Day: September 27, 2015
नींद
AAp
मरवा दिया पठान ने!
मरवा दिया पठान ने!
पठान अपनी बैलगाडी में अनाज के बोरे लादकर शहर ले जा रहा था। अभी गाँव से निकला ही था कि एक खड्डे में उसकी गाड़ी पलट गई। पठान गाड़ी को सीधी करने की कोशिश करने लगा। थोड़ी ही दूर पर एक पेड़ के नीचे बैठे एक राहगीर ने यह देखकर आवाज़ दी, “अरे भाई, परेशान मत हो, आ जाओ मेरे साथ पहले खाना खा लो फिर मैं तुम्हारी गाड़ी सीधी करवा दूंगा।”
पठान: धन्यवाद, पर मैं अभी नहीं आ सकता। मेरा दोस्त बशीर नाराज़ हो जायेगा।
राहगीर: अरे तुझसे अकेले नहीं उठेगी गाड़ी। तू आजा खाना खा ले फिर हम दोनों उठाएंगे।
पठान: नहीं, बशीर बहुत गुस्सा हो जायेगा।
राहगीर: अरे मान भी जाओ। आ जाओ तुम मेरे पास।
पठान: ठीक है आप कहते हैं तो आ जाता हूँ।
पठान ने जमकर खाना खाया फिर बोला, “अब मैं चलता हूँ गाड़ी के पास और आप भी चलिए। बशीर गुस्सा हो रहा होगा।”
राहगीर ने मुस्कुराते हुए कहा, “चलो पर तुम इतना डर क्यों रहे हो? वैसे अभी कहाँ होगा बशीर?”
पठान: गाड़ी के नीचे दबा हुआ है ।
कवि डाकू
MENU
कवि डाकू
एक कवि गरीबी से तंग आके डाकू बन गया .
डकैती करने वो बैंक गया और जाके सबके ऊपर पिस्तौल तान दिया और बोला
“अर्ज़ किया है …
तकदीर में जो हैं , वोही मिलेगा
तकदीर में जो है, वोही मिलेगा
..
..
हैंड्स उप ! अपनी जगह से कोई नहीं हिलेगा !!”
केशियर के पास जाके कहता है –
“अपने कुछ ख़्वाब मेरी आँखों से निकाल लो
अपने कुछ ख़्वाब मेरी आँखों से निकाल लो
..
..
जो कुछ भी तुम्हारे पास है जल्दी से इस बैग में डाल दो !!
”
जब वो बैंक लूट चूका था तो जाते जाते बोल के जाता है –
“भुला दे मुझे , क्या जाता है तेरा
भुला दे मुझे , क्या जाता है तेरा
..
..
मैं गोली मार दूंगा जो किसी ने पीछा किया मेरा !! “
विष्णु जी को ख़त
विष्णु जी को ख़त
एक बच्चे को साइकिल चाहिए थी . उसके मा बाप ने मना कर दिया तो वो उदास हो गया . फिर उसके दीमाग में एक ख्याल आया की क्यू नहीं वो भगवान् से साइकिल के पैसे मांग ले .
उसने एक लैटर लिखा और डाक खाने के डब्बे मैं दाल दिया .
“क्षीर सागर
वैकुण्ठ धाम
विष्णु जी को मेरा प्रणाम !
यु तो आपका दिया सबकुछ है
बस एक साइकिल की कमी है !!
अगर आप ५००० हज़ार भिजवा दे तो भक्त पर बड़ी कृपा होगी
आपका – बंटी “
जब डाक विभाग वालो को ये पत्र मिला तो उनको बहुत दुःख हुआ. सबने चंदा इकठ्ठा किया और चार हज़ार रूपये जमा कर उस लड़के को मनी आर्डर भिजवा दिया .
मनी आर्डर पाकर लड़का बहुत खुश हुआ .
एक हफ्ते बाद उसने फिर से एक पत्र लिखा – विष्णु जी के नाम .
“क्षीर सागर
वैकुण्ठ धाम
विष्णु जी को मेरा प्रणाम !
भगवन ! आपके भेजे हुए पैसे मिल गए , बहुत धन्यवाद्.
वैसे आपने तो पुरे पांच हज़ार भेजे होंगे , पर बेडा गर्क हो इन डाक विभाग वालों का . सालों ने हज़ार रूपये डकार लिए .
आपका – बंटी !
”