(^) जय राजपूताना (^)
======बैसवाडा(Baiswara) राज्य की स्थापना ======
मित्रों गत सप्ताह हमने बैस क्षत्रिय राजपूत वंश पर तीन पोस्ट की थी जिनमे प्रथम पोस्ट के माध्यम से हमने बैस वंश की उत्पत्ति,गोत्र प्रवर,शाखाओं, प्राचीन इतिहास,बैस राजपूतों द्वारा शासितप्राचीन एवं वर्तमान राज्यों आदि की जानकारी दी थी,
दूसरी पोस्ट के माध्यम से हमने सम्राट हर्षवर्धन को सप्रमाण बैस राजपूत वंशी सिद्ध करते हुए उनके शासनकाल की विभिन्न घटनाओ पर प्रकाश डाला था,
बैस वंश से सम्बन्धित तीसरी पोस्ट में हमने महाराजा त्रिलोकचंद बैस प्रथम के दुसरेपुत्र बिडारदेव के वंशज महाराजा सुहेलदेव बैस(भाले सुल्तान) की वीरता का वर्णन किया था कि किस प्रकार उन्होंने बहराइच के युद्ध में 17 राजपूत राजाओं का संघ बनाकर तुर्क हमलावर सैय्यद सलार मसूद गाजी को उसकी सेना सहित नष्ट कर दिया था.
आज बैस राजपूत वंश से सम्बंधित इस चौथी पोस्ट के माध्यम से हम बैस राजपूत वंश के मध्यकालीन इतिहास और बैसवाडा राज्य की स्थापना पर प्रकाश डालेंगे.
======================================
बैसवाडा—-
बैसवाडा की स्थापना महाराजा अभयचंद बैस द्वारा सन 1230 ईस्वी में की गई थी,बैसवाडा भौगोलिक क्षेत्र में आज प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश के रायबरेली,उन्नाव जिले आते हैं,समीपवर्ती जिलो सुल्तानपुर, बाराबंकी,लखनऊ,प्रतापगढ़,फतेहपुर आदि का कुछ हिस्सा भी बैसवाडा का हिस्सा माना जाता है.
बैसवाडा में आज भी बैस राजपूतो का प्रभुत्व है.इसकी अपनी विशिष्ट संस्कृति है जो इसे विशेस स्थान प्रदान करती है.
======================================
महाराजा अभयचंद बैस द्वारा बैसवाडा राज्य की स्थापना———
कन्नौज के बैसवंशी सम्राट हर्षवर्धन के बाद उनके वंशज कन्नौज के आस पास ही कई शक्तियों के अधीन सामन्तों के रूप में शाशन करते रहे।शम्भुनाथ मिश्र (बैस वंशावली 1752)के पृष्ठ संख्या 2 पर सम्राट हर्षवर्धन से लेकर 25 वी पीढ़ी में राव अभयचंद तक के वर्णन के अनुसार हर्षवर्धन से 24 वीं पीढ़ी में बैस सामंत केशव राय उर्फ़ गणेश राय ने मुहम्मद गोरी के विरुद्ध राजा जयचन्द की तरफ से चंदावर के युद्ध में भाग लिया। उनके पुत्र राव अभयचन्द ने उन्नाव,राय बरेली स्थित बैसवारा की स्थापना की। आज भी सबसे ज्यादा बैस राजपूत इसी बैसवारा क्षेत्र में निवास करते है। हर्षवर्धन से लेकर राव अभयचन्द तक 25 शासक/सामन्त हुए, जिनकी वंशावली इस प्रकार है-
1.हर्षवर्धन
2.यशकर्ण
3.रणशक्ति
4.धीरचंद
5.ब्रजकुमार
6.घोषचन्द
7.पूरनमल
8.जगनपति
9.परिमलदेव
10.मनिकचंद
11.कमलदेव
12.यशधरदेव
13.डोरिलदेव
14.कृपालशाह
15.रतनशाह
16.हिंदुपति
17.राजशाह
18.परतापशाह
19.रुद्रशाह
20.विक्रमादित्य
21-ताम्बेराय
22.क्षत्रपतिराव
23.जगतपति
24.गणेश राय उर्फ़ केशवराव
25.अभयचंद
इन्ही हर्षवर्धन के वंशज राव अभयचंद बैस ने सन 1230 के लगभग बैसवारा राज्य कि नीव रखी.
इस वंश को शालिवाहन के वंशज त्रिलोकचंद प्रथम का वंशज भी माना जाता है,जिन्होंने चौथी सदी के आसपास दिल्ली में भी राज्य स्थापित किया था,यह राज्य सन 640 के आसपास समाप्त हो गया था,हो सकता है थानेश्वरी बैस वंश का सम्बन्ध भी त्रिलोकचंद प्रथम से हो,क्योंकि दिल्ली और थानेश्वर में अधिक दूरी नही है.
हर्षवर्धन से 24 वीं पीढ़ी में लोहागंज के शासक केशव राय उर्फ़ गणेश राय ने मुहम्मद गोरी के विरुद्ध राजा जयचन्द की तरफ से चंदावर के युद्ध में भाग लिया और वीरगति को प्राप्त हुए,
इसके बाद उनके पुत्र निर्भयचंद और अभयचंद अपनी माता के साथ स्यालकोट पंजाब में
गुप्त रूप से रहने लगे,बड़े होने पर दोनों राजकुमार अपने प्राचीन प्रदेश में वापस आए,
सन 1230 के आसपास अर्गल के गौतमवंशी राजा पर कड़ा के मुसलमान सूबेदार ने हमला कर दिया,किन्तु गौतम राजा ने उसे परास्त कर दिया,कुछ समय बाद गौतम राजा की पत्नी गंगास्नान को गयी,वहां मुसलमान सूबेदार ने अपने सैनिको को रानी को पकड़ने भेजा,
यह देखकर रानी ने आवाज लगाई कि कोई क्षत्रिय है तो मेरी रक्षा करे,संयोग से दोनों बैस राजकुमार उस समय वहां उपस्थित थे,उन्होंने तुरंत वहां जाकर मुस्लिम सैनिको को मार भगाया.
रानी को बचाने के बाद निर्भयचंद तो अधिक घावो के कारण शीघ्र ही मृत्यु को प्राप्त हुए,किन्तु अभयचंद बच गया,
गौतम राजा ने अपनी पुत्री का विवाह अभयचन्द्र से कर दहेज़ में उसे गंगा से उत्तर दिशा में 1440 गाँव दिए,जहाँ अभयचंद ने बैस राज्य की नीव रखी,यही बैस राज्य आज बैसवाडा कहलाता है.
उस समय पूरा पूर्वी मध्य उत्तर प्रदेश कन्नौज नरेश जयचंद की प्रभुता को मानता था मगर उनकी हार के बाद इस क्षेत्र में अराजकता हो गई जिसका लाभ उठाकर भर जाति के सामंत स्वतंत्र हो गए,इन 1440 गाँव पर वास्तविक रूप से भर जाति का ही प्रभुत्व था जो गौतम राजा को कर नहीं देते थे,
अभयचंद और उनके वंशज कर्णराव,सिधराव(सेढूराव),पूर्णराव ने वीरता और चतुराई से भरो की शक्ति का दमन करके इस क्षेत्र में बड़ा राज्य कायम किया.और डोडियाखेडा को राजधानी बनाया.
पूर्णराव के बाद घाटमराव राजा बने जिन्होंने फिरोजशाह तुगलक के समय उसकी धर्मान्धता की नीति से ब्राह्मणों कि रक्षा की,
घाटमराव के बाद क्रमश: जाजनदेव,रणवीरदेव ,रोहिताश्व राजा हुए.
रोहिताश्व का शासनकाल 1404 से 1422 तक रहा,इनका शासन काल बैसवाडा में शौर्य युग के नाम से विख्यात है.इनके काल में खूब युद्ध हुए और शासन विस्तार हुआ,इन्होने मैनपुरी के चौहान राजा के निमन्त्रण पर वहां जाकर अहीर विद्रोहियों का दमन किया और मैनपुरी के आसपास भी गाँवो पर अधिकार कर लिया,उनका जौनपुर के शर्की सुल्तानों से भी संघर्ष हुआ,
रोहिताश्व पंजाब में एक युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए.
रोहिताश्व के बाद राव सातनदेव गद्दी पर बैठे,सन 1440 में जौनपुर के शर्की सुल्तान के हमले में ये काकोरी में वीरगति को प्राप्त हुए,उस समय उनकी पत्नी गर्भवती थी,डोडियाखेडा के रास्ते में उन्होंने एक पुत्र को जन्म दिया जो आगे चलकर महाराजा त्रिलोकचंद द्वित्य के नाम से प्रसिद्ध हुए.
====================================
महाराजा त्रिलोकचंद द्वित्य—–
महाराजा त्रिलोकचंद की माता मैनपुरी के चौहान राजा की पुत्री थी,डोडियाखेडा पर शर्की सुल्तान के हमले के बाद उसने अपने पुत्र को गुमनाम अवस्था में मैनपुरी में पाला,बडे होकर त्रिलोकचंद ने अपने पिता की मौत का बदला लेने का प्रण लिया,
उसमे अदबुध संगठन क्षमता थी,कुछ सैन्य मदद उनके नाना मैनपुरी के चौहान राजा ने की और त्रिलोकचंद ने सेना तैयार कर बैसवाडा क्षेत्र पर धावा बोल दिया और रायबरेली,हैदरगढ़, बाराबंकी,डोडियाखेडा,डलमऊ आदि पर अधिकार कर लिया,दिल्ली सल्तनत ने भी उसे शर्की सुल्तानों के विरुद्ध मदद दी जिससे त्रिलोकचंद ने शर्की सुल्तान को हराकर भगा दिया और बिहार जाकर उसकी मृत्यु हो गयी.
दिल्ली के लोदी सुल्तानों ने त्रिलोकचंद की इस बड़े बैसवाडा भूभाग पर अधिपत्य को मान लिया,महाराजा त्रिलोकचंद को उनकी उपलब्धियों के कारण अवध केसरी भी कहा जाता है,उन्ही के वंशज त्रिलोकचंदी बैस कहलाते हैं,
आगे चलकर मुगल सम्राट अकबर ने भी इस इलाके में बैस राजपूतों की शक्ति को देखते हुए उन्हें स्वायत्तता दे दी और बाद के मुगल सम्राटो ने भी यही निति जारी रखी.
लम्बे समय तक इस वंश ने डोडियाखेडा को राजधानी बनाकर बैसवाडा पर राज्य किया,किन्तु सन 1857 के गदर में भाग लेने के कारण अंग्रेजो ने अंतिम शासक बाबू रामबख्श सिंह को फांसी दे दी और इनका राज्य जब्त कर लिया,अभी गत वर्ष डोडियाखेडा के किले में जो खजाने की खोज में खुदाई चल रही थी वो इन्ही बाबू राव रामबख्श सिंह और बैस वंश के प्राचीन खजाने की खोज थी जो अभी तक पूरी नहीं हो पाई है.
इतिहासकार कनिंघम के अनुसार बैसवाडा के बैस राजपूत अवध क्षेत्र के सबसे समृद्ध और सम्पन्न परिवार ,सर्वोत्तम आवासों के स्वामी,सर्वोत्तम वेशभूषा के और सर्वाधिक साहसी समुदाय से हैं.
बैसवाडा के ही ताल्लुकदार राणा बेनीमाधव सिंह से मालगुजारी लेने की हिम्मत किसी में नहीं थी,आगे चलकर इन्ही राणा बेनीमाधव सिंह ने सन 1857 ईस्वी में ग़दर के दौरान जिस वीरता का प्रदर्शन किया उसका विवरण हम अलग से करेंगे.इसके बाद भी बैस राजपूतो ने स्वतंरता आन्दोलन में बढ़ चढ़कर भाग लिया,
जमीदारी उन्मूलन के समय रायबरेली जिले में 18 बैस ताल्लुकादार थे,जिनका वहां के बड़े भूभाग पर अधिकार था.
बैसवाडा का नामकरण बैस राजपूत वंश के प्रभुत्व के कारण हुआ है.दिल्ली दरबार यहाँ से काफी दूर था,इस कारण उनका यहाँ नाम मात्र का शासन था,जौनपुर का शर्की राजवंश सिर्फ 80 साल चला,अवध का नवाबी राज्य भी सिर्फ 125 साल तक चला जिसके कारण ये शासक बैसवाडा के बैस राजपूतो के प्रभुत्व पर कोई प्रभाव डालने में असफल रहे.
वस्तुत:बैसवाडा के बैस राजपूतो ने अपनी वीरता और योग्यता से इस क्षेत्र को समस्त भारतवर्ष में विशिस्ट स्थान प्रदान किया है.
=================================
सन्दर्भ—-
1-ठाकुर ईश्वर सिंह मढ़ाड कृत राजपूत वंशावली के प्रष्ठ संख्या 112-114
2-देवी सिंह मंडावा कृत राजपूत शाखाओं का इतिहास के पृष्ठ संख्या 67-74
3-महान इतिहासकार गौरिशंकर ओझा जी कृत राजपूताने का इतिहास के पृष्ठ संख्या154-162
4-श्री रघुनाथ सिंह कालीपहाड़ी कृत क्षत्रिय राजवंश के प्रष्ठ संख्या 78,79 एवं 368,369
5-डा देवीलाल पालीवाल कि कर्नल जेम्स तोड़ कृत राजपूत जातियों का इतिहास प्रष्ठ संख्या 182
6-ठाकुर बहादुर सिंह बीदासर कृत क्षत्रिय वंशावली एवं जाति भास्कर
7-http://kshatriyawiki.com/wiki/Bais
8-http://wakeuprajput.com/orgion_bais.php
==================================
सलंग्न चित्र में बैसवाडा का नक्शा और डोडियाखेडा का किला जहाँ गत वर्ष राजा रावरामबख्श
के खजाने की खोज की गई थी.
Mai madhyapradesh ke singrauli district se hu yaha baiswar smaj bahut bdi sankhaya me kripya iske bare me kuchh btaiye
LikeLike
I am Veerendra Singh Bais from Karsara Bharjuna
District Satna M.P.
For about details Baiswara in Daundiya kheda .
I proud so that We are Kshatriya of Baiswara.
LikeLiked by 1 person
कुछ इतिहास की और कुछ पुरानी किताबें संग्रह कर रहा हु।
सामाजिक सहयोग अपेक्षित है।
कुरियर या पोस्ट चार्ज मै दे दूंगा
LikeLike
बैस राजपूत मध्यप्रदेश में सतना जिले के जैतवारा तहसील मैं बांधी गांव मैं एक बड़ा प्रभुत्व है तथा बड़ी संख्या में बैस राजपूत है तथा कुछ वंश सतना जिले में रामपुर पंचायत के पथरहा ग्राम मे श्री ठाकुर महेश सिंह बैस का परिवार रहता है जो कि क्षेत्र में अपना प्रभुत्व फैलाए हुए है
LikeLike
मेरे पिताजी के अनुसार उमरिया जिला के अन्तर्गत #चंदीया के एक #बघेल ठाकुर साहब अपनी सहायता हेतु हमारे कुछ पूर्वजों को अपने साथ #डोडियाखेडा से चंदीया ले आए थे।
LikeLike
Kux pasi samaj ke log Raja satan ko pasi raja mante hai
Raja suheldev ko to pasi aur rajbhar dono apna bna chuke kux prakash daliye
LikeLike
मै मध्यप्रदेश के उमरिया जिला बांधवगढ़ के वार्ड नंबर 02 #लालपुर का निवासी हूं।
मेरे पिताजी के अनुसार उमरिया जिला के अन्तर्गत #चंदीया के एक #बघेल ठाकुर साहब अपनी सहायता हेतु हमारे कुछ पूर्वजों को अपने साथ #डोडियाखेडा चंदीया ले आए थे।
वहां 17 खाड़ी की जमीन भी दिए थे।
फिर उमरिया लालपुर के #सोलंकी ठाकुर अपने लालपुर ले आए जहां हमारा परिवार आज भी निवास कर रहा है।
आशा करता हूं कि जल्द ही कुछ सूचना मिलेगी। 08982695596
LikeLike
I am Dhirendra Singh though born and brought up in Kalyan-Maharashtra but our native place is a village called as Baisan ke Purva in Kalakankar U.P near Sthan.Can you highlight your opinion about how this village was inhibited here and who were the patriach to establish this village with tentative history date of their adobe here.
I will be glad to hear from you and to understand about my ancestors better.
Best Wishes,
DHIRENDRA SINGH
A TRILOKCHANDI BAIS
BAISAN KA PURVA-UP
LikeLike
Baisware ke Bare men adhik jankari ke liye apko Dr. Mohsin Atiuque ki kitab “A History of Bais Rajput” parhna chahiye.
LikeLike
Sir yeh book milega kaha ?
LikeLike
बैस बंश के इतिहास पर आधारित खोज एवं जानकारी हेतु धन्यवाद्।सोनपुर, बिहार के बैस सोना राय,केशो राय,रामा राय के बारे में कुछ बतावें।
LikeLike
Very very nice
LikeLike
Baiswara was may be a kingdom of Rajputs but contribution of Brahmins & Rajbhar including all the khetihar kisans its history would not have been so rich. Chandrashekhar Azad & Dr. Hajari Pd. Dwivedi are the lightbearers of Baiswara alongwith of course the great warriors like Raja Dal & RANA Beni Madho Singh, While talking of Baiswara do mention the contribution of all the great Purvaj.
LikeLike
Baiswara se nikal kr kuch bais rajput lalganj kuba Azamgarh chale gaye waha 80 viillage me bais rajput hai kuba,chauri ,belha .bais bahari rajput and bais bhitari rakput
LikeLike
Poorvajon ne Baiswara nirman ke liye jo sangharsh kiya use sahi parinam tak pahunchane ke liye ham Sabhi Baison ko ek bear sangathit hokar prayas karne KI zarurat hai, jo bhi bhai is post ko parhe, krapaya ek sanghathan taiyar Karen jo ki is disha mein prayas kare
LikeLike
Dhanyavad hamare purvajo ke sahashi avam prakrami itihaas ka varnan karne ke liye….
LikeLike
Hello Hi,
I am Prakash Singh Bais i am so happy for received Old History about Bais thakur i thank to all of you for it.
LikeLike
I have lots of ebooks on History
Request me If you want. and share your ebooks with me
harshad30@hotmail.com
LikeLike
Thanks for knowledge
LikeLike
I am rajbeer singh from Khalilabad now sant kabir nagar district. I am bais rajput . may I know the origin of Khalilabad bais rajput. My forefather says we are from pratapgarh district. Can you describe it.
LikeLike
Thanks Rajbeer… Sword of Bharat
LikeLike
वैश राजपूत मे कौशिक गोत्र के बारे मे बताये। कुल देवी बनी मईया है।
LikeLike
खलीलाबाद में वैस रातपूत के कई गाँव हैं जो कि वैसवारे के अलग अलग जगह से संबंध रखते हैं । वैसवारा रायबरेली और उन्नाव जिले के बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है ।वैस राजपूत यहीं से उत्तर प्रदेश तथा बिहार तक गए हैं।ये लव के संतान हैं । इनका वंश सूर्यवंश है । परंतु कुछ लोग अज्ञानता बश चंद्रबंशी कहते हैं।शायद इसका कारण यह है कि कई पूर्वजों के नाम के साथ चंद लगा है जो कि नाम का ही भाग है।
LikeLiked by 1 person
Rajbeer actually Pratapgarh is very close to Lalganj ( Baiswara) & it may be possible that due to some natural migration or some calamiities like Plague ( It was quite prevalent in this area about 100 yrs ago) , they might had shifted to nearby riyasat like kala kankar onway to Prayag.
LikeLike
अतुल्य बैसवारा !
LikeLiked by 1 person
Mahan bhoomi baiswara
LikeLiked by 1 person
I am Ravindrasigh Shivnarayansingh Bais working as Executive Engineer , P W D Maharashtra. We are originaly migrated from Daundiya Kheda u p. I appriciate your work. Please do something to unite all Bais Rajputs and all rajputs. Make one list of all rajputs with their family history at one place which can be modified from time to time.
LikeLike
Pl. read some other books about Bais kshatriya. Raibareli Gazetteers, Unnao Gazetteers & Fatehpur Gazetteers., Gazetteers of Province of Awadh, A sketch of family histry of Rana Khajoorgavn., A report on the family history of the chief Clans of Raibarili district. Etc.
LikeLike
Mujhe bais Kshatriya Rajput ka book kaha milega
LikeLike
For detail about Baiswada history pl. read ” Baiswada Ka Itihas” research paper & written by Dr. Vasudev Singh M.A. Ph. D., Total Pages 364+12 plates photo
Price Rs.250/- Publisher & available at Baiswada Sahityik Sanskritik Shodh avam
Vikas Parishad Vill.& Post. Chain Pur near Bhagwantnagar Distt. UNNAO U.P. PIN 229504 Mob. No.09415533155 of Shri Mohan Singh S/O Late Shri Dr. Vasudev singh
LikeLike
For detail about Baiswada history pl. read ” Baiswada Ka Itihas” research paper & written by Dr. Vasudev Singh M.A. Ph. D., Total Pages 364+12 plates photo
Price Rs.250/- Publisher & available at Baiswada Sahityik Sanskritik Shodh avam
Vikas Parishad Vill.& Post. Chain Pur near Bhagwantnagar Distt. UNNAO U.P. PIN 229504 Mob. No.09415533155 of Shri Mohan Singh S/O Late Shri Vasudev singh
LikeLiked by 1 person