Posted in Uncategorized

मनुस्मृति पर लगाये जाने वाले तीन मुख्य आक्षेप :


मनुस्मृति पर लगाये जाने वाले तीन मुख्य आक्षेप

नयनो के अश्रुओ का पानी निर्झर बह गया

१. मनु ने जन्म के आधार पर जातिप्रथा का निर्माण किया |
२. मनु ने शूद्रों के लिए कठोर दंड का विधान किया और ऊँची जाति खासकर ब्राह्मणों के लिए विशेष प्रावधान रखे |
३. मनु नारी का विरोधी था और उनका तिरस्कार करता था | उसने स्त्रियों के लिए पुरुषों से कम अधिकार का विधान किया |
मनुस्मृति और जाति व्यवस्था :
मनुस्मृति उस काल की है जब जन्मना जाति व्यवस्था के विचार का भी कोई अस्तित्व नहीं था | अत: मनुस्मृति जन्मना समाज व्यवस्था का कहीं भी समर्थन नहीं करती | महर्षि मनु ने मनुष्य के गुण- कर्म – स्वभाव पर आधारित समाज व्यवस्था की रचना कर के वेदों में परमात्मा द्वारा दिए गए आदेश का ही पालन किया है (देखें – ऋग्वेद-१०.१०.११-१२, यजुर्वेद-३१.१०-११, अथर्ववेद-१९.६.५-६) |
यह वर्ण व्यवस्था है | वर्ण शब्द “वृञ” धातु से बनता है जिसका मतलब है चयन या चुनना और सामान्यत: प्रयुक्त शब्द…

View original post 750 more words

Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

चट्टान सी दिखने वाली समस्या एक छोटे से पत्थर के समान दिखने लगेगी


चट्टान सी दिखने वाली समस्या एक छोटे से पत्थर के समान दिखने लगेगी

एक किसान था. उसके खेत में एक पत्थर का एक हिस्सा ज़मीन से ऊपर निकला हुआ था जिससे ठोकर खाकर वह कई बार गिर चुका था और कितनी ही बार उससे टकराकर खेती के औजार भी टूट चुके थे.
रोजाना की तरह आज भी वह सुबह-सुबह खेती करने पहुंचा और इस बार वही हुआ, किसान का हल पत्थर से टकराकर टूट गया. किसान क्रोधित हो उठा, और उसने निश्चय किया कि आज जो भी हो जाए वह इस चट्टान को ज़मीन से निकाल कर इस खेत के बाहर फ़ेंक देगा.

वह तुरंत गाँव से ४-५ लोगों को बुला लाया और सभी को लेकर वह उस पत्त्थर के पास पहुंचा और बोल, ” यह देखो ज़मीन से निकले चट्टान के इस हिस्से ने मेरा बहुत नुक्सान किया है, और आज हम सभी को मिलकर इसे आज उखाड़कर खेत के बाहर फ़ेंक देना है.” और ऐसा कहते ही वह फावड़े से पत्थर के किनार वार करने लगा, पर यह क्या ! अभी उसने एक-दो बार ही मारा था कि पूरा-का पूरा पत्थर ज़मीन से बाहर निकल आया. साथ खड़े लोग भी अचरज में पड़ गए और उन्ही में से एक ने हँसते हुए पूछा , “क्यों भाई , तुम तो कहते थे कि तुम्हारे खेत के बीच में एक बड़ी सी चट्टान दबी हुई है , पर ये तो एक मामूली सा पत्थर निकला ??”

किसान भी आश्चर्य में पड़ गया सालों से जिसे वह एक भारी-भरकम चट्टान समझ रहा था दरअसल वह बस एक छोटा सा पत्थर था ! उसे पछतावा हुआ कि काश उसने पहले ही इसे निकालने का प्रयास किया होता तो ना उसे इतना नुकसान उठाना पड़ता और ना ही दोस्तों के सामने उसका मज़ाक बनता .

हम भी कई बार ज़िन्दगी में आने वाली छोटी-छोटी बाधाओं को बहुत बड़ा समझ लेते हैं और उनसे निपटने की बजाय तकलीफ उठाते रहते हैं. ज़रुरत इस बातकी है कि हम बिना समय गंवाएं उन मुसीबतों से लडें , और जब हम ऐसा करेंगे तो कुछ ही समय में चट्टान सी दिखने वाली समस्या एक छोटे से पत्थर के समान दिखने लगेगी जिसे हम आसानी से हल पाकर आगे बढ़ सकते हैं l

Posted from WordPress for Android

Posted in भारतीय मंदिर - Bharatiya Mandir

क्या आप जानते हैं कि… सनातन धर्म में …. आरती अथवा कीर्तन करते समय तालियां क्यों बजाई जाती है…?????


क्या आप जानते हैं कि…  सनातन धर्म में …. आरती अथवा कीर्तन करते समय तालियां क्यों बजाई जाती है…?????

क्योंकि… हम अक्सर ही यह देखते है कि….. जब भी आरती अथवा कीर्तन होता है….. तो, उसमें सभी लोग तालियां जरुर बजाते है….!

लेकिन, हम में से अधिकाँश लोगों को यह नहीं मालूम होता है कि…. आखिर यह तालियां बजाई क्यों जाती है….?????

इसीलिए…. हम से अधिकाँश लोग बिना कुछ जाने-समझे ही…. तालियां बजाया करते हैं….. क्योंकि, हम अपने बचपन से ही अपने बाप-दादाओं को ऐसा करते देखते रहे हैं…!
साथ ही…. आपको यह जानकार काफी हैरानी होगी कि….

आरती अथवा कीर्तन में ताली बजाने की प्रथा बहुत पुरानी है… और, श्रीमद्भागवत के अनुसार कीर्तन में ताली की प्रथा श्री प्रह्लाद जी ने शुरू की थी…. क्योंकि, जब वे भगवान का भजन करते थे…. तो, जोर-जोर से नाम संकीर्तन भी करते थे….. तथा, साथ-साथ ताली भी बजाते थे…!

और, हमारी आध्यात्मिक मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि…..

जिस प्रकार व्यक्ति अपने बगल में कोई वस्तु छिपा ले …और, यदि दोनों हाथ ऊपर करे तो वह वस्तु नीचे गिर जायेगी….

ठीक उसी प्रकार…… जब हम दोनों हाथ ऊपर उठकर ताली बजाते है… तो, जन्मो से संचित पाप जो हमने स्वयं अपने बगल में दबा रखे है, नीचे गिर जाते हैं अर्थात नष्ट होने लगते है…!

कहा तो यहाँ तक जाता है कि…. जब हम संकीर्तन (कीर्तन के समय हाथ ऊपर उठा कर ताली बजाना) में काफी शक्ति होती है …. और, हरिनाम संकीर्तन से …. हमारे हाथो की रेखाएं तक बदल जाती है…!!

परन्तु…. यदि हम आध्यात्मिकता की बात को थोड़ी देर के छोड़ भी दें तो…..

एक्यूप्रेशर सिद्धांत के अनुसार…… मनुष्य को हाथों में पूरे शरीर के अंग व प्रत्यंग के दबाव बिंदु होते हैं, जिनको दबाने पर सम्बंधित अंग तक खून व ऑक्सीजन का प्रवाह पहुंचने लगता है… और, धीरे-धीरे वह रोग ठीक होने लगता है….!

और, यह जानकार आप सभी को बेहद ख़ुशी मिश्रित आश्चर्य होगा कि….इन सभी दबाव बिंदुओं को दबाने का सबसे सरल तरीका होता है ताली…!

असल में…… ताली दो तीन प्रकार से बजायी जाती है:-

1.- ताली में बाएं हाथ की हथेली पर दाएं हाथ की चारों अंगुलियों को एक साथ तेज दबाव के साथ इस प्रकार मारा जाता है कि ….दबाव पूरा हो और आवाज अच्छी आए…!

इस प्रकार की ताली से बाएं हथेली के फेफड़े, लीवर, पित्ताशय, गुर्दे, छोटी आंत व बड़ी आंत तथा दाएं हाथ की अंगुली के साइनस के दबाव बिंदु दबते हैं… और, इससे इन अंगों तक खून का प्रवाह तीव्र होने लगता है..!

इस प्रकार की ताली को तब तक बजाना चाहिए….. जब तक कि, हथेली लाल न हो जाए…!

इस प्रकार की ताली कब्ज, एसिडिटी, मूत्र, संक्रमण, खून की कमी व श्वांस लेने में तकलीफ जैसे रोगों में लाभ पहुंचाती है|

2.- थप्पी ताली…. ताली में दोनों हाथों के अंगूठा-अंगूठे से कनिष्का-कनिष्का से तर्जनी-तर्जनी से यानी कि सभी अंगुलियां अपने समानांतर दूसरे हाथ की अंगुलियों पर पड़ती हो, हथेली-हथेली पर पड़ती हो..!

इस प्रकार की ताली की आवाज बहुत तेज व दूर तक जाती है…!

एवं, इस प्रकार की ताली कान, आंख, कंधे, मस्तिष्क, मेरूदंड के सभी बिंदुओं पर दबाव डालती है…!

इस ताली का सर्वाधिक लाभ फोल्डर एंड सोल्जर, डिप्रेशन, अनिद्रा, स्लिप डिस्क, स्पोगोलाइसिस, आंखों की कमजोरी में पहुंचता है..!

एक्यूप्रेशर चिकित्सकों की राय में इस ताली को भी तब तक बजाया जाए…. जब तक कि हथेली लाल न हो जाए..!

3.- ग्रिप ताली – इस प्रकार की ताली में सिर्फ हथेली को हथेली पर ही इस प्रकार मारा जाता है कि …वह क्रॉस का रूप धारण कर ले. इस ताली से कोई विशेष रोग में लाभ तो नहीं मिलता है, लेकिन यह ताली उत्तेजना बढ़ाने का कार्य करती है…!

इस ताली से अन्य अंगों के दबाव बिंदु सक्रिय हो उठते हैं… तथा, यह ताली सम्पूर्ण शरीर को सक्रिय करने में मदद करती है…!

यदि इस ताली को तेज व लम्बा बजाया जाता है तो शरीर में पसीना आने लगता है …जिससे कि, शरीर के विषैले तत्व पसीने से बाहर आकर त्वचा को स्वस्थ रखते हैं|

और तो और…..

ताली बजाने से न सिर्फ रोगों से रक्षा होती है, बल्कि कई रोगों का इलाज भी हो जाता है…!

जिस तरह…. कोई ताला खोलने के लिए चाबी की आवश्यकता होती है …ठीक उसी तरह…. कई रोगों को दूर करने में यह ताली…. ना सिर्फ चाभी का ही काम नहीं करती है….बल्कि, कई रोगों का ताला खोलने वाली होने से इसे “”मास्टर चाभी”” भी कहा जा सकता है|

क्योंकि… हाथों से नियमित रूप से ताली बजाकर कई रोग दूर किए जा सकते हैं… एवं, स्वास्थ्य की समस्याओं को सुलझाया जा सकता है…!

इस तरह…. ताली दुनिया का सर्वोत्तम एवं सरल सहज योग है ….और, यदि प्रतिदिन यदि नियमित रूप से 2 मिनट भी तालियां बजाएं ….तो, फिर किसी हठयोग या आसनों की जरूरत नहीं होती है..!
अंत में इतना ही कहूँगा कि….. हम को गर्व करना चाहिए कि…. जो बातें हम आज के आधुनिकतम तकनीक के बाद भी ठीक से समझ नहीं पाते हैं….

उस एक्यूप्रेशर के प्रभाव एवं दुष्प्रभावों को….. हमारे पूर्वज ऋषि-मुनि हजारों-लाखों लाख पहले ही जान गए थे….!

परन्तु…. चूँकि…. हर किसी को बारी-बारी ….शारीरिक संरचना की इतनी गूढ़ बातें ….. समझानी संभव नहीं थी….

इसलिए, हमारे पूर्वजों ने इसे एक परंपरा का रूप दे दिया…… ताकि, उनके आने वाले वंशज …. सदियों तक उनके इन अमूल्य खोज का लाभ उठाते रहे…!

Posted from WordPress for Android

Posted in हिन्दू पतन

अगर हिंदू धर्म बुरा है :-



Jarur padhe

अगर हिंदू धर्म बुरा है :-

(1) तो क्यो
“नासा-के-वैज्ञानीको”
       ने माना की
     🌞सूरज🌞
            से
       “”
          ” ॐ ”
      ”  ”
की आवाज निकलती है? 🇮🇳

(2) क्यो ‘अमेरिका’ ने
    🇮🇳 “भारतीय – देशी – गौमुत्र” 🐄🐂 पर
            4 Patent लिया ,
व,
कैंसर और दूसरी बिमारियो के
लिये दवाईया बना रहा है ?
जबकी हम
       ” 🐂 गौमुत्र 🐄 ”
             का महत्व
हजारो साल पहले से जानते है, 🇮🇳

(3) क्यो अमेरिका के
‘सेटन-हाल-यूनिवर्सिटी’ मे
       📚 “गीता” 📔
 पढाई जा रही है? 🇮🇳

(4) क्यो इस्लामिक देश  ‘इंडोनेशिया’.       के Aeroplane का नाम
“भगवान नारायण के वाहन गरुड” के नाम पर  “Garuda Indonesia”  है, जिसमे  garuda  का symbol भी है? 🇮🇳

(5) क्यो इंडोनेशिया के
      रुपए पर 
“भगवान गणेश” 
  की फोटो है? 🇮🇳

(6) क्यो  ‘बराक-ओबामा’  हमेशा अपनी जेब मे
    “हनुमान-जी” 
की फोटो रखते है? 🇮🇳

(7) क्यो आज
         पूरी दुनिया 
😇 “योग-प्राणायाम” 
      की दिवानी है? 🇮🇳

(8) क्यो 
🇮🇳🚩”भारतीय-हिंदू-वैज्ञानीको”🚩🇮🇳
                           ने
            ‘ हजारो साल पहले ही ‘ 
                  बता दिया  की
            🌏 धरती गोल है ? 🌍
                         🇮🇳

(9) क्यो जर्मनी के Aeroplane का
    🇮🇳 संस्कृत-नाम 🇮🇳
  ”Luft-hansa” 
                है ?
                🇮🇳

(10) क्यो हिंदुओ के नाम पर  ‘अफगानिस्थान’  के पर्वत का नाम
      “हिंदूकुश”  है? 🇮🇳

(11) क्यो हिंदुओ के नाम पर
      🇮🇳  हिंदी भाषा,
      🇮🇳  हिन्दुस्तान,
      🇮🇳  हिंद महासागर
      ये सभी नाम है?

(12) क्यो  ‘वियतनाम देश’  मे
   “Visnu-भगवान”  की
4000-साल पुरानी मूर्ति पाई
गई? 🇮🇳

(13) क्यो अमेरिकी-वैज्ञानीक
                 Haward ने,
            शोध के बाद माना –
                        की 
                      
 “गायत्री मंत्र मे  ” 110000 freq ” 
                    
                   के कंपन है?
                         🇮🇳

(14) क्यो  ‘बागबत की बडी मस्जिद के इमाम’ 
          ने
     📔”सत्यार्थ-प्रकाश” 📚
 पढने के बाद हिंदू-धर्म अपनाकर,
        “महेंद्रपाल आर्य”  बनकर,
हजारो मुस्लिमो को हिंदू बनाया,
       और वो कई-बार 
      ‘जाकिर-नाईक’ से
  Debate के लिये कह चुके है,
मगर जाकिर की हिम्म्त नही हुइ, 🇮🇳

(15) अगर हिंदू-धर्म मे 
       “यज्ञ” 
            करना
       अंधविश्वास है,
तो ,
क्यो  ‘भोपाल-गैस-कांड’   मे,
जो    “कुशवाह-परिवार”  एकमात्र बचा,
जो उस समय   यज्ञ   कर रहा था, 🇮🇳

(16) ‘गोबर-पर-घी जलाने से’
”१०-लाख-टन आक्सीजन गैस” 
                      बनती है,
                        🇮🇳

(17) क्यो “Julia Roberts”
(American actress and producer)
                     ने
🇮🇳🚩हिंदू-धर्म 🚩🇮🇳
            अपनाया और
              वो हर रोज
           “मंदिर”
                जाती है,
                  🇮🇳

         🇮🇳 (18) 🇮🇳
               अगर 
🚩”रामायण” 🚩
              झूठा है,
तो क्यो दुनियाभर मे केवल
            “राम-सेतू”
के ही पत्थर आज भी तैरते है?
                🇮🇳

(19) अगर  “महाभारत”  झूठा है,
तो क्यो भीम के पुत्र ,
       ”घटोत्कच”
का विशालकाय कंकाल,
      वर्ष 2007 में
‘नेशनल-जिओग्राफी’ की टीम ने,
‘भारतीय-सेना की सहायता से’
उत्तर-भारत के इलाके में खोजा? 🇮🇳

(20) क्यो अमेरिका के सैनिकों को,
अफगानिस्तान (कंधार) की एक
गुफा में ,
5000 साल पहले का,
महाभारत-के-समय-का
       “विमान”  
      मिला है? 🇮🇳

ये जानकारिया आप खुद google मे search कर
सकते है . …..
Plz aapke sabhi group me send kare plz

Posted from WordPress for Android

Posted in हिन्दू पतन

देश में चल रहे गुप्त षड्यंत्र को समझने के लिए कृपया पांच मिनट हमें दीजिए……


देश में चल रहे गुप्त षड्यंत्र को समझने के लिए कृपया पांच मिनट हमें दीजिए……
लेख से पहले आपको एक सच्ची कहानी सुनाना चाहता हूँ।
हमारे देश में एक महान वैज्ञानिक हुए हैं प्रो. श्री जगदीश चन्द्र बोस। भारत को और हम भारत वासियों को उन पर बहुत गर्व है। इन्होने सबसे पहले अपने शोध से यह निष्कर्ष निकाला कि मानव की तरह पेड़ पौधों में भी भावनाएं होती हैं। वे भी हमारी तरह हँसते खिलखिलाते और रोते हैं। उन्हें भी सुख दुःख का अनुभव होता है। श्री बोस के इस अनुसंधान की तरह इसकी कहानी भी बड़ी दिलचस्प है…..
श्री बोस ने शोध के लिये कुछ गमले खरीदे और उनमे कुछ पौधे लगाए। अब इन्होने गमलों को दो भागों में बांटकर आधे घर के एक कोने में तथा शेष को किसी अन्य कोने में रख दिया। दोनों को नियमित रूप से पानी दिया, खाद डाली। किन्तु एक भाग को श्री बोस रोज़ गालियाँ देते कि तुम बेकार हो, निकम्मे हो, बदसूरत हो, किसी काम के नहीं हो, तुम धरती पर बोझ हो, तुम्हे तो मर जाना चाहिए आदि आदि। और दूसरे भाग को रोज़ प्यार से पुचकारते, उनकी तारीफ़ करते, उनके सम्मान में गाना गाते। मित्रों देखने से यह घटना साधारण सी लगती है। किन्तु इसका प्रभाव यह हुआ कि जिन पौधों को श्री बोस ने गालियाँ दी वे मुरझा गए और जिनकी तारीफ़ की वे खिले खिले रहे, पुष्प भी अच्छे दिए……
तो मित्रों इस साधारण सी घटना से बोस ने यह सिद्ध कर दिया कि किस प्रकार से गालियाँ खाने के बाद पेड़ पौधे नष्ट हो गए। अर्थात उनमे भी भावनाएं हैं…..
मित्रों, जब निर्जीव से दिखने वाले सजीव पेड़ पौधों पर अपमान का इतना दुष्प्रभाव पड़ता है तो मनुष्य सजीव सदेह का क्या होता होगा??….

वही आज तक हमारे भारत देश का हो रहा है…..
500 -700 वर्षों से हमें यही सिखाया पढाया जा रहा है कि तुम बेकार हो, खराब हो, तुम जंगली हो, तुम तो हमेशा लड़ते रहते हो, तुम्हारे अन्दर सभ्यता नहीं है, तुम्हारी कोई संस्कृति नहीं है, तुम्हारा कोई दर्शन नहीं है, तुम्हारे पास कोई गौरवशाली इतिहास नहीं है, तुम्हारे पास कोई ज्ञान विज्ञान नहीं है, आदि आदि….
मित्रों, अंग्रेजों के एक एक अधिकारी भारत आते गए और भारत व भारत वासियों को कोसते गए। अंग्रेजों से पहले ये गालियाँ हमें फ्रांसीसी देते थे और फ्रांसीसियों से पहले ये गालियाँ हमें पुर्तगालियों ने दीं। इसी क्रम में लॉर्ड मैकॉले का भी भारत में आगमन हुआ। किन्तु मैकॉले की नीति कुछ अलग थी। उसका विचार था कि एक एक अंग्रेज़ अधिकारी भारतवासियों को कब तक कोसता रहेगा? कुछ ऐसी परमानेंट व्यवस्था करनी होगी कि हमेशा भारत वासी खुद को नीचा ही देखें और हीन भावना से ग्रसित रहें…..
इसलिए उसने जो व्यवस्था दी उसका नाम रखा Education System. सारा सिस्टम उसने ऐसा रचा कि भारत वासियों को केवल वह सब कुछ पढ़ाया जाए जिससे वे हमेशा गुलाम ही रहें। और उन्हें अपने धर्म संस्कृती से घृणा हो जाए। इस शिक्षा में हमें यहाँ तक पढ़ाया कि भारत वासी सदियों से गौमांस का भक्षण कर रहे हैं। अब आप ही सोचे कि यदि भारत वासी सदियों से गाय का मांस खाते थे तो आज के हिन्दू ऐसा क्यों नहीं करते? और इनके द्वारा दी गयी सबसे गंदी गाली यह है कि हम भारत वासी आर्य बाहर से आये थे। आर्यों ने भारत के मूल द्रविड़ों पर आक्रमण करके उन्हें दक्षिण तक खदेड़ दिया और सम्पूर्ण भारत पर अपना कब्ज़ा ज़मा लिया। और हमारे देश के वामपंथी चिन्तक आज भी इसे सच साबित करने के प्रयास में लगे हैं…..
इतिहास में हमें यही पढ़ाया गया कि कैसे एक राजा ने दूसरे राजा पर आक्रमण किया?? इतिहास में केवल राजा ही राजा हैं, प्रजा नदारद है, हमारे ऋषि मुनि नदारद हैं। और राजाओं की भी बुराइयां ही हैं, अच्छाइयां गायब हैं। आप जरा सोचे कि अगर इतिहास में केवल युद्ध ही हुए तो भारत तो हज़ार साल पहले ही ख़त्म हो गया होता. और राजा भी कौन कौन से गजनी, तुगलक, ऐबक, लोदी, तैमूर, बाबर, अकबर, सिकंदर??, जो भारतीय थे ही नहीं। राजा विक्रमादित्य, चन्द्रगुप्त, महाराणा प्रताप, पृथ्वीराज चौहान सभी के सभी गायब हैं। इनका ज़िक्र तो इनके आक्रान्ता के सम्बन्ध में आता है। जैसे सिकंदर की कहानी में चन्द्रगुप्त का नाम है। चन्द्रगुप्त का कोई इतिहास नहीं पढ़ाया गया। और यह सब आज तक हमारे पाठ्यक्रमों में है…..

इसी प्रकार अर्थशास्त्र का विषय है। आज भी अर्थशास्त्र में पीएचडी करने वाले बड़े बड़े विद्वान् विदेशी अर्थशास्त्रियोंको ही पढ़ते हैं। भारत का सबसे बड़ा अर्थशास्त्री चाणक्य तो कही है ही नहीं। उनका एक भी सूत्र किसी स्कूल में भी बच्चों को नहीं पढ़ाया जाता। जबकि उनसे बड़ा अर्थशास्त्री तो पूरी दुनिया में कोई नहीं हुआ…..
दर्शन शास्त्र में भी हमें भुला दिया गया। आज भी बड़े बड़े दर्शन शास्त्री अरस्तु, सुकरात, देकार्ते को ही पढ़ रहे हैं, जिनका दर्शन भारत के अनुसार जीरो है। अरस्तु और सुकरात का तो ये कहना था कि स्त्री के शरीर में आत्मा नहीं होती वह किसी वस्तु के समान ही है, जिसे जब चाहा बदला जा सकता है….
आपको पता होगा कि 1950 तक अमरीका और यूरोप के देशों में स्त्री को वोट देने का अधिकार नहीं था। आज से 20-25 साल पहले तक अमरीका और यूरोप में स्त्री को बैंक अकाउंट खोलने का अधिकार नहीं था। साथ ही साथ अदालत में तीन स्त्रियों की गवाही एक पुरुष के बराबर मानी जाती थी। इसी कारण वहां सैकड़ों वर्षों तक नारी मुक्ति आन्दोलन चला तब कहीं जाकर आज वहां स्त्रियों को कुछ अधिकार मिले हैं। जबकि भारत में नारी को सम्मान का दर्जा दिया गया। हमारे भारत में किसी विवाहित स्त्री को श्रीमति कहते हैं। कितना सुन्दर शब्द हैं, श्रीमती जिसमे दो देवियों का निवास है। श्री होती है लक्ष्मी और मति यानी बुद्धि अर्थात सरस्वती। हम औरत में लक्ष्मी और सरस्वती का निवास मानते हैं। किन्तु फिर भी हमारे प्राचीन आचार्य दर्शन शास्त्र से गायब हैं। हमारा दर्शन तो यह कहता है कि पुरुष को सभी शक्तियां अपनी माँ के गर्भ से मिलती हैं और हम शिक्षा ले रहे हैं उस आदमी की जो यह मानता है कि नारी में आत्मा ही नहीं है……

चिकत्सा के क्षेत्र में महर्षि चरक, शुषुक, धन्वन्तरी, शारंगधर, पातंजलि सब गायब हैं और पता नहीं, कौन कौन से विदेशी डॉक्टर के नाम हमें रटाये जाते हैं?? आयुर्वेद, जो न केवल चिकित्सा शास्त्र है, अपितु जीवन शास्त्र है. वह आज पता नहीं, चिकित्सा क्षेत्र में कौनसे पायदान पर आता है??….

बच्चों को स्कूल में गणित में घटाना सिखाते समय जो प्रश्न दिया जाता है. वह कुछ इस प्रकार होता है-
पापा ने तुम्हे दस रुपये दिए, जिसमे से पांच रुपये की तुमने चॉकलेट खा ली तो बताओ तुम्हारे पास कितने रुपये बचे?
यानी बच्चों को घटाना सिखाते समय चॉकलेट कम्पनी का उपभोगता बनाया जा रहा है। हमारी अपनी शिक्षा पद्धति में यदि घटाना सिखाया जाता तो प्रश्न कुछ इस प्रकार का होता-
पिताजी ने तुम्हे दस रुपये दिए जिसमे से पांच रुपये तुमने किसी गरीब लाचार को दान कर दिए तो बताओ तुम्हारे पास कितने रुपये बचे??….
जब बच्चा बार बार इस प्रकार के सवालों के हल ढूंढेगा तो उसके दिमाग में कभी न कभी यह प्रश्न जरूर आएगा कि दान क्या होता है? दान क्यों करना चाहिए?? दान किसे करना चाहिए आदि आदि??? इस प्रकार बच्चे को दान का महत्त्व पता चलेगा। किन्तु चॉकलेट खरीदते समय बच्चा यही सोचेगा कि चॉकलेट कौनसी खरीदूं कैडबरी या नेस्ले??….
अर्थ साफ़ है यह शिक्षा पद्धति हमें नागरिक नहीं बना रही, बल्कि किसी बहुराष्ट्रीय कम्पनी का उपभोक्ता बना रही है। और उच्च शिक्षा के द्वारा हमें किसी विदेशी यूनिवर्सिटी का उपभोक्ता बनाया जा रहा है या किसी विदेशी कम्पनी का नौकर…..
अधिकांश भारतीय प्रतिभाओं ने अपनी इंजीनियरिंग, मेडिकल आदि की पढ़ाई में कभी यह नहीं सीखा कि कैसे वे अपने तकनीकी ज्ञान से भारत के कुछ काम आ सके, बल्कि यह सीखा कि कैसे वे किसी Multi National Company में नौकरी पा सके??, या किसी विदेशी यूनिवर्सिटी में दाखिला ले सके??……
तो मित्रों, सदियों से हमें वही सब पढ़ाया गया कि हम कितने अज्ञानी हैं?, हमें तो कुछ आता जाता ही नहीं था, ये तो भला हो अंग्रेजों का कि इन्होने हमें ज्ञान दिया, हमें आगे बढ़ना सिखाया आदि आदि। यही विचार ले कर लॉर्ड मैकॉले भारत आया. जिसे तो यह विश्वास था कि स्त्री में आत्मा नहीं होती और वह हमें शिक्षा देने चल पड़ा। हम भारत वासी, जो यह मानते हैं कि नारी में देवी का वास है, उसे मैकॉले की इस विनाशकारी शिक्षा की क्या आवश्यकता है??…..
हमारे प्राचीन ऋषियों ने तो यह कहा था कि दुनिया में सबसे पवित्र नारी है और पुरुष में पवित्रता इसलिए आती है. क्योंकि उसने नारी के गर्भ से जन्म लिया है। जो शिक्षा मुझे मेरी माँ से जोडती है, उस शिक्षा को छोड़कर मुझे एक ऐसी शिक्षा अपनानी पड़ी, जिसे मेरी माँ समझती भी नहीं। हम तो हमारे देश को भी भारत माता कहते हैं। किन्तु हमें उस व्यक्ति की शिक्षा को अपनाना पड़ा, जो यह मानता है कि मेरी माँ में आत्मा ही नहीं है। और एक ऐसी शिक्षा पद्धति जो हमें नारी को पब, डिस्को और बीयर बार में ले जाना सिखा रही है, क्यों??…..
आज़ादी से पहले यदि यह सब चलता तो हम मानते भी कि ये अंग्रेजों की नीति है. किन्तु आज क्यों हम इस शिक्षा को ढो रहे हैं, जो हमें हमारे भारत वासी होने पर ही हीन भावना से ग्रसित कर रही है?? आखिर कब तक चलेगा यह सब??…..

साभार – अनिल ठाकुर विद्रोही

Posted in Uncategorized

Correcting Indian History ‘Historical Madness’?


Correcting Indian History ‘Historical Madness’?

Ramanisblog

Followers of this blog may be aware that I post articles on Hinduism the West Christened Hinduism, that are facts and verified,

Be it the Date of Rama, Krishna , The Vedas,Knowledge which is contained in Hindu texts that are proved by the modern Science.

I do not hesitate to write on Hindu inaccuracies also.

Ancient education system of India.jpg Ancinet system of Education, India.

I have come across two prominently displayed articles in the Deccan Herald dated 11 January, where the main focus seems to incite fear among the Public that the proposed correction, I am not sure whether this would actually happen, though I wish ,it does), of Indian History as we know is ‘Saffronising’ Indian Education’

It is Historical Madness.

“Unlike Nehru’s India as a nation of syncretised culture (ex: “unity in diversity”), the rightist or militant Hindutva idea of new India is based on a known rhetoric of Hindu (or Aryan)…

View original post 703 more words

Posted in Uncategorized

How Indian History Was Distorted, The First History Of India


How Indian History Was Distorted, The First History Of India

Ramanisblog

British rule of India has made Indians doubt their own culture, civilisation.

Seemingly well qualified scientists and others dismiss India’s rich culture, History and the icons of India, Rama, Krishna,Shiva, despite being presented with astronomical archeological evidence.

Such is the entrenched misinformation by the British in their about 350  years of Rule of India.

If one were to look for information on India and Hinduism, references pop up written by Western Authors, most of them self-proclaimed Missionaries, starting from Robert De Nobili of Tamil Nadu, Bishop Caldwell, Max Mueller, right to our secular educated Indians.

Ancient India.jpg Bharatvarsha.

Indian sources do not get any importance at all nor were they available in one place.

You find only westwern authors books as ‘Auhentic source”

Just who stated this whole business of rewriting Indian Histroy?

And who wrote this First Indian History ?

It was by James Mill who wrote the First Book, ‘History…

View original post 1,396 more words

Posted in रामायण - Ramayan

The Ramayana records a dynastic marriage between Prince Rama of Ayodhya and Sit


The Ramayana records a dynastic marriage between Prince Rama of Ayodhya and Sita, the daughter of Raja Janak of Mithila. The town of Janakpur, in the northern Nepali section of Mithila, is believed to be Janak’s old capital. And Sita is a Mithila girl.

The Ramayana records a dynastic marriage between Prince Rama of Ayodhya and Sita, the daughter of Raja Janak of Mithila. The town of Janakpur, in the northern Nepali section of Mithila, is believed to be Janak's old capital. And Sita is a Mithila girl.