आसानी से बाहर निकल सके. और यही हुआ, तितली बिना किसी और संघर्ष के आसानी से बाहर निकल आई, पर उसका शरीर सूजा हुआ था,और पंख सूखे हुए थे.

वो आदमी तितली को ये सोच कर देखता रहा कि वो किसी भी वक़्त अपने पंख फैला कर उड़ने लगेगी, पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. इसके उलट बेचारी तितली कभी उड़ ही नहीं पाई और उसे अपनी बाकी की ज़िन्दगी इधर-उधर घिसटते हुए बीतानी पड़ी.

वो आदमी अपनी दया और जल्दबाजी में ये नहीं समझ पाया की दरअसल कोकून से निकलने की प्रक्रिया को प्रकृति ने इतना कठिन इसलिए बनाया है ताकि ऐसा करने से तितली के शरीर में मौजूद तरल उसके पंखों में पहुच सके और वो छेद से बाहर निकलते ही उड़ सके.

वास्तव में कभी-कभी हमारे जीवन में संघर्ष ही वो चीज होती जिसकी हमें सचमुच आवश्यकता होती है. यदि हम बिना किसी संघर्ष के सब कुछ पाने लगे तो हम भी एक अपंग के सामान हो जायेंगे. बिना परिश्रम और संघर्ष के हम कभी उतने मजबूत नहीं बन सकते जितना हमारी क्षमता है. इसलिए जीवन में आने वाले कठिन पलों को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखिये वो आपको कुछ ऐसा सीखा जायंगे जो आपकी ज़िन्दगी की उड़ान को सम्भव बना पायेंगे.

Toshi Dogra's photo.