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प्रयास में कमी नहीं


प्रयास में कमी नहीं

जंगल का राजा शेर बहुत बीमार हो गया। उसे लगा कि अब वह नहीं बचेगा। उसने एक बंदर को अपना उत्तराधिकारी बना दिया।

एक दिन उसके पास एक बकरी अपनी समस्या लेकर पहुंची। समस्या सुनने के बाद बंदर एक डाल से दूसरी डाल पर कूदने लगा। करीब एक घंटे तक कूदा-फांदी करने के बाद वह पेड़ से नीचे उतर आया।

बकरी ने उससे पूछा, ‘राजा जी इससे मेरी समस्या कैसे हल होगी?’

बंदर ने जवाब दिया, ‘हां समस्या तो हल नहीं होेगी, लेकिन मेरे प्रयासों में कोई कमी हो तो बताओ।’

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हाथी मेरे साथी


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हाथी मेरे साथी

एक महावत था जिसका एक हाथी काफी बुढा हो गया था .
महावत ने सोचा अब ये किसी काम का नहीं है , अगर इसे अभी नहीं बेचा तो इसका कोई दाम नहीं मिलेगा . ऐसा सोचकर वो उसे गाँव के पशु मेले में ले आया .
उसने हाथी को खूब साफ़ करके उसपर खूब सारा काला रंग और तेल लगा दिया . ये सब करने से हाथी जवान लगने लगा .
मेले में दूर दूर से लोग उस हाथी को देखने आते . कुछ रईश लोग उसको लेने के लिए भी उत्सुक दिखे .
महावत को अपनी तरकीब काम करती नज़र आ रही थी .

एक दिन हकीरा भी मेले में पहुचा . वो हाथी देखेते ही अपनी भौ सिकोड़ के खड़ा हो गया . वो हाथी को कभी आगे से कभी पीछे से देखता . महावत का तो जी आधा हो गया . उसको लगा – लगता हैं इस आदमी को पता चल गया है की हाथी बुढा है .

महावत दौड़ के हकीरा के पास आया , और झट से उसे ले के दूर चला गया . महावत ने एक सौ रूपये हकीरा को दिए और बोला – “चलो चलो ! रख लो .. और जाओ यहाँ से .. “
हकीरा ने कहा – “परन्तु मैं ये कह रहा था कि …”
महावत ने जल्दी से उसे वहा से और दूर ले जाके कहा – “हो गया ! जाओ भी ..”

हकीरा वहा से चला गया .

महावत ने पता लगाया तो पता चला की हकीरा उस गाँव का सबसे बुद्धिमान आदमी हैं .

दुसरे दिन हकीरा फिर से आया और लगा हाथी का मुआयना करने . कभी आगे से कभी पीछे से
. महावत दौड़ के हकीरा के पास आया , और झट से उसे ले के दूर चला गया . महावत ने इस बार पांच सौ रूपये हकीरा को दिए और बोला – “अरे भाई ! कोई बात नहीं … जाओ यहाँ से .. “
हकीरा कुछ कह पाता इसके पहले महावत ने उसे वहाँ से दूर कर दिया .

अगले दिन हकीरा फिर से आया और लगा हाथी का मुआयना करने . कभी आगे से कभी पीछे से .
महावत को बड़ा गुस्सा आया .
महावत (सबके सामने चिल्लाते हुए ) – क्या है ? क्या पता कर लिए तुम इस हाथी के बारे में ?
हल्ला गुल्ला सुन के लोगो की भीड़ लग गयी .
हकीरा – अरे जनाब मैं ये कह रहा था की इसका …
महावत (और जोर से चिल्लाते हुए ) – इसका क्या ? क्या इसका ? तुम यह कैसे कह सकते हो की ये हाथी बुढा है?
हकीरा – ऐसा है की .. मैं समझ नहीं पा रहा ….
महावत – अरे क्या समझ गए … क्या नहीं समझ पा रहे .. चलो मैंने माना की ये हाथी बुढा और बेकार है .. तो क्या … जाओ यार तुम्हारे गाँव में मुझे सौदा ही नहीं करना ..
लोगो के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रही . लोगो में कानाफूसी शुरू हो गयी .

हकीरा – मेरी बात तो सुनिए …
महावत (सर पर हाथ रख के बैठ गया ) – जाओ यहाँ से यार . मैं माँ गया तुम बहुत बुद्धिमान हो ..
हकीरा – मेरी बात तो सुनिए …
महावत – बोलो भाई ! बोलो !
हकीरा – मैं समझ नहीं पा रहा हूँ की इस जानवर की पूँछ आगे है या पीछे ..

महावत दीवाल पर सर पटकने लगा .

हकीरा ने पीछे से बोला – और हाँ . इसका मुंह तो है ही नहीं ??

महावत ने पलट के देखा और जोर से रोने लगा !!

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पत्थर प्रेमी


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पत्थर प्रेमी

दो भूविज्ञानिक दूर जंगल में सैंपल इकठ्ठा करने गए . दिन भर में दोनों ने छे बड़े पत्थर इकठ्ठा किये .
शाम को उनको जंगल से ले जाने हेलीकाप्टर आया . भूविज्ञानिक अपने पत्थर हेलीकाप्टर पर चढाने लगे .

हेलीकाप्टर के पायलट ने जब देखा की छे बड़े पत्थर है तो उसने उनको टोककर कहा – इतने सारे पत्थर .. इनका वज़न हेलीकाप्टर नहीं उठा सकता .. आप लोग इनमे से सिर्फ चार पत्थर ले जा सकते है .. दो यही छोड़ दो ..

भूविज्ञानिक – अरे इतना मेहनत करके जुटाए है … पिछले साल भी हमने इतने वज़न के पत्थर जुटा के हेलीकाप्टर पर चढ़ाया था ..

इस तरह ही दोनों बहस करते रहे . हेलीकाप्टर के पायलट ने सोचा चलो पिछले साल जब ले गए थे तो ठीक है . वो सारे छे के छे पत्थर ले जाने को रेडी हो गया .

जब हेलीकाप्टर उड़ा तो कुछ देर बाद नीचे आने लगा .. वज़न के कारण हेलीकाप्टर को पायलट ने जंगल में क्रेश लैंड करा दिया .. कुछ देर बाद पायलट और दोनों भूविज्ञानिक पेड़ पर लटके हुए थें …

पहला भूविज्ञानिक – क्यू भाई ! यहाँ की भूमि और वातावरण को देखकर आपको क्या लगता है .. हम कहा क्रेश लैंड हुए है ?

दूसरा भूविज्ञानिक – अब पक्का से ये बताना तो मुश्किल है , पर हाँ – यह लगभग वहि जगह हैं जहा पर हमारा हेलीकाप्टर पिछले साल क्रेश लैंड हुआ था …